tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post1539620568233946634..comments2024-03-23T20:44:05.692-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: जावेद मामू - कहानीSmart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-58999322540654085222016-07-20T06:48:57.217-04:002016-07-20T06:48:57.217-04:00रोचक, अगली कड़ी का इन्तजार रहेगा.रोचक, अगली कड़ी का इन्तजार रहेगा.पुरुषोत्तम पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/01590298232558765226noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-54765901978562700842012-07-26T10:03:06.044-04:002012-07-26T10:03:06.044-04:00अच्छा लगा पढ़ना......अच्छा लगा पढ़ना......Archana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-43068571194554661712009-02-09T11:48:00.000-05:002009-02-09T11:48:00.000-05:00अनुराग जी,बहुत ही अच्छी लगी कहानी. आपकी इस कहानी '...अनुराग जी,<BR/>बहुत ही अच्छी लगी कहानी. आपकी इस कहानी 'जावेद मामू' ने तो मुझे भी बरेली शहर की याद दिला दी जहाँ मुझे भी कुछ बार जाने का मौका मिला था. 'कुछ बार' इसलिए कि हम बेटियों को कहीं भी अकेले जाने या अधिक घूमने- फिरने की इजाजत नहीं थी. अपने बचपन की यादों का इतना अच्छा विवरण दिया है आपने - बाजार की चहल-पहल और बच्चों के जमघट आदि की कि सारा चित्र आंखों के आगे आ रहा है वहां का. मैं जब-जब गई हूँ भारत तो बरेली से ही होकर जाना पड़ता है अपने मायके. और इस समय आप की कहानी ने मुझे बरेली वाले दीनानाथ की स्वादिष्ट मोटी सी मलाई और पिस्ता पड़ी लस्सी याद दिला दी है. जो बरेली में रूककर पीती थी. स्वाद भी याद रहा है. लेकिन उनकी लस्सी अब हर बार पतली होती जाती है, और मलाई की मात्रा भी करीब-करीब नहीं के बराबर हो गई है. आपकी बचपन के मीठे अनुभव की कहानी से वोह मीठी लस्सी की यादें भी ताज़ा हो गईं हैं. कहानी व लस्सी की याद दोनों के लिए धन्यबाद.Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-24916372924357389732009-02-09T11:46:00.000-05:002009-02-09T11:46:00.000-05:00अनुराग जी,बहुत ही अच्छी लगी कहानी. आपकी इस कहानी '...अनुराग जी,<BR/>बहुत ही अच्छी लगी कहानी. आपकी इस कहानी 'जावेद मामू' ने तो मुझे भी बरेली शहर की याद दिला दी जहाँ मुझे भी कुछ बार जाने का मौका मिला था. 'कुछ बार' इसलिए कि हम बेटियों को कहीं भी अकेले जाने या अधिक घूमने- फिरने की इजाजत नहीं थी. अपने बचपन की यादों का इतना अच्छा विवरण दिया है आपने - बाजार की चहल-पहल और बच्चों के जमघट आदि की कि सारा चित्र आंखों के आगे आ रहा है वहां का. मैं जब-जब गई हूँ भारत तो बरेली से ही होकर जाना पड़ता है अपने मायके. और इस समय आप की कहानी ने मुझे बरेली वाले दीनानाथ की स्वादिष्ट मोटी सी मलाई और पिस्ता पड़ी लस्सी याद दिला दी है. जो बरेली में रूककर पीती थी. स्वाद भी याद रहा है. लेकिन उनकी लस्सी अब हर बार पतली होती जाती है, और मलाई की मात्रा भी करीब-करीब नहीं के बराबर हो गई है. आपकी बचपन के मीठे अनुभव की कहानी से वोह मीठी लस्सी की यादें भी ताज़ा हो गईं हैं. कहानी व लस्सी की याद दोनों के लिए धन्यबाद.Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-31913393068010659282009-02-09T11:39:00.000-05:002009-02-09T11:39:00.000-05:00अनुराग जी,बहुत ही अच्छी लगी कहानी. आपकी इस कहानी '...अनुराग जी,<BR/>बहुत ही अच्छी लगी कहानी. आपकी इस कहानी 'जावेद मामू' ने तो मुझे भी बरेली शहर की याद दिला दी जहाँ मुझे भी कुछ बार जाने का मौका मिला था. 'कुछ बार' इसलिए कि हम बेटियों को कहीं भी अकेले जाने या अधिक घूमने- फिरने की इजाजत नहीं थी. अपने बचपन की यादों का इतना अच्छा विवरण दिया है आपने - बाजार की चहल-पहल और बच्चों के जमघट आदि की कि सारा चित्र आंखों के आगे आ रहा है वहां का. मैं जब-जब गई हूँ भारत तो बरेली से ही होकर जाना पड़ता है अपने मायके. और इस समय आप की कहानी ने मुझे बरेली वाले दीनानाथ की स्वादिष्ट मोटी सी मलाई और पिस्ता पड़ी लस्सी याद दिला दी है. जो बरेली में रूककर पीती थी. स्वाद भी याद रहा है. लेकिन उनकी लस्सी अब हर बार पतली होती जाती है, और मलाई की मात्रा भी करीब-करीब नहीं के बराबर हो गई है. आपकी बचपन के मीठे अनुभव की कहानी से वोह मीठी लस्सी की यादें भी ताज़ा हो गईं हैं. कहानी व लस्सी की याद दोनों के लिए धन्यबाद.Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-62870299776408664282009-01-29T23:58:00.000-05:002009-01-29T23:58:00.000-05:00kahani bahut achhi lagi aage ka intjaar rahegakahani bahut achhi lagi aage ka intjaar rahegaनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-68270700309035553862009-01-29T13:33:00.000-05:002009-01-29T13:33:00.000-05:00आपकी बरेली का नाम पहले तो साधना जी के ठुमके लगाकर ...आपकी बरेली का नाम पहले तो साधना जी के ठुमके लगाकर गाते हुए ही सुना था :)<BR/>"झुमका गिरा रे...बरेली के बाज़ार मेँ " और आज इत्ते सारे नये दोस्तोँ और प्राणियँ से मिलवा दिया ..हम भी उन तोता राम की तरह कहे देते हैँ " जय राम जी की " <BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-60847206038688956282009-01-29T02:54:00.000-05:002009-01-29T02:54:00.000-05:00अगली कड़ी के इंतिज़ार मेंअगली कड़ी के इंतिज़ार मेंडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-91096498170318900862009-01-28T19:11:00.000-05:002009-01-28T19:11:00.000-05:00@PN Subramanian जी,आपकी बात सही है. ब्लोगर ने यह प...@PN Subramanian जी,<BR/>आपकी बात सही है. ब्लोगर ने यह पोस्ट लिखने में मुझे बहुत तकलीफ दी और जगह जगह या तो शब्द रोमन में लिखी रह जा रहे थे या फ़िर डुप्लीकेट हो जा रहे थे. थोड़ा-थोड़ा करके अभी ठीक कर दिया है. सूक्ष्म अवलोकन और ध्यान दिलाने का धन्यवाद.<BR/><BR/>@सुशील कुमार छौक्कर जी,<BR/>अब बरेली के बारे में क्या कहूं? चाहे वहाँ का सुरमा हो, या झुमका, जितने लोकगीत और फिल्मी गीतों में बरेली आया है शायद ही कोई शहर आया हो. बरेली के अभयपुर गाँव में <A HREF="http://www.indianexpress.com/news/grave-truths/30167/0" REL="nofollow">भारत के इतिहास में सबसे पुराने सुरक्षित कंकाल</A> (११०० ईसा पूर्व) मिले हैं जो उत्तर पांचाल के इस क्षेत्र की ऐतिहासिकता को भी सिद्ध करते हैं.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-66450012697917021452009-01-28T10:33:00.000-05:002009-01-28T10:33:00.000-05:00अब तक ये कहानी बहुत ही अच्छी लगी !!अब तक ये कहानी बहुत ही अच्छी लगी !!विवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-77547442980538693422009-01-28T10:11:00.000-05:002009-01-28T10:11:00.000-05:00पढकर अच्छा लगा। पढते पढते यह सोच रहा था कि कैसी हो...पढकर अच्छा लगा। पढते पढते यह सोच रहा था कि कैसी होगी उस वक्त की बरेली। तस्वीर बनाने की कोशिश कर रहा हूँ। अगली कड़ी का इंतजार।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-83826198639342759102009-01-28T09:38:00.000-05:002009-01-28T09:38:00.000-05:00अगली कड़ी का इंतजार है।अगली कड़ी का इंतजार है।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-38199189383734344462009-01-28T09:26:00.000-05:002009-01-28T09:26:00.000-05:00अनुराग भाई,अब तक ये कहानी बहुत ही अच्छी लगी ...कहा...अनुराग भाई,<BR/><BR/>अब तक ये कहानी बहुत ही अच्छी लगी ...कहानी की ये पंक्तियाँ दिल को छु गयीं <BR/><BR/><BR/>सच तो यह है कि एक परम्परागत ब्राह्मण परिवार में जन्म लेकर भी मुझे वर्षों तक हिन्दू-मुसलमान का अन्तर पता नहीं था। काश! मेरा वह अज्ञान आज भी बना रहता तो कितना अच्छा होता। <BR/><BR/>कहानी के दूसरे भाग का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार रहेगा !!!!!!!!!!!!विक्रांत बेशर्माhttps://www.blogger.com/profile/07105086711896834472noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-60709660014832028252009-01-28T08:51:00.000-05:002009-01-28T08:51:00.000-05:00सुंदर कहानी. आभार. काई जगह वाक्य और शब्द दो दो या ...सुंदर कहानी. आभार. काई जगह वाक्य और शब्द दो दो या तीन तीन बार रिपीट हो गये हैं. कृपया एक बार जाँच कर सुधार लें.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-27450150090584602692009-01-28T08:01:00.000-05:002009-01-28T08:01:00.000-05:00बहुत ही बढ़िया कहानी जो भाई चारा स्थापित करने का स...बहुत ही बढ़िया कहानी जो भाई चारा स्थापित करने का संदेश देती है . बधाईसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-47658530420843859042009-01-28T07:50:00.000-05:002009-01-28T07:50:00.000-05:00बहुत सुन्दर प्रस्तुति, अगली कड़ी के इंतिज़ार में!--...बहुत सुन्दर प्रस्तुति, अगली कड़ी के इंतिज़ार में!<BR/><BR/><BR/>---आपका हार्दिक स्वागत है<BR/><A HREF="http://pinkbuds.blogspot.com" REL="nofollow">गुलाबी कोंपलें</A>Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.com