tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post1810960827470342525..comments2024-03-23T20:44:05.692-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: कच्ची धूप, भोला बछड़ा और सयाने कौव्वेSmart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-85971587702170791692020-05-13T08:43:45.808-04:002020-05-13T08:43:45.808-04:00बहुत ही सुन्दरबहुत ही सुन्दरAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/18136886305614701425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-41504741805068053962010-08-09T23:23:14.534-04:002010-08-09T23:23:14.534-04:00अरे यह पोस्ट अभी भी झंडू बाम नहीं हुयी !अरे यह पोस्ट अभी भी झंडू बाम नहीं हुयी !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-63809366793539443702009-07-27T07:47:57.891-04:002009-07-27T07:47:57.891-04:00आज पिछली सभी पोस्त पढी बहुत ग्यानवर्धक हैं ईश मे ए...आज पिछली सभी पोस्त पढी बहुत ग्यानवर्धक हैं ईश मे एक मुहावरा मैं भी जोड दूँ ह्मारे पंजाब हिमचल मे कहते हैं कि चँद्रे दे पंद्र्ह भोले के सोलह मतलव कि भोला आदमी हमेशा लाभ मे रहता है आभार्निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-13871455153809517762009-07-24T05:00:48.552-04:002009-07-24T05:00:48.552-04:00मुझे तो बाँस और बम्बू से जुड़े कुछ प्रयोग नए से लगत...मुझे तो बाँस और बम्बू से जुड़े कुछ प्रयोग नए से लगते हैं क्यों कि पुरानी बोलचाल में वे नहीं थे। हैं वे भी अश्लील ही। उनमें पुरानी गरिमा कहाँ? <br /><br />भाषा प्रवाहशील होती है सो आज कल के SMS ही कहीं कल अलग ढंग के मुहावरे न हों जाँय।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-18126426875790729892009-07-22T23:50:14.980-04:002009-07-22T23:50:14.980-04:00मुहावरों का वेज और नानवेज वर्गीकरण पसंद आया.
बधाई...मुहावरों का वेज और नानवेज वर्गीकरण पसंद आया.<br /><br />बधाई.<br /><br />जहाँ तक नए मुहावरे बनाने कि बात है तो शायद पुरखो ने इतने बना दिए कि अब गुंजाईश न के बराबर लगती है.<br />शब्दों को तोड़- मरोड़ कर रचनायें तो बनाई जा सकती हैं पर मुहावरें तो भाव प्रधान होते है. यदि शब्दों को तोडेगें - मरोडेगें तो भी भाव तो वही निकलेगा जैसे वेज - नानवेज मुहावरों के वर्गीकरण से स्पष्ट है.<br /><br />इसी तरह से भाषा परिवर्तन कर भी यदि मुहावरें कहने कि कोशिश कि जाये तो भी भाव तो वही का वही ही रहेगा.<br /><br />पुरखों के सम्रद्ध साहित्य का यही तो पुख्ता सबूत है कि उन्हों ने न केवल सम्रद्ध मुहावरे रचे, बल्कि लोकोक्तियाँ भी रची यही नहीं इन सबसे सम्बंधित कहानियां भी रोचक अंदाज में परोसी ताकि इनके अर्थ भी आसानी से समझा जा सके.Mumukshh Ki Rachanainhttps://www.blogger.com/profile/11100744427595711291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-40166189633626032492009-07-22T12:33:36.729-04:002009-07-22T12:33:36.729-04:00... अब मुहावरों का चलन बंद सा हो रहा है लेकिन मुहा...... अब मुहावरों का चलन बंद सा हो रहा है लेकिन मुहावरों का कोई जबाव नही है !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-74456466966635670792009-07-22T12:06:31.376-04:002009-07-22T12:06:31.376-04:00रोचक तुलना....
अन्ये मुहावरे बनते तो देखा नहीं, हा...रोचक तुलना....<br />अन्ये मुहावरे बनते तो देखा नहीं, हाँ ऊपर लावण्या जी ने अच्छा याद दिलाया है मुंबैया मुहावरों के बार में।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-34687130283525456062009-07-21T05:30:57.790-04:002009-07-21T05:30:57.790-04:00मुहावरे भाषा और साहित्य से सम्बन्ध रखते हैं. हिन्द...मुहावरे भाषा और साहित्य से सम्बन्ध रखते हैं. हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य के साथ मुहावरों की स्थिति भी चिंताजनक है.hem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-599685443978073772009-07-20T13:14:20.609-04:002009-07-20T13:14:20.609-04:00आजकल भी मुहावरें बनते हैं पूछकर आपने सोच में डाल द...आजकल भी मुहावरें बनते हैं पूछकर आपने सोच में डाल दिया... वैसे फिल्मों के अलावा कहीं और से आते हैं क्या आजकल? लगता तो नहीं.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-59747232069373449952009-07-20T02:56:19.028-04:002009-07-20T02:56:19.028-04:00assI ke antim varshon ki yad dila di aapneassI ke antim varshon ki yad dila di aapneभारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-78869705188237382132009-07-20T02:37:24.953-04:002009-07-20T02:37:24.953-04:00दिलीप जी ठीक कहते है ....अब मुहावरे नहीं बनेगे.......दिलीप जी ठीक कहते है ....अब मुहावरे नहीं बनेगे....भाषा अपने म्यूटेशन के दौर में .कही बिगड़ रही है ....वैसे अजीत जी इस पर ज्यादा रौशनी डाल सकेगे ..डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-46904709207095902712009-07-19T14:38:20.520-04:002009-07-19T14:38:20.520-04:00वैसे बचपन से जो सुनते आ रहे है उन मुहावरो का कोई ज...वैसे बचपन से जो सुनते आ रहे है उन मुहावरो का कोई जवाब भी नही है।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-41787316974134286882009-07-19T13:39:30.046-04:002009-07-19T13:39:30.046-04:00क्षमा करें, मुहावरे अब नहीं बनते, हां डायलोग ज़रूर ...क्षमा करें, मुहावरे अब नहीं बनते, हां डायलोग ज़रूर बनते हैं.<br /><br />बचपन में मुहावरों को अपने दादा दादी या नाना नानी से सुना करते थे, स्कूल में तो हिन्दी, मराठी या अंग्रेज़ी में जो कुछ भी मिलता था. उसके बाद नया बनना बंद ही हो गया.<br /><br />स्थानीय मराठी समाज के एक कार्यक्रम में कल ही एक सार्थक बहस हुई, कि आज की पीढी को क्या मराठी मुहावरे याद है?<br /><br />नयी पीढी के नुमाइंदों नें ये माना, कि आज जब हिंग्लिश भाषा में बतियाने वाली पीढी ले लिये (जो मेल में भी SMS की शोर्ट शब्दों को उपयोग में लाते हैं) भाषा, साहित्य, या काव्य सभी विधायें अनजानी है.<br /><br />जब हम क्षरण की बाते करते हैं तो पहले भाषा जाती है, बाद में आचार, फ़िर विचार और अंत में संस्कृति ... इसिलिये पहली विधा में मुहावरों को जतन कर अगली पीढी को देने की चेष्टा करनी पडेगी.दिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-44420533981720989402009-07-19T11:15:33.359-04:002009-07-19T11:15:33.359-04:00आप ने सही सवाल उठाया........ पर ये तो ग्यानी लोग ह...आप ने सही सवाल उठाया........ पर ये तो ग्यानी लोग ही बता सकते हैं की आजकल मुहावरे बनते हैं या नहीं.........दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-46876142784407543332009-07-19T09:53:09.170-04:002009-07-19T09:53:09.170-04:00अजाकल के मुहावरों के माइने और अर्थ बदल गए है . बढ़...अजाकल के मुहावरों के माइने और अर्थ बदल गए है . बढ़िया आलेख आभारसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-53958438098648964662009-07-19T09:50:33.371-04:002009-07-19T09:50:33.371-04:00भाषा सड़ने लगती है जब मुहवरे और लोकोक्तियां भदेस हो...भाषा सड़ने लगती है जब मुहवरे और लोकोक्तियां भदेस होने लगते हैं।<br /><br />भदेस माने क्या? एक और बात खड़ी होती है!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-68128914043260831262009-07-19T09:00:42.013-04:002009-07-19T09:00:42.013-04:00आज तो फ़िल्मों से ट्रेंड बनते बिगड़ते हैं .आज तो फ़िल्मों से ट्रेंड बनते बिगड़ते हैं .विवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-15670967457544673522009-07-19T05:22:03.656-04:002009-07-19T05:22:03.656-04:00अब आजकल कबीर वाले मुहावरे की तो उम्मीद ही कम है. ह...अब आजकल कबीर वाले मुहावरे की तो उम्मीद ही कम है. हां मुम्बईया भाषा पूरी ही मुहावरा मय है आजकल. ए टपका डालूंगा..क्या?:)<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-50543185367477530362009-07-19T04:23:44.290-04:002009-07-19T04:23:44.290-04:00आजकल नये मुहावरे तो बहुत हैं,
पर उनका वजूद पॉप संग...आजकल नये मुहावरे तो बहुत हैं,<br />पर उनका वजूद पॉप संगीत जैसा है।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-37160701004803149352009-07-19T02:21:44.715-04:002009-07-19T02:21:44.715-04:00मजेदार तुलना। कोई भाषा जब चार-पॉंच सदी गुजार ले, त...मजेदार तुलना। कोई भाषा जब चार-पॉंच सदी गुजार ले, तभी मुहावरे जन्म ले सकते हैं, बाकी तो सब डायलॉग हैं।जितेन्द़ भगतhttps://www.blogger.com/profile/05422231552073966726noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-79920671908749310342009-07-19T00:22:14.290-04:002009-07-19T00:22:14.290-04:00लोग जब तक अपनी अभिव्यक्ति को अधिक गेय बनाने का प्र...लोग जब तक अपनी अभिव्यक्ति को अधिक गेय बनाने का प्रयास करते रहेंगे तब तक मुहावरे जन्म लेते रहेंगे। वे जन्म लेते हैं और लोग पसंद के अनुरूप उन का व्यवहार करते हैं तो प्रचलन में आ जाते हैं। इसी तरह पुराने मुहावरों का प्रचलन कम होते होते वे पुरानी पुस्तकों में रह जाते हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-4356182989979834712009-07-18T23:47:41.856-04:002009-07-18T23:47:41.856-04:00मुहावरों की महिमा तो न्यारी है.मुहावरों की महिमा तो न्यारी है.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-47241796431376723452009-07-18T23:29:11.501-04:002009-07-18T23:29:11.501-04:00रोचक ,मैंने भी ऐसे ही अनेक मुहावरों के सरल प्रतिष्...रोचक ,मैंने भी ऐसे ही अनेक मुहावरों के सरल प्रतिष्ठानी दूंढे थे -याद आयेगें तो बताएगें ! और मुहावरे तो नॉन वेज ही समप्रेशनीय ज्यादा होते हैं -छोडिये एकाध उदाहरण देता तो मगर जाने दीजिये !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-85435441792829675782009-07-18T22:29:30.657-04:002009-07-18T22:29:30.657-04:00मुहावरे जन्म ले रहें है पर ज़्यादातर अश्लील शब्दों ...मुहावरे जन्म ले रहें है पर ज़्यादातर अश्लील शब्दों के साथ. कई पुराने मुहावरे अर्थ पकड़ पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं जैसे मुझे अपने बच्चों को 'मूसल' का अर्थ बताना होगा या ननिहाल से पुराना मूसल लाकर दिखाना होगा.sanjay vyashttps://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-6572997209044614442009-07-18T22:22:50.262-04:002009-07-18T22:22:50.262-04:00अनुराग भाई ,
बम्बैया मुहावरा चलेगा क्या ? ;-)
वाट...अनुराग भाई ,<br />बम्बैया मुहावरा चलेगा क्या ? ;-) <br />वाट लगना = हालत खस्ता हो जाना<br />ये खालिस बम्बैया कथन है जी ..<br />यही याद आ गया भली याद की आपने "कच्ची धूप " सीरीयल की <br /> स स्नेह,<br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.com