tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post3408835586624716097..comments2024-03-23T20:44:05.692-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: मियाँमार की चीख-पुकारSmart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger36125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-60277479236297815652012-12-11T01:39:19.726-05:002012-12-11T01:39:19.726-05:00जब हम ऐसी धारणाएं रखते हैं ( साथ ही इच्छाएं और मां...जब हम ऐसी धारणाएं रखते हैं ( साथ ही इच्छाएं और मांगें ) करते हैं कि <br />"कोई हमसे इसलिए नीचा है की हम इस परिवार / धर्म / देश / संस्कृति में जन्मे हैं, और वह दूसरे परिवेश में .... और इस गुनाह की सजा के रूप में उसे ख़त्म कर दिया जाए "<br />- तब यह जान लिया जाना चाहिए कि हम अपने चरम पर पहुँच कर अधोपतन की ओर अग्रसर हो चुके और हमारा अंतर्मन यह जानता है कि हम में कोई कमी है | तभी यह भय कि हम हार जायेंगे, और तभी यह दूसरे को हराने की लिप्सा पैदा होती है | हिन्दू मुस्लमान में भेद क्यों हो ? हिंदी अहिन्दीभाषी में क्यों ? क्योंकिं मुझे यदि "हिंदुत्व " की चिंता है ?<br /><br />यदि राम को बचाने की चिंता है - तो इसका अर्थ ही यह कि राम के अपनी हीओ रक्षा कर पाने के प्रति मैं शंकित हूँ | उस राम के लिए - जिसे मैं सर्व शक्तिमान कहता / कहती हूँ !! ironic .....<br /><br />USA में भी पहले गोरे और काले का भेद था - जिस तरह हमारे यहाँ वर्गभेद था | किन्तु गृहयुद्ध के बाद यह भेदभाव वाले क़ानून बदले | वे तो बंटे हुए समाज से ऐक्य की ओर अग्रसर हुए था, और हम - ? जहां पहले (स्वतंत्रता के पहले ) भारत में हिन्दू मुस्लिम एक थे , वहीँ "फूट दाल कर राज्य करो" के अंतर्गत बोये जहर के बीजों ने इतना असर किया कि पहले पाकिस्तान और भारत अलग हुए, फिर और भी बन्ताव की कोशिशें हो रही हैं - दोनों ही ओर से | हम भारत को एक से खंड खंड करने के प्रयासों में लगे हुए हैं | <br />Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-5562085358159073752012-08-05T13:06:07.271-04:002012-08-05T13:06:07.271-04:00बचपन में हम सांप्रदायिक दंगों पर बहुत गुस्सा होते ...बचपन में हम सांप्रदायिक दंगों पर बहुत गुस्सा होते थे, बाबरी कांड के वक्त हमारे स्कूल महीने भर के लिए बंद हो गए थे, समझ नहीं आता था, ये झगड़ा ये गुस्सा किन बातों पर है, अब समझ आता है, और दूसरों की कठोरता क्रूरता देखते हुए लगता है कि हम क्यों सौम्य रहें..लेख पढ़ते हुए सब याद आता है, दर्द होता है, पर कठोर हकीकत और सच्चाई भी सामने दिखती है, नहीं बदलेगा कुछ भी, पहले लगता था कि पढ़े लिखे लोग, शिक्षा...इनसे चीजें बदली जा सकती हैं, पर अब समझ आता है कि पढ़े लिखे लोगों में और कट्टरता होती है। मासूम बेगुनाह लोग, भावनाएं इनकी भेंट चढ़ जाती हैं। ये ऐसा विवाद है जिसका हल नहीं दिखता।वर्षाhttps://www.blogger.com/profile/01287301277886608962noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-4291677899637623642012-08-01T21:59:39.270-04:002012-08-01T21:59:39.270-04:00हमें कुछ तो समझने हो होंगे , हम कहाँ जा रहे है ? स...हमें कुछ तो समझने हो होंगे , हम कहाँ जा रहे है ? सुन्दर लेख<br />http://gorakhnathbalaji.blogspot.com/2012/08/blog-post.htmlG.N.SHAWhttps://www.blogger.com/profile/03835040561016332975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-55136023054695702752012-08-01T18:27:59.511-04:002012-08-01T18:27:59.511-04:00कोसीकला (मथुरा में ) हिन्दुओं कि हत्या, आगजनी, प्र...कोसीकला (मथुरा में ) हिन्दुओं कि हत्या, आगजनी, प्रतापगढ़ में हिन्दुओं की हत्या और अब आसाम जल रहा है... सब चुप हैं, सेकूलर, मीडिया भी...<br />राजदीप सरदेसाई जैसा चिरकुट पत्रकार कहता है कि हजार हिन्दुओं का क़त्ल करो तब चैनल पर खबर चलाऊंगा... <br />ऐसे लोगों का क्या किया जाये समझ नहीं आता.. यही हाल रहा तो हिन्दू मजबूरन प्रतिहिंसा का सहारा लेगा... वह भी बम फोड़ना शुरू कर देगा आखिर कब तक गोलियां खता रहेगा, कब तक विधर्मियों की शमशीर की भेंट चढ़ेगालोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-51608545350892913592012-08-01T18:20:46.105-04:002012-08-01T18:20:46.105-04:00भाई गोदियाल जी मुस्लिमों की नापाक हरकतों पर भी सब ...भाई गोदियाल जी मुस्लिमों की नापाक हरकतों पर भी सब मुंह में गोबर भर के बैठ जाते हैं....लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-48372689447038091202012-08-01T11:08:03.779-04:002012-08-01T11:08:03.779-04:00अनुराग जी, आपने बहुत कम कहा फिर भी कुछेक लोगों को ...अनुराग जी, आपने बहुत कम कहा फिर भी कुछेक लोगों को बहुत-बहुत लग रहा है। ये वे हैं जो धर्मनिरपेक्ष ही होंगे। विडंबना यह है कि अब उनके धर्मसापेक्ष होने की सोची भी नहीं जा सकती। वे इस देश की विरासत मिटा डालें, वे यहां के मूल्यों को काट डालें, वे इस माटी को गाली दें, वे हमारे ही शीश पर पांव रख हमारे ही देवपुरुषों को कुचलें-कलंकित करें और हम बस आभार व्यक्त करें, ऐसे हम हो ही चले हैं। निरपेक्षता का भार सारा हम पर ही है। वे अपने कुकर्मों से पूजित हों, उनकी कट्टरता सराही जाए, उनके साथ मानवाधिकार संगठन हों, हम अपने ही घर में कुचले जाने को उनकी करुणा मान लें। वे मंदिर ढहा डालें, कारसेवकों को जला डालें, सत्ता के साए में हुंकार भरें और हम ओंकार का उच्चारण भी करें तो खौफ से भरे रहें। वे हमेशा समझेंगे कि परमात्मा की रक्षा आत्मा को बिना मारे हो सकेगी। वे ऐसी दलीलें देंगे कि मनुष्यता का उत्कर्ष भासित हो। उन्हें नहीं पता कि परमात्मा अब बलि ही लेगा, हजारों-लाखों युवाओं की। उन्हें नहीं पता कि जिस मनुजता की दुहाई वे दे रहे हैं, वो बड़े बलिदानों से ही आई है और अब उसी पर फिर खतरा है। उन्हें नहीं दिखता कि नग्नता किसी के देखने की मोहताज नहीं, कुछ लोगों के लिए यह उनकी प्रतिभा है, प्रतिष्ठा है और उनके एक-एक अंग-अवयव की अच्छी कीमत वे वसूल करते हैं। उन्हें यह भी नहीं पता कि अब अहिंसा फिर तभी आएगी जब पुनः महाभारत होगा-महाक्षय होगा। गहरी हिंसा से ही पुनः अहिंसा का पथ खुलेगा। भिन्न परिवेश-आचरण उन्हें दिख रहा है, उसमें रचा-पचा असुरत्व नहीं दिखता।तदात्मानं सृजाम्यहम्https://www.blogger.com/profile/17998161682045005502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-16943656310001272482012-08-01T10:52:35.319-04:002012-08-01T10:52:35.319-04:00अद्भुत समायोजन-उत्कृष्ट लेख। हृदय से आभार स्वीकार ...अद्भुत समायोजन-उत्कृष्ट लेख। हृदय से आभार स्वीकार करें।तदात्मानं सृजाम्यहम्https://www.blogger.com/profile/17998161682045005502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-91150122679310267702012-07-29T04:09:56.789-04:002012-07-29T04:09:56.789-04:00असम की स्थिति कुछ अपने ही घर में हुए बेगानों जैसी ...असम की स्थिति कुछ अपने ही घर में हुए बेगानों जैसी है. बंगला देश जब बना तब सेकुलर था. बाद में संविधान में रद्दो बदल हुई और वो इस्लामिक देश बन गया. इससे क्या होता खाने को कुछ है नहीं वहां. बंगला भाषी लोग ( ????) धीरे धीरे वहां से पलायन करने लगे और इस समस्या का जन्म हुआ. लोग , हज़ारों की सख्या में, हमारे देश में घुसे चले आ रहे हैं. बे रोक टोक. हमारी सारी बोर्डर सिक्यूरिटी बेकार साबित हुई है. और हम हैं की उन्हें अपने सर पर बैठा रहे हैं. वे लोग हमारे ही आदिवासिओं और मूलतः असम के रहने वालों को काट रहे हैं. कुछ करना चाहिए इस देश की सरकार को. यूं हाथ पर हाथ रखकर बैठने से तो कुछ होने वाला नहीं है...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/17520428594529989271noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-46821511003585485992012-07-29T03:02:02.085-04:002012-07-29T03:02:02.085-04:00'स्वार्थी की दृष्टि संकीर्ण ही नहीं आत्मघातक भ...'स्वार्थी की दृष्टि संकीर्ण ही नहीं आत्मघातक भी होती है।'<br /><br />आत्मघात तक सीमित रह जाए तब भी कोई बात नहीं, लेकिन जब यह प्रवृत्ति ही बन जाए तो सबके लिए खतरनाक है| फल तो चाहे वृक्ष का हो या कर्मों का, भुगतना ही पडेगा| खुद भी भुगतेंगे और पीढियां भी भुगतेंगी| ये अलग बात है कि फल भोगते समय बीज का ध्यान नहीं रहता, जैसे गुजरात को लेकर स्यापा करते बुद्धिजीवियों का ये ध्यान नहीं आता कि इन दंगों का बीज गोधरा में डल गया था|संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-16635967696196355462012-07-29T02:25:23.148-04:002012-07-29T02:25:23.148-04:00अगर आज को नहीं बदल पाए तो कल बहुत धुंधला होगा।अगर आज को नहीं बदल पाए तो कल बहुत धुंधला होगा।Atul Sharmahttps://www.blogger.com/profile/09200243881789409637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-43408180247198988402012-07-29T02:25:04.858-04:002012-07-29T02:25:04.858-04:00अगर आज को नहीं बदल पाए तो कल बहुत धुंधला होगा।अगर आज को नहीं बदल पाए तो कल बहुत धुंधला होगा।Atul Sharmahttps://www.blogger.com/profile/09200243881789409637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-20666816168418720482012-07-27T23:06:48.967-04:002012-07-27T23:06:48.967-04:00बहुत ही चिंताजनक परिदृश्य .....ये सारा झमेला अब रा...बहुत ही चिंताजनक परिदृश्य .....ये सारा झमेला अब राजनीतिक निहितार्थ लिए हुए है ...<br />वोट की राजनीति ने सब कुछ तबाह कर दिया है -नैतिकता ,राष्ट्रप्रेम सब कुछ ..<br />अगर शीर्ष स्तर से इमानदार प्रयास नहीं हुए तो यह देश जल्दी ही आसाम जैसी स्थिति दूसरे<br />प्रान्तों में भी देखेगा खासकर जहाँ वोटों के लिए एक ख़ास समुदाय का लगातार तुष्टिकरण चल रहा है <br />जैसे वे ही इस देश के निर्माता हों ....Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-1771058295860419582012-07-27T14:27:17.465-04:002012-07-27T14:27:17.465-04:00देश का एक हिस्सा जल रहा था और समारोह उत्सव दिल्ली ...देश का एक हिस्सा जल रहा था और समारोह उत्सव दिल्ली में हो रहे थे.<br />उसी दिन हमने अपने मीडिया के दोस्त से पुछा कि आज तो असम की खबर चलेगी दिन भर... उन्होंने बताया - मीडिया में नोर्थ ईस्ट की खबर नहीं आती ! <br /><br />कई पहलु हैं... सकारात्मक कोई नहीं !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-36808680207969050332012-07-27T13:32:55.230-04:002012-07-27T13:32:55.230-04:00जब से लोगो ने
धर्म , जाति , रंग , वर्ण
के भेद से...जब से लोगो ने <br />धर्म , जाति , रंग , वर्ण <br />के भेद से जीना सिखा <br />मेरा ह्रदय <br />उन क्षणों से <br />जो सबके लिए <br />सदा खुला था <br />बिना किसी शर्म के <br />बंद हो गया .<br />आज मुझे कोई दुःख नहीं है <br />न जाने क्यूँ ?Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-19612475119514558982012-07-27T11:32:24.704-04:002012-07-27T11:32:24.704-04:00लोकतन्त्र में संख्या पूजी जाती है, संस्कृति नहीं। ...लोकतन्त्र में संख्या पूजी जाती है, संस्कृति नहीं। पता नहीं भविष्य में क्या लिखा है?प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-84885376781587257222012-07-27T08:56:46.496-04:002012-07-27T08:56:46.496-04:00Appreciable post..... we are loosing something and...Appreciable post..... we are loosing something and waiting to loose for everything.....udaya veer singhhttps://www.blogger.com/profile/14896909744042330558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-60496131492852017002012-07-27T07:04:43.585-04:002012-07-27T07:04:43.585-04:00खाचिड़ी की कहानी ने मुझे भी बचपन याद करा दिया....
...खाचिड़ी की कहानी ने मुझे भी बचपन याद करा दिया....<br /><br />वर्तमान की कटु सच्चाई निहित है आपके इस लेख में...वस्तुतः हम अव्यवस्थातंत्र में जी रहे हैं...Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-24994786651104850122012-07-27T03:40:07.785-04:002012-07-27T03:40:07.785-04:00you are absolutely right. the present is selecting...you are absolutely right. the present is selecting the negatives from the past instead of the positives, and is selfishly creating hells for the future... :(Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-76643681918808445982012-07-26T15:04:12.156-04:002012-07-26T15:04:12.156-04:00+1+1Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-69947866088336464712012-07-26T15:03:50.464-04:002012-07-26T15:03:50.464-04:00मुझे नहीं लगता कि हमारे देश में धर्मनिरपेक्षता जैस...मुझे नहीं लगता कि हमारे देश में धर्मनिरपेक्षता जैसी कोई चीज है। या तो है गुंडागर्दी, उद्दंडता या फिर selective धर्मनिरपेक्षता।Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-1418749233895889202012-07-26T13:17:43.737-04:002012-07-26T13:17:43.737-04:00सही कह रहे हैं. बड़ी कोफ़्त हो रही है और चिंता भी...सही कह रहे हैं. बड़ी कोफ़्त हो रही है और चिंता भी.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-4839639281136919532012-07-26T13:15:10.755-04:002012-07-26T13:15:10.755-04:00जिस धर्म में मानवतावाद की धज्जियाँ उड़ती हों वह धर...जिस धर्म में मानवतावाद की धज्जियाँ उड़ती हों वह धर्म नहीं हो सकता.उसे दुनिया के नकशे से हटा देना ही उचित है !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-77664216357862325752012-07-26T13:09:21.630-04:002012-07-26T13:09:21.630-04:00सिकंदर साहब ने ठीक ही कहा था !
कारगिल युद्ध के शह...सिकंदर साहब ने ठीक ही कहा था !<br /><br /><a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/07/2012.html" rel="nofollow">कारगिल युद्ध के शहीदों को याद करते हुये लगाई है आज की ब्लॉग बुलेटिन ... जिस मे शामिल है आपकी यह पोस्ट भी – देखिये - कारगिल विजय दिवस 2012 - बस इतना याद रहे ... एक साथी और भी था ... ब्लॉग बुलेटिन – सादर धन्यवाद</a>शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-74198431520065750562012-07-26T11:56:34.050-04:002012-07-26T11:56:34.050-04:00आपकी यह पोस्ट और उस पर आई टिप्पणियॉं पढकर या तो ...आपकी यह पोस्ट और उस पर आई टिप्पणियॉं पढकर या तो 'अन्धों का हाथी' वाली कहानी याद आती है या फिर तुलसी की चौपाई - जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन्ह तैसी।'<br /><br />अपनी पीडा में मुझे भी शामिल करने की कृपा करें।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-90520322444225263312012-07-26T11:49:24.822-04:002012-07-26T11:49:24.822-04:00धर्मांध जो न कराएं वह कम है ....धर्मांध जो न कराएं वह कम है ....Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.com