tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post5641225790688484750..comments2024-03-23T20:44:05.692-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: वरुण देव मंदिर - देवासुर संग्राम ६Smart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-70516461977159871842010-05-20T09:44:31.688-04:002010-05-20T09:44:31.688-04:00ये रोचक विषय आपके ब्लॉग पर न आने की वजह से छूट गया...ये रोचक विषय आपके ब्लॉग पर न आने की वजह से छूट गया है ... धीरे धीरे पुरानी कड़ियों से परिचित होऊँगा ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-39928890696458410062010-05-17T19:19:32.487-04:002010-05-17T19:19:32.487-04:00आनंद आ रहा है :)आनंद आ रहा है :)राम त्यागीhttps://www.blogger.com/profile/05351604129972671967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-1564936186688764732010-05-15T22:39:19.094-04:002010-05-15T22:39:19.094-04:00निस्सन्देह रोचक।निस्सन्देह रोचक।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-82652869265187466732010-05-15T12:53:49.209-04:002010-05-15T12:53:49.209-04:00चिंतन शील पोस्ट.चिंतन शील पोस्ट.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-76369919155685328182010-05-15T07:07:43.828-04:002010-05-15T07:07:43.828-04:00गोदियाल जी ने जो कहा है अपनी टिपण्णी में यहाँ पर.....गोदियाल जी ने जो कहा है अपनी टिपण्णी में यहाँ पर...मेरा भी यही विश्वास है....<br />बहुत ही रोचक और जानकारीपरक है आपकी यह श्रंखला....<br />बहुत बहुत आभार इसे प्रकाशित करने के लिए....रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-58196956536760883922010-05-15T06:07:03.720-04:002010-05-15T06:07:03.720-04:00पढ़ना बहुत अच्छा लग रहा है!पढ़ना बहुत अच्छा लग रहा है!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-23140552617331084812010-05-15T06:07:03.721-04:002010-05-15T06:07:03.721-04:00पढ़ना बहुत अच्छा लग रहा है!पढ़ना बहुत अच्छा लग रहा है!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-4038680460785050242010-05-15T00:26:38.906-04:002010-05-15T00:26:38.906-04:00उत्कृष्ट साहित्य ।उत्कृष्ट साहित्य ।अरुणेश मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/14110290381536011014noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-12567890934757745882010-05-14T14:01:15.253-04:002010-05-14T14:01:15.253-04:00अभी इतना व्यस्त हूं कि इस पर चाह कर भी कुछ सार्थक ...अभी इतना व्यस्त हूं कि इस पर चाह कर भी कुछ सार्थक टिप्पणी नहीं कर पा रहा हूं.<br /><br />यह विषय बडा ही रोचक है. फ़िर कभी लिखूंगा आपको, और अवगर कराऊंगा अपने विचरों से, इज़ाज़त रहेगी?दिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-34392164172021312402010-05-14T13:57:14.044-04:002010-05-14T13:57:14.044-04:00बहुत सुंदर जीबहुत सुंदर जीराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-16523021236499672312010-05-14T05:42:21.833-04:002010-05-14T05:42:21.833-04:00बढ़िया ! अगली कड़ी पर आता हूँ.बढ़िया ! अगली कड़ी पर आता हूँ.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-10767136981224164582010-05-14T04:17:24.372-04:002010-05-14T04:17:24.372-04:00अगली कड़ी का इन्तजार है..अगली कड़ी का इन्तजार है..भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-29445930514914369222010-05-14T01:35:34.539-04:002010-05-14T01:35:34.539-04:00rochak jankari.. dhanywad..rochak jankari.. dhanywad..स्वातिhttps://www.blogger.com/profile/06459978590118769827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-15065482958666980882010-05-14T00:33:16.524-04:002010-05-14T00:33:16.524-04:00स्मार्ट इंडियन जी , रोचकता मौजूद है आपके इन वर्णनो...स्मार्ट इंडियन जी , रोचकता मौजूद है आपके इन वर्णनों में ! पता नहीं यह कितना सत्य है मगर तार्किक तौर पर हम इन बातों पर गौर करें की प्राचीन ग्रंथों में देवो-मानवो और दानवों में अनेक युद्धों का वर्णन है ! अगर देखा जाए तो जो स्वर्ग का वर्णन है वह अतिश्योक्ति मात्र है! जो कुछ हुआ वह सब इसी धरा पर हुआ और मनुष्यों के ही बीच हुआ ! मनुष्यों को उस काल में तीन श्रेणियों में बांटा गया था, ऐसा मेरा मानना है एक- देव , यानि श्रेष्ठ कर्म करने वाला ब्राहमण , ऋषि , मुनि ( आजकल के मक्कार पोंगा पंडित और स्वामी नहीं ) दूसरा-आम मनुष्य ( जिन्हें क्षत्रीय(योधा ) के तौर पर अधिक वर्णित किया गया है और तीसरे- राक्षस ( आजकल हम लोग इन्हें आतंकवादी कहते है ) ! अत: हमें यह नहीं भूलना चाहिए की प्राचीन ग्रंथों में भी जो कुछ लिखा गया है वह भी इस धरा के ही किसी श्रेष्ठ बुद्धिमान व्यक्ति/ महापुरुष ने ही लिखा है अत: दो भिन्न समयों में दो ग्रंथों के दावो में थोड़ा बहुत फर्क स्वाभाविक है !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-37134172625857685502010-05-13T22:42:39.514-04:002010-05-13T22:42:39.514-04:00@दिनेशराय द्विवेदीवैदिक साहित्य में वरुण सब से महत...<b>@दिनेशराय द्विवेदीवैदिक साहित्य में वरुण सब से महत्वपूर्ण देवता हैं। वे ऋत के देवता हैं, वे न्यायकर्ता हैं। बाद के साहित्य में वे केवल जल देवता हो कर रह गए। ऐसा क्यों कर हुआ?<br /></b><br /><i>क्षत्रस्य राजा वरुणोधिराजः</i><br />वरुण देवों (और असुरों) के राजा थे. पहले इंद्र ने और बाद में महादेव, लक्ष्मी, दुर्गा और विष्णु ने (कौन से इन्द्र के अनुज?) उनको बिलकुल ही पीछे छोड़ दिया.<br /> अगली कड़ी में देव-लक्षणों का वर्णन होने के बाद इस प्रश्न पर विचार करने का उत्तम समय होगा.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-52970725879635056702010-05-13T21:30:19.826-04:002010-05-13T21:30:19.826-04:00विचारणीय अभिव्यक्ति /विचारणीय अभिव्यक्ति /honesty project democracyhttps://www.blogger.com/profile/02935419766380607042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-53222369025631894362010-05-13T21:03:55.133-04:002010-05-13T21:03:55.133-04:00ब्लॉग जगत को आपकी पोस्ट से शिक्षा लेनी चाहिए!ब्लॉग जगत को आपकी पोस्ट से शिक्षा लेनी चाहिए!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-77520422086844442162010-05-13T20:59:31.726-04:002010-05-13T20:59:31.726-04:00वैदिक साहित्य में वरुण सब से महत्वपूर्ण देवता हैं।...वैदिक साहित्य में वरुण सब से महत्वपूर्ण देवता हैं। वे ऋत के देवता हैं, वे न्यायकर्ता हैं। बाद के साहित्य में वे केवल जल देवता हो कर रह गए। ऐसा क्यों कर हुआ? यह प्रश्न हमेशा सामने आता है। इस पर आप के विचार जानना चाहूँगा।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com