tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post806517402010304796..comments2024-03-23T20:44:05.692-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: सैय्यद चाभीरमानी और हिंदुत्वा एजेंडाSmart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-17388706712189255782016-12-16T10:28:03.174-05:002016-12-16T10:28:03.174-05:00हो न हो, आप भी शर्तिया हिंदुत्वावादी इंसान हैं।
कि...हो न हो, आप भी शर्तिया हिंदुत्वावादी इंसान हैं।<br />किसी सेकुलर सज्जन को ऐसे बेरहम सवाल पूछते देखा कभी?<br />चाभीरामानियों से आज तक ये असुविधाजनक सवाल नहीं किये गए।<br />अब तो साबित हो गया न,इस मुल्क में असहिष्णुता पूरे उफान पर है। Subhashhttps://www.blogger.com/profile/02096530563692497613noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-81387241185484728832011-09-26T05:27:18.946-04:002011-09-26T05:27:18.946-04:00vaahvaahAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-5829307594780726832009-09-15T13:34:37.709-04:002009-09-15T13:34:37.709-04:00मैं समझ रहा था कि आप ऐसे ही मेरी पीठ ठोंकते रहते ह...मैं समझ रहा था कि आप ऐसे ही मेरी पीठ ठोंकते रहते हैं। अब समझ में आया कि आप का भी 'वो वाला' दिमागी स्क्रू ढीला है। आप तो पक्के 'लंठ' हैं - गुरू जी नमन स्वीकार करें।<br /><br />अब आप को शुरू से पढ़ना पड़ेगा। कम्पनी इतना चक्कर कटवा रही है कि दु:खी हो गया हूँ। लिखने पढ़ने को साँस ही नहीं मिल रहा।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-33455091126071631922009-01-28T09:16:00.000-05:002009-01-28T09:16:00.000-05:00बहुत ही ज़बरदस्त व्यंग है !!!!बहुत ही ज़बरदस्त व्यंग है !!!!विक्रांत बेशर्माhttps://www.blogger.com/profile/07105086711896834472noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-50302929064949348592009-01-28T07:45:00.000-05:002009-01-28T07:45:00.000-05:00हमें सय्यद चाभीरमानी और जावेद मामू में फ़र्क करना औ...हमें सय्यद चाभीरमानी और जावेद मामू में फ़र्क करना और समझना ज़रूरी है. <BR/><BR/>बात वहीं आकर अटक जाती है. जीयो और जीने दो. तुम्हारी भी जय जय , हमारी भी जय जय. I am OK, you are OK. वसुदैव कुटुम्बकम...दिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-15098930746941394642009-01-28T05:25:00.000-05:002009-01-28T05:25:00.000-05:00जिन्हें इससे कुछ सीखना चाहिए वो तो पढ़े बिना निकल ज...जिन्हें इससे कुछ सीखना चाहिए वो तो पढ़े बिना निकल जायेंगे ! बहुत सुंदर लेखन.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-47786152565533424862009-01-28T02:33:00.000-05:002009-01-28T02:33:00.000-05:00माफ़ कीजियेगा अनुराग भाई. सय्यद चाभीरमानी जैसे इंस...माफ़ कीजियेगा अनुराग भाई. सय्यद चाभीरमानी जैसे इंसान अनपढ़ ही हैं जो ये तो दावा करते हैं कि सारी दुनिया का मालिक एक है लेकिन सबको उसका बन्दा मानने से इनकार कर देते हैं. और चाभीरमानी तो हर एक गाँव, देश, धर्म, सम्प्रदाय में हैं. किसी में कम तो किसी में ज्यादा. लेकिन आप जैसे अच्छे इंसान या आपके जावेद मामू जैसे अच्छे इंसान अभी हैं...ज़ाकिर हुसैनhttps://www.blogger.com/profile/14153966464681275532noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-14956418757256451692009-01-27T23:22:00.000-05:002009-01-27T23:22:00.000-05:00बहुत विचारणीय लिखा है आपने... काश इन सवालों के उत्...बहुत विचारणीय लिखा है आपने... काश इन सवालों के उत्तर मिल पाते.... <BR/>वैसे पढ़े-लिखे चाभिरामानी से तो अनपढ़ "जावेद मामू" कहीं ऊँचे हैं. (मैंने जावेद मामू के बारे में पढ़ा है, और भी पढ़ना चाहूंगी)Pragyahttps://www.blogger.com/profile/16628365720892083937noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-68057338876400088602009-01-27T12:34:00.000-05:002009-01-27T12:34:00.000-05:00क्या लिखे हैं सर.....मगर कौन है हमारे अलावा इन्हें...क्या लिखे हैं सर.....मगर कौन है हमारे अलावा इन्हें पढ़ने-गुनने वालागौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-73995261081331976052009-01-27T11:39:00.000-05:002009-01-27T11:39:00.000-05:00किसी भी धर्म को पालने वाले जब अच्छे काम करते हैँ त...किसी भी धर्म को पालने वाले जब अच्छे काम करते हैँ तब सारी दुनिया उन्हेँ याद कर माथा झुकाती है श्रध्धाँजली देती है - जैसा मेरी पोस्ट मेँ राजकुमारी नुर के लिये साफ साफ दीक रहा है अन्यथा, ऐसे ही लोग मिलते हैँ <BR/>जिनके लिये ..कहेँगेँ..<BR/><BR/>" यूँ ही कोई मिल गया था सरे राह, चाभी फेँकते "<BR/> ;-)<BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-51134861877134656622009-01-27T11:20:00.000-05:002009-01-27T11:20:00.000-05:00अनुराग जी सच मै आप ने मेरे दिल की बात लिख दी, मेने...अनुराग जी सच मै आप ने मेरे दिल की बात लिख दी, मेने भी कई बार ऎसे सवाल यहां अपने मुस्लिम दोस्तो से किये, ओर जबाब हमेशा गोल मटोल रहा या फ़िर चाकू निकाल लेते है, एक बार एक पाकिस्तान के सज्जन को जो हमारे साथ बेठते थे, ओर ताश भी खेलते थे, उन का नाम राणा या कुछ ऎसा ही था, एक दिन मेने कजाक मे उन्हे राणा सिंह कह दिया, थोडी देर बाद मुझे किसी ने कहा की वो पागल एक लम्बा सा चाकू लिये आप को ढुढ रहा है, मारने के लिये.<BR/>आप क धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-47932791766735332422009-01-27T08:12:00.000-05:002009-01-27T08:12:00.000-05:00Kya gazab likhte hain aap, kabhi kabhi aapki soch ...Kya gazab likhte hain aap, kabhi kabhi aapki soch par danto tale ungali daba lete hain hum. Bahut khoob.Likhte rahiye.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-72623232303375812932009-01-27T08:09:00.000-05:002009-01-27T08:09:00.000-05:00जो सवाल सदियों से अनुतरित्त हों उनका जवाब सैय्यद ...जो सवाल सदियों से अनुतरित्त हों उनका जवाब सैय्यद चाभीरमानी जैसे लोगों के पास कहां से मिलेगा। जो सवाल शबाना आपा के पास आकर अनुतरित्त रह जाते हैं उनका जवाब सैय्यद चाभीरमानी कहां से लाएगें। एक सैक्यूलर देश में जब लोग धर्म के नाम पर फायदे मांगने लगें और कर्तव्यों के नाम पर तोहमतें लगाने लगें तो जवाब कहां ढूंढेगें आप? जो लोग अपने देश में ही (कश्मीर से धकियाए हुए) अल्पसंख्यकों के लिए आवाज नहीं उठा पाते वह पाकिस्तान, बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के बारे में क्यों परेशान होंगे। उनके मसले और मसायल तो दाढी से शुरु होगें और अयोध्या या गोधरा पे समाप्त। बस्स। (और आपकी इस लिस्ट का जवाब तो सददाम मामू के पास ही हो सकता है, वह बेचारे लटके लटके जवाब भी साथ ले गए)Atul Sharmahttps://www.blogger.com/profile/09200243881789409637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-73975834205696027122009-01-27T07:27:00.000-05:002009-01-27T07:27:00.000-05:00@COMMON MAN जी,बरेली में मैंने अपने जीवन के महत्त्...<B>@COMMON MAN जी,</B><BR/>बरेली में मैंने अपने जीवन के महत्त्वपूर्ण वर्ष गुजारे हैं. आज मेरा जीवन जिस रूप में भी फलीभूत हुआ है उसकी जिम्मेदारी भी बहुत हद तक मेरे बरेली प्रवास में ही तय हुई थी - इस नाते आप मुझे बरेलवी कह सकते हैं.<BR/><BR/><B>@khamoshbol जी,</B> <BR/>सैय्यद चाभीरामानी अनपढ़ बिल्कुल नहीं हैं. वे शबाना आज़मी अल्लामा इकबाल और मुहम्मद अली जिन्नाह की तरह एक पढ़े लिखे तरक्कीपसंद मुसलमान हैं और आजकल <A HREF="http://pittpat.blogspot.com/2009/01/blog-post_19.html" REL="nofollow">जूताकारिता</A> के धंधे में हैं. अनपढ़ मुसलमान तो हमारे प्यारे "जावेद मामू" हैं जिनको मैं बचपन से जानता हूँ. उनके बारे में बहुत जल्दी लिखने वाला हूँ.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-7044142117255671322009-01-27T06:17:00.000-05:002009-01-27T06:17:00.000-05:00बहुत सुंदर लेख. बधाई हो. आभार.बहुत सुंदर लेख. बधाई हो. आभार.विवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-10474466857007826272009-01-27T06:08:00.000-05:002009-01-27T06:08:00.000-05:00सचमुच मैं भी यह पूछना चाहती हूँ........धर्म के नाम...सचमुच मैं भी यह पूछना चाहती हूँ........<BR/><BR/>धर्म के नाम पर अपना अलग पर्सनल ला मांगने वाले अपना अलग क्रिमिनल ला क्यों नहीं मांगते?<BR/>राखी बंधाने पर काफिर हो जाने वाले बैंक में पैसा रखकर सूद क्यों खाते हैं?<BR/>जिहाद को धर्मसंगत ठहराने वाले ज़कात को पूरी तरह से क्यों भूल जाते हैं?<BR/>पाकिस्तान इस्लामिक रिपब्लिक की एयरलाइन में शराब क्यों बाँटती है? क्या वह कुफ्र नहीं है?<BR/>अपने को अल्पसंख्यक कहने वाला देश का दूसरे नंबर का बहुसंख्यक समुदाय असली अल्पसंख्यकों जैसे यहूदी, पारसी, कश्मीर में ब्राह्मण, और आदिवासी अंचलों में आदिवासियों के प्रति इतनी बेरुखी और ज़ुल्म कैसे देख पाता है?<BR/><BR/>---पर इसका उत्तर हमें कोई नही देगा.......न ये सेकुलर सरकार ,न ही अपने को सही ठहराने वाला यह समुदाय.रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-69718770393057930592009-01-27T05:54:00.000-05:002009-01-27T05:54:00.000-05:00साधुवाद............ इतना बेहतरीन और बेबाक लिखने के...साधुवाद............ इतना बेहतरीन और बेबाक लिखने के लिए <BR/>ऐसे ही बहुत से ज्वलंत प्रशों का उत्तर सब भारतीय मांगते हैंदिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-46951813909378907222009-01-27T04:58:00.000-05:002009-01-27T04:58:00.000-05:00एक विचारणीय पोस्ट।एक विचारणीय पोस्ट।Science Bloggers Associationhttps://www.blogger.com/profile/11209193571602615574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-64340078122927679202009-01-27T04:27:00.000-05:002009-01-27T04:27:00.000-05:00अनुराग भाई ये सवाल तो मैं भी बहुत दिनों से जानना च...अनुराग भाई ये सवाल तो मैं भी बहुत दिनों से जानना चाह रहा था, लेकिन किसी से इस लिए नहीं पूछा क्योंकि वो बेचारे भी आपके सय्यद चाभिरामानी जैसे ही कम अक़ल या अनपढ़ मुसलमान थे. आपने भी गलत लोगों से सवाल किया. खैर...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-51103955673049194312009-01-27T03:06:00.000-05:002009-01-27T03:06:00.000-05:00सब अपने अपने हिसाब से मजहब को अडजस्ट करके चल रहे ह...सब अपने अपने हिसाब से मजहब को अडजस्ट करके चल रहे है भाई ...जहाँ उनके हिसाब से मोल्ड हो जाये वहां खीच दो..सब का का यही हाल है....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-10025465511852703302009-01-27T03:02:00.001-05:002009-01-27T03:02:00.001-05:00सब अपने अपने हिसाब से मजहब को अडजस्ट करके चल रहे ह...सब अपने अपने हिसाब से मजहब को अडजस्ट करके चल रहे है भाई ...जहाँ उनके हिसाब से मोल्ड हो जाये वहां खीच दो..सब का का यही हाल है....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-31521797264651337292009-01-27T03:02:00.000-05:002009-01-27T03:02:00.000-05:00एक ज्वलंत मुद्दे पर नायाब आलेख, जो अपनी ही एक रोचक...एक ज्वलंत मुद्दे पर नायाब आलेख, जो अपनी ही एक रोचक और धारदार शैली मे लिखा गया है. बहुत बधाई और धन्यवाद आपको.<BR/><BR/>रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-82552464306286653252009-01-27T02:39:00.000-05:002009-01-27T02:39:00.000-05:00बात पते की है, लेकिन जिनकी समझ में आनी चाहिये, वे ...बात पते की है, लेकिन जिनकी समझ में आनी चाहिये, वे आंखों पर पट्टी, कानों में तेल डालकर बैठते हैं, श्रद्धेय सुरेश चिपलूनकर जी ने बिलकुल ठीक कहा है कि कम से कम कुछ न करने से तो कुछ करना ही बेहतर है. क्या आप बरेली से हैं,उत्तर प्रदेश से.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-23819621000606225632009-01-26T23:47:00.000-05:002009-01-26T23:47:00.000-05:00एकदम सटीक.. वाह..एकदम सटीक.. वाह..योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-62755870425005389042009-01-26T23:29:00.000-05:002009-01-26T23:29:00.000-05:00भाई अनुराग जीजबरदस्त फोड़ डाला है आपने तो। शब्द ज...भाई अनुराग जी<BR/><BR/>जबरदस्त फोड़ डाला है आपने तो। शब्द जब स्याही के माध्यम से कागज पर उतरते है तब वे बेआवाज लगते हैं लेकिन जब वे ही आँखों के माध्यम से दिलों पर छा जाते हैं तब तूफान बनकर क्रान्ति का सूत्रपात करते हैं। मुझे विवेकानन्द की शिकागो यात्रा का स्मरण होता है। उस समय ईसाइयत की मंशा थी धर्म संसद के बहाने स्वयं को श्रेष्ठ सिद्ध करना। लेकिन विवेकानन्द ने अपने सम्बोधन में ही भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठता को प्रतिपादित कर दिया था और उन सबके मंसूबे धरे के धरे रह गए थे। ऐसे ही कितना ही जेहाद अपना रंग दिखाए लेकिन ये सब समय के साथ नेस्नाबूत होंगे और फिर से चराचर जगत को संरक्षण देने वाली भारतीय संस्कृति का सूर्य दैदिप्यमान होगा।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.com