tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post8139278794057388905..comments2024-03-23T20:44:05.692-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: पतझड़ की सुन्दरता [इस्पात नगरी से - 32]Smart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-30274240088057654982010-11-04T06:28:44.129-04:002010-11-04T06:28:44.129-04:00दीपावली के इस पावन पर्व पर आप सभी को सहृदय ढेर सार...दीपावली के इस पावन पर्व पर आप सभी को सहृदय ढेर सारी शुभकामनाएंDeepak chaubeyhttps://www.blogger.com/profile/14845743567136269530noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-48334808144252978542010-11-04T06:28:24.423-04:002010-11-04T06:28:24.423-04:00दीपावली के इस पावन पर्व पर आप सभी को सहृदय ढेर सार...दीपावली के इस पावन पर्व पर आप सभी को सहृदय ढेर सारी शुभकामनाएंDeepak chaubeyhttps://www.blogger.com/profile/14845743567136269530noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-99663082159730312010-11-04T00:21:49.860-04:002010-11-04T00:21:49.860-04:00आपको स: परिवार दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं और बधाई...आपको स: परिवार दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं और बधाई .पी.एस .भाकुनीhttps://www.blogger.com/profile/10948751292722131939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-75724558911808396132010-11-03T20:59:29.297-04:002010-11-03T20:59:29.297-04:00चित्र देखकर मजा आ गया, इस बार हम तो पतझड़ देखने जा ...चित्र देखकर मजा आ गया, इस बार हम तो पतझड़ देखने जा नहीं पाये इसलिए आपके चित्रों ने पूरा आनन्द दिया ....राम त्यागीhttps://www.blogger.com/profile/05351604129972671967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-80330862392551854752010-11-03T19:26:57.683-04:002010-11-03T19:26:57.683-04:00वसंत का संधिविच्छेद कर सुंदर परिभाषित किया है आपने...वसंत का संधिविच्छेद कर सुंदर परिभाषित किया है आपने । चित्र मोहक हैं ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-32293413552641702572010-11-02T02:22:37.887-04:002010-11-02T02:22:37.887-04:00शब्दों से खेल .... और प्रकृति को कैद .... दोनों ही...शब्दों से खेल .... और प्रकृति को कैद .... दोनों ही काम बहुत अछे से किये हैं आपने ... बहुत ही खूबसूरत चित्र हैं ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-77507040365106000982010-11-02T00:09:43.417-04:002010-11-02T00:09:43.417-04:00वाह! वाह!
समझा गए क़ायदे से , हम समझ भी गए !
चित्र ...वाह! वाह!<br />समझा गए क़ायदे से , हम समझ भी गए !<br />चित्र तो खूबसूरत हैं ही ! <br />आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-38916956043275491582010-11-01T13:07:29.570-04:002010-11-01T13:07:29.570-04:00पतझड़, वसंत और बहार की व्याख्या पसंद आई. तसवीरें तो...पतझड़, वसंत और बहार की व्याख्या पसंद आई. तसवीरें तो हम भी अपने आस पास ऐसी ही देख रहे हैं.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-52698158878303354432010-11-01T10:03:59.901-04:002010-11-01T10:03:59.901-04:00वाह...क्या अर्थ और प्रकृति साम्य दिखाया है आपने.....वाह...क्या अर्थ और प्रकृति साम्य दिखाया है आपने...<br /><br />सत्य ही तो है..<br /><br />वैसे मुझे भी पतझड़ उदास कर देती है,पर आपने जो मनोहारी चित्र दिखाए, आँखें ठंडी हो गयीं...<br /><br />आपका पतझड़ को देखने का यह सदा याद रखूंगी...प्रेरणा लुंगी...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-15410613097667304352010-11-01T08:57:39.100-04:002010-11-01T08:57:39.100-04:00सुंदर चित्रों को देखकर आनंद आगया, गिरजेश राव जी की...सुंदर चित्रों को देखकर आनंद आगया, गिरजेश राव जी की बात से सहमत हैं हम तो.<br /><br />रामरामताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-46729607914690506912010-11-01T06:29:09.022-04:002010-11-01T06:29:09.022-04:00पतझड़ का भी अपना ही रंग है
बसंत और बहार की तरह...पतझड़ का भी अपना ही रंग है<br />बसंत और बहार की तरह...फ़िरदौस ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/09716330130297518352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-76157085998248439952010-11-01T03:04:07.634-04:002010-11-01T03:04:07.634-04:00बहुत ही मनोरम दृश्य है ....बहुत ही मनोरम दृश्य है ....Coralhttps://www.blogger.com/profile/18360367288330292186noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-71227964411944950702010-11-01T03:01:40.856-04:002010-11-01T03:01:40.856-04:00बहुत ही मनोरम दृश्य है ....बहुत ही मनोरम दृश्य है ....Coralhttps://www.blogger.com/profile/18360367288330292186noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-80954106552779109202010-11-01T01:30:58.691-04:002010-11-01T01:30:58.691-04:00सुन्दर चित्र देख कर प्रकृ्ति के प्रति मन श्रद्धानत...सुन्दर चित्र देख कर प्रकृ्ति के प्रति मन श्रद्धानत हो रहा है। बहुत बहुत धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-2667018900780175402010-11-01T01:03:52.716-04:002010-11-01T01:03:52.716-04:00शब्द का सही विच्छेद। प्रकृति के सभी तत्व मिल कर एक...शब्द का सही विच्छेद। प्रकृति के सभी तत्व मिल कर एक नशा उत्पन्न कर देते हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-50455534505622467662010-10-31T22:25:19.599-04:002010-10-31T22:25:19.599-04:00नयनाभिराम चित्र.... प्रकृति के रंगों की छटा न्यारी...नयनाभिराम चित्र.... प्रकृति के रंगों की छटा न्यारी ही है..... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-7135065336672545782010-10-31T22:02:30.305-04:002010-10-31T22:02:30.305-04:00प्रकृति से बेहतर , उससे बढ़कर रंग बिखेरने वाला कोई...प्रकृति से बेहतर , उससे बढ़कर रंग बिखेरने वाला कोई नहीं , ये विश्वास मुझे भी है !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-2034123003102874942010-10-31T20:47:44.274-04:002010-10-31T20:47:44.274-04:00पतझड़ भी इतना खूबसूरत हो सकता है ...तस्वीरें बता ही...पतझड़ भी इतना खूबसूरत हो सकता है ...तस्वीरें बता ही रही हैं ...<br />पहाड़ी इलाकों में ऑक्सीजन की मात्रा इतनी अधिक होती है कि वहां पत्तियां पीली नहीं पडती ,लाल हो जाती हैं....इन पत्तियों का लाल रंग किस कारण है!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-25789550930018718882010-10-31T14:27:51.916-04:002010-10-31T14:27:51.916-04:00शेख फ़रीद ने कहा था,
"देख पराई चुपड़ी, मत ललच...शेख फ़रीद ने कहा था,<br />"देख पराई चुपड़ी, मत ललचाये जी,<br />रूखी सूखी खायके, ठंडा पानी पी"<br /><br />ऐसे चित्र दिखाकर हमारी रूखी सूखी को और रूखा सूखा कर रहे हैं जी आप:) अब हमें भी कभी तस्वीरें डालनी होंगी।<br /><br />बहुत खूबसूरत लगे मौसम के असर से रंगाते पेड़।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-4040055243033921882010-10-31T12:53:18.354-04:002010-10-31T12:53:18.354-04:00बहुत सुंदर लिखा ओर बहुत ही सुंदर चित्र भी, सच मे आ...बहुत सुंदर लिखा ओर बहुत ही सुंदर चित्र भी, सच मे आज कल बहुत सुंदर लगता हे, जब हम जंगल के रास्ते गुजते हे तो दोनो ओर रंगबिरंगे पत्तो से सजे पेड बहुत सुंदर लगते हे, लेकिन थोडा समभल कर भी चलना पडता हे कि कही इन की सुंदरता देखते हुये हम कही फ़िसल ही जा जाये,धन्यवाद इस अति सुंदर पोस्ट के लियेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-83682800203476258762010-10-31T09:49:28.791-04:002010-10-31T09:49:28.791-04:00सच में पतझड भी सुन्दरता विखेरता हैसच में पतझड भी सुन्दरता विखेरता हैdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-90820926275188552252010-10-31T08:34:02.465-04:002010-10-31T08:34:02.465-04:00सुन्दर , मनमोहक चित्र |सुन्दर , मनमोहक चित्र |hem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-18826352327981389332010-10-31T08:33:08.052-04:002010-10-31T08:33:08.052-04:00पतझढ़ के सुन्दर दृश्य बहुत मनोरम हैं!पतझढ़ के सुन्दर दृश्य बहुत मनोरम हैं!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-6336899189397476012010-10-31T08:11:48.587-04:002010-10-31T08:11:48.587-04:00बहुत सुन्दर फोटो हैं... मुझे भी लाल-पीले पत्ते देख...बहुत सुन्दर फोटो हैं... मुझे भी लाल-पीले पत्ते देखकर बहुत अच्छा लगता है. तब और भी, जब नीचे पानी भी हो ताल-तलैयों में. आप के तर्क बहुत अच्छे हैं.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-29229759798552184942010-10-31T07:56:21.691-04:002010-10-31T07:56:21.691-04:00@चिलगोज़ियाँ - इसका 'चिलगोंजई' से कोई सम्ब...@चिलगोज़ियाँ - इसका 'चिलगोंजई' से कोई सम्बन्ध तो नहीं? ;) <br /><br />@ हाँ है तो मगर वसंत तो पतझड़ ही हुआ न! <br />वसंत = वस+अंत = (वृक्षों के) वस्त्रों का गिरना <br />तो फिर वसंत क्या है? कुसुमाकर = फूलों का खिलना, बहार<br />तो निष्कर्ष यह निकला कि पतझड़ वसंत है और वसंत बहार है।<br /><b>वारे गए। ढेर सारी जानकारी इत्ते छोटे पैरा में! </b>गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.com