tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post8248170259453759712..comments2024-03-23T20:44:05.692-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: अब कुपोस्ट से आगे क्या होगा?Smart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger68125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-30876270824776863762011-09-20T10:22:45.861-04:002011-09-20T10:22:45.861-04:00दूसरों को आहत करने के लिए "एक्स्ट्रा माइल&quo...दूसरों को आहत करने के लिए "एक्स्ट्रा माइल" चलने वाले जब एक एक शिष्ट टिप्पणी को "बदबूदार" बताकर भड़काऊ व अशिष्ट पोस्टें व टिप्पणियाँ लिखते हैं उस समय उन्हें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि उनकी खुद की बर्दाश्त कितनी है. खुद डॉक्टर होकर भी कैंसर से जूझते (अब स्वर्गीय) और ज़िंदगी और म्रत्यु से लड़ते (अब रिकवर्ड) दो बुज़ुर्ग ब्लोगरों पर लगातार वाक्-प्रहार करके आहत करने वालों को व्यंग्य विधा को समझने की बुद्धि तो रखनी ही चाहिए. (इन दो उदाहरणों के अलावा भी बदतमीजी के बहुत से कीर्तिमान स्थापित किये गए हैं). जिनके घर शीशे के होते हैं वे दूसरों के घरों पर पत्थर फेंकने से बचें इसी में सबकी भलाई है. <br /><br /><b>रश्मि जी, शिल्पा जी, <br />आपके सुझाव और सद्भावना का आदर करते हुए मैंने इस पोस्ट पर कमेन्ट ऑप्शन बंद कर दी है. जिन्होंने भी इस एपिसोड में संयम, ज़िम्मेदारी और गरिमा का परिचय दिया है उनका आभार!</b>Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-51148183611582158422011-09-20T09:51:27.315-04:002011-09-20T09:51:27.315-04:00प्रिय महोदय ,
सिर्फ तीन शब्दों ‘छीलकर रख दिया’ की...प्रिय महोदय ,<br /><br />सिर्फ तीन शब्दों ‘छीलकर रख दिया’ की ऐसी प्रतिध्वनि! <br /><br />वैश्विक ब्लाग संसार को अवश्य ही इन शब्दों के साथ यथोचित व्यवहार करना चाहिये अन्यथा क्या ब्लाग जगत में घुईया छीलने के लिये आये थे?अशोक कुमार शुक्लाhttps://www.blogger.com/profile/00322447925425282794noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-21751838263507617032011-09-20T09:47:41.038-04:002011-09-20T09:47:41.038-04:00मै भी शिल्पा की बात से सहमत हूँ...
मैने जब पहली ब...मै भी शिल्पा की बात से सहमत हूँ...<br /><br />मैने जब पहली बार पोस्ट पढ़ी तो मुझे ये ब्लॉगजगत को लक्ष्य करके लिखी गयी लगी...और मैने उसी आशय की टिप्पणीकार दी.<br /><br />कुछ व्यस्तताओं ने ब्लॉगजगत से दूर रखा...और बाद में पता चला कि इस पोस्ट से कोई बहुत आहत है. उनकी बातों से भी लोग आहत होते रहे हैं.,...लेकिन ऐसा नहीं कि किसी ने उन्हें जबाब नहीं दिया या फिर बख्श दिया हो...उन्हें हर बार समुचित उत्तर दिया गया है...पोस्ट भी लिखी गयी है...<br /><br />अब कोई नई पोस्ट डालिए और यहाँ अब टिप्पणियाँ बंद कर दीजिये..जैसा शिल्पा ने सुझाया है.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-10994068310057139792011-09-20T09:10:24.065-04:002011-09-20T09:10:24.065-04:00Please everyone - stop this cruel bickering ...
...Please everyone - stop this cruel bickering ... <br /><br />यह सब किसी को आहत कर रहा है - क्या हम ब्लॉग्गिंग इसी उद्देश्य से कर रहे हैं ? एक चौपाल पर बैठ कर एक दूसरे की कमियां point out करें ? एक दूसरे को चोट पहुंचाए ? किसी के इमोशनल होने का और hasty decisions का मज़ाक उड़ायें ? क्या हमें (- हम सभी को) और कोई काम नहीं हैं? lets all turn positive and stop this negativity ..... and please dont waste your precious energies taunting me now - because i won't get hurt if i am called a lot of names :) .. because those words will not reach me at all .<br /><br />Anurag ji - please - i request you here to please switch off the comment optionAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-45114503694759500642011-09-20T08:26:56.015-04:002011-09-20T08:26:56.015-04:00@डॉ.श्याम गुप्ता.
अंकगणित कमजोर है शायद -६४+१=६५ ह...@डॉ.श्याम गुप्ता.<br />अंकगणित कमजोर है शायद -६४+१=६५ हैं !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-22413459106334756702011-09-20T05:51:34.766-04:002011-09-20T05:51:34.766-04:00तभी तो इस बकवास पोस्ट पर ६२+१ =६३ टिप्पणियाँ आई ह...तभी तो इस बकवास पोस्ट पर ६२+१ =६३ टिप्पणियाँ आई हैं | shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-27016896405542275772011-09-20T05:03:36.161-04:002011-09-20T05:03:36.161-04:00कलम तलवार भी बन सकती है, ऐसे लेखन ही चरितार्थ करत...कलम तलवार भी बन सकती है, ऐसे लेखन ही चरितार्थ करते रहते हैं ...आपने बड़ी संजीदगी से अपना काम किया ..यहाँ सारी असहमतियां बौनी लग रही हैं ,बल्कि निस्तेज और अप्रासंगिक ......हम अपने साझा उत्तरदायित्वों से मुंह नहीं मोड़ सकते -सच और गलत पर आवाज उठनी ही चाहिए ....अगर जरा भी नैतिकता बची हुयी है -और इसके लिए दृढ़ता और और तटस्थता चाहिए जो यहाँ पूरे वजूद में है ! <br />बाकी तो समय एक बड़ा निर्णायक खुद है ......Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-44003009179326828012011-09-20T00:42:34.100-04:002011-09-20T00:42:34.100-04:00रचना जी,
आपने ऐसे लोग देखे होंगे जो बेवजह खींचे ग...रचना जी,<br /><br />आपने ऐसे लोग देखे होंगे जो बेवजह खींचे गये हों और खिंच गये हों। कई लोगों पर वाकई बहुत फ़ुर्सत है। आपके अपने अनुभव और धारणायें हो सकती है, और अपनी लडाइयाँ भी। <br /><br />लोग ऐसे भी हैं जो कोई भी नारा सुनते ही दूसरों की बस्तियाँ जलाने निकल पडते हैं क्योंकि उनके अन्दर आग सुलग़ रही है - मगर इस सब से किसी की भी ग़लती सही नहीं हो जाती। एक न्यायप्रिय समाज में हर किसी को अपने करने की कीमत खुद चुकानी होती है और वह नॉन-ट्रांसफ़रेबल है। कोई भी यह अधिकार नहीं रखता कि वह मेरे पीछे लट्ठ लेकर इसलिये पड जाये क्योंकि उसने पास्ट में कई बेवकूफ़ियाँ की हैं जिनमें उसे घाटा हुआ। आपके रिश्ते आपके साथ हैं, मेरे मेरे साथ। समाज में हम लोग एक दूसरे के लिये खडे हो सकते हैं, मगर वह साथ अन्याय रोकने के लिये होना चाहिये न कि अन्याय को महामारी बनाने के लिये।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-87773556742468759782011-09-20T00:40:22.537-04:002011-09-20T00:40:22.537-04:00आइना दिखना हो तो सब को दिखाओ ब्लॉग जगत में क़ोई भी...आइना दिखना हो तो सब को दिखाओ ब्लॉग जगत में क़ोई भी दूध का धुला नहीं मिलेगा देखने की जरुरत ये हैं की शुरुवात कौन करता हैं जो हम कभी देखना ही नहीं चाहते . हम आवाजो को बंद करना चाहते हैं क्युकी शोर हमे अच्छा नहीं लगता . शोर से परहेज हैं जिनको वो ब्लॉग में आते ही क्यूँ हैं किसी साउंड प्रूफ घर में रहे लेकिन नहीं यहाँ की रीत है हैं की हम करे तो ठीक क्युकी हम जहीन हैं , बड़े हैं , और पुराने हैं और उस से भी ज्यादा हम पुरुष हैं इस लिये गाली हम दे तो ठीक पर अगर स्त्री दे दे को कुलटा हैं , छिनाल हैं , मानसिक रोगी हैं<br />चलते चलते याद आया मेरे लिये एक सज्जन पुरुष जो ब्लॉग जगत में दादा हैं हर जगह जा कर लिखते रहे हैं की अपना तो घर बसाया नहीं नारी ब्लॉग बना कर दूसरो का उजाडती हैं . और जब भी लिखा हैं उन्होने मैने अपशब्द से ही वापस किया हैं<br /><br />ज्यादा होगया हैं पर मै यहाँ किसी को खुश करना नहीं आई हूँ मै यहाँ खुश होने आई हूँ और वो मै हूँ<br />हाँ कायर वो भी नहीं हैं वक्त ख़राब चल रहा हैं बदलेगा इंतज़ार हैं मुझे उसकी वापसी का जो जैसा हैं उसको वैसा ही स्वीकारने की ताकत हैं मुझ मैरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-28891486677865549602011-09-20T00:33:04.315-04:002011-09-20T00:33:04.315-04:00सर जी, आप तो स्मार्ट हैं, क्या इतना भी नहीं जानते ...सर जी, आप तो स्मार्ट हैं, क्या इतना भी नहीं जानते कि आपकी इस पोस्ट का सन्दर्भ क्या है?<br />साफ़ साफ़ सब कुछ दिखाई दे रहा है| <br />मैं आपकी बहुत इज्ज़त करता था, किन्तु इस पोस्ट के बाद आपने वह खो दी| ब्लॉग जगत में नैतिक मूल्यों को खो देने वाले तो बहुत देखें हैं, किन्तु आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी| मैंने कभी नहीं सोचा था कि आप भी उसी ज़मात में शामिल हैं|<br />केवल देश भक्ति पर चार पंक्तियाँ लिख डालने से कोई व्यक्ति पाक साफ नहीं हो जाता| जब तक नैतिक मूल्यों का ही अभाव हो तो कैसी देश भक्ति? और जिस देश के लिए लड़ने का ढोंग आप लोग करते हैं, उसी देश की संस्कृति के साथ घात भी करते हैं| उसी देश के जीवन मूल्यों को नष्ट करते हैं|<br />ऐसे देशभक्तों (?) से भारत देश का कुछ भला नहीं होने वाला|<br />पहले इस देश के नैतिक मूल्यों को तो जाने, फिर देशभक्ति पर बात करना|<br />मेरा ब्लॉग भी आप नियमित पढ़ते हैं| देशभक्ति पर ही लिखता हूँ| ब्लॉगजगत के किसी भी व्यक्ति से कितना भी द्वेष क्यों न हो, कभी उसको अपमानित करती ऐसी घटिया पोस्ट कभी नहीं लिखी| मेरे ब्लॉग के उद्देश्य इतने क्षुद्र नहीं हैं| <br /><br />मैंने तो सोचा था कि स्मार्ट इन्डियन नाम का ब्लॉग ज़रूर कोई बड़ा उद्देश्य लेकर काम कर रहा है| किन्तु आज सारे भ्रम टूट गए| आपकी इस पोस्ट की एक एक पंक्ति स्मार्ट कहलाने के कतई योग्य नहीं है| आपकी इस पोस्ट से कम से कम मेरी नज़र में तो आपकी सारी स्मार्टनेस धुल गयी|<br /><br />जिसकी तरफ आप इशारा कर रहे हैं, वह आप भी जानते हैं, मैं भी जानता हूँ और आपकी इस पोस्ट पर टिप्पणियाँ करने वाले ये सभी लोग भी जानते हैं| आपको चाहिए कि आप उनसे क्षमा मांगे|<br />आपकी व्यक्तिगत इच्छा कुछ भी हो किन्तु नैतिकता के चलते आपको ऐसा करना चाहिए|<br />आगे आपकी मर्जी|दिवसhttps://www.blogger.com/profile/07981168953019617780noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-82430417151312483292011-09-20T00:29:53.904-04:002011-09-20T00:29:53.904-04:00तब तो आप को हर उस ब्लोगर को कटघरे में लाना होगा जो...तब तो आप को हर उस ब्लोगर को कटघरे में लाना होगा जो टिपण्णी में अपने टिपण्णीकारो को गलियाँ देते हैं<br />बड़े बड़े हैं और जाने माने भी आप आहत हैं और आप आहत करके वही कर रहे हैं जिस को आप करना गलत कह रहे हैं <br /><br /><br />'अ' ने 'ब' को चुटकी काटी और 'ब' भीड़ ले जाकर 'क', 'ख', 'ग' के घरों में पत्थर फेंकने लगे, यह तो सही बात नहीं हुई। <br /><br />इस ब्लॉग जगत में २००७ से हूँ और यही देख रही हूँ इस मै कुछ नया नहीं हैं नया इतना हैं की अब ये किसी एक जेंडर का हथियार नहीं रह गया हैं <br /><br /><br />तब तो आप को हर उस ब्लोगर को कटघरे में लाना होगा जो टिपण्णी में अपने टिपण्णीकारो को गलियाँ देते हैं<br />बड़े बड़े हैं और जाने माने भी आप आहत हैं और आप आहत करके वही कर रहे हैं जिस को आप करना गलत कह रहे हैं<br />इस ब्लॉग जगत में २००७ से हूँ और यही देख रही हूँ इस मै कुछ नया नहीं हैं नया इतना हैं की अब ये किसी एक जेंडर का हथियार नहीं रह गया हैं<br /><br />एक नहीं हजारो लिंक दिखा सकती हूँ मेरे तो माता पिता तक के खिलाफ एक प्रबुद्ध ब्लोग्गर ने जो कभी सक्रिय थे टिपण्णी दी हैं जब मैने ज्ञान दत्त जी की पोस्ट के खिलाफ लिखा था और मैने उसके बाद गाली और अपशब्द ही वापस किये हैं<br />एक दूसरे हैं जिन्होने मेरे और सुजाता के खिलाफ एक नयी महिला ब्लोग्गर को कहा की इनसे बात मत करना ये अच्छी औरते नहीं हैं<br />एक और हैं जिन्होने सुजाता को कहा "रेड लाईट एरिया खोल ले "<br />और इन सब को जवाब अपशब्द से ही दिये गए हैं<br />लेकिन इस का असर बहुत दूर तक हुआ हैं और कुछ अन्य भी इस चपेट में आये हैं<br />हा यहाँ समीर की टिपण्णी पर मुझे हंसी आ रही हैं क्युकी उन्हे क्यों लगा ये जरुरी पोस्ट हैं जबकि वो विवाद पर आँख मूंद कर ही रहते हैं<br />कहो अनुराग हैं हिम्मत मेरे दिये हुए लिनक्स से पोस्ट बनाने की<br />तुम इस सब में बेवजह खीच गये होरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-50307134220933936002011-09-20T00:06:37.382-04:002011-09-20T00:06:37.382-04:00रचना जी, वह ज़िम्मेदारी ट्रांस्फ़रेबल-ऐट-विल तो नह...रचना जी, वह ज़िम्मेदारी ट्रांस्फ़रेबल-ऐट-विल तो नहीं है न! 'अ' ने 'ब' को चुटकी काटी और 'ब' भीड़ ले जाकर 'क', 'ख', 'ग' के घरों में पत्थर फेंकने लगे, यह तो सही बात नहीं हुई। <br /><br />हम ब्लॉग पोस्ट लिखते हैं, टिप्पणियों की ऑप्शन खुली रखते हैं, अपने विचार देते हैं, दूसरों के विचार मंगाते हैं और उसके बाद हर टिप्पणी पर आहत हो जाते हैं, और टिप्पणी करने वाले के साथ बदज़ुबानी करने लगते हैं तो यह कदापि न्यायोचित नहीं है - सामान्य भी नहीं है।<br /><br />बजाय इसके अगर चिकोटी काटने वाले के विरुद्ध मोर्चा खोला जाये तो बात न्यायोचित होगी और समर्थन भी मिलेगा।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-4840993204186143632011-09-19T23:58:52.042-04:002011-09-19T23:58:52.042-04:00"इनफ़ इज़ इनफ़"
नहीं अनुराग जी "बस..."इनफ़ इज़ इनफ़"<br />नहीं अनुराग जी "बस अब बहुत हुआ " कहना गलत और एक तरफ़ा हैं . <br /><br />किसी का चिल्लाना लोग को सुनाई देता हैं पर किसी का चुटकी काटना लोगो को कभी तो दिखता नहीं और कभी लोग उस चुटकी को इग्नोर भी करते हैं<br /><br /><br />जो हो रहा हैं यहाँ केवल उसका एक तरफ़ा नज़रिया हैं उसकी शुरुवात कौन करता हैं और सूत्रधार कौन हैं एक पोस्ट उस पर भी बननी चाहिये<br /><br /><br />इस प्रकरण के सूत्रधार कितना भी गंगा नहा ले पाप मुक्त नहीं होगेरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-17954253467298127692011-09-19T22:02:42.686-04:002011-09-19T22:02:42.686-04:00:))):)))ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-37290985854205301262011-09-19T21:45:57.793-04:002011-09-19T21:45:57.793-04:00बहुत सटीक....इसकी जरुरत थी.....:)बहुत सटीक....इसकी जरुरत थी.....:)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-24796346059594887552011-09-19T18:43:55.924-04:002011-09-19T18:43:55.924-04:00सतीश सक्सेना जी,
छोटे भाई को क्यों शर्मिन्दा कर रह...सतीश सक्सेना जी,<br />छोटे भाई को क्यों शर्मिन्दा कर रहे हैं। हम तो आप बड़ों के चरण चिन्हों से मार्ग ढूंढते हैं। अगर अनजाने कोई गुस्ताखी हुई हो तो बेझिझक बताइये और डांट भी लगाइये।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-63323454383841132922011-09-19T18:38:29.311-04:002011-09-19T18:38:29.311-04:00@ आपने हमें आगाह तो नहीं ही किया है!
सुब्रमणियन ज...@ आपने हमें आगाह तो नहीं ही किया है!<br /><br />सुब्रमणियन जी, आप भी बस कमाल करते हैं। बड़े भाई साहब किधर हैं?Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-88084360727600451642011-09-19T18:35:47.707-04:002011-09-19T18:35:47.707-04:00राजेश जी,
हर किसी की भावनाओं को झिंझोड़ने वाले दब...राजेश जी,<br /><br />हर किसी की भावनाओं को झिंझोड़ने वाले दबंग/बुली अक्सर अपने आस-पास देखने को मिल जाते हैं आभासी जगत के पर्दे में उन्हें अपनी भडास निकालने के मौके अधिक हैं। कभी न कभी, किसी न किसी को तो खड़े होकर कहना ही पड़ेगा, "इनफ़ इज़ इनफ़"Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-82671079319880333112011-09-19T18:31:23.178-04:002011-09-19T18:31:23.178-04:00@प्रतुल भाई,
आप सरीखे साहित्य के विद्वान तारीफ़ क...@प्रतुल भाई,<br /><br />आप सरीखे साहित्य के विद्वान तारीफ़ करते हैं तो दिल को वाकई बहुत प्रसन्नता होती है। आपका अवलोकन 16 आने सच है। तकनीक जब भी नये रास्ते बनाती है, तब नये आयाम खुलते हैं और नई विधाओं का जन्म भी होता है। आभार!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-8934236119116813702011-09-19T18:28:57.242-04:002011-09-19T18:28:57.242-04:00@एक स्त्री से ऐसा घबरा गए जैसे इसने इनकी नाक में द...@एक स्त्री से ऐसा घबरा गए जैसे इसने इनकी नाक में दम कर रखा हो| <br /><br />दिवस बेटा, <br /><br />मुझे नहीं पता कि तुम किस स्त्री और किस नाक की बात कर रहे हो। पहेलियाँ बुझाने के बजाय स्पष्ट हिन्दी भाषा में पूरी बात बताओ तो पता लगे कि तुम किस बात पर खफ़ा हो और फिर आगे कुछ बातचीत हो - तब तक के लिये शुभकामनायें!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-60714843292368325152011-09-19T13:33:34.064-04:002011-09-19T13:33:34.064-04:00.
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कुछ सीनियर डॉक्टर ब्लॉगर ऐसा कहते हैं कि हमा....<br />.<br />.<br /><b>कुछ सीनियर डॉक्टर ब्लॉगर ऐसा कहते हैं कि हमारा क्लिनिकल डिप्रैशन और बाइपोलर डिसऑर्डर इलाज के बिना ठीक नहीं हो सकता है। हमने भी दृढ प्रतिज्ञा कर ली है कि हम अपनी बीमारियाँ ब्लॉगिंग से ही ठीक करके दिखायेंगे। </b><br /><br />खरा व दमदार डायग्नोसिस और झंझोड़ती असरदार पोस्ट !<br /><br />आभार!<br /><br /><br /><br /><br />...प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-88990242501418698642011-09-19T07:12:41.016-04:002011-09-19T07:12:41.016-04:00अब अनुराग उर्फ़ स्मार्ट इंडियन, कैसे मर्द हैं? एक ...अब अनुराग उर्फ़ स्मार्ट इंडियन, कैसे मर्द हैं? एक स्त्री से ऐसा घबरा गए जैसे इसने इनकी नाक में दम कर रखा हो| बड़ी मर्दानगी समझ रहे हैं अपनी|<br />स्मार्ट इंडियन ने ऐसी कौनसी स्मार्टनेस दिखाई है ऐसी घटिया पोस्ट लगाकर| क्यों इंडियंस को बदनाम कर रहे हो भाई? क्या स्मार्ट इंडियंस ऐसे ही होते हैं? क्या इसीलिए स्मार्ट इनियंस नाम का ब्लॉग बनाया था कि एक महिला का अपमान करेंगे और अपनी स्मार्टनेस (?) दिखाएंगे|<br />क्या स्मार्ट इंडियंस के उद्देश्य इतने क्षुद्र होते हैं?<br />शर्म आनी चाहिए|<br />किसको फुद्दू बना रहे है ऐसी पोस्ट लिखकर?दिवसhttps://www.blogger.com/profile/07981168953019617780noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-87096071536038622652011-09-19T06:00:46.253-04:002011-09-19T06:00:46.253-04:00कमाल की बात तो यह है --लिंक भी मिला तो कहाँ से !कमाल की बात तो यह है --लिंक भी मिला तो कहाँ से !डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-77451698905180476332011-09-19T05:59:57.316-04:002011-09-19T05:59:57.316-04:00अनुराग , ग़ज़ब का लिखते हो यार !अनुराग , ग़ज़ब का लिखते हो यार !डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-91768544804731307012011-09-18T13:33:35.982-04:002011-09-18T13:33:35.982-04:00अनुराग जी,
आपका व्यंग्य लेखन ....... काफी दमदार ह...अनुराग जी, <br />आपका व्यंग्य लेखन ....... काफी दमदार है... <br />एक बात कहता हूँ ... जब नयी कविता का आरम्भ हुआ था तो कई पुराने साहित्यकार उसे पचा नहीं पाये... लेकिन नयी कविता के साधकों ने उसे स्थापित करके ही दम लिया.<br />प्रसिद्ध व्यंगकार शरद जोशी ने व्यंग्य विधा को काव्यात्मक पुट दिया इसलिये उन्हें कवि-सम्मेलनों में एक कवि के रूप में सुना जाने लगा... मैंने भी उनके 'व्यंग्य-पाठों' को कवियों के बीच सुना और पूरा आनंद लिया.<br />मैंने घर-परिवारों में कुछ लोग ऐसे भी देखे जो भले ही लेखन विधा में सिद्धहस्त नहीं होते...फिर भी वे बतरस विधा के धुरंदर होते हैं... उनकी संवाद शैली गज़ब की होती है.. वे अपनी मुहावरेदार और लच्छेदार भाषा से अपने श्रोता वर्ग को बाँधकर रखते हैं... सोचता हूँ क्या वे साहित्यकारों की पंगत में खड़े होने योग्य नहीं? <br />एक बात कहकर कुछ पूछना चाहता हूँ :<br />दस वर्ष पहले जौनपुर में एक 'आल्हा' गायक व्यक्ति से मेरी भेंट हुई थी... वे बड़े ही साहित्यिक संस्मरण सुनाया करते थे... और उनके द्वारा किस्से-कहानियों के तो क्या कहने... लेकिन उनके किस्से-कहानियों को यदि कोई लिख मारे और स्थापित साहित्यकार हो जाये .......... तब क्या उन 'आल्हा गायक सज्जन' को साहित्यकार श्रेणी से महरूम रखा जाना चाहिये... मुझे तो वे किसी साहित्यकार से कमतर नहीं लगे थे.<br /><br />अब बात करता हूँ आज के ब्लोगर्स की :<br />कई ब्लोगर ऐसे हैं जो लेखन विधा से बहुत पहले से जुड़े हैं... इंटरनेट युग से भी पुराने हैं... वे साहित्य की तमाम विधाओं से परिचित भी हैं.. किस्से-कहानियाँ कहना जानते हैं. कविता के पंडित हैं.. आलोचना-समीक्षा-निबंध-रिपोर्ताज-संस्मरण-रेखाचित्र-आत्मकथा-लघुकथा-उपन्यास ही नहीं चम्पू तक से पहचान रखते हैं... अब कई ऐसे हैं जिन्हें केवल पढ़ने में ही आनंद है, जो यदा-कदा पसंद-नापसंद की टिप्पणी भी करते हैं. <br />कई ऐसे भी हैं जिन्हें लिखने को कुछ सूझता ही नहीं, जिनके पास विषयों का अकाल होने से वे परेशान रहा करते हैं ... कई ऐसे हैं जिन्हें मुक्तिबोध की कविता से प्रेरणा मिलती है..."मुझे कदम-कदम पर चौराहे मिलते हैं बाँह फैलाये, एक पैर रखता हूँ कि सौ राहें फूटीं."<br />कई ऐसे हैं जो फणीश्वरनाथ रेणु की भाँति कहने में गालीगलौज से भी परहेज नहीं करते ... वे भी सीधे-सीधे कहकर स्थापित होना चाहते हैं.<br />कइयों की दशा काफी निरीह है.. क्योंकि वे खाली हो चुके हैं..... या फिर उनके पास समय नहीं... वे अपनी ही किसी उलझन में फँसे हैं.<br />हमें सभी से सहानुभूति रखनी चाहिए.... चाहे कोई अनशन करके हॉस्पिटल में एडमिट हो या फिर नोट-कांड के बाद कानूनी फरमान के भय से एम्स में भरती हो, खूनी उल्टियां कर रहा हो ... अमिताभ बच्चन की तरह बड़े लोगों को मित्र-धर्म निभाना ही चाहिए. <br /><br />जब ब्लोगर के रूप में मैंने सञ्जय अनेजा जी की पोस्टें पढ़ना शुरू किया तो मैंने अपने मित्र दीपचंद से कहा था कि सच्चे अर्थों में ब्लॉग-साहित्य यह है [मतलब 'मो-सम-कौन' वाला ब्लॉग]... जिसका लेखन विधा से दूर-दूर तक का वास्ता नहीं रहा फिर भी निराले अंदाज़ में बात कहते हैं... ठीक उसी तरह एक अन्य ब्लोगर हैं जो अपने मन को दर्पण बनाकर ब्लोगिंग करते हैं. 'कहते हैं साहित्य समाज का दर्पण हैं'... क्या ब्लॉग-साहित्य को मन का दर्पण नहीं बनना चाहिए... क्या ब्लॉग-साहित्य की कुछ अन्य विशेषताएँ नहीं होनी चाहियें?प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.com