tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post9025369506721295429..comments2024-03-17T12:17:02.187-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: नायकत्व क्या है - सारांश और विमर्शSmart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger42125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-29136970783042604642016-02-26T03:51:54.776-05:002016-02-26T03:51:54.776-05:00लक्षण, गुण और विशेषताओं को परिभाषित करना और उन परि...लक्षण, गुण और विशेषताओं को परिभाषित करना और उन परिभाषाओं के आधार पर पहचान करना मुश्किल कार्य होता है। क्योंकि किसी से परिभाषा आती है तो उस परिभाषा के आधार पर पहचान करना नहीं आता है। तो किसी से प्रतिरूप की पहचान करते आता है परन्तु उन्हें परिभाषित करते नहीं आता है।<br /><br />परन्तु भैया, आपसे दोनों कार्य आतें हैं अज़ीज़ रायhttps://www.blogger.com/profile/09237300181352146572noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-1527207794206724692011-10-30T10:44:56.786-04:002011-10-30T10:44:56.786-04:00@ उनकी अपनी संतान इन मापदंडों पर खरी नहीं उतरी जबक...@ उनकी अपनी संतान इन मापदंडों पर खरी नहीं उतरी जबकि आम जनता इनसे बहुत हद तक प्रभावित, प्रेरित होती रही है। ’चिराग तले अंधेरा’ या फ़िर ’वटवृक्ष जैसे महावृक्ष के साये में किसी और को पनपने का अवसर न मिलना’ क्या है, क्यों है?<br /><br />संजय, तुम्हारी बात नायकत्व के सन्दर्भ में बहुत महत्वपूर्ण है। जहाँ तक मैं समझता हूँ, नायक किसी को भी इग्नोर नहीं करते - अपने परिवार को भी, फिर भी ऐसे कई उदाहरण हैं जहाँ नायकों की संतति विपरीत निकली। इस विषय पर पहले काफ़ी मनन किया है, समय मिलने पर अवश्य लिखा जायेगा, आभार!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-67385303835633306892011-10-12T17:35:29.524-04:002011-10-12T17:35:29.524-04:00इतने विलम्ब से पढने का एक लाभ यह भी कि जो कुछ मैं...इतने विलम्ब से पढने का एक लाभ यह भी कि जो कुछ मैं कह पाता, उससे अधिक और उससे बेहतर शब्दों में कह दिया गया। यह श्रृंखला सचमुच में संग्रहणीय है। तालिका तो अपने आप में अनूठी है। आपके इस परिश्रम को नमन।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-37556034091886618802011-10-06T01:21:36.830-04:002011-10-06T01:21:36.830-04:00देवेन्द्र जी,
वह उपन्यास निकोलाई ऑस्ट्रोव्स्की (...देवेन्द्र जी, <br /><br />वह उपन्यास निकोलाई ऑस्ट्रोव्स्की (1904–1936) द्वारा लिखित है। अंग्रेज़ी शीर्षक "हाउ द स्टील वाज़ टेम्पर्ड" है। उपन्यास पढने का सौभाग्य नहीं मिला पर उसके बारे में सुना अवश्य है। अमृतराय जी द्वारा किये गये अनुवाद की जानकारीके लिये धन्यवाद!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-51898651138409957112011-10-06T01:09:12.458-04:002011-10-06T01:09:12.458-04:00पूरी श्रृंखला एक खोजी दस्तावेज की तरह संग्रहणीय है...पूरी श्रृंखला एक खोजी दस्तावेज की तरह संग्रहणीय है। आपके श्रम को नमन। इतमिनान से और मूड से पढ़ना चाहता था इसलिए आने में विलंब हुआ। <br /><br />आज से लगभग 30 वर्ष पहले मैने एक रूसी उपन्यास पढ़ा था लेखक का नाम याद नहीं। हिंदी अनुवाद अमृत राय ने किया था..नाम भी ठीक से याद नहीं..लेकिन नायक की वीरता याद है। वह एक अपाहिज सैनिक था जो बाद में चलकर बड़ा लेखक बना। वह तब तक संघर्ष करता रहा जब तक कि उसके शरीर का एक अंग भी सक्रीय था। पैर से तो वह अपाहिज था ही..धीरे-धीरे पहले एक हाथ में फिर दूसरे में लकवा मार गया। जब वह लिखने लायक नहीं रहा तो उसने बोल कर लिखवाना शुरू किया। आँखें भी जाती रहीं तब भी वह जीवन के अंतिम क्षण तक बोल कर उपन्यास लिखवाता रहा। याद नहीं आ रहा कि वे कौन थे। लेकिन आज भी उनकी वीरता..जीवन में उनका संघर्ष, मेरे जेहन में जस का तस बैठा हुआ है।<br />जब भी नायक की बात होती है तो मुझे तो वही चरित्र सबसे अधिक प्रभावित करता है।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-21428620561549614482011-10-03T10:31:59.867-04:002011-10-03T10:31:59.867-04:00मैंने सारे भाग पढ़े हैं और मुझे सही में ये बेहतरीन...मैंने सारे भाग पढ़े हैं और मुझे सही में ये बेहतरीन संकलन लगा..अपने एक बहुत ही करीबी मित्र को ये सीरीज ई-मेल किया पढ़ने के बाद, फिर टिप्पणी देने आया हूँ!! :)abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-16979483736100888462011-09-30T11:18:55.769-04:002011-09-30T11:18:55.769-04:00तो कर ही दिया आपने समापन।
सारी श्रूँखला ही संग्रहण...तो कर ही दिया आपने समापन।<br />सारी श्रूँखला ही संग्रहणीय है, ये तालिका तो बहुउपयोगी सिद्ध होगी।<br />एक बात और दिमाग में आ रही है,कभी मौका लगे तो कुछ प्रकाश इस पर भी डालियेगा। इस सूची में भी कुछ नाम ऐसे शामिल हैं जिनके नायकत्व पर संदेह करना भी अन्याय होगा, लेकिन उनकी अपनी संतान इन मापदंडों पर खरी नहीं उतरी जबकि आम जनता इनसे बहुत हद तक प्रभावित, प्रेरित होती रही है। ’चिराग तले अंधेरा’ या फ़िर ’वटवृक्ष जैसे महावृक्ष के साये में किसी और को पनपने का अवसर न मिलना’ क्या है, क्यों है?संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-92067678081362392132011-09-29T14:11:03.988-04:002011-09-29T14:11:03.988-04:00जीवन में उत्साह का संचार करने के लिए विमर्श के ऐसे...जीवन में उत्साह का संचार करने के लिए विमर्श के ऐसे आयोजन होते रहने चाहिए ......<br />नवरात्रि पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं।Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-11863187388446279922011-09-29T12:04:08.820-04:002011-09-29T12:04:08.820-04:00यह संकलन वास्तव में एक दस्तावेज़ है, एक पैमाना! कुछ...यह संकलन वास्तव में एक दस्तावेज़ है, एक पैमाना! कुछ भी कहने की गुंजायश नहीं!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-45308367332758819262011-09-29T11:48:15.995-04:002011-09-29T11:48:15.995-04:00आपकी यह पूरी श्रंखला एक मान्य दस्तावेज है| आभार|आपकी यह पूरी श्रंखला एक मान्य दस्तावेज है| आभार|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-60271007067652971742011-09-29T09:19:54.217-04:002011-09-29T09:19:54.217-04:00आपका ये मूल्यवान लेख सहेजने लायक़ है ! इसके लिए ...आपका ये मूल्यवान लेख सहेजने लायक़ है ! इसके लिए आप निश्चित ही बधाई के पात्र हैं!वीरेंद्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17461991763603646384noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-30736587874546357472011-09-29T08:17:07.545-04:002011-09-29T08:17:07.545-04:00इस हरी कथा की अनंत सीमाओं तक पहुंचना हरी इच्छा से ...इस हरी कथा की अनंत सीमाओं तक पहुंचना हरी इच्छा से ही संभव है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-91740641608696571222011-09-29T05:33:48.000-04:002011-09-29T05:33:48.000-04:00इतना सुन्दर समापन..ऐसी परिपुष्ट तालिका..
क्या कहू...इतना सुन्दर समापन..ऐसी परिपुष्ट तालिका..<br /><br />क्या कहूँ ???<br /><br />नमन है..शत शत नमन है आपको...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-70528347631219491902011-09-29T01:54:42.212-04:002011-09-29T01:54:42.212-04:00बहुत ही प्रेरक और श्रमसाध्य आलेख...
टेबल तो सेव कर...बहुत ही प्रेरक और श्रमसाध्य आलेख...<br />टेबल तो सेव कर के रख लिया है..ताकि बार-बार पढ़ा जा सके.<br />एक बेहतरीन श्रृंखला..rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-52488901896281281582011-09-29T00:50:59.783-04:002011-09-29T00:50:59.783-04:00कई बार नायकत्व दूसरो के लिए या समाज के भले के लिए ...कई बार नायकत्व दूसरो के लिए या समाज के भले के लिए नहीं निकालता है कई बार ये स्व पीड़ा से बाहर आता है ( गाँधी जी के ट्रेन से फेका जाना इस श्रेणी में रख सकते है ) | कभी कभी यही समाज के लिए काम करने के लिए और आगे बढ़ता जाता है तो कई बार बस एक रूप में बाहर आ कर समाप्त हो जाता है और गुमनामी में खो जाता है | आम आदमी के द्वारा किया गया साहसी काम आम आदमी को ज्यादा प्रेरित करता है हर व्यक्ति उससे जुड़ाव महसूस करता है और कुछ उसमे से मौका आने पर वही साहस दुहरा देते है किन्तु महान लोगों द्वारा किया गया साहस उस तरह आम आदमी को प्रेरित नहीं कर पता है क्योकि आम आदमी को लगाने लगता है की ये साहस करने वाला तो महान है हम उस तक नहीं पहुंचा सकते |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-59018738655458700082011-09-28T22:13:17.171-04:002011-09-28T22:13:17.171-04:00तालिका ने तो चमत्कृत कर दिया। इसका प्रिन्ट लेकर टे...तालिका ने तो चमत्कृत कर दिया। इसका प्रिन्ट लेकर टेबल पर लगाता हूँ। आभार।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-62616641757625443772011-09-28T19:58:48.764-04:002011-09-28T19:58:48.764-04:00रोचक , उपयोगी , संग्रहणीय रही पूरी श्रृंखला!
नवरा...रोचक , उपयोगी , संग्रहणीय रही पूरी श्रृंखला!<br /><br />नवरात्र की बहुत शुभकामनायें...<br />माँ सबका कल्याण करें!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-43279000090210282082011-09-28T13:47:07.483-04:002011-09-28T13:47:07.483-04:00ओह... यह तो मेरे ड्राफ्ट में पड़ा है और आज ही टाइन...ओह... यह तो मेरे ड्राफ्ट में पड़ा है और आज ही टाइनी बुद्ध में भी इसके बारे में पढ़ा. सोच रहा हूँ इसे कल पोस्ट कर दूं. <br />आपकी श्रृंखला अद्भुत है. संग्रहनीय है. लैपटौप में इसका संकलन करके रख लिया है ताकि यात्रादि में फुर्सत से पुनः पढ़ सकें.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-24200343914995911192011-09-28T11:44:48.043-04:002011-09-28T11:44:48.043-04:00बहुत ही उपयोगी और श्रम साध्य रही ये श्रंखला. नायकत...बहुत ही उपयोगी और श्रम साध्य रही ये श्रंखला. नायकत्व को एक नये परिपेक्षय में देखने की दॄष्टि इस श्रंखला ने प्रदान की है, प्रसंशनीय प्रयास के लिये बहुत बधाई और शुभकामनाएं.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-69937823415374598362011-09-28T11:12:04.423-04:002011-09-28T11:12:04.423-04:00बहुत विस्तृत सुन्दर विश्लेषण ।
दिल्ली में २४ सितम...बहुत विस्तृत सुन्दर विश्लेषण ।<br /><br />दिल्ली में २४ सितम्बर को पुलिस का हैड कोन्स्टेबल एक बिजनेसमेन को मारकर, लूटकर भाग रहा था । तभी २४ वर्षीय एक युवक --हरेन्द्र सिंह उर्फ़ सन्नी ने एक दुसरे कोन्स्टेबल के साथ मिलकर स्कूटर पर चेज किया और उसे पकड़ने की कोशिश की । पुलिस वाला गुंडा पकड़ा तो गया लेकिन उसने सन्नी को तीन गोलियां मार दीं ।<br /><br />अस्पताल में सन्नी की २७ तारिख को डेथ हो गई । सन्नी अन्मेरिड था और परिवार का भरण पोषण कर रहा था ।<br /><br />ब्रेवहार्ट ! लेकिन अफ़सोस !डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-42303031892403099332011-09-28T10:44:43.004-04:002011-09-28T10:44:43.004-04:00हर कड़ी पढता रहा हूँ, और अधिकतर पर कुछ कहने योग्य न...हर कड़ी पढता रहा हूँ, और अधिकतर पर कुछ कहने योग्य नहीं पाया स्वयं को।<br />आज भी कहूँगा नहीं कुछ, किन्तु आभार तो कहना ही है।<br />बहुत समय तक गुना जाएगा इसे।Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-30392577682696310902011-09-28T09:51:31.571-04:002011-09-28T09:51:31.571-04:00शानदार समापन प्रविष्ठि!!
प्रतिनायक में नेतृत्व के...शानदार समापन प्रविष्ठि!!<br /><br />प्रतिनायक में नेतृत्व के सारे गुण होते है। बस चार मुख्य अवगुण होते है। यथा,अहंकार, कपट, लोभ और क्रोध : मान,माया,लोभ,क्रोध।<br /><br />नायक त्वरित निर्णय अवश्य लेते है। पर परिणामों को सोचे ही न ऐसे जड़बुद्धि भी नहीं होते। वे उचित अनुचित का पलभर में निर्णय ले लेते है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-22233037759197544662011-09-28T07:57:11.004-04:002011-09-28T07:57:11.004-04:00@ संतोष जी,
एक दम सही कहा आपने। सन्नी जैसे वीर बच्...@ संतोष जी,<br />एक दम सही कहा आपने। <a href="http://in.jagran.yahoo.com/news/local/delhi/4_3_8274602.html" rel="nofollow">सन्नी जैसे वीर बच्चे</a> ही आज की निराशा के अन्धेरे में आशा की किरण बनकर उभरते हैं, काश हम उन्हें बचा पायें।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-1902835647900450022011-09-28T07:52:42.695-04:002011-09-28T07:52:42.695-04:00Respected Sudha Murty ji,
I'm glad that you p...Respected Sudha Murty ji,<br /><br />I'm glad that you paid a visit to this blog. Thanks a lot for your time and kind words. I appreciate it.Smart Indian - स्मार्ट इंडियनhttp://www.smartindian.com/happy-new-year-kaliyug-5111.htmnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-46825259851465174152011-09-28T07:06:24.885-04:002011-09-28T07:06:24.885-04:00Mr. Sharma
My daughter Shilpa always praises your...Mr. Sharma <br />My daughter Shilpa always praises your writing to me. I came to this post by the link she sent. It is a very nice summary of the qualities that a hero must possess. <br />Thanks and regards.shilpa mehtahttps://www.blogger.com/profile/09638673238589135772noreply@blogger.com