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सेतु पत्रिका
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Tuesday, April 26, 2011
शब्दों के ये अजीबोगरीब टुकड़े
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किसी अदीब ने इक बार इन्हें बताया था मोती असलियत में तो बस एक टूटा मुस्तक़बिल हैं अभिषेक ओझा का " खिली-कम-ग़मगीन तबियत (भाग २) ...
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Friday, April 15, 2011
नाउम्मीदी - कविता
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. निराशा अपने मूर्त रूप में जितनी भारी भरकम आस उतना ही मन हुआ निरास राग रंग रीति इस जग की अब न आतीं मुझको रास सागर है उम्मीदों का पर...
55 comments:
Wednesday, April 13, 2011
अखिल भारतीय नव वर्ष की शुभ कामनायें! एक और?
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. लगता है कि भारत में नये साल का सीज़न चल रहा है। आरम्भ भारत के राष्ट्रीय पंचांग " श्री शालिवाहन शक सम्वत " से हुआ। फिर हमने क्र...
33 comments:
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