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Monday, February 3, 2014

हिमपातकाले [इस्पात नगरी से 67]

कहाँ से आए बदरा

वीरों के पदचिन्ह
एक अकेला इस शहर में
बादल पे चलके आ
सूरज रे, जलते रहना
आसमां गा रहा है 
सूरज की गर्मी से पिघलकर फिर जमी बर्फ पानी का धोखा देकर वाहनों के लिए घातक सिद्ध होती है   
चम्बे दा गाँव, गाँव में दो प्रेमी रहते हैं 
ये कौन चित्रकार है 
रुक जाना नहीं तू कहीं हार के 
आज रपट जाएँ तो हमें न उठइयो 
ये वादियाँ, ये फिज़ाएँ बुला रही हैं मुझे 
सीधे सीधे रास्तों को हल्का सा मोड दे दो   
तुम निडर हटो नहीं, तुम निडर डटो वहीं 
वादियाँ मेरा दामन
ये कहाँ आ गए हम 
पत्ता पत्ता बूटा बूटा 
गोरी चलो न हंस की चाल ज़माना दुश्मन है 
नीले गगन के तले
हर तरफ अब यही अफसाने हैं ... 


[सभी चित्र: अनुराग शर्मा :: Photos by Anurag Sharma]

22 comments:

  1. हर तरह से लाजवाब पोस्ट , आभार आपका !

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  2. देखने में तो बहुत खूबसूरत लगता है पर हकीकत मे परेशानी दायक है. अति हो चुकी अब तो.

    रामराम.

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  3. वाह ... गज़ब की नज़र ओर हर चित्र का लाजवाब शीर्षक ... सटीक ...

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  4. Beautiful pics with beautifully imaginative captions.Enjoyed thoroughly.

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  5. वाह ! कितने खूबसूरत चित्र और उससे भी खुबसूरत गीतों के बोल..गीत भी ऐसे जो कितनी यादें ताजा कर देते हैं..बहुत बहुत बधाई इस सुन्दरतम पोस्ट के लिए..

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  6. खूबसूरत। एक कम्बल और डालने का मन करेगा आज रात!

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  7. चित्रों के शीर्षक ने इस नज़ारे को ख़ुशनुमा बना दिया, वरना हम तो जम गये थे देखकर ही!!

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  8. बर्फ और पहाड़ों की सफेदी में भी अनगिनत रंग है !
    बहुत खूबसूरत चित्र !

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  9. जीवन मुश्किल भले हो, असुंदर तो हो ही नहीं सकता - कभी भी! :)

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  10. खामोशियां की सदाएं बुला रहीं हैं...................बहुत सुन्‍दर।

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  11. जीवन की इस कठिनता में भी सौन्दर्य के दर्शन।

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  12. एक से एक सुन्दर नज़ारे…… शीत-दर्शन!!

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  13. खूबसूरत चित्र..देखते ही यहाँ घूम आने को मन कर रहा है...

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  14. अदभुत छाया चित्रण , हम जैसे नौसिखियों के लिए प्रेरक , धन्यवाद सर

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  15. अदभुत छाया चित्रण , हम जैसे नौसिखियों के लिए प्रेरक , धन्यवाद सर

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  16. बहुत खूबसूरत चित्र !

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  17. एक साल पुरानी पोस्ट है।
    ... और इसके बाद के पोस्ट अपठित मार्क कर रखे हैं मेरे फीड रीडर ने :)

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    1. खुश आमदीद :) सालगिरह मुबारक

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