tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post1117745674976055797..comments2024-03-23T20:44:05.692-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: उठ दीवार बनSmart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger32125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-78620497951255622102010-03-08T01:13:33.512-05:002010-03-08T01:13:33.512-05:00हम ही नरक का निर्माण करते हैं हम ही उसमे जलते सुलग...हम ही नरक का निर्माण करते हैं हम ही उसमे जलते सुलगते है |अपने बनाए नरक में तो दम भी घुटेगा और घबराहट भी होगी | अगर हमने नरक नहीं बनाया है और वास्तव में इसका अस्तित्व है तो संभव है किसी अन्य गृह के निवासी को यह हमारी दुनियां नरक लगेBrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-2073504555437543782010-03-01T23:21:48.825-05:002010-03-01T23:21:48.825-05:00अक्सर अनुभव बोलते हैं पढ़े हुए शब्द तो सिर्फ व्यक्त...अक्सर अनुभव बोलते हैं पढ़े हुए शब्द तो सिर्फ व्यक्त करने का माध्यम बनाते हैं. इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई, आपकी सपनों की श्रृंखला आज शाम से पढूंगा.के सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-61881226530597862132010-03-01T06:01:18.279-05:002010-03-01T06:01:18.279-05:00दिल क्यूं घबराता है यूं दम घुटता है क्यूं ।
चल उठ ...दिल क्यूं घबराता है यूं दम घुटता है क्यूं ।<br />चल उठ दीवार बनें बेबात का डरना क्यूं ।।<br /><br />Kya baat hai! Bahut achche.sandhyaguptahttps://www.blogger.com/profile/07094357890013539591noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-82457435214863181142010-02-28T22:12:03.895-05:002010-02-28T22:12:03.895-05:00...होली की लख-लख बधाईंया व शुभकामनाएं !!...होली की लख-लख बधाईंया व शुभकामनाएं !!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-284277129027418112010-02-28T04:52:18.750-05:002010-02-28T04:52:18.750-05:00इंसान बलिश्ते क्यूं अवरोध दानवी क्यूं ।
प्रश्न सभी...इंसान बलिश्ते क्यूं अवरोध दानवी क्यूं ।<br />प्रश्न सभी अपने रह जाते अनुत्तरित क्यूं ।।<br />...मतले का यह शेर बेहद लाज़वाब है.<br />इतना ही कहना चाहता हूँ कि <br />यक्षप्रश्न ऐसे हमारे दिल में सुलगते ही क्यूं!देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-12238597675870437082010-02-27T23:05:01.412-05:002010-02-27T23:05:01.412-05:00आग का जलना क्यूं दिन रात सुलगना क्यूं ।
नरक बनाते ...आग का जलना क्यूं दिन रात सुलगना क्यूं ।<br />नरक बनाते कौन इसमें से गुज़रना क्यूं ।।<br /><br /><br />सच कहा .....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-36791231295916206952010-02-27T01:37:36.430-05:002010-02-27T01:37:36.430-05:00आप और आपके परिवार को होली की शुभकामनाएँ...आप और आपके परिवार को होली की शुभकामनाएँ...रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-37502114228292713882010-02-24T11:45:21.806-05:002010-02-24T11:45:21.806-05:00ये सारे क्यूं हल हो जाएं तो ज़िंदगी न संवर जायेये सारे क्यूं हल हो जाएं तो ज़िंदगी न संवर जायेवर्षाhttps://www.blogger.com/profile/01287301277886608962noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-1507502418343994922010-02-23T13:28:30.103-05:002010-02-23T13:28:30.103-05:00सुन्दर चयन। शाश्वत आह्वान।सुन्दर चयन। शाश्वत आह्वान।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-62840954805876583552010-02-23T12:08:27.017-05:002010-02-23T12:08:27.017-05:00काश, उठकर दीवार बनना हर एक के लिये आसान होता.
शर...काश, उठकर दीवार बनना हर एक के लिये आसान होता. <br /><br />शर्त ये है, कि ये दीवार अन्याय या मुश्किलों के विरुद्ध हों. आपसी मानवी रिश्तों में नहीं.दिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-24093069438363698022010-02-23T08:53:59.112-05:002010-02-23T08:53:59.112-05:00सादर वन्दे!
दिल क्यूं घबराता है यूं दम घुटता है क्...सादर वन्दे!<br />दिल क्यूं घबराता है यूं दम घुटता है क्यूं ।<br />चल उठ दीवार बनें बेबात का डरना क्यूं ।।<br />सही कहा आपने<br />रत्नेश त्रिपाठीaaryahttps://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-971636179730244512010-02-22T20:52:48.364-05:002010-02-22T20:52:48.364-05:00in yaksh prashno ka uttar bhee to sujhaayein yaksh prashno ka uttar bhee to sujhaayedhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-39271554707912996552010-02-22T15:35:33.703-05:002010-02-22T15:35:33.703-05:00आप का प्रशन नाईस है जी,आप का प्रशन नाईस है जी,राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-25214620764010898172010-02-22T15:25:55.070-05:002010-02-22T15:25:55.070-05:00" नर हो में निराश करो मनको ,
यह जन्म हुआ किस..." नर हो में निराश करो मनको , <br />यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो <br />समझो जिससे यह व्यर्थ न हो " <br />और<br />" फिर महान बन मनुष्य <br /> फिर महान बन <br />मन मिला अपार प्रेम से भरा तुझे<br />इसलिए कि प्यास जीव मात्र की बुझे "<br />कई कवियों ने यही भाव हर युग में गाया है आज आपने भी वही बात कही <br />बहुत अच्छी लगी कविता और भाव <br />स स्नेह,<br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-76259427482684213882010-02-22T12:24:46.880-05:002010-02-22T12:24:46.880-05:00बहुत बढ़िया निदान बता दिया....बेबात ही डरते रहते है...बहुत बढ़िया निदान बता दिया....बेबात ही डरते रहते हैं....संघर्ष ज़रूरी है...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-36677321308096033192010-02-22T07:39:43.615-05:002010-02-22T07:39:43.615-05:00गंभीर चिंतन को उत्प्रेरित करती इस सुन्दर रचना ने
म...गंभीर चिंतन को उत्प्रेरित करती इस सुन्दर रचना ने<br />मोहित कर लिया ....<br /><br />पढवाने के लिए बहुत बहुत आभार...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-73382290531887350262010-02-22T06:28:42.189-05:002010-02-22T06:28:42.189-05:00कितना ???????????????????????कितना ???????????????????????Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-70113150454414761812010-02-22T03:39:11.643-05:002010-02-22T03:39:11.643-05:00आपकी बात में दम है,
शायरी भी बढ़िया है!आपकी बात में दम है,<br />शायरी भी बढ़िया है!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-58465310791467789752010-02-22T02:42:42.968-05:002010-02-22T02:42:42.968-05:00"इस आग का जलना क्यूं दिन रात सुलगना क्यूं ।
य..."इस आग का जलना क्यूं दिन रात सुलगना क्यूं ।<br />ये नरक बनाते कौन इसमें से गुज़रना क्यूं ।।"<br /><br />बिलकुल यही उठा मन में ! नरक के रस्ते से गुजरते हुए बहुत से स्फुट विचार मेरे मन में भी आये ! समयानुसार लिखूँगा ! <br />आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-6483219512889181982010-02-22T01:40:31.588-05:002010-02-22T01:40:31.588-05:00स्वर्ग और नर्क तो पेयर ऑफ अपोजिट्स हैं। नर्क न रहे...स्वर्ग और नर्क तो पेयर ऑफ अपोजिट्स हैं। नर्क न रहे तो स्वर्ग की महत्ता नहीं!<br /><br />कभी कभी डर लगता है कि जब धरती पर सब अच्छा अच्छा हो जायेगा तो अच्छे की इज्जत क्या होगी?Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-53406540802233446742010-02-22T01:32:46.205-05:002010-02-22T01:32:46.205-05:00स आग का जलना क्यूं दिन रात सुलगना क्यूं
ये नरक बन...स आग का जलना क्यूं दिन रात सुलगना क्यूं <br />ये नरक बनाते कौन इसमें से गुज़रना क्यूं ...<br /><br />प्रश्न, प्रश्न प्रश्न ..... प्रश्न तो बहुत हैं ... पर क्या सब प्रश्नों का उत्तर हो ये ज़रूरी है ... एक जीवन में की इतने सारे प्रश्नों का रहस्य, इनका उत्तर मिलना संभव है .....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-78486798124237508002010-02-22T00:04:56.509-05:002010-02-22T00:04:56.509-05:00वाकई बहुत ही गहन अर्थ को अभिव्यक्त करती लाईने. अंत...वाकई बहुत ही गहन अर्थ को अभिव्यक्त करती लाईने. अंतोतगत्वा <b>"चल उठ दीवार बनें बेबात का डरना क्यूं"</b> सही उपाय है.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-14704211287539566152010-02-21T23:11:40.804-05:002010-02-21T23:11:40.804-05:00इस आग का जलना क्यूं दिन रात सुलगना क्यूं ।
ये नरक ...इस आग का जलना क्यूं दिन रात सुलगना क्यूं ।<br />ये नरक बनाते कौन इसमें से गुज़रना क्यूं ।।<br /><br />सोचने को मजबूर करती पंक्तियाँ......सुन्दर अभिव्यक्ति... <br />regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-61791475152907272602010-02-21T22:14:41.176-05:002010-02-21T22:14:41.176-05:00बहुत अच्छी लगी ये रचना गिरिजेश राव जी को और आपको ...बहुत अच्छी लगी ये रचना गिरिजेश राव जी को और आपको शुभकामनायें ।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-44264237911887568392010-02-21T21:35:05.477-05:002010-02-21T21:35:05.477-05:00सही कहा भैया, हर ज़माने में त्रास, पीड़ा, अँधेरे र...सही कहा भैया, हर ज़माने में त्रास, पीड़ा, अँधेरे रहे हैं। मानव तो इनसे जूझते ही आगे बढ़ा है।<br />.. एक मन:स्थिति आती है जिसमें क्रोध, खीझ, हताशा, व्यर्थता बोध हाबी हो जाते हैं। उस दौर की अभिव्यक्ति की सार्थकता इसी में होती है कि समस्याएँ एकदम वृहत्तर वृत्र सी दिखती हैं और उनकी पहचान आसान हो जाती है ... <br />..'त्यक्त्वोत्तिष्ठ परंतप' याद आ गया।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.com