tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post2648892540811383800..comments2024-03-23T20:44:05.692-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: अहिंसक शाकाहारी पोषण - कल और आजSmart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-9958733103701630592011-02-27T10:04:11.923-05:002011-02-27T10:04:11.923-05:00बहुत अच्छी तरह से अपनी बात कही। अच्छा लगा इसे पढ़कर...बहुत अच्छी तरह से अपनी बात कही। अच्छा लगा इसे पढ़कर!अनूप शुक्लhttp://hindini.com/fursatiyanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-3796023337911643612010-12-01T13:49:45.888-05:002010-12-01T13:49:45.888-05:00अनुराग भाई , ऐसे आलेखों की पुस्तक कब छपवा रहे हैं ...अनुराग भाई , ऐसे आलेखों की पुस्तक कब छपवा रहे हैं आप ? बहुत काम आयेगी और अंग्रेज़ी अनुवाद भी अति आवश्यक है .अगर गुजराती में चाहें तो मैं अनिवाद करने का बीड़ा उठाय लेती हूँ ..<br />सोच कर बताईयेगा ...<br />मेरी शुभकामनाएं सदा आपके साथ हैं <br />सस्नेह,- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-7627872968108279412010-11-27T06:19:12.565-05:002010-11-27T06:19:12.565-05:00जब हमारे पास अनाज नहीं था और मांस खाना ही एक विकल्...जब हमारे पास अनाज नहीं था और मांस खाना ही एक विकल्प था उस समय और आज के समय में बहुत अंतर है ! आज लोग स्वाद,शौक,और शक्ति के लिए निर्दोष जीवों की हत्या कर रहे हैं, यह कहाँ की मानवता है! वास्तव में आज आदमी जो भी कर रहा है चाहे जीव-हत्या हो या पेड़-हत्या,उसे इन सबका जवाब आने वाली पीढ़ियों को देना पड़ेगा!<br />बहुत ही सार्थक लेख.!<br />बधाई !<br />-ज्ञानचंद मर्मज्ञज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-86133041632756025862010-11-27T06:18:39.733-05:002010-11-27T06:18:39.733-05:00जब हमारे पास अनाज नहीं था और मांस खाना ही एक विकल्...जब हमारे पास अनाज नहीं था और मांस खाना ही एक विकल्प था उस समय और आज के समय में बहुत अंतर है ! आज लोग स्वाद,शौक,और शक्ति के लिए निर्दोष जीवों की हत्या कर रहे हैं, यह कहाँ की मानवता है! वास्तव में आज आदमी जो भी कर रहा है चाहे जीव-हत्या हो या पेड़-हत्या,उसे इन सबका जवाब आने वाली पीढ़ियों को देना पड़ेगा!<br />बहुत ही सार्थक लेख.!<br />बधाई !<br />-ज्ञानचंद मर्मज्ञज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-79407379339772300542010-11-26T14:28:37.124-05:002010-11-26T14:28:37.124-05:00मैं भी मांसाहार को कतई पसंद नहीं करता। सबसे घिन वा...मैं भी मांसाहार को कतई पसंद नहीं करता। सबसे घिन वाला भोजन मानता हूं मैं मासांहार को। पता नहीं कैसे लोग किसी जीव को मार कर उसे पकाकर खा जाते हैं और आनंद लेते हैं। आपने तर्क सहित मासांहार का विरोध किया है।लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-57701266115658468852010-11-26T08:56:41.068-05:002010-11-26T08:56:41.068-05:00एसा होना भी नहीं चाहिये कि ब्लाग पर कोई वहस न चले ...एसा होना भी नहीं चाहिये कि ब्लाग पर कोई वहस न चले । आदमी आदमी को खा तो आज भी रहा है ढंग बदल गया है ।कवीले की परम्परा चालू रखने बहुत से ’कापुरुषों ने ’ वैसे साहित्य में कापुरुष का प्रयोग एक विशेष श्रेणी के पुरुष वाबत किया जाता है।यह बात बिल्कुल सत्य है कि लोग अपनी अपनी सुविधानुसार व्याख्यायें कर लेते है।जीव भक्षण को प्राकृतिक कहने वालों ने ही देवी देवताओं को भी भोग लगाना प्रारम्भ कर दिया ।समुदाय कोई भी हो मन में दया का भाव होगा तो वह कभी भी जीवहिन्सा नहीं करेगाBrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-17915447715401625372010-11-26T00:55:14.900-05:002010-11-26T00:55:14.900-05:00मांसाहार या शाकाहार ये तो आदमी की अपनी सोच पर डिपे...मांसाहार या शाकाहार ये तो आदमी की अपनी सोच पर डिपेन्ड <br />करता है, पर उसका उत्सव मनाना ठीक नहीDeepak Sainihttps://www.blogger.com/profile/04297742055557765083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-90953221704014581902010-11-24T09:23:59.189-05:002010-11-24T09:23:59.189-05:00वैसे समस्या यहाँ शाकाहार या मांसाहार की नहीं है| स...वैसे समस्या यहाँ शाकाहार या मांसाहार की नहीं है| समस्या है, मांसाहार को गौरवान्वित करने की, समस्या है उसे उत्सव बनाने की, जो बंद होना चाहिए|आपकी इस बात से सहमत हूँ। अनाज बचने वाला तर्क तो व्यर्थ है आपने सही कहा कि अगर माँस का सेवन न करें तो अनाज की बचत होगी। बहुत अच्छा विश्लेशण किया। लिन्क देखती हूँ। आभार।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-67127989887258887662010-11-23T19:04:12.950-05:002010-11-23T19:04:12.950-05:00अच्छी पोस्ट ...
कई नयी जानकारियां प्राप्त हुई !अच्छी पोस्ट ...<br />कई नयी जानकारियां प्राप्त हुई !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-21009189138772404512010-11-23T18:53:50.736-05:002010-11-23T18:53:50.736-05:00विषय अपनी रुचि का है, कुछ लिंक्स देख लिये हैं और क...विषय अपनी रुचि का है, कुछ लिंक्स देख लिये हैं और कुछ देखने बाकी है।<br />मेरी नजर में यह एक नितांत व्यक्तिगत विषय है। कोई किसी पर थोपे कि यह खाओ या न खाओ, ज्यादती ही है। हाँ सभ्य और शालीन तरीके से अपनी विचारधारा का प्रसारण करने में कोई दिक्कत नहीं, महिमामंडन अनावश्यक है।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-58979119052679288462010-11-23T13:26:24.036-05:002010-11-23T13:26:24.036-05:00कल गौरव जी के ब्लॉग पर कई बढ़िया लिंक मिले थे. उन ...कल गौरव जी के ब्लॉग पर कई बढ़िया लिंक मिले थे. उन पर मनन चल रहा है. आज आपने भी कुछ नए लिंक दिए. काफी होमवर्क मिल गया है. धीरे धीरे ही पढ़ पाउँगा. एक मांसाहारी ज्यादा देर तक लगातार परिश्रम नहीं कर पता है ना....VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-83882750490142606962010-11-23T10:52:28.812-05:002010-11-23T10:52:28.812-05:00यह पहला अवसर है जब किसी लेख में दिए गए सारे लिंक प...यह पहला अवसर है जब किसी लेख में दिए गए सारे लिंक पढ़ गया और भयानक रूप से impress हो गया। <br />आप को साधुवाद जो मुझ जैसे आलसी से भी इतनी मेनहत करवा लिए। एक ठो किताब है Maya in Physics (न न Tao of Physics नहीं)। पढ़िएगा।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-73614669922657336182010-11-23T10:49:17.758-05:002010-11-23T10:49:17.758-05:00कुछ सूत्र चुरा लूँ:
(1)"असतो मा सद्गमय...&qu...कुछ सूत्र चुरा लूँ: <br />(1)"असतो मा सद्गमय..." के शाश्वत सिद्धांत पर चलती हुई मानव सभ्यता धीरे धीरे अपने में सुधार लाती रही है।<br />(2)सभ्य समाज में हिंसा को सही ठहराने वाले लोग मांसाहारियों में भी कम ही मिलते हैं।<br />(3) कुछ लोगों के लिये भोजन जीवन की एक आवश्यकता से अधिक महत्व नहीं रखता है। 'नहीं' को हटा कर भी सही है।<br />(4) अधिक बुद्धिमान व्यक्तियों के नास्तिक होने की संभावना आम लोगों से अधिक होती है। <br />(5) देश के नौनिहालों को गोभी, गाज़र और ताज़ी सब्जियाँ खिलाने से अपराधों की संख्या में भारी कमी लाई जा सकती है। ;) <br />(6) विश्व में ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन का एक बड़ा भाग मांस के कारखानों से आता है।<br />(7) हर आदमी हर बात फायदे नुकसान के लिए ही करे ऐसा नहीं होता है। अगला कदम - स्वांत: सुखाय। <br />(8)शाकाहार अप्राकृतिक है। ;)<br />(9)गाय को एक बारगी मारकर उसका मांस खाने और रोज़ उसकी सेवा करके दूध पीने के इन दो कृत्यों में ज़मीन आसमान का अन्तर है। <br />निष्कर्ष:<br />(1) अमेरिका में मांसाहारियों का प्रतिशत अधिक है, इसलिए वहाँ आम लोग कम हिंसक है। ;) <br />(2) आज तक जिसने भी आप को बहस में घसीटा है वह कई दिन रोया है - एकाध लोग तो ताउम्र भी रोये हैं। अपन को बहस में नहीं पड़ना जी ;)गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-67086042278518328302010-11-23T10:11:37.883-05:002010-11-23T10:11:37.883-05:00मैंने भी एक बार ये बात कही थी की अपने हिसाब से परि...मैंने भी एक बार ये बात कही थी की अपने हिसाब से परिभाषाएं तय करनी होती है.और मैं चाहूं भी तो खुद मांसाहारी नहीं हो सकता. कई बार दूध और अन्य दूध उत्पाद छोड़ने का विचार जरूर आ जाता है. अपने यहाँ भी कई लोग अंडे को शाकाहार ही मानते हैं. और जहाँ तक पौराणिक सन्दर्भ देने की बात है तो करने वाले तो बुद्ध धर्म में भी जस्टिफाई कर लेते हैं. लेकिन मुझे किसी के मांसाहारी होने से कोई दिक्कत नहीं है. हाँ, हिंसा का महिमामंडन भी मैं जस्टिफाई नहीं कर पाऊंगा. <br />अभी कुछ दिनों पहले वो चूहे मारने वाली दवा की सलाह के बाद आपकी टिपण्णी देखी तो बहुत बुरा लगा. याद आया.. हमारे पडोसी अगर चूहे पकड़ने का जुगाड़ करते तो, फंसे चूहे मुझसे देखे नहीं जाते. खैर बचपनसे जब सांप को भी छोड़ देना देखा तो असर तो पड़ता ही है.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-29716689789341164542010-11-23T08:54:08.503-05:002010-11-23T08:54:08.503-05:00अनुराग जी,
आपने अति विषम तर्क वितर्क को विश्लेषित ...अनुराग जी,<br />आपने अति विषम तर्क वितर्क को विश्लेषित किया यह सराहनीय है। आभार!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-89195437334163314832010-11-23T08:51:42.727-05:002010-11-23T08:51:42.727-05:00शास्त्रों में मांसाहार की मनाई की गई है यही बात य...शास्त्रों में मांसाहार की मनाई की गई है यही बात यह सिद्ध करने के लिये प्रयाप्त है कि मांसाहार व्यवहार में था तभी तो उसे रोकने के लिये शास्त्रो और उपदेशो में प्रयोग हुआ।<br /><br />बात यह भी नहिं कि पहले हिंदु धर्म में मांसाहार था और फ़िर बौध और जैन धर्मो के प्रभाव बंद हुआ।<br />मांसाहार का वैदिक धर्म से कोई सम्बंध न था। हां उसको मानने वाले न्युनाधिक करते होंगे व वर्णन भी प्राप्त होते होंगे पर वह उपदेश धर्म का नहिं था।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-13681770610276060022010-11-23T08:22:50.951-05:002010-11-23T08:22:50.951-05:00@ अली जी,
आपकी भावनाओं का स्वागत है।@ अली जी,<br />आपकी भावनाओं का स्वागत है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-67510228526388256922010-11-23T08:21:50.249-05:002010-11-23T08:21:50.249-05:00@वैसे समस्या यहाँ शाकाहार या मांसाहार की नहीं है| ...@<b>वैसे समस्या यहाँ शाकाहार या मांसाहार की नहीं है| समस्या है, मांसाहार को गौरवान्वित करने की, समस्या है उसे उत्सव बनाने की, जो बंद होना चाहिए|</b><br />सहमत हूँ।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-62310633681649438512010-11-23T08:20:51.526-05:002010-11-23T08:20:51.526-05:00@उदय जी, रंजन जी,
सत्य वचन। विविधता, मानव समाज का ...@उदय जी, रंजन जी,<br />सत्य वचन। विविधता, मानव समाज का अभिन्न अंग है। कोई लाख सर पटके, मनुष्य एक सांचे में नहीं ढाले जा सकते हैं।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-69966583755135710862010-11-23T08:14:58.074-05:002010-11-23T08:14:58.074-05:00आहार को व्यक्तिगत रूचि मानकर मैं इस बहस में कभी नह...आहार को व्यक्तिगत रूचि मानकर मैं इस बहस में कभी नहीं पड़ा और आज भी नहीं पडूंगा पर लिंक सारे पढ़ने वाला हूं ! <br />आभार !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-36172315038361609092010-11-23T07:10:04.992-05:002010-11-23T07:10:04.992-05:00आत्मा प्रसन्न हो गयी आपकी यह पोस्ट पढ़कर...
जितने ...आत्मा प्रसन्न हो गयी आपकी यह पोस्ट पढ़कर...<br />जितने संतुलित ढंग से आपने तथ्य को रखा है... और कुछ जोड़ने कहने की गुंजाइश नहीं..रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-12027623113788920022010-11-23T05:27:27.255-05:002010-11-23T05:27:27.255-05:00सवाल यह है कि जीने के लिए खाते हैं या खाने के लिए ...सवाल यह है कि जीने के लिए खाते हैं या खाने के लिए जीते है ...<br />बढ़िया आलेख !Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-32703788296248556492010-11-23T03:47:01.913-05:002010-11-23T03:47:01.913-05:00सबको एक लाठी से हांकने का प्रयास ही व्यर्थ है.. शा...सबको एक लाठी से हांकने का प्रयास ही व्यर्थ है.. शाकाहरी है तो उसकी इच्छा.. और मासाहारी है तो उसकी.. और ये बहुत cultural है..रंजनhttp://aadityaranjan.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-29742838273416643292010-11-23T01:45:45.680-05:002010-11-23T01:45:45.680-05:00... shaakaahaar va maansaahaar ... gambheer mudde ...... shaakaahaar va maansaahaar ... gambheer mudde hain ... yah sambhav jaan nahee padtaa ki sab ek dishaa men daud lagaa len !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-29804759536044957712010-11-23T01:39:28.441-05:002010-11-23T01:39:28.441-05:00सारे लेख पढ़ लिए हैं, अच्छे भी लगे हैं :)
अनुराग ...सारे लेख पढ़ लिए हैं, अच्छे भी लगे हैं :) <br /><br />अनुराग जी, <br />हिन्दू धर्मग्रंथो में मांसाहार का शायद वर्णन है किन्तु उसे कहीं भी महिमामंडित नहीं किया गया है| नरेन्द्र कोहली जी की लिखी गयी रामकथा 'अभ्युदय' का उल्लेख करना चाहूँगा, जिसमे उन्होंने पूरी रामकथा को आधुनिक और तर्कपूर्ण दृष्टि से देखने की कोशिश की है| विवेकानंद की जीवनी 'तोड़ो कारा तोड़ो' व 'न भूतो न भविष्यति' में भी कोहली जी ने भोजन से सम्बंधित कई बातों पर विवेकानंद का दृष्टिकोण स्पष्ट किया है| शाकाहार को सबसे उत्तम माना गया है, किन्तु हिन्दू धर्म पूरी तरह से शाकाहारी नहीं था| बौद्ध और जैन धर्म के प्रादुर्भाव होने पर ही हिन्दू धर्म में भी मांसाहार को घृणित माना जाने लगा|<br /><br />वैसे समस्या यहाँ शाकाहार या मांसाहार की नहीं है| समस्या है, मांसाहार को गौरवान्वित करने की, समस्या है उसे उत्सव बनाने की, जो बंद होना चाहिए|Neerajhttps://www.blogger.com/profile/11989753569572980410noreply@blogger.com