tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post2771921140281042802..comments2024-03-23T20:44:05.692-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: शहीदों को तो बख्श दो : भाग 3 - मैं नास्तिक क्यों हूँSmart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-86867385212601822252011-07-16T12:27:31.431-04:002011-07-16T12:27:31.431-04:00देशभक्ति भाव से भले हर व्यक्ति शहिदों के चित्र घर ...देशभक्ति भाव से भले हर व्यक्ति शहिदों के चित्र घर घर लगा दे, उनका सम्मान ही है। पर अपनी कलुषित विचारधारा के पोषण के हेतु उनके नाम व तस्वीरों का दुरपयोग करे,उनके महान त्याग का अपमान है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04417160102685951067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-52334194485479398742011-07-16T12:08:17.768-04:002011-07-16T12:08:17.768-04:00विष्णु जी,
वीरों के योगदान को सराहा जाये, उनके चित...विष्णु जी,<br />वीरों के योगदान को सराहा जाये, उनके चित्र हर जगह लगें, उनकी चिताओं पर रोज़ मेले लगें, इससे बडी प्रसन्नता की बात क्या होगी? लेकिन किसी कमोडिटी की तरह उनमें से पार्टी के लिये लाभप्रद और हानिप्रद की श्रेणी में डालकर सच-झूठ का प्रचारवाद तो ग़लत ही है।Smart Indian - स्मार्ट इंडियनhttp://hindi-review.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-89357626749755099632011-07-16T10:32:24.915-04:002011-07-16T10:32:24.915-04:00आपने बहुत ही विचारोत्तेजक बहस शुरु की है। मुझे लग...आपने बहुत ही विचारोत्तेजक बहस शुरु की है। मुझे लगता है, 'बात दूर तलक जाएगी।' रोचक होगा यह देखना कि आगे-आगे होता है क्या? <br /><br />मुझे यह भी लगता है कि कम्यूनिस्ट होने के लिए नास्ितक अथवा धर्म विरोधी होना जरूरी रहा होगा। 'वाद' की मूल अवधारणा में यह बात शायद ही रही हो। जितना कुछ मैंने पढा है, साम्यवाद ने 'धर्म को अफीम की तरह' प्रयुक्त करने पर असहमति (और शायद आपत्ति भी) जताई है, धर्म पर नहीं। यह तो 'माअर लॉयल टू द क्वीन देन हरसेल्फ' जैसा लगता है - साम्यवाद से आगे बढकर साम्यवाद के प्रति निष्ठा जताना। बिलकुल वैसे जैसे कि 'इन्दिरा इज इण्डिया एण्ड इण्डिया इज इन्दिरा' कहा गया था।<br /><br />मात्र प्रसंगवश उल्लेख है कि संघ परिवार भी अपने आयोजनों और समारोहों में भगतसिंह के चित्र 'बडे चाव' से प्रदर्शित करता है।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-4379267456241822682011-07-16T08:47:58.806-04:002011-07-16T08:47:58.806-04:00अंशुमाला जी, धन्यवाद!
जिस कुत्सित प्रचार का खुलास...अंशुमाला जी, धन्यवाद!<br /><br />जिस कुत्सित प्रचार का खुलासा करने के लिये यह आलेख लिखा गया है वह प्रचार भगतसिंह को नास्तिक कहने तक सीमित नहीं है। शहीदे आज़म को नास्तिक कहना तो तुच्छ राजनैतिक लाभ उठाने के लिये बनाये गये षडयंत्र की भूमिका मात्र है। अलग-अलग देखने पर यह गतिविधियाँ मासूम सी दिख सकती हैं परंतु एक विशिष्ट राजनैतिक विचारधारा द्वारा फैलाये और झूठ पर टिके इस षडयंत्र के कुछ अन्य हिस्सों को देखने पर पूरी तस्वीर साफ़ हो जाती है। इस प्रक्रिया के कुछ अंग निम्न हैं जिनका वर्णन उपरोक्त श्रंखला में करने का प्रयास है - <br />- भगत सिंह का नाम अपने धर्मविरोधी आलेखों में घसीटना <br />- भगत सिंह चित्रों पर अपनी पार्टी का रंग उडेलना<br />- भगत सिंह के चित्र को कम्युनिस्ट तानाशाहों के साथ जोडकर लगाना <br />- आलेखों में भगत सिंह को कम्युनिस्ट बताना<br />- जिन शहीदों की आस्तिकता के स्पष्ट प्रमाण हैं उन्हें साम्प्रदायिक कहना - यहाँ तक कि भारत में1857 के बाद के में सशस्त्र संघर्ष के प्रणेता चाफ़ेकर शहीदों को भी आदर करने के बदले साम्प्रदायिक कहा जा रहा है। <br /> <br />मेरी आपत्ति किसी भी शहीद का राजनैतिक लाभ लेने पर है। परंतु हमारे क्रांतिकारियों के केस में तो यह लाभ उठाने का काम वह पार्टी कर रही है जिसका उनके निस्वार्थ त्याग से कभी कोई सम्बन्ध रहा ही नहीं।<br /><br />आशा है कि इस टिप्पणी में वे बातें स्पष्ट हुई होंगी जो आलेख में छूट गयी हैं। समय मिलने पर उन्हें आलेख में समाहित कर लूंगा।Smart Indian - स्मार्ट इंडियनhttp://hindi-blog-list.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-46462729853891733432011-07-16T05:23:56.090-04:002011-07-16T05:23:56.090-04:00अनुराग जी
पिछली दो कडिया पढ़ी और ...अनुराग जी<br /> पिछली दो कडिया पढ़ी और ये भी पर पता नहीं लेख में कही कही इस बात का आभास हो रहा था जैसे जिस बात का आप विरोध कर रहे है कही कही आप भी वही बात कर रहे है | हम भगत सिंह को उनके देश भक्ति के लिए देश को आजाद करने के लिए उनके सर्वोच्च बलिदान के लिए जानते है और आगे भी इसी बात के लिए जानते रहेंगे | मुझे नहीं लगता है की एक आम आदमी कभी भी इस बात में रूचि लेता होगा की वो किसी धर्म के थे जाति के थे आस्तिक नास्तिक समाजवादी कम्युनिष्ट आदि आदि थे या नहीं | इन सब बातो से क्या फर्क पढ़ेगा यदि एक बार मान भी लेते है कि वो कम्युनिष्ट थे तो क्या उसके बाद उनकी सोच बदल जाएगी क्या इससे ये साबित हो जायेगा की वो देश के लिए नहीं कम्युनिष्टो के लिए लड़ रहे थे और फिर नास्तिक होने का अर्थ कम्युनिष्ट होना कब से हो गया | कहने का अर्थ मेरा वही है जो आप कह रहे है कि हम भगत सिंह या अन्य किसी भी क्रन्तिकारी को देश के लिए किये गये उनके कामो के कारण जानते पहचानते और सराहते है ना कि इसलिए कि वो किसी खास विचार धारा से जुड़े थे | यहाँ इस बात पर ज्यादा जोर क्यों दिया जा रहा है कि वो कम्युनिष्ट नहीं थे मुझे लगता है की आज के युवा को उनके बारे में और बहुत कुछ जानने की आवश्यकता है इस जानकारी के अलावा क्योकि आज के युवाओ ( सिर्फ युवा क्यों बहुतो को ) को उनके बारे में जानकारी ना के बराबर है कारण सभी को पता है | अपनी बात करू तो काफी बड़े होने के बाद मुझे इस सवाल का जवाब मिला की आखिर वो भागे क्यों नहीं पकड़ा जाना क्यों स्वीकार किया | मुझे लगता है ये ज्यादा अच्छा होगा की उनसे जुड़े कुछ दूसरे तथ्यों को विचारो को सभी के सामने लाना चाहिए जो आम तौर पर लोगो को नहीं पता होते है या जिनके बारे में कम जानकारी है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-32375679561780237742011-07-15T12:15:31.061-04:002011-07-15T12:15:31.061-04:00ॐ
अनुराग भाई
आपने बड़े सधे हाथों कम्यूनिस्ती पाख...ॐ <br />अनुराग भाई <br />आपने बड़े सधे हाथों कम्यूनिस्ती पाखण्ड का पर्दाफ़ाश किया है - आपका इशारा समझ रही हूँ :) <br />और भारतीयों की एक ये भी आदत है जिससे खीज उठती है वह है , देखते हुए भी अनदेखा करना -<br /> चीन सरकार आज कमर कस कर विश्व की सर्वोच्च सत्ता बनने पर आमादा है <br />अमरीका को , डांट डपटने से बाज नहीं आ रहे सताधीश चीनी ! अमरीका उधार लिए बैठा है अपनी टोपी सम्हालने की कवायद <br />मे , आंतरिक विघटन से लस्त - पस्त हुआ भविष्य के लिए सफलता खोज रहा है <br />और चीन , भारत की विजय घोष स्वर लिए एक मात्र ' नद ' ( पुरुष ) ' ब्रह्मपुत्र ' को चीन की ओर मोड़ने की योजना को आकार <br />देने मे व्यस्त है और भारत के सतारूढ़ , क्या कर रहे हैं ? कुछ भी नहीं ! कितने अफ़सोस की बात है ये ...<br />स - स्नेह <br /> - लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-66506955788433351992011-07-15T08:30:58.538-04:002011-07-15T08:30:58.538-04:00गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व पर सभी मित्रों को मेरी ह...गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व पर सभी मित्रों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएँएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-50837688176456125832011-07-15T05:06:57.723-04:002011-07-15T05:06:57.723-04:00आपको गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर सुगना फाऊंडेशन म...आपको गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया जोधपुर और हैम्स ओसिया इन्स्टिट्यूट जोधपुर की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं.Sawai Singh Rajpurohithttps://www.blogger.com/profile/12180922653822991202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-63849272835096296932011-07-15T05:06:43.766-04:002011-07-15T05:06:43.766-04:00आपकी बात से सहमत हूंआपकी बात से सहमत हूंSawai Singh Rajpurohithttps://www.blogger.com/profile/12180922653822991202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-36287700441908282992011-07-14T11:47:10.892-04:002011-07-14T11:47:10.892-04:00I'm partially agree with you.Communism is an i...I'm partially agree with you.Communism is an ideal thought,but we all are human beings with natural limitations.I think 'DICTATORSHIP OF THE PROLETARIAT,is not a disgusting thing in books.but on real ground it did'nt work.Certainly because of hammer on human liberty & rights.So conclusion is thought is good ,but its implementation is impractical.रोहित बिष्टhttps://www.blogger.com/profile/00332425652423964602noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-34835011097215147682011-07-14T11:10:20.761-04:002011-07-14T11:10:20.761-04:00"मानव मात्र की व्यक्तिगत स्वतंत्रता" - य..."मानव मात्र की व्यक्तिगत स्वतंत्रता" - यही पर्याप्त है किसी विचारधारा के आकलन के लिए.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-187530934789223982011-07-14T10:13:29.767-04:002011-07-14T10:13:29.767-04:00बढ़िया पोस्ट।बढ़िया पोस्ट।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-40904383935235524062011-07-14T07:16:38.196-04:002011-07-14T07:16:38.196-04:00साधुवाद...
कोटि कोटि आभार आपका....बहुत आवश्यकता ह...साधुवाद...<br /><br />कोटि कोटि आभार आपका....बहुत आवश्यकता है इस प्रकार के आलेखों की....<br /><br />अभी तो और क्या कहूँ....रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-64779722445476620942011-07-14T03:47:32.348-04:002011-07-14T03:47:32.348-04:00यथार्थ परक लेख के लिए साधुवाद....यथार्थ परक लेख के लिए साधुवाद....दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-85827725361108178172011-07-13T22:12:18.911-04:002011-07-13T22:12:18.911-04:00सच कहूं तो कम्युनिस्टों के प्रति मेरे मन में एक सह...सच कहूं तो कम्युनिस्टों के प्रति मेरे मन में एक सहज ही प्रतिकार भाव आ जाता है -वे भले और कुछ हों मगर प्रेय कतई नहीं हैं !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-40481061830431865632011-07-13T21:06:33.479-04:002011-07-13T21:06:33.479-04:00@वैसे - कम्युनिज्म अपने आप में बुरी चीज़ नहीं है
...@वैसे - कम्युनिज्म अपने आप में बुरी चीज़ नहीं है <br /><b>शिल्पा जी,<br /><br />क्षमा कीजिये, जिस तंत्र के मूल में मानव मात्र की व्यक्तिगत स्वतंत्रता के हरण की बात हो वह अपने आप में भी और किसी भी अन्य मिलावट के साथ भी बुरी ही है। मानवाधिकार, व्यक्तिगत संपत्ति, व्यक्तिगत सम्बन्ध, यहाँ तक कि विवाह और परिवार की अवधारणा का भी विरोध करने वाला कम्युनिज़्म दानवराज का आधुनिक रूप है। मामला यहाँ तक हो कि जिन्हें पसन्द न हो वे न अपनायें तो भी ठीक था परंतु इससे बढकर बुरी बात वहाँ आती है जहाँ शक्ति पाते ही कम्युनिस्ट अपनी विचारधारा से अलग पाये जाने वाले हर व्यक्ति को बलपूर्वक समाज या संसार से बहिष्कृत कर देते हैं। <br />साम्यवाद में आर्थिक साम्य नहीं ढूंढा जाता है बल्कि सत्ता के साथ वैचारिक साम्य थोपा जाता है। जिन्हें नापसन्द हो उनके लिये मृत्यु ही एकमात्र मार्ग है।</b>Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-81725434332001705872011-07-13T13:02:32.188-04:002011-07-13T13:02:32.188-04:00एक क्रांतिकारी की आवाज़!एक क्रांतिकारी की आवाज़!चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-36259549450769108612011-07-13T12:22:48.555-04:002011-07-13T12:22:48.555-04:00ऐसे व्यक्तित्वों को एक विचारधारा विशेष से जोड़कर ख...ऐसे व्यक्तित्वों को एक विचारधारा विशेष से जोड़कर खुद को जनमानस में ग्राह्य बनाने जैसा है ये सब।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-90662194262182514202011-07-13T10:50:45.367-04:002011-07-13T10:50:45.367-04:00ज्ञानवर्धक पोस्ट
आभारज्ञानवर्धक पोस्ट <br />आभारDeepak Sainihttps://www.blogger.com/profile/04297742055557765083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-12313795171275342132011-07-13T10:01:01.490-04:002011-07-13T10:01:01.490-04:00अवसरवादी जमात का खेल ही यही है सारा.. यदि अवसर हो ...अवसरवादी जमात का खेल ही यही है सारा.. यदि अवसर हो तो अपने पिता का नाम भी श्री वैशाख नंदन प्रसाद बता दें, और ऐसी कहावत भी है!!<br />मगर कम से कम इन शहीदों को तो बख्श दिया होता!!<br />विश्व के मानचित्र पर अंकित एकमात्र हिंदू राष्ट्र का एक रात में सर्वनाश कर दिया.. क्या वो मात्र एक दुर्घटना थी??? <br />अनुराग जी, साधुवाद आपकी इस श्रृंखला हेतु!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-86250650164062597162011-07-13T05:54:35.884-04:002011-07-13T05:54:35.884-04:00हर किसी का मान कोइ नहीं जनता है |लिखा बहुत खूब
\हर किसी का मान कोइ नहीं जनता है |लिखा बहुत खूब <br />\vidhyahttps://www.blogger.com/profile/04419215415611575274noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-63893970210454755712011-07-13T03:49:27.339-04:002011-07-13T03:49:27.339-04:00क्या कहूँ ? .... लाजवाब ... विचारोत्तेजक .....अभी ...क्या कहूँ ? .... लाजवाब ... विचारोत्तेजक .....अभी शब्द नहीं मिल रहेएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-8141165658857404862011-07-13T02:21:26.272-04:002011-07-13T02:21:26.272-04:00पंजाब एवं बंग आगे, कट चुके हैं अंग आगे|
लड़े ...पंजाब एवं बंग आगे, कट चुके हैं अंग आगे|<br /><br />लड़े बहुतै जंग आगे, और होंगे तंग आगे|<br /><br />हर गली तो बंद आगे, बोलिए, है क्या उपाय ??<br /><br />व्यर्थ हमने सिर कटाए, बहुत ही अफ़सोस, हाय !<br /><br /><br />सर्दियाँ ढलती हुई हैं, चोटियाँ गलती हुई हैं |<br /><br />गर्मियां बढती हुई हैं, वादियाँ जलती हुई हैं |<br /><br />गोलियां चलती हुई हैं, हर तरफ आतंक छाये --<br /><br />व्यर्थ हमने सिर कटाए, बहुत ही अफ़सोस, हाय !<br /><br />सब दिशाएँ लड़ रही हैं, मूर्खताएं बढ़ रही हैं |<br /><br />नियत नीति को बिगाड़े, भ्रष्टता भी समय ताड़े |<br /><br />विषमतायें नित उभारे, खेत को ही मेड खाए |<br /><br />व्यर्थ हमने सिर कटाए, बहुत ही अफ़सोस, हाय !<br /><br /><br /> मंदिरों में मकड़ जाला, हर पुजारी चतुर लाला | <br /><br /> भक्त की बुद्धि पे ताला, *गौर बनता दान काला | *सोना<br /><br /> जापते रुद्राक्ष माला, बस पराया माल आए--<br /><br /> व्यर्थ हमने सिर कटाए, बहुत ही अफ़सोस, हाय !<br /><br /><br />हम फिरंगी से लड़े थे , नजरबंदी से लड़े थे |<br /><br />बालिकाएं मिट रही हैं , गली-घर में लुट रही हैं |<br /><br />होलिका बचकर निकलती, जान से प्रह्लाद जाये --<br /><br />व्यर्थ हमने सिर कटाए, बहुत ही अफ़सोस, हाय !<br /><br />बेबस, गरीबी रो रही है, भूख, प्यासी सो रही है |<br />युवा पहले से पढ़ा पर , ज्ञान माथे पर चढ़ाकर | <br />वर्ग खुद आगे बढ़ा पर , खो चुका संवेदनाएं |<br />व्यर्थ हमने सिर कटाए, बहुत ही अफ़सोस, हाय !<br /><br />है दोस्तों से यूँ घिरा, न पा सका उलझा सिरा |<br />पी रहा वो मस्त मदिरा, यादकर के सिर-फिरा |<br /><br />गिर गया कहकर गिरा, भाड़ में ये देश जाए|<br /><br />व्यर्थ हमने सिर कटाए, बहुत ही अफ़सोस, हाय ! <br /><br /><br />त्याग जीवन के सुखों को, भूल माता के दुखों को |<br />प्रेम-यौवन से बिमुख हो, मातृभू हो स्वतन्त्र-सुख हो |<br /><br />क्रान्ति की लौ थे जलाए, गीत आजादी के गाये |<br /><br />व्यर्थ हमने सिर कटाए, बहुत ही अफ़सोस, हाय !रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-670335235393745452011-07-13T02:00:05.284-04:002011-07-13T02:00:05.284-04:00किसी देशभक्त भारतीय ने अपने शहीदों का आदर करने से ...किसी देशभक्त भारतीय ने अपने शहीदों का आदर करने से पहले कभी यह चैक नहीं किया होगा कि वे हिन्दू, मुसलमान, ईसाई, आस्तिक, नास्तिक क्या थे। हमारे लिये तो भगत सिंह भी उतने ही आदरणीय हैं जितने बिस्मिल या आज़ाद। <br />bahut sahi v prernadayak likh rahe hain aap.aabhar.Shalini kaushikhttps://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-82737610520969873322011-07-13T01:36:54.898-04:002011-07-13T01:36:54.898-04:00जाति धर्म में बांटने की प्रवृति न जाने कब जाएगी......जाति धर्म में बांटने की प्रवृति न जाने कब जाएगी...Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.com