tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post2977956328451249595..comments2024-03-17T12:17:02.187-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: लड़कियों को कराते और लड़कों को तमीज़ ...Smart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-53565404812703065342012-07-09T01:28:46.847-04:002012-07-09T01:28:46.847-04:00ये सब समस्या के उपचार हैं.किन्तु क्या बेहतर यह नही...ये सब समस्या के उपचार हैं.किन्तु क्या बेहतर यह नहीं होगा की समस्या ही न होने दी जाय.घर से ही ऐसी शिक्षा और ऐसा माहौल मिले की इंसान शारीरिक रूप से न तो स्वयं को अलग दिखाना चाहे न ही किसी के शरीर को अलग रूप में देखे.हर शरीर में सामान प्राण हैं ,सामान स्पंदन है,फिर ह्रदय में कुछ अलग सा देखने-दिखाने का भाव ही क्यों जन्म ले.सामान्य भारतीय वेश-भूषा से पुरुष या स्त्री किसी को कभी कोई समस्या नहीं आती.हम ही लोग हैं जो फैशन व प्रगतिशील होने के नाम पर खुद व अपने बच्चों को बेढंगे आवरण से ढक कर,अनोखे रूप में दिखाते हैं,बाद में समाज के गिरते नैतिक स्तर की चिंता करते हैं.फैशन परेडों में अपने बच्चों को चलता हुआ देखकर खुश होते हैं,वहां स्त्री के शरीर पर पड़ती निगाह को कला के पारखियों की निगाह मान कर गर्व महसूस करते हैं.हम स्वयं दोगले हैं और जब तक ये दोगलापन ख़त्म नहीं होगा ,किसी भी समस्या का कोई समाधान नहीं है.ज्योतिषाचार्य ललित मोहन कगड़ियाल,,https://www.blogger.com/profile/03756695984315268386noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-70309135362322925432012-07-09T01:27:25.503-04:002012-07-09T01:27:25.503-04:00ये सब समस्या के उपचार हैं.किन्तु क्या बेहतर यह नही...ये सब समस्या के उपचार हैं.किन्तु क्या बेहतर यह नहीं होगा की समस्या ही न होने दी जाय.घर से ही ऐसी शिक्षा और ऐसा माहौल मिले की इंसान शारीरिक रूप से न तो स्वयं को अलग दिखाना चाहे न ही किसी के शरीर को अलग रूप में देखे.हर शरीर में सामान प्राण हैं ,सामान स्पंदन है,फिर ह्रदय में कुछ अलग सा देखने-दिखाने का भाव ही क्यों जन्म ले.सामान्य भारतीय वेश-भूषा से पुरुष या स्त्री किसी को कभी कोई समस्या नहीं आती.हम ही लोग हैं जो फैशन व प्रगतिशील होने के नाम पर खुद व अपने बच्चों को बेढंगे आवरण से ढक कर,अनोखे रूप में दिखाते हैं,बाद में समाज के गिरते नैतिक स्तर की चिंता करते हैं.फैशन परेडों में अपने बच्चों को चलता हुआ देखकर खुश होते हैं,वहां स्त्री के शरीर पर पड़ती निगाह को कला के पारखियों की निगाह मान कर गर्व महसूस करते हैं.हम स्वयं दोगले हैं और जब तक ये दोगलापन ख़त्म नहीं होगा ,किसी भी समस्या का कोई समाधान नहीं है.ज्योतिषाचार्य ललित मोहन कगड़ियाल,,https://www.blogger.com/profile/03756695984315268386noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-8099887001960876102011-11-15T06:23:30.931-05:002011-11-15T06:23:30.931-05:00आपका सुझाव बहुत सही है.जिसके पास जो नहीं होता उसका...आपका सुझाव बहुत सही है.जिसके पास जो नहीं होता उसका प्रबन्ध करना आवश्यक है.बेटों को बिगाड़ने, बदतमीज बनाते माता पिता सबने देखे हैं.<br />घुघूतीबासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-40391688041689810952009-07-04T18:49:48.872-04:002009-07-04T18:49:48.872-04:00अनुराग जी,
आपका लेख बहुत ही सार्थक और सामयिक है, द...अनुराग जी,<br />आपका लेख बहुत ही सार्थक और सामयिक है, दरअसल इस समस्या का निदान सिर्फ माता-पिता के पास है, फैशन ज़रूरी है क्योंकि एक उम्र तक ही इसको अपनाया जा सकता है और अपनाना भी चाहिए, (वर्ना समय निकल जाने बाद अफ़सोस होता है, और ज्यादा उम्र हो जाए तो लोग कहेंगे 'बूढी घोडी लाल लगाम'अब आदमियों के लिए क्या कहते हैं यह मुझे पता नहीं) लेकिन एक सीमा तक, और एक उम्र तक अगर बच्चों का मार्गदर्शन किया जाए तो बच्चे खुद अपनी सीमा तय कर लेते हैं, मेरे तीन बच्चे हैं, २ बेटे और एक बेटी, पढ़ते भी खूब हैं और फैशन भी करते हैं, लेकिन उन्हें अपनी हद का पता है उस हद के आगे वो खुद ही नहीं जाते, शालीनता दर्शाते हुए भी बहुत फैशनएबल नज़र आया जा सकता है जो आकर्षक भी होता है, माँ-बाप अगर बच्चो को सही तरीके फैशन करना बताएं तो इससे समस्या भी दूर होगी और संबंधों में निकटता बढेगी, मैंने हमेशा अपने बच्चों को उनके फैशन के चुनाव में उनका साथ दिया है, और अच्छी बात ये है की उनके दोस्त भी अब मुझसे पूछ लेते हैं कभी कभी, और मुझे cool mom कहते हैंस्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-3490084999540549952009-07-02T13:13:18.311-04:002009-07-02T13:13:18.311-04:00अनुराग जी आपने सायद ये भी देखा होगा की कैसे ये तथा...अनुराग जी आपने सायद ये भी देखा होगा की कैसे ये तथाकथित माडर्न इंग्लिश एजुकेटेड भारतीय लड़कियां मिनी स्कर्ट, लगभग ट्रांसपरेंट टॉप, बेहद टाइट जींस पहन कर मंदिर मैं भगवान् के दर्शन करने आते हैं | पता नहीं ये बालाएं भगवान् के दर्शन करने आते हैं या अपना दर्शन सबको देने आते हैं ? वैसे लड़के भी कुछ कम पीछे नहीं हैं इसमें | <br /><br />वैसे लड़कियां बिना ब्रा के टॉप पहनना फैशन का एक अंग मानती है | अब बताइए क्या करें ऐसी इस्थ्ती मैं? अपन भी वैसे बन कर इनके निताम्भों और अन्य अंगों को निहारते रहें?<br />थोडा इसपे भी गौर फरमाएं: http://raksingh.blogspot.com/Rakesh Singh - राकेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/03770667837625095504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-67166651211785310692009-07-02T09:31:25.642-04:002009-07-02T09:31:25.642-04:00भइया अनुराग जी,
ड्रेस कोड लड़के-लड़िकयां सब पर लाग...भइया अनुराग जी,<br />ड्रेस कोड लड़के-लड़िकयां सब पर लागू होना चाहिए,केवल लड़िकयों पर ही नहीं। लेकिन लागू जरूर होना चाहिए। क्योकि आप शिक्षा के मंदिर में एक पवित्र उद्देश्य से जाते हैं। वहां कोई फैशन शो नहीं हो रहा होता कि आप अपने परिधान का प्रदर्शन करें। जहां तक बेटे और बेटी में फर्क की बात है,तो ऐसी सोच रखने वालों पर सिर्फ तरस ही खाया जा सकता है।जगदीश त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/08107791926096635566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-74178274071348459272009-06-27T02:18:41.630-04:002009-06-27T02:18:41.630-04:00बिलकुल सही बात. वैसे सुश्री जी ने इस आदेश पर रोक ल...बिलकुल सही बात. वैसे सुश्री जी ने इस आदेश पर रोक लगा दी है!Waterfoxhttps://www.blogger.com/profile/04083355344717381265noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-75816319323319783322009-06-24T22:36:23.501-04:002009-06-24T22:36:23.501-04:00सोलह आने खरी बात्।मां बाप को ध्यान रखना चाहिये बच्...सोलह आने खरी बात्।मां बाप को ध्यान रखना चाहिये बच्चों का।किस्के के लिये सेल फ़ोन ज़रूरी है और किसके लिये नही ये उन्हे तय करना उन्की ज़िम्मेदारी है और कौन से वस्त्र शालिन है और क्या खरीदना चाहिये या क्या पहनने से फ़ूहड़ता झलकती है ये भी सबसे पहले उन्हे ही नज़र आनी चाहिये।सहमत हूं आपसे पूरी तरह।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-26565258680377108782009-06-24T11:53:14.419-04:002009-06-24T11:53:14.419-04:00इसके हमें अपनी मानसिकता में बदलाव लाना होगा..........इसके हमें अपनी मानसिकता में बदलाव लाना होगा.......Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-29310024477734046012009-06-24T11:39:23.929-04:002009-06-24T11:39:23.929-04:00एकदम सटीक कहा है आपने अनुराग जीएकदम सटीक कहा है आपने अनुराग जीयोगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-49405501886536500772009-06-24T08:10:19.949-04:002009-06-24T08:10:19.949-04:00we need to condemn the attitude of parents who bel...we need to condemn the attitude of parents who believe that boys are justified in doing any thing because they are boys . this builds up a pshyco pressure in girls from an young age and then try to defy the rules as and when they get a chance because their siblings { boys } have been doing it <br /><br />and secondly we need to also condemn the attitude which believes that boys/man get sexually provoked if girls/woman wear clothes of their choice . this view is one of the most ridiculous views to give man "benefit of doubt " and this also in a way tries to to say that man have a biological disorder . <br /><br />well if man have a biological disorder and they get sexually charged then instead of dress code for girls it would be better to have a medical treatment for such man who suffer from this disorderRachna Singhhttps://www.blogger.com/profile/15393385409836430390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-65087386468200120442009-06-24T06:06:32.625-04:002009-06-24T06:06:32.625-04:00sir, aapne theek likha hai, lekin frans me burkha ...sir, aapne theek likha hai, lekin frans me burkha dress code hataya ja raha hai to uski bhi aalochana ho rahi hai.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-81375207625152138592009-06-24T05:57:08.668-04:002009-06-24T05:57:08.668-04:00sir, aap theek likh rahe hain, lekin jab frans ke ...sir, aap theek likh rahe hain, lekin jab frans ke pres aisa hi kar rahe hain phir unka virodh kyon?? wo bhi to burkha dress code ko hata rahe hain.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-18714623780227086962009-06-24T05:33:48.764-04:002009-06-24T05:33:48.764-04:00हमें तो सर्कोजी बहुत जमे!हमें तो <a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/news/story/2009/06/090622_burka_sarkozy_mb.shtml" rel="nofollow">सर्कोजी बहुत जमे</a>!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-19972046661340199362009-06-24T05:32:38.074-04:002009-06-24T05:32:38.074-04:00पूर्णतः सहमत हूँ आपसे.....पूर्णतः सहमत हूँ आपसे.....रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-64738017474394846862009-06-24T02:19:59.819-04:002009-06-24T02:19:59.819-04:00सच कहा आज के माहोल में ज़रुरत है किसी भी समस्या को...सच कहा आज के माहोल में ज़रुरत है किसी भी समस्या को नए दृष्टिकोण से देखने की .................... आपकी पोस्ट सार्थक हैदिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-40647429976260011602009-06-24T00:25:05.009-04:002009-06-24T00:25:05.009-04:00बहुत सही कहा आपने. पर ये हमारी सोच का दुष्परिणाम ह...बहुत सही कहा आपने. पर ये हमारी सोच का दुष्परिणाम है जो सदियों से चली आरही है. शायद अब वक्त आगया है कि इसे बदला जाये.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttp://taau.taau.innoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-65860414096254214332009-06-23T21:14:07.199-04:002009-06-23T21:14:07.199-04:00जब तक सोच नही बदलेगी तब तक बेटे-बेटियों मे
भेद-भा...जब तक सोच नही बदलेगी तब तक बेटे-बेटियों मे <br />भेद-भाव यों ही चलता रहेगा।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-85702328154516411372009-06-23T19:16:28.092-04:002009-06-23T19:16:28.092-04:00यह घटना तो आपके प्रति सहानुभूति उपजाती हैयह घटना तो आपके प्रति सहानुभूति उपजाती हैArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-13705172713396780052009-06-23T16:45:34.866-04:002009-06-23T16:45:34.866-04:00सही कहा ...
सँस्कार तो घर से शुरु होते हैँ और फिर ...सही कहा ...<br />सँस्कार तो घर से शुरु होते हैँ और फिर व्यक्ति पर<br /> सिमट जाते हैँ<br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-71310881842247643272009-06-23T15:26:32.056-04:002009-06-23T15:26:32.056-04:00सही है.ड्रेस कोड हो तो दोनों के लिए ही हो.सही है.ड्रेस कोड हो तो दोनों के लिए ही हो.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-39014219250132936442009-06-23T14:10:48.962-04:002009-06-23T14:10:48.962-04:00अनुराग जी , आप का लेख पढा बहुत अच्छा लगा, मैरे अपन...अनुराग जी , आप का लेख पढा बहुत अच्छा लगा, मैरे अपने विचार मै लडका या लडकी मां बाप को दोनो मै कोई भेद भाव नही रखना चाहिये, ड्रेस तो स्कूलो, कालेज मै होनी चाहिये, हमारे यहां स्कूलो मै कोई ड्रेस नही, हमारे यहां भी कुछ खास कपडे जो लडकियो को मना है, क्योकि उस से अन्य बच्चो (लडको) का ध्यान बंटता है, ओर फ़िर स्कूल, कालेज पढने के लिये है, फ़ेशन परेड के लिये नही, लडको को ओर लडाकियो दोनो को ही समझना चाहिये कि यह उन की भालाई के लिये है, फ़िर उम्र भर जो पहनाना है पहने.वेसे लडकियां भी इन लडकॊ से कम नही....बस लडके बदनाम हो जाते है, जब कि लडकियां लडकी होने के कारण साफ़ बच जाती है, मेरा कहने का मतलब दोनो ही एक से बड कर एक है, दोनो को ही तमीज ओर कपडे पहनने की तमीज सिखानई चाहिये.<br />धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-83921066449497185062009-06-23T13:41:13.652-04:002009-06-23T13:41:13.652-04:00सलाह तो आपकी दुरुस्त है.
काशिफजी की टिपण्णी पर भी...सलाह तो आपकी दुरुस्त है. <br />काशिफजी की टिपण्णी पर भी कुछ कहने का मन था... खैर ! दोष तो सिर्फ जींस और टॉप का है जी... लड़को को बेकार में ही आप तमीज सीखाने की बात कर रहे हैं. कोई फायदा नहीं सरजी. बहुत मुश्किल है किसी की विचारधारा को बदलना... और क्या कहें !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-18954101606966861662009-06-23T13:10:57.576-04:002009-06-23T13:10:57.576-04:00kya khoob likha hai bhai jee aapne.kya khoob likha hai bhai jee aapne.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-24214492210089500282009-06-23T12:40:59.660-04:002009-06-23T12:40:59.660-04:00All what you have written is of great thought.
kin...All what you have written is of great thought.<br />kindly take some time to read it also<br />http://agrakikhabar.blogspot.com/2009/06/blog-post.htmlappaliwalhttps://www.blogger.com/profile/10370445227737812923noreply@blogger.com