tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post4180660853055584824..comments2024-03-23T20:44:05.692-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: माओवादी नक्सली हिंसा हिंसा न भवति*Smart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger52125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-31434796226789601862021-05-27T06:54:20.369-04:002021-05-27T06:54:20.369-04:00"Great post! Keep up the amazing content.
Ne..."Great post! Keep up the amazing content.<br /> Netrockdeals is one of the top Websites in India that provides shopping offers and Discount Coupons. We provide the latest cashback offers deals available on all online stores in India.<a href="" rel="nofollow">Beardo Coupon</a><br /><a href="" rel="nofollow">Dell offers</a><br /><a href="" rel="nofollow">Mivi Coupon Code</a><br /><a href="" rel="nofollow">Ajio Coupons</a><br /><a href="" rel="nofollow">Zivame coupon code</a> We provide thousands of deals to over one hundred retail merchants to furnish the best online shopping experience each day. Our team maximizes our efforts to provide the best available offers for our users. We are continually working on our website to provide the best satisfaction to our users."Netrockdealshttps://www.blogger.com/profile/17661728905971604193noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-82815088277567365462013-06-07T13:50:13.192-04:002013-06-07T13:50:13.192-04:00अफसोस है की मै अपनी बात आप को ठीक से समझा नहीं सकी...अफसोस है की मै अपनी बात आप को ठीक से समझा नहीं सकी , मै भी नक्सलियों की उतनी ही विरोधी हूँ जितने की आप है, मै उनका किसी भी मुद्दे पर समर्थन नहीं करती हूँ , मैंने आप की ऐसी सभी बातो का सहमत कह कर समर्थन ही किया है । <br />१- मैंने भारत में आज के लोकतंत्र पर सवाल उठाया है न की उसकी साम्यवाद से तुलना की है २-आज भारत में जो लोकतंत्र है वो पूरी तरह से पूंजीवाद ही है , सब के सब पूंजी का ही खेल है सरकारे बनती भी है पैसे के बल पर और काम भी पूंजीपतियों के लिए करती है । <br />३- गरीबो के लिए योजनाए गरीबी दूर करने के लिए नहीं उस बहाने सरकारी खजाने से पैसे निकालने के लिए किया जता है । <br />४- नक्सली बच्चो को युद्ध में खीच रहे थे वो गलत है किन्तु सलवा जुडूम में सरकार भी यही काम कर रही थी आम लोगो को हथियार दे कर उन्हें युद्ध में खीच रही थी । <br />५- दोनों की तुलना हो ही नहीं सकती है क्योकि सरकारों को तो और जिम्मेदार होना था जो वो नहीं बना रही है । <br />६- चाहे देश के किसी भी क्षेत्र में अलगाव की समस्या हो उसका करना आप को ये लोकतान्त्रिक सरकारे ही है , जो अपने निजी स्वार्थो के लिए कभी इन अलगाव वादियों को बढ़ावा देती है तो कभी इनके खिलाफ काम करती है , अब तो खबरे भी आ रही है की खुद कांग्रस के लोग ही मिले हुए थे नक्सलियों से , हर जगह ये लोकतान्त्रिक सरकारे ऐसे अलगावादियों , और विद्रोहियों का प्रयोग खुद को जिताने के लिए समय समय पर करती है । <br />७- जहा तक विकास की बात है तो मेरा कहना था की सरकार में इच्छा शक्ति नहीं है विकास करने की यदि उसमे होती तो नक्सली कोई बड़ी समस्या नहीं थे जिनसे निपटा न जा सके , सरकार अपने कमजोरी को नक्सली समस्या के निचे दबाने का प्रयास कर रही है , इसलिए लिए मैंने कहा की जहा नक्सली समस्या नहीं है सरकारे वहा विकास क्यों नहीं कर लेती है । <br />८- हथियार मुझे देने की बात का ये अर्थ था की हथियार से किसी समस्या का हल नहीं होने वाला है जैसा आप ने कहा ही हथियार से कुपोषण नहीं ख़त्म होगा , हथियार के बल पर आप किसी विद्रोह या लगावावाद भी नहीं दबा सकते है , यदि ये हो सकता तो हम आज आजाद नहीं होते । \<br />९- लोकतंत्र का अर्थ बस ये नहीं है की हमें बोलने का अधिकार मिल गया है इसका अर्थ तो ये होना चाहिए की जब हम मिल कर बोलते है तो सुनने वालो को उसे सुनना भी चाहिए और उस पर काम भी होना चाहिए , किन्तु हमरे देश में ये नहीं हो रहा है आज से ही नहीं बल्कि हमेसा से आम लोगो की सुनी ही नहीं गई , आज का हॉल तो आप देख ही रहे है इतने बड़े आन्दोलन के बाद की लोकपाल बिल का क्या हुआ , चाहे ये नक्सली समस्या हो या कोई और पहले दिन ही कोई हथियार नहीं उठाता है पहले बोला ही जाता है जब सुनाने वाले बहरे हो जाते है तो उसके बाद हथियार उठाया जता है या , कुछ अपने स्वार्थो के लिए लोगो की हथियार उठाने के लिए उकसा देते है । ऐसे बोलने के अधिकार से कितना फायदा होगा जहा सुनाने के लिए कोई तैयार ही नहीं है । <br />१० -@लोकतन्त्र का एक विकल्प है, बेहतर लोकतन्त्र -<br />यही मई भी कहा रही हूँ की आज देश में जो लोकतंत्र है वो किसी भी काम का नहीं है अब बदलाव की जरुरत है । <br />११ - ५ सितारा और टैंक वाली बात मैंने व्यग्य की है , की लोग जंगल में गरीबी में रह रहे लोगो के लिए योजनाए ५ सिअर में बैठ कर बनाते है उस संस्कृति और समाज में रहने वाले क्या जमीं के लोगो की समस्याओ को समझ सकते है , और जंगल में टैंक , क्या हमें अपने ही लोगो को मार देना चाहिए क्या ये सही होगा , जैसा की आप उदाहर्ण दे रहे है श्रीलंका का । <br />anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-78676363428613727172013-06-07T06:58:00.358-04:002013-06-07T06:58:00.358-04:00सटीक और लाजवाब विश्लेषण ।सटीक और लाजवाब विश्लेषण ।Tamasha-E-Zindagihttps://www.blogger.com/profile/01844600687875877913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-2329003043438045252013-06-07T03:48:24.618-04:002013-06-07T03:48:24.618-04:00आज़ादी के बाद कलम की एक नोंच से तय कर दिया गया कि ...आज़ादी के बाद कलम की एक नोंच से तय कर दिया गया कि सारी अनरजिस्टर्ड ज़मीन सरकार की मिल्कियत है. यानी हज़ारों सालों से रहने वाले आदिवासी कानुनी तौर पर बेघर हो गए. अभी जो हो रहा है उसको समर्थन नहीं है, मगर हिंसा की ज़मीन तो वहीं बनी.PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-76750433550765139062013-06-06T13:52:58.549-04:002013-06-06T13:52:58.549-04:00राहुल जी,
आपका आश्चर्य स्वाभाविक है लेकिन जैसा क...राहुल जी, <br /><br />आपका आश्चर्य स्वाभाविक है लेकिन जैसा कि लेख मे उल्लिखित है, अपने फायदे के लिए माओवादी अभी डॉक्टरों की हत्या करने से बच रहे हैं।<br /> <br />डॉ. संदीप दवे मौके पर थे, घायल हुए थे, गोली और गाली दोनों खाये थे, और डॉ होने के कारण आतंकवादियों द्वारा जीवित छोड़ दिये गए थे। यह समाचार वीडियो देखिये: <br /><a href="http://khabar.ibnlive.in.com/news/99964/1" rel="nofollow">http://khabar.ibnlive.in.com/news/99964/1</a> Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-25104639064242160512013-06-05T07:19:01.188-04:002013-06-05T07:19:01.188-04:00''नक्सल हमले में बचे डॉक्टर संदीप दवे ने ब...''नक्सल हमले में बचे डॉक्टर संदीप दवे ने बताया...'' संभवतः डॉक्टर संदीप दवे ने घायलों का इलाज किया न कि वे मौके पर थे.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-25077443195127693742013-06-02T23:47:41.135-04:002013-06-02T23:47:41.135-04:00लोकतन्त्र सागर है जिसमें साम्यवाद जैसे करोड़ों ताल...लोकतन्त्र सागर है जिसमें साम्यवाद जैसे करोड़ों तालाबों की कीचड़ को नकारकर केवल अच्छाइयों को आत्मसात करने की क्षमता है। Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-26584601542629248562013-06-02T23:46:35.388-04:002013-06-02T23:46:35.388-04:00जी सहमत हूँ। साम्यवाद में यदि दो-चार खूबियाँ हों भ...जी सहमत हूँ। साम्यवाद में यदि दो-चार खूबियाँ हों भी तो लोकतन्त्र को उन्हें अपनाने में कोई परहेज नहीं है। बल्कि साम्यवाद की अधिकांश प्रचारित खूबियाँ लोकतन्त्र में पहले से ही हैं। व्यक्तिगत संपत्ति स्वतन्त्रता और व्यक्तिगत श्रद्धा आदि के दमन आदि जैसी जिन कमियों को साम्यवादी जतन से छिपाते फिरते हैं, लोकतन्त्र उनसे पूर्णतया मुक्त है। <br /> Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-7913024015921216302013-06-02T23:43:22.097-04:002013-06-02T23:43:22.097-04:00प्रतिभा जी, हम लोग ज़्यादा कुछ न भी कर सकें तो दान...प्रतिभा जी, हम लोग ज़्यादा कुछ न भी कर सकें तो दानवी प्रचार के फैलाव को तो रोक ही सकते हैं। Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-19861390593511645122013-06-02T23:42:11.977-04:002013-06-02T23:42:11.977-04:00जी, कई लोगों की हालत वही है:
घर का जोगी जोगड...जी, कई लोगों की हालत वही है:<br /> घर का जोगी जोगड़ा, ठग बाहर का सिद्ध Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-2788655379824579092013-06-02T23:35:57.793-04:002013-06-02T23:35:57.793-04:00टाइपो सुधार: छह करोड़ = तीन करोड़टाइपो सुधार: छह करोड़ = तीन करोड़Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-43427491205881428562013-06-02T23:19:05.443-04:002013-06-02T23:19:05.443-04:00सौरभ जी, आप सही कह रहे हैं। आतंकवादी अपना धंधा तभी...सौरभ जी, आप सही कह रहे हैं। आतंकवादी अपना धंधा तभी छोड़ेंगे जब यह या तो उनके लिए खतरनाक हो जाये या घाटे का सौदा हो जाय। और यह दोनों ही हो सकते हैं, राजनीतिज्ञों में इच्छाशक्ति होनी चाहिए। जाँनिसार जवानों की कोई कमी नहीं है इस देश में, लेकिन एक भी जीवन व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-66638747566339599602013-06-02T23:16:21.466-04:002013-06-02T23:16:21.466-04:00तथास्तु!तथास्तु!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-65765825236090686052013-06-02T23:13:47.244-04:002013-06-02T23:13:47.244-04:00गंदा है पर धंधा है ... घेंसा अब साँप बन चुका है। गंदा है पर धंधा है ... घेंसा अब साँप बन चुका है। Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-63526788539739285132013-06-02T23:12:15.683-04:002013-06-02T23:12:15.683-04:00सरकार कैसे सुनेगी?सरकार कैसे सुनेगी?Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-6935808441622679922013-06-02T23:11:11.079-04:002013-06-02T23:11:11.079-04:00सच कहा अपने। देर तो हो चुकी, "दुरुस्त" आ...सच कहा अपने। देर तो हो चुकी, "दुरुस्त" आयड का इंतज़ार है। Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-75866643286411016992013-06-02T23:09:59.286-04:002013-06-02T23:09:59.286-04:00- जी, यह बेहतर यहीं है, आगे भी मिलेगा। तमसो मा ज्य...- जी, यह बेहतर यहीं है, आगे भी मिलेगा। तमसो मा ज्योतिर्गमय। आरटीआई, वोट में उम्मीदवार रिजेक्ट करने का अधिकार, तिरंगा फहराने का अधिकार, ये सब परिवर्तन और क्या हैं? सूची बनाकर और अपने क्षेत्र के दलों और जनप्रतिनिधियों के साथ मिल बैठकर चिंतन करना होगा। <br /><br />- जी, ज़रूर हैं - तभी तो कहा कि नेताओं को इच्छाशक्ति की ज़रूरत है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने गिल से कहा था कि वे अपनी तंख्वाह लेकर आराम करें। नेता लोग विकास के नाम पर और पैसे लेने की बात कर रहे हैं जबकि सर्वज्ञात है कि इस विकास फंड से निर्माण कम और वसूली ज़्यादा होती है। सही हल के लिए पैसा कम और मुक़ाबले की रणनीति पर अधिक ज़ोर देना होगा। <br /> Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-19233041808583579942013-06-02T23:03:29.300-04:002013-06-02T23:03:29.300-04:00@ ताऊ रामपुरिया
- यो कोण सी फिरोती सै?@ ताऊ रामपुरिया <br />- यो कोण सी फिरोती सै?Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-44504830076788922542013-06-02T23:02:22.435-04:002013-06-02T23:02:22.435-04:00@ ६- कम्युनिजम, पूंजीवाद, लोकतन्त्र, झुठलाना
- अप...@ ६- कम्युनिजम, पूंजीवाद, लोकतन्त्र, झुठलाना <br />- अपने सही कहा कि कम्युनिजम पूंजीवाद में बदल चुका है। लेकिन लोकतन्त्र को केवल पूंजीवाद कहना इतना बड़ा झूठ है कि उसे केवल अज्ञान कहकर इगनोर नहीं किया जा सकता। लोकतन्त्र जनता का शासन है। उसमें पूंजी भी होगी, श्रम भी होगा, और व्यक्तिगत संपत्ति और अभिव्यक्ति के साथ हर प्रकार की व्यक्तिगत स्वतन्त्रता बह होगी। कम्युनिस्ट देशों में लोकतन्त्र की बात करने का मतलब है मौत लेकिन लोकतन्त्र में कम्यूनिज़्म के झंडेबरदार आराम से रहते भी हैं बल्कि साम्यवाद एक मूलसिद्धांतों के विरुद्ध जाकर चुनाव भी लड़ते हैं। जहां साम्यवाद एक संकीर्ण, हिंसक, भेदभावपरक, नियंत्रणात्मक और असहिष्णु विचार है, लोकतन्त्र लगातार सुधार की प्रक्रिया है। साम्यवाद एक तालाब है तो लोकतन्त्र एक सागर है जो स्वतन्त्रता और विविधता का पूर्ण आदर करता है। <br /><br />@ ७- नक्सली, निरंकुश, सरकार<br />- नक्सली-माओवादी-कम्यूनिज़्म-तानाशाही विचारधारा में जनता को कुचलना स्वीकार्य है, लोकतन्त्र में नहीं। सच है कि सीमित रूप से ऐसी कोशिशें हुई हैं, लेकिन जनता ने उन्हें उठा पताका है क्योंकि लोकतन्त्र जनता को इसकी गारंटी देता है, माओ-नक्सल-आतंकवाद कभी नहीं।<br /><br />@ ८-आप, हम, जंगल, आदिवासियों की जमीन, सरकार ...<br />- लोकतन्त्र में आपको नियम बदलने का अधिकार है, पूछिए अपने जन प्रतिनिधियों से और बदलवाइए नियम। लोकतन्त्र का एक विकल्प है, बेहतर लोकतन्त्र - माओ-नक्सल-कम्युनिस्ट-तानाशाही और बारूद के दमन की ओर वापस जाने से क्या अधिग्रहण का कारी बंद हो जाएगा? लोकतन्त्र में व्यक्तिगत संपत्ति आपका अधिकार है, साम्यवाद में उसकी कोई जगह नहीं है। सबसे पहले आपने लिखा है कि आप अपने निजी अनुभव से लिख रही हैं। अगर आपकी ज़मीन पर सरकार ने नाजायज कब्जा किया है और समुचित मुआवजा नहीं दिया है और आप स्वहित को देशहित से ऊपर रखकर यह ज़मीन नहीं छोडना चाहती हैं तो याद रखिए इसी देश में ऐसे अनेक उदाहरण हैं जहां जनता ने अपनी मांगें मनवाई हैं: बिशनोई, चिपको आंदोलन से लेकर हाल का मध्यप्रदेश के ग्राम का उदाहरण। लोकतन्त्र में सब कुछ संभव है, कम्यूनिज़्म में दमन और माओवाद में केवल मौत। <br /><br />@ केपीएस गिल, समाधान एक जैसा, तलवार और सुई ...<br />- बात विशेषज्ञों की सहायता की थी और गिल का नाम उदाहरणार्थ था। यदि आपको लगता है कि कोई अन्य व्यक्ति इस कार्य में अधिक निपुण सिद्ध होगा तो आप उनका नाम प्रस्तावित कर सकती हैं, मेरे दिमाग में ऐसा कोई दूसरा नाम नहीं आया। जहां तक समस्या की विविधता की बात है, पंजाब में गिल के हाथ में कोई जादू का चिराग नहीं बल्कि उनका सन 1956 से 1984 के २८ साल तक पूर्वोत्तर राज्यों के घने जंगलों में विद्रोही गुटों के मुक़ाबले का अनुभव काम में आया था। पंजाब के मुक़ाबले छत्तीसगढ़ की परिस्थिति उन पूर्वोत्तर राज्यों से अधिक मिलती है। वैसे भी समस्या के इतना लंबा चलाने में कमी सुरक्षा बलों की कम और राजनीतिक इच्छाशक्ति की अधिक है इसीलिए मेरा सुझाव था कि गिल जैसे विशेषज्ञों की बात सुनी जाये, उनके सुझाव माने जाएँ और सुरक्षा बलों को मरने के लिए झोंकने के बजाय सहयोग दिया जाय। सुई और तलवार की मेरे जानकारी के बारे में आपका अंदाज़ सही है। सुई के बारे में जानता हूँ, तलवार बहुत अच्छी तरह चला लेता हूँ, छोटी सी ज़िंदगी में और भी बहुत कुछ सीखा और किया है।<br /><br />@ उच्चस्तरीय रणनीतिकारों, सैम पित्रोड़ा, ५ स्टार <br />- मेरा सुझाव विशेषज्ञों की सहायता लेने का था। ५ स्टार का आपका सुझाव मुझे नामंज़ूर है। वैसे सरकार के वर्तमान नीति-नियंता ही नहीं, माओ-नक्सल-आतंकवाद के करोड़ों के धंधे के मालिक लोग भी ५-स्टार से कम की सुविधाओं में नहीं बैठते होंगे।<br /><br />@ जंगलो में टैंक ... <br />- फिर वही बात, भारत कम्युनिस्ट, लेनिनवादी, माओवादी देश नहीं है, इसलिए आपके अतिवादी सुझाव यहाँ नहीं चलाने वाले। लेकिन यह तय है कि माओवाद की हिंसा को मिटाना ज़रूरी है, भले ही उसका सही हल आपके और मेरे दिमाग से आगे की बात हो।<br /><br />@ और भी बाते है फिर से आती हूँ |<br />- स्वागत है। याद रहे कि जो जनता एक बार लोकतन्त्र की स्वतन्त्रता का स्वाद चख चुकी है वह अतिवादी कम्युनिस्ट (या सैनिक, धार्मिक कोई भी तानाशाही ) नियंत्रण की सज़ा कभी मंजूर नहीं करेगी। संस्कृति के विकास का मार्ग आगे की ओर चलता है, पीछे की ओर नहीं ...Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-21151291223334819372013-06-02T22:54:56.458-04:002013-06-02T22:54:56.458-04:00देखती हूँ कि अब भी आँखों पर पट्टियां हैं।
लोकतांत...देखती हूँ कि अब भी आँखों पर पट्टियां हैं। <br />लोकतांत्रिक सरकार में अनेकों खामियां हो सकती हैं। लेकिन सुधार की बदलाव की गुंजाईश होतीहै। दुर्भाग्य से (?) हम लोकतंत्र को ही गलत साबित करने का प्रयास कर रहे हैं। जिस सिस्टम को बुरा कहा जा रहा है वही बुरा कह पाने का अधिकार दे रहा है। इन लोगों को कम्युनिज्म का एक एक्ष्पिरिएन्स अवश्य होना चाहिए था।Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-75683134060158342812013-06-02T22:37:11.813-04:002013-06-02T22:37:11.813-04:00टाइपो सुधार: टरकी हुई है = तरक्की हुई है।टाइपो सुधार: टरकी हुई है = तरक्की हुई है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-16568856576150667582013-06-02T22:03:57.934-04:002013-06-02T22:03:57.934-04:00@मेहनत
- जी नहीं, आलेख में बिलकुल साफ दिखने वाली ...@मेहनत <br />- जी नहीं, आलेख में बिलकुल साफ दिखने वाली बातें सहजता से कही गई हैं, मेरे अन्य आलखों जितनी मेहनत की ज़रूरत नहीं पड़ी। हाँ, आपकी टिप्पणी सचमुच मेहनत से की गई लगती है, उसके लिए बधाई, धन्यवाद और आभार!<br /><br />@ १- कम्यूनिज़्म, लोकतन्त्र, ६० साल में गरीबी<br />- सत्य को आप डिनाई नहीं कर सकतीं। लोकतन्त्र के 6 दशकों में न केवल अधिक प्रतिशत का जीवन स्तर सुधारा है, स्वास्थ्य, परिवहन एवं अन्य सभी सुविधाएं बेहतर हुई हैं। कुपोषण, बालमृत्यु, लाइफ-एक्सपेक्टेनसी, महामारियाँ, शिक्षा, सिंचाई, बिजली आदि हर क्षेत्र में टरकी हुई है। हम आज भी वहाँ भले न हों जहां होना चाहिए था उसके लिए लेकिन चीन,पाकिस्तान से युद्ध के साथ-साथ माओवाद, जिहाद आदि जैसे आंतरिक विध्वंसों का भी बड़ा हाथ है। पड़ोसी चीन में कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा थोपे गए मानव-निर्मित अकाल में छह करोड़ से अधिक लोग भूखे मार दिये गए थे। इतना ही नहीं, वहाँ आज भी इस अकाल का ज़िक्र करना अक्षम्य अपराध है। यह लोकतन्त्र ही है जहां लोग देशद्रोहियों की तारीफ में भी कसीदे पढ़ सकते हैं और इस खूबी के बावजूद भी लोकतन्त्र की ही बुराई कराते हैं, कैसी सोच है यह? <br /><br />@ २ व ३- नक्सलवाद, विचारधारा, फिरौती, सरकार, टैक्स, आदिवासियों हिंसा ... <br />- सचमुच माओवाद/नक्सलवाद फिरौती, लूट, बलात्कार, हत्या और आतंक का ही दूसरा नाम है। यह भी सच है कि सरकार में लाख कमियाँ हैं, वे न होतीं तो इस लेख की ज़रूरत ही नहीं थी। लेकिन माओवादी दानवता की कोई भी तुलना लोकतान्त्रिक सरकार से करना सफ़ेद झूठ से कम नहीं है। माओवादियों की तरह सरकार बच्चों को स्कूल से खींच-खींच कर हथियार थामकर अपनी सेना या पुलिस में भर्ती नहीं करती है न ही मुकाबलों के समय उन्हें दीवार बनाकर नृशंसता से इस्तेमाल करती है, माओवादी ऐसा अक्सर करते हैं और खुद भाग जाते हैं, काश आप कभी इस मुखरता से उनके इस दानवी व्यवहार के बारे में लिख पातीं। लोकतन्त्र है, संपत्ति है तो टैक्स भी होगा, शिकायत कैसी। एक बार कम्यूनिज़्म में रहकर देखिये, व्यक्तिगत संपत्ति के साथ व्यक्तिगत अभिव्यक्ति (ब्लॉग और टिप्पणी भी) का असफल प्रयास भी लेबर कैंप भेजकर देशसेवा करवा देगा। <br /><br />@ ४- नक्सली, विकास, कुपोषण, मुंबई ... <br />- सरकार को बहुत कुछ करना है। लोकतान्त्रिक स्वतन्त्रता के साथ रह रही संसार की सबसे बड़ी जनसंख्या को संभालना खानदानी दुकान चलाने के मुक़ाबले थोड़ा जटिल होता है। आप नक्सलियों की हत्याओं की तुलना इस कुपोषण से कर रही हैं तो इतना भी ध्यान दीजिये कि यह नक्सली उन कुपोषित बच्चों के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं बल्कि जहां खुद प्रभाव में हैं वहाँ भी सड़कें और स्कूल तोड़कर कुपोषित बच्चों का मानसिक, शारीरिक शोषण ही कर रहे हैं। माओ-नक्सल-आतंकवाद की इस बुराई का कोई भी जस्टीफ़िकेशन सही नहीं है। <br /><br />@५ - सलवा जूडूम ... मुझे भी एक हथियार दिया जाये , फिर देखिये मै कितनी को निपटा देती हूँ | <br />- सलवा जूडूम परफेक्ट नहीं था यह मैंने लेख में कहा ही है, लेकिन देशवासियों को आत्मरक्षा का पूर्ण अधिकार है। आप उत्तर कोरिया में नहीं रहतीं। लोकतन्त्र में आप को हथियार रखने का पूरा प्रिविलेज है। मैं क्या, सरकार और माओ-नक्सल-आतंकवादी भी आपको नहीं रोक सकते। उठाइए एक हथियार और निबटा दीजिये कुपोषण की वह समस्या जिसे आपने लोकतन्त्र की कमी के एक उदाहरण के रूप में अभी पेश किया है। Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-86389940125741605272013-06-02T06:44:51.590-04:002013-06-02T06:44:51.590-04:00किसी की हिंसा दूसरे की समस्या हो सकती है, बहुत हल्...किसी की हिंसा दूसरे की समस्या हो सकती है, बहुत हल्के से लिया जा रहा है इस संवेदनशील विषय को।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-74717074062367001712013-06-02T05:13:46.429-04:002013-06-02T05:13:46.429-04:00समस्या का विस्तृत विश्लेषण ... और एक मात्र रास्ता ...समस्या का विस्तृत विश्लेषण ... और एक मात्र रास्ता लोकतंत्र .... पर स्वास्थ लोकतंत्र न की जैसा अपने देश में है ... हर कोई अपना कार्ड खेलना चाहता है ... मूल समस्या को जिन्दा रखना जिससे की स्वार्थ पूरा हो सके ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-13561885094127330222013-06-01T23:38:51.145-04:002013-06-01T23:38:51.145-04:00हे भगवान...... बहस तो बहरहाल अपनी जगह, हम तो यही क...हे भगवान...... बहस तो बहरहाल अपनी जगह, हम तो यही कहेंगे कि Rs. 5100/- वाली तीन सारवान टिप्पणियां अंशुमाला जी ने की हैं जो कि इस विषय और बहस को विशेष गरिमा प्रदान कर रोचक बना रही हैं. <br /><br />ताऊ अदालत फ़र्मान जारी करती है कि अनुराग जी आप इन्हें Rs.15,300/- का बैक ट्रांसफ़र तुरंत भिजवायें.:)<br /><br />रामराम. ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.com