tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post442364258996648618..comments2024-03-23T20:44:05.692-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: इंडिया बनाम भारत बनाम महाभारत ... Smart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger92125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-41937353690162307762013-01-21T06:10:10.611-05:002013-01-21T06:10:10.611-05:00यह सच है की भारत में अक्सर सभी बुराईयों को पश्चिम ...यह सच है की भारत में अक्सर सभी बुराईयों को पश्चिम की देन बता दिया जाता है जबकि यह सही नहीं है... लेकिन यह भी गलत नहीं है की कुछ असर तो पड़ा ही है देश पर पश्चिम की विकृतियों का...<br />पश्चिम कोई साफ़ सुथरा और आदर्श जगह नहीं है और भारत में सब खामियां ही है ऐसा भी नहीं है... <br />सब जगह गुण दोष होते हैं, दोषों का उपाय ढूंढना चाहिए न की उससे बचने के लिए एक - दुसरे पर दोषारोपण करना चाहिए...<br />आज कल में ही यह समाचार बीबीसी से जारी हुआ है जो पश्चिम को भी आईना दिखता है - <br /><br />ब्रिटिश सेक्स गैंग की करतूत: नशा देकर बच्चियों से सालों करते रहे रेप... लंदन की एक अदालत में इस मामले की सुनवाई की जा रही है। अदालत भी ऑक्सफोर्ड के नौ लोगों के गैंग के कारनामे सुनकर दंग रह गई। इन लोगों पर 11 साल की उम्र तक की आधा दर्जन लड़कियों को करीब आठ सालों तक नशा देकर उनका बलात्कार करने के मामले की सुनवाई हो रही है। ऐसी स्थिति अमेरिका सहित दूसरे देशों में भी है... भारत भी अछूता नहीं है लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-42047147022721545362013-01-18T00:55:39.008-05:002013-01-18T00:55:39.008-05:00humm..........bahut zor parta hai.......gahre pani...humm..........bahut zor parta hai.......gahre pani utarne ke liye.....<br /><br />manthan jari rahe.........<br /><br /><br />pranam chachuसञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-32288438207721490062013-01-15T03:20:33.229-05:002013-01-15T03:20:33.229-05:00"-अब भी आप न समझें तो ..भगवान ही बचाए पश्चिम ..."-अब भी आप न समझें तो ..भगवान ही बचाए पश्चिम के अंध-पिट्ठू पढ़े-लिखे मूर्खों से इस देश को"<br /><br />नमन आपकी इस विनम्रता को. :)PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-19597118244249132072013-01-15T01:49:29.925-05:002013-01-15T01:49:29.925-05:00टिप्पणी में "संस्कृति" कृपया सही शब्द स...टिप्पणी में "संस्कृति" कृपया सही शब्द समझे दो तिन जगह टायपिंग मिस्टेक है !Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-32421760852796032302013-01-14T22:25:30.268-05:002013-01-14T22:25:30.268-05:00बिलकुल सही कहा आपने सहमत हूँ .....आंतरिक दृष्टी दे...बिलकुल सही कहा आपने सहमत हूँ .....आंतरिक दृष्टी देने वालों का ज्ञान खुद संदिग्ध है!धर्म और विज्ञानं जब तक एक नहीं होते मनुष्य के सुख और विकास की बात व्यर्थ है !Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-84976073132186627182013-01-14T22:19:38.949-05:002013-01-14T22:19:38.949-05:00जो अन्तर्विषक ज्ञान है- वही सनातन-धर्म का प्रधान अ...<b> जो अन्तर्विषक ज्ञान है- वही सनातन-धर्म का प्रधान अंग है। लेकिन बिना पहले बहिर्विषयक ज्ञान हुए, अन्तर्विषयक ज्ञान असंभव है। स्थूल देखे बिना सूक्ष्म की पहचान ही नहीं हो सकती। बहुत दिनों से इस देश में बहिर्विषयक ज्ञान लुप्त हो चुका है- इसीलिए वास्तविक सनातन-धर्म का भी लोप हो गया है। सनातन-धर्म के उद्धार के लिए पहले बहिर्विषयक ज्ञान-प्रचार की आवश्यकता है। इस देश में इस समय वह बहिर्विषयक ज्ञान नहीं है- सिखानेवाला भी कोई नहीं, अतएव बाहरी देशों से बहिर्विषयक ज्ञान भारत में फिर लाना पड़ेगा।</b><br />~ आनंदमठ के अंतिम पृष्ठ से <br />Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-37286871790367672212013-01-14T21:58:04.014-05:002013-01-14T21:58:04.014-05:00पूर्व पश्चिम संस्कृति को मै इस प्रकार से देखती हूँ...पूर्व पश्चिम संस्कृति को मै इस प्रकार से देखती हूँ .....<br /><br />देश यदि शरीर है तो संस्कृति उस देश की आत्मा है ! पूर्व की संस्कृति से धर्म विकसित हुआ जिसने जन्म दिया आध्यात्म वाद (धर्म से मतलब संप्रदाय नहीं "मै कौन हूँ "इस तत्व को जाननेका विज्ञानं )पश्चिम की संस्कृति से विज्ञानं विकसित हुवा जिसने जन्म दिया भौतिक वाद जिससे मनुष्य साधन संपन्न तो बहुत हुआ पर आत्मा के तल पर कोई विकास नहीं हुआ ! पूर्व ने भौतिक सुखों को अनदेखा किया आत्मा को ही सर्वोपरि माना, पश्चिम ने आत्मा को अनदेखा किया भौतिक सुखों को ही सर्वोपरि माना इसीकारण आज हम देखते है दोनों संस्कृतियों में एक दुसरे के प्रति निंदा का भाव भी है आकर्षण भी है ! आज हमारे ही शहर में हर घर का कमसे कम एक व्यक्ति अमेरिका में है ! डॉलर्स का नाम सुनते ही भारतीयों के मुह से लार टपकती है ! उनके डालर्स के प्रति तो प्रेम और संकृति के प्रति निदा यह दोगला पन है इनमे, हमारे यहाँ के नेता संत महंत सब इसी श्रेणी में आते है ! पश्चिम की संकृति यहाँ का रुख करने का कारण वही था ओशो के आश्रम में,भौतिक सुखों से वे भी उब गए है आत्मा की उन्हें तलाश है और इन्हें भौतिक सुखों की, मेरी बहन सालों से अमेरिका में है उसकी बातों से मुझे लगा आपके कहे अनुसार मेरी समझ के अनुसार आज जिस हालातों से हमारा देश गुजर रहा है उसे देखते हुए ...पाश्चात्य संकृति कई बेहतर लगती है मुझे ! लेकिन मेरा अपना मानना यही है कि, जब तक भौतिक सुखों की जरुरत को नहीं समझेंगे तब तक आत्मा का विकास भी संभव नहीं है !रही होगी कभी हमारी संकृति उन्नत लेकिन आज नहीं है ...निचे से लेकर ऊपर तक सबका पतन मुझे तो दिखाई दे रहा है ! बलात्कारी एक दिन में पैदा नहीं होता इसके लिए मै जिम्मेदार मानती हूँ माता -पिता को, समाज को,शिक्षा को , कानून को संकृति को !<br />Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-42367734721348505472013-01-14T10:46:43.734-05:002013-01-14T10:46:43.734-05:00अभी तो यही पता नहीं है कि यह किस भरत का भारत है ,...अभी तो यही पता नहीं है कि यह किस भरत का भारत है ,दौष्यन्ति भरत या ऋग्वेद में आये भरतों का? <br />हम किसे कोसें? Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-62115244247983648442013-01-14T03:24:45.183-05:002013-01-14T03:24:45.183-05:00कुछ गिने चुने अपराधो की वजह से भारतीयता नस्ट नहीं ...कुछ गिने चुने अपराधो की वजह से भारतीयता नस्ट नहीं होनी चाहिए |हर देश की अच्छाईयों को ग्रहण करनी चाहिए |सुन्दर एवं सोंचनीय आलेख |आप को मकर संक्रांति की शुभकामनाएं |G.N.SHAWhttps://www.blogger.com/profile/03835040561016332975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-81103837078724429572013-01-13T09:30:04.448-05:002013-01-13T09:30:04.448-05:00विचारणीय आलेख ....अभी सिर्फ पढ़कर जा रही हूँ !
चर्...विचारणीय आलेख ....अभी सिर्फ पढ़कर जा रही हूँ !<br />चर्चा जारी रखे बहुत सारे महत्वपूर्ण मुद्दे है इसपर स्वस्थ चर्चा होनी जरुरी है <br />फिर आऊँगी !Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-76901179574561283302013-01-13T07:55:29.138-05:002013-01-13T07:55:29.138-05:00@ पश्चिम की कन्याओं के लिए ये कहना ही सबका कौमार्य...@ पश्चिम की कन्याओं के लिए ये कहना ही सबका कौमार्य भंग रहता है, बहुत बड़ा दोषारोपण है, सम्हल कर बात करना डॉ साहेब के हित में होगा।<br /><br />हाँ - और बिना कन्याओं को जाने उन पर इतने गंभीर अनर्गल आरोप - बल्कि आरोप नहीं, निर्णय - जड़ देने वाले लोग स्वयं को सुसंस्कृत मानते हैं , और दूसरों को संस्कारहीन कहते हैं :( ।<br /><br /> शर्म भी आती है और क्रोध भी - किन्तु किया क्या जाए ? ऐसी अनर्गल बातें कहने का अधिकार इन्हें "भारतीय सिस्टम" ही दे रहा है - यह हमारी ही कमी है कि ऐसे मिथ्या आरोपण करने वालों के लिए दंड का प्रावधान नहीं है - नहीं तो ये विष वृक्ष उसी नन्ही स्थिति में उखाड़ दिए जाते - और इतने बढ़ते ही नहीं की खुले रूप में भयंकर अनाचार हो पाते । किन्तु अफ़सोस - अपने आप को संस्कृति के रक्षक कहने वाले लोग खुद ही ऐसे शाब्दिक व्यभिचार में लिप्त रहते हैं ....<br /><br />जिस भारतीय संस्कृति की ये दुहाई दे रहे हैं - उसी संस्कृति में राम ने रावण से युद्ध जीत लेने पर भी उनके परिवार के स्त्रियों को पूरा सम्मान दिया , मंदोदरी आदि पर कोई आक्षेप / आघात नहीं हुए । रावण से इतना भीषण वैर रहा होने होने के बावजूद भी । और ये आज के अपने आप को राम के अनुयायी समझने वाले लोग, उन मासूम अनजान "पश्चिमी" कन्याओं के चरित्र पर ऐसे भीषण आघात कर रहे हैं , बिना लज्जित हुए ।<br />Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-68205050417082990092013-01-13T07:34:16.127-05:002013-01-13T07:34:16.127-05:00हाँ - यह सेवा भाव और सत्यता जब तक हम अपने चरित्र म...हाँ - यह सेवा भाव और सत्यता जब तक हम अपने चरित्र में दुबारा अंगीकार नहीं करेंगे, हम पतन की ओर निरंतर अग्रसर होते ही चले जायेंगे ।<br /><br />वैसे, सिर्फ जानकारी के लिए भर कह रही हूँ - बिना अपना ब्लॉग बनाए भी अपने नाम से टिपण्णी दे सकते हैं हम लोग - सिर्फ इतना है कि इसे खोलने से पहले दूसरी विंडो में हम लॉग इन रहे । फिर टिप्पणी में नीचे ऑप्शन आता है - इस रूप में टिप्पणी करें - उसमे गूगल प्रोफाइल टिक करना है ।Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-74335602208406446952013-01-13T03:02:33.511-05:002013-01-13T03:02:33.511-05:00पराया पकड़ नहीं पाए अपने को छोड़ दिया ...
हमने शा...पराया पकड़ नहीं पाए अपने को छोड़ दिया ... <br />हमने शायद बुरी बातों को ग्रहण किया है ... पश्चिम की अनेकों बातें जो आज देश समाज को लेनी चाहियें उन्हें पश्चिम के गलत बातों के आगे हम ग्रहण नहीं करते ओर गलत बातों को पिछले दरवाजे से अनदार लेते रहते हैं ... इस हिप्पोक्रेसी स बाहर आना होगा हमें ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-62483790613360792872013-01-12T23:25:24.353-05:002013-01-12T23:25:24.353-05:00@@@ तो बुद्धिमान कौन हुआ, जो कभी जंगली थे और अब इं...@@@ तो बुद्धिमान कौन हुआ, जो कभी जंगली थे और अब इंसान बन गए, या फिर वो जो इंसान बनने का दावा करते हैं और अब जंगली बन गए ...<br />बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी पाले हुए हैं लोग कि जिस संस्कृति को लोग भारतीयता का नाम दे रहे हैं वो सिर्फ भारत में है ...दुनिया के अधिकाँश देशों में सामाजिक संरचना ऐसी ही है। हाँ उन देशों में भरपूर ईमानदारी है, सहिष्णुता है, आपसी मैत्री भाव है, जिसका आकाल है भारत में ...<br />पश्चिम का कोई लेना देना नहीं है, आज के भारत के गिरते हुए चरित्र से । मैं फिर कहती हूँ, अपनी गलतियों की जिम्मेदारी आपको खुद ही लेना होगा, आपने जो भी अपनाया अपनी मर्ज़ी से अपनाया। आपका अपना चोईस है ये, आपने पश्चिम के अवगुण (जिसे वो लोग भी अवगुण ही मानते हैं) को ख़ुशी-ख़ुशी अपना लिया और सार दोष उन पर मढ़ दिया ...मैं पश्चिम में रहती हूँ, लेकिन अपने परिवार को एक अनुशासन में रखने की कोशिश करती हूँ, बहुत हद तक सफल भी हूँ। आप यहाँ रह कर भी ऐसा नहीं कर पा रहे तो ये आपकी काहिली है, किसी और का दोष नहीं। स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-77408359370899474342013-01-12T22:45:28.482-05:002013-01-12T22:45:28.482-05:00Good article...Good article...Vivek Guptahttps://www.blogger.com/profile/14118755009679786624noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-90510811155517724742013-01-12T22:44:59.329-05:002013-01-12T22:44:59.329-05:00Good articleGood articleVivek Guptahttps://www.blogger.com/profile/14118755009679786624noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-54954788627496668912013-01-12T22:29:19.545-05:002013-01-12T22:29:19.545-05:00कभी विनम्रता रही होगी हमारी संस्कृति की पहचान, लेक...कभी विनम्रता रही होगी हमारी संस्कृति की पहचान, लेकिन आज हिन्दुस्तान में पाँव धरते ही उदंडता का ही सामना होता है। लगता है सारी विनम्रता जापानी ले गए। यहीं देखिये, विनम्रता की पैरवी करने वाले डॉ साहब कितने विनम्र नज़र आ रहे हैं :) अब विनम्रता के दर्शन दुर्लभ हैं हिन्दुस्तान में। इसके लिए भी पश्चिम ही दोषी होगा क्योंकि सबकी विनम्रता टके पसेरी वो खरीद कर ले गए हैं। है न !!<br />बन्दूक की नोक पर पश्चिम ने नहीं कहा है उनकी सभ्यता अपना लेने को, आप लोग उनकी हर छोड़ी हुई चीज़ अपना रहे हैं। अजी हम तो कहते हैं अगर भारत, पश्चिम का अंश मात्र भी 'गुण' अपना ले तो, भारत का बेडा पार हो जाएगा।<br />पश्चिम ने तो लखनवी अंदाज़ अपना लिया है, पग-पग पर आपको पहले आप, पहले आप देखने को मिल जाएगा, लेकिन वाह रे हिन्दुस्तान, यहाँ तो, पहले मैं, पहले मैं की ही तूती बोल रही है ...स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-22897323955791357282013-01-12T22:14:31.985-05:002013-01-12T22:14:31.985-05:00गज़ब बात है, भारतीय कितने आत्केंद्रित हैं। रात दिन...गज़ब बात है, भारतीय कितने आत्केंद्रित हैं। रात दिन इसी मुगालते में रहते हैं कि उनसे बेहतर कोई नहीं, शायद 'कूप मण्डूक' जैसे भाव ऐसे ही लोगों के लिए बनाया गया है। दुनिया बहुत बड़ी है और महान संस्कृतियों की कमी नहीं है, आप इटली चले जाएँ, फ़्रांस चले जाएँ, इथोपिया जैसे गरीब से गरीब मुल्क की अपनी समृद्ध संस्कृति है , जो अनुकरणीय है। लेकिन बिना मतलब अपनी संस्कृति, जो अब लुप्त प्राय है का ढिंढोरा पीटना भारतीयों का प्रिय शगल है ... डॉ श्याम, डॉ क्यों बने वैद्यराज ही बन जाते और आयुर्वेद का प्रसार ही करते, कम से कम हमारे ऋषि-मुनियों का भला हो जाता, डॉ बनकर उन्होंने पश्चिम को ही आत्मसात किया है ....<br />इस तरह की बकवास न ही करें तो बेहतर होगा क्योंकि पश्चिम की कन्याओं के लिए ये कहना ही सबका कौमार्य भंग रहता है, बहुत बड़ा दोषारोपण है, सम्हल कर बात करना डॉ साहेब के हित में होगा।स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-808143601309051572013-01-12T21:08:02.797-05:002013-01-12T21:08:02.797-05:00डॉ श्याम,
किस गधे ने आपको ये सब बता दिया है ?
सच ...डॉ श्याम,<br />किस गधे ने आपको ये सब बता दिया है ?<br />सच तो ये है कि आप ही अपने आप में एक ज्वलंत उदहारण हैं, जिसे न पश्चिम का ज्ञान है न ही कोई समझ ...<br />आपको पश्चिमी सभ्यता की जानकारी नहीं है इतना तो आपकी टिप्पणियों से पता चल ही जाता था, लेकिन इतने मूढ़-मति हैं आप ये पहली बार मालूम हुआ है मुझे ... <br />अब मैं भली-भांति समझ गयी कि आपके जैसे लोग ही पश्चिम को बिना मतलब दोष देते रहते हैं।<br />अपनी अक्ल पर से पर्दा हटाइये जनाब, क्योंकि आपने बहुत बड़ी-बड़ी बातें कह दीं हैं, जिनका न कोई ओर है न छोर ...<br />भगवान् न करे कि कभी आपको इन देशों में आकर रहना पड़े क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो आप अपनी नज़रों में ऐसे गिरेंगे की खड़े होने की कोई गुंजाइश ही नहीं रहेगी <br />इतना ही कहूँगी ईश्वर आपको सद्बुद्धि दे।स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-80996965169816592652013-01-12T20:00:29.828-05:002013-01-12T20:00:29.828-05:00सच कहा, हम किस देश में पैदा हुए इसमें हमारा कोई यो...सच कहा, हम किस देश में पैदा हुए इसमें हमारा कोई योगदान नहीं है, लेकिन मरने से पहले (और बाद में भी) हम संसार की बेहतरी में कितना योगदान करते हैं वह महत्वपूर्ण है। Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-5776153724470934042013-01-12T19:54:09.459-05:002013-01-12T19:54:09.459-05:00सुज्ञ जी, बात को स्पष्ट करने का आभार! आपने ठीक कहा...सुज्ञ जी, बात को स्पष्ट करने का आभार! आपने ठीक कहा, अपनी अद्वितीय विनम्रता का श्रेय भी भारत को दे देने में एक जापानी नागरिक की उदारता झलकती है जबकि अपनी कमियों का दोष किसी काल्पनिक खलनायक को देने में हमारी गैर-ज़िम्मेदारी। समय आ गया है हम ज़िम्मेदारी लेना और अपने कर्तव्य का निर्वाह करना सीखें। Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-16863891823074094702013-01-12T19:47:44.693-05:002013-01-12T19:47:44.693-05:00जी, मानसिक, शारीरिक, चारित्रिक दुर्बलताये समाज को ...जी, मानसिक, शारीरिक, चारित्रिक दुर्बलताये समाज को खाये जा रही हैं। आपने जिस स्टेशन-बंध्याकारण की बात की, अगर ऐसा हो रहा है, तब तो बहुत ही शर्म की बात है,अभी तक मैंने तिब्बत मे चीनियों द्वारा ही ऐसे कुकृत्य किए जाने के बारे मेन पढ़ा था। Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-78704719535906796922013-01-12T19:42:32.954-05:002013-01-12T19:42:32.954-05:00@ सेवा पश्चिमी संस्कृति का हिस्सा है | भारत में ऐस...@ सेवा पश्चिमी संस्कृति का हिस्सा है | भारत में ऐसे प्रयासों की बहुत आवश्यकता है<br />- बहुत ज़रूरी मुद्दे पर ध्यान दिलाया है आपने, बच्चे अपनी शाला, घर, धार्मिक संस्थान, सभी जगह समाज सेवा का भाग बनते हैं, यहाँ तक कि कॉलेज प्रवेश, या नौकरी के लिए साक्षात्कार जैसे मौकों पर भी समाज सेवा का महत्व है। न जाने कितने अग्निशमन संस्थान समाज सेवकों द्वारा ही संचालित हैं। विद्यालय, चिकित्सालय, अनाथाश्रम, वृद्धाश्रम से लेकर खेल का मैदान या राजमार्गों की सफाई जैसे काम तक समाज सेवकों द्वारा बखूबी संभाले जा रहे हैं - इस विषय मे हम इनसे जितनी जल्दी जितना अधिक सीख सकें, राष्ट्र का उतना ही हित होगा। आभार! Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-62569186747624600292013-01-12T17:01:39.586-05:002013-01-12T17:01:39.586-05:00मानस में कहा गया है
जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूर...मानस में कहा गया है <br />जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत तिन्ह देखि तैसी <br />दूसरों को दोष दे कर बच निकलने की जगह आत्मावलोकन होना चाहिए <br />सार्थक आलेख <br />शुक्रिया Roushan Mishrahttp://www.blogger.com/profile/18259460415716394368noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-43574536438271089642013-01-12T14:48:41.888-05:002013-01-12T14:48:41.888-05:00इस ब्लॉग से परिचित करने के लिये बचपन की सखी का धन्...इस ब्लॉग से परिचित करने के लिये बचपन की सखी का धन्यवाद| बहुत अच्छा आलेख - शब्दशः सत्य | भारतीय प्रशासन, राजनीति, संस्कृति और दंड (न्याय प्रणाली) की कमियों का सच्चा विवेचन | हर समाज में, हर दौर में मानसिक रोगी, तामसी, खल प्रवृत्ति के लोग रहते रहे हैं – मात्रा का फर्क है | मात्रा का यह अंतर निर्धारित करता है कि समाज कितना उन्नत है | कोई भी भारतीय कुछ दिन भी पश्चिमी देशों में रहकर ये फर्क महसूस कर सकता है | भारत में प्रशासन ना के बराबर है, राजनीति में अपराधियों का बोलबाला है, संस्कृति नैतिकता विहीन हो गयी है ओर न्याय प्रणाली सुस्त और लचर है | <br />अनुराग जी ने उचित समाधान सुझाये हैं | निर्धनता और अशिक्षा सबल लोकतंत्र की तथा समाज की उन्नति की सबसे बड़ी रूकावट है | आवश्यकता है “अच्छे, बुद्धिमान और सक्षम” लोगों के सामूहिक प्रयासों की | जब जनता में से ऐसे लोग आगे आयेंगे तो उन्ही में से अच्छा, बुद्धिमान और सक्षम नेतृत्व भी संभव हो सकेगा | समाज सेवा पश्चिमी संस्कृति का हिस्सा है | भारत में ऐसे प्रयासों की बहुत आवश्यकता है, विशेषकर शिक्षा के क्षेत्र में | जब तक सब को शिक्षा नहीं मिलेगी, निर्धनता दूर नहीं होगी, अधिकारों के लिये जागरूकता नहीं होगी, उत्तरदाई प्रशासन नहीं होगा और लोकतन्त्र सबल नहीं होगा – समाज उन्नत नहीं होगा |<br />Anonymousnoreply@blogger.com