tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post4528747177293685698..comments2024-03-23T20:44:05.692-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: मन्युरसि मन्युं मयि देहि - अक्रोध की मांगSmart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger44125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-59009100853781834422012-05-07T23:12:23.675-04:002012-05-07T23:12:23.675-04:00सहयोग, सहिष्णुता और सहनशीलता का मूल एक ही है, जहाँ...सहयोग, सहिष्णुता और सहनशीलता का मूल एक ही है, जहाँ सहिष्णुता वैचारिक है, सहनशीलता भौतिक है। "सहोSसि सहोमयि देहि।" में इसी सह्य की मांग है।<br />सहनशीलता = शक्ति, उदारता और विवेक का संगम :)Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-41613449824111690662012-05-07T08:38:20.844-04:002012-05-07T08:38:20.844-04:00@देव एक सीमा तक सहते हैं, फिर प्रतिकार करते हैं। :...@देव एक सीमा तक सहते हैं, फिर प्रतिकार करते हैं। : <br />"sahanea" <br />is shabd par kuchh prakaash daalenge ? aapka aabahar hogaShilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-54902212696689194642012-03-28T09:14:47.840-04:002012-03-28T09:14:47.840-04:00अभय जी,
ॠजु प्रकृति का मानव ही 'है' तो ...अभय जी,<br />ॠजु प्रकृति का मानव ही 'है' तो 'था' में बदल सकता है। <br />आपके संकल्प का अभिनंदन!! <br />अनुराग जी का आभार कि यह आलेख किसी के अन्तर्मन को निर्मल करने में सहायक सिद्ध हुआ।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-78160187644984062972012-03-27T13:03:52.503-04:002012-03-27T13:03:52.503-04:00आवेश, अहंकार, नियंत्रण, स्वार्थ, संकीर्णता, क्रोध,...आवेश, अहंकार, नियंत्रण, स्वार्थ, संकीर्णता, क्रोध, शारीरिक या मानसिक कमज़ोरी, भावुकता, अकारण आहत होना, बड़बोलापन --- ये सब मुझमे है ( था ) <br /><br /><br /><br />बल, सहनशक्ति, अन्याय का प्रतिकार, संतत्व से प्रेम, उदारता, दया, करुणा, वात्सल्य, अहंकार का अभाव, उत्साह,मेधा------ ये सब लाने की कोशीश करुगा --ये वचन देता हू ,आपका बहुत आभार व्यक्त करता हू बात करने के लिए .धन्यवादAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-83111449314888097482012-03-27T13:01:56.332-04:002012-03-27T13:01:56.332-04:00आवेश, अहंकार, नियंत्रण, स्वार्थ, संकीर्णता, क्रोध,...आवेश, अहंकार, नियंत्रण, स्वार्थ, संकीर्णता, क्रोध, शारीरिक या मानसिक कमज़ोरी, भावुकता, अकारण आहत होना, बड़बोलापन --- ये सब मुझमे है ( था ) <br /><br /><br /><br />बल, सहनशक्ति, अन्याय का प्रतिकार, संतत्व से प्रेम, उदारता, दया, करुणा, वात्सल्य, अहंकार का अभाव, उत्साह,मेधा------ ये सब लाने की कोशीश करुगा --ये वचन देता हू ,आपका बहुत आभार व्यक्त करता हू बात करने के लिए .धन्यवादAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-87511773419506963632011-11-27T08:38:42.679-05:002011-11-27T08:38:42.679-05:00ek "manyu" naamdhaari yahaan bhi :)
ऋषि...ek "manyu" naamdhaari yahaan bhi :)<br /><br />ऋषि भरद्वाज (विटठल) के पुत्र हैं - मन्यु <br />- जिनके पुत्र हैं - नर<br />- उनके पुत्र सन्क्रिति<br />- उनके पुत्र हैं रंतिदेवShilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-72288228961755551772011-11-16T13:04:53.956-05:002011-11-16T13:04:53.956-05:00जिज्ञासुओं एवं भ्रमितों के लिए एक अत्यावश्यक आलेख....जिज्ञासुओं एवं भ्रमितों के लिए एक अत्यावश्यक आलेख. मननीय एवं अनुकरणीय. अनुराग जी को साधुवाद ! बहुत स्पष्ट तरीके से ....सरल शब्दों में व्याख्या की है उन्होंने. बस इतना और जोड़ना चाहूंगा ...... <br /><br />स्वार्थ के उपहत होने से तामसिक वृत्ति के लोगों में प्रतिशोध की भावना से उत्पन्न हुआ मानसिक विकार क्रोध है जो अनियंत्रित होने पर स्वाधिष्ठान के साथ-साथ अपनी चपेट में आने वाले जड़/चेतन सभी को क्षति पहुंचाने के पश्चात ही शांत हो पाता है.<br />अन्याय, अधर्म, अनीति आदि निंदनीय कृत्यों के प्रतिकार करने एवं न्याय,धर्म, नीति आदि प्रशस्त कृत्यों की पुनर्स्थापना के पवित्र भाव के साथ मन की दृढ संकल्पना का भाव ही मन्यु है जो लोक कल्याणकारी परिवर्तनों के द्वारा सुव्यवस्था का कारण बनता है. क्रोध के विपरीत मन्यु का उद्देश्य स्वार्थ न होकर लोक कल्याण होता है <br />क्रोध एक ऐसा आवेग है जिसमें तामसिक भाव की प्रधानता होती है. जबकि मन्यु एक ऐसी प्रशांत ऊर्जा है जिसमें सात्विक भाव की प्रधानता होती है..बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-28424779612074768412011-11-16T03:34:09.000-05:002011-11-16T03:34:09.000-05:00क्रोध रक्त का अस्थाई उबाल है, जबकि मन्यु मन में न्...क्रोध रक्त का अस्थाई उबाल है, जबकि मन्यु मन में न्यायप्रियता की निर्भय अवस्था है। <br />.......<br /><br />कोई क्रूर लोग क्रोध में विकृत अट्टाहास भले लगा लें परंतु आनन्द और प्रसन्नता का क्रोध से विलोम सम्बन्ध है। लेकिन क्या हम साहस और आवेश में अन्तर कर पाते हैं? वीरता और क्रूरता को भिन्न समझते हैं? जिस प्रकार क्षमा और द्वेष साथ रह ही नहीं सकते, उसी प्रकार मन्यु और क्रोध साथ नहीं रह सकते। क्रोध में भावुकता है जबकि मन्यु में भावनात्मक परिपक्वता (इमोशनल इंटैलिजेंस) के साथ दृढता और सहनशीलता है। क्रोध अविवेकी है और उसके कारक विषाद, विभ्रम, भय, अज्ञान या अहंकार हो सकते हैं। ...<br /><br /><br /><br />मुग्धभाव से पढ़ा, मनन किया और अभी निशब्दता की स्थति में पहुँच गयी...क्या कहूँ...?<br /><br />कितने ही उलझे धागों को सुलझा दिया आपने इस सुन्दर विवेचना से...<br /><br />आभार व्यक्त karne को shabd nahi mere paas...<br /><br />maa sharda sada सहाय रहें आपपर...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-80129871888346161932011-11-13T12:56:19.218-05:002011-11-13T12:56:19.218-05:00pranaam hai aapko - si aalekh ke liye |pranaam hai aapko - si aalekh ke liye |Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-34699539362409960952011-11-11T21:19:14.969-05:002011-11-11T21:19:14.969-05:00सोच रहा हूँ , किन शब्दों में आभार व्यक्त किया जाए...सोच रहा हूँ , किन शब्दों में आभार व्यक्त किया जाएएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-40561295971676187202011-11-11T19:56:20.024-05:002011-11-11T19:56:20.024-05:00मानव-जीवन को सहजता से निभाने में यह पोस्ट कारगर सि...मानव-जीवन को सहजता से निभाने में यह पोस्ट कारगर सिद्ध हो सकती है.मन्यु के बारे में विस्तृत जानकारी पहली बार मिली !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-37217256205768591422011-11-11T05:34:26.201-05:002011-11-11T05:34:26.201-05:00मुग्ध करने लायक विश्लेषण ! अत्यंत प्रशंसनीय...
&#...मुग्ध करने लायक विश्लेषण ! अत्यंत प्रशंसनीय...<br /><br />'मन्यु' पर वैदिक संदर्भ में विस्तृत व्याख्या के लिए <a href="http://members.multimania.co.uk/vedastudy/pur_index22/manyu.htm" rel="nofollow">यह लिंक</a> भी द्रष्टव्य है, जिसमें कहा गया है:<br /><br />"ऋग्वेद में मन्यु शब्द ५३ बार प्रकट हुआ है । इनमें से ४१ स्थानों पर इस शब्द की व्याख्या सायणाचार्य द्वारा वैदिक निघण्टु के अनुरूप ही क्रोध अर्थ में की गई है, दो स्थानों पर तेजस् रूप में तथा तीन स्थानों पर स्तोत्र रूप में।"<br /><br />"महर्षि दयानंद ने मन्यु को बोध जन्य क्रोध बताया है."<br /><br />यजुर्वेद 19.9 में प्रार्थना है :<br /><br />"मन्युरसि मन्युं मयि धेहि...<br />- हे दुष्टों पर क्रोध करने वाले (परमेश्वर) ! आप दुष्ट कामों और दुष्ट जीवों पर क्रोध करने का स्वभाव मुझ में भी रखिये."सृजन शिल्पीhttp://srijanshilpi.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-61030004734634246312011-11-10T09:32:01.381-05:002011-11-10T09:32:01.381-05:00मननीय आलेखमननीय आलेखAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/04417160102685951067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-57329379364365713822011-11-10T09:11:28.860-05:002011-11-10T09:11:28.860-05:00दोनो पोस्टें अद्वितीय हैं!
धन्यवाद।
क्रोध के विष...दोनो पोस्टें अद्वितीय हैं! <br />धन्यवाद। <br />क्रोध के विषय में "पतन की सीढ़ी" गीता में स्पष्ट की गयी है - <br />क्रोधात्भवति सम्मोह: सम्मोहात्स्मृतिविभ्रम: स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-53777967566350473062011-11-10T04:35:22.385-05:002011-11-10T04:35:22.385-05:00सादर नमन
आपका ब्लॉग देखा, बेहद अच्छा लगा!
यह अत्यं...सादर नमन<br />आपका ब्लॉग देखा, बेहद अच्छा लगा!<br />यह अत्यंत सार्थक प्रयास है! हमारी शुभकामनाएं!!<br />सारिका मुकेशसारिका मुकेश https://www.blogger.com/profile/03341618267894745278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-13222316383496253492011-11-10T04:35:10.395-05:002011-11-10T04:35:10.395-05:00सादर नमन
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यह अत्यं...सादर नमन<br />आपका ब्लॉग देखा, बेहद अच्छा लगा!<br />यह अत्यंत सार्थक प्रयास है! हमारी शुभकामनाएं!!<br />सारिका मुकेशसारिका मुकेश https://www.blogger.com/profile/03341618267894745278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-53239155761043103832011-11-10T04:35:07.903-05:002011-11-10T04:35:07.903-05:00सादर नमन
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यह अत्यं...सादर नमन<br />आपका ब्लॉग देखा, बेहद अच्छा लगा!<br />यह अत्यंत सार्थक प्रयास है! हमारी शुभकामनाएं!!<br />सारिका मुकेशसारिका मुकेश https://www.blogger.com/profile/03341618267894745278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-69277063827345070002011-11-10T04:34:53.188-05:002011-11-10T04:34:53.188-05:00सादर नमन
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यह अत्यं...सादर नमन<br />आपका ब्लॉग देखा, बेहद अच्छा लगा!<br />यह अत्यंत सार्थक प्रयास है! हमारी शुभकामनाएं!!<br />सारिका मुकेशसारिका मुकेश https://www.blogger.com/profile/03341618267894745278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-52471398564331597432011-11-09T14:51:56.083-05:002011-11-09T14:51:56.083-05:00हतप्रभ हूँ कि पहले कभी मन्यु के बारे में इतना विस्...हतप्रभ हूँ कि पहले कभी मन्यु के बारे में इतना विस्तार से नहीं पढ़ने को मिला। लेख के लिए आभार।Atul Sharmahttps://www.blogger.com/profile/16469390879853303711noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-48288017016751243192011-11-09T09:16:02.957-05:002011-11-09T09:16:02.957-05:00गहन व्याख्या!गहन व्याख्या!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-29937489039240521442011-11-09T06:11:57.717-05:002011-11-09T06:11:57.717-05:00बहुत ही बढ़िया व गंभीर चिंतन भरा पोस्ट,आभार !बहुत ही बढ़िया व गंभीर चिंतन भरा पोस्ट,आभार !Humanhttps://www.blogger.com/profile/04182968551926537802noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-53032739539505161772011-11-09T05:23:27.415-05:002011-11-09T05:23:27.415-05:00sach kahu to ye lekh meri samajh to aa gaya par sh...sach kahu to ye lekh meri samajh to aa gaya par shayad meri umar ya mera bachpana ise jyada gahraai se accept nahi kar pa raha abhi.ya abhi ka mood asa nahi 1 baar fir padhungi....aur tab samjhdaron ki tarah tippani dungi:)kanu.....https://www.blogger.com/profile/16556686104218337506noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-2489157217670088592011-11-09T00:23:50.490-05:002011-11-09T00:23:50.490-05:00आप सभी के मृदु वचनों का आभार!आप सभी के मृदु वचनों का आभार!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.com