tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post4883339570119601053..comments2024-03-23T20:44:05.692-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: नायक किस मिट्टी से बनते हैं - भाग 2Smart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger40125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-66207852525169743542013-12-23T17:00:57.903-05:002013-12-23T17:00:57.903-05:00अजित जी, यह आलेख इसी भ्रम को तोड़ने का प्रयास है कि...अजित जी, यह आलेख इसी भ्रम को तोड़ने का प्रयास है कि नायक बस रातोंरात बन जाते हैं। Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-31445378962342310572011-09-11T21:21:17.584-04:002011-09-11T21:21:17.584-04:00आपके प्रश्न के उत्तर में बस अपनी टिप्पणी का पहल...आपके प्रश्न के उत्तर में बस अपनी टिप्पणी का पहला हिस्सा दुहराना पर्याप्त होगा- 'नायक तो नायक होता है.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-85619345574621433552011-09-07T22:37:06.424-04:002011-09-07T22:37:06.424-04:00@नायक लकीर से हट कर सोचते हैं. जिसे दूरदर्शिता कहा...@नायक लकीर से हट कर सोचते हैं. जिसे दूरदर्शिता कहा जा सकता है. वो कुछ इसलिए नहीं करते क्योंकि 'कोई कह गया है' या 'ऐसा ही होता है' बल्कि इसलिए क्योंकि उन्हें लगता है कि ये सही है और ऐसा होना चाहिए.<br /><br />शुक्रिया अभिषेक!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-10397237940528261212011-09-07T22:36:07.386-04:002011-09-07T22:36:07.386-04:00@ क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल ...
@ उद्यम: साहसं ...@ क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल ...<br />@ उद्यम: साहसं धैर्यं बुद्धि: शक्ति: पराक्रम: ...<br /><br />अनुज गौरव, सलिल जी,<br />इस प्रविष्टि के मूल्यवर्धन के लिये आभार।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-40109536384579117342011-09-06T02:22:00.362-04:002011-09-06T02:22:00.362-04:00दोनों कड़ियाँ आज पढ़ा. छपने और छिपने वाली बात सटीक...दोनों कड़ियाँ आज पढ़ा. छपने और छिपने वाली बात सटीक लगी. उसके अलावा तीसरी कटेगरी भी है जिसमें कुछ लोगों की महानता छाप दी जाती है. बनावटी महिमामंडन कर दिया जाता है. उनमें से कुछ समय की छलनी में छन कर साफ़ हो जाता है बाकी नहीं भी हो पाता ! <br /><br />बाकी सब गुणों के अलावा सबसे बड़ी बात मुझे ये लगती है कि नायक लकीर से हट कर सोचते हैं. जिसे दूरदर्शिता कहा जा सकता है. वो कुछ इसलिए नहीं करते क्योंकि 'कोई कह गया है' या 'ऐसा ही होता है' बल्कि इसलिए क्योंकि उन्हें लगता है कि ये सही है और ऐसा होना चाहिए.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-46356975119960430292011-09-05T23:59:50.266-04:002011-09-05T23:59:50.266-04:00क्या आप सहमत हैं कि साहस, निर्भयता, उदारता और त्या...क्या आप सहमत हैं कि साहस, निर्भयता, उदारता और त्याग वीरों के अनिवार्य गुण हैं?<br /><br />बिलकुल सहमत हैं जी ... बहुत सुन्दर विश्लेषण !Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-50215392302337950872011-09-05T21:53:53.413-04:002011-09-05T21:53:53.413-04:00संजय, देवेन्द्र, उदयवीर जी, और सुज्ञ जी
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आप चारो...संजय, देवेन्द्र, उदयवीर जी, और सुज्ञ जी<br />,<br /><br />आप चारों की ही बात से सहमत हूँ। <br /><br />--- <br />"जो जितना डरता है, उतना ही दूसरे को डराने की कोशिश करता है और जो निर्भय है, वो दूसरों को भी अभय देता है।"<br /><b>ज्ञानमयी निर्भयता</b> न केवल नायकों का एक अनिवार्य गुण है, यह हमारे समाज की बहुत सी अन्य समस्याओं का हल भी प्रस्तुत कर सकता है। <br /><br />--- <br />"राम ने रावण को क्षमा नहीं किया। उसे उसके पापों का उचित दंड देकर ही वे नायक बने।"<br /><br />सागर और परशुराम के प्रति राम का व्यवहार भिन्न था। संजय ने पिछली पोस्ट में जनरल मानेक्शा का ज़िक्र करते हुए मिलते-जुलते गुण की बात की थी। <br /><br />--- <br />"नायक देश ,काल, परिस्थतियाँ के वसीभूत होता है , फिर भी , "सरबत दा भला" मांगते हुए, आत्मोत्सर्ग करता है , नायक है / और यह ,वही कर सकता है .जिसके संस्कार में नैतिकता व प्रायश्चित का भाव होता है"<br /><br />सहमत हूँ। और अगली पीढी के संस्कार हम वयस्कों को ही बनाने हैं।<br /><br />--- <br />"नायकोत्तर चरित्र को अतिरिक्त कांतियुक्त प्रदर्शित करना सामान्य है। पर सर्वथा गुणहीन चरित्र, नायक रूप में गढ़ा नहीं जा सकता।"<br /><br />महत्वपूर्ण बिन्दु है। नकली नायकत्व की पोल भी ऐसे अवसरों पर खुल जाती है। चुनौती का सामना जीत-हार से कहीं आगे की बात है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-29034454133520014752011-09-05T21:28:19.288-04:002011-09-05T21:28:19.288-04:00डॉ. ब्रजकिशोर जी,
पंडित नेहरु से हज़ार मुद्दों पर ...डॉ. ब्रजकिशोर जी,<br />पंडित नेहरु से हज़ार मुद्दों पर असहमति होते हुए भी मुझे ऐसा लगता है कि उनका करिश्मा/सम्मोहन/व्यक्तित्व एम जे अकबर आदि के मढने से कहीं पहले और कहीं विस्तृत था। ठीक वैसे ही जैसे गांधी को रिचर्ड ऐटनबरो ने प्रसिद्ध नहीं किया बल्कि इसके उलट उसे उनकी प्रसिद्धि का लाभ मिला।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-60074729526257833752011-09-05T21:22:25.413-04:002011-09-05T21:22:25.413-04:00@नायक ही "नायको के गुण" को पारिभाषित करत...@नायक ही "नायको के गुण" को पारिभाषित करते है!<br /><br />आशीष जी,<br />यह विमर्श बस उन्हीं गुणों को पहचानने का एक प्रयास भर है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-1224825836385151202011-09-05T13:09:36.299-04:002011-09-05T13:09:36.299-04:00@ क्या वह वीर साहसी था? नहीं - वह सेवक था|
शिल्प...@ क्या वह वीर साहसी था? नहीं - वह सेवक था| <br /><br />शिल्पा जी,<br /><b>जो जो कहै ठाकुर पै सेवक, तत्काल ह्वे जावे<br />जह जह काज किरत सेवक की, तहाँ-तहाँ उठ धावै<br /></b>Smart Indian - स्मार्ट इंडियनhttp://pittpat.blogspot.com/p/selected-articles.htmlnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-83958933033554743452011-09-05T05:14:59.852-04:002011-09-05T05:14:59.852-04:00क्षमा, दया, ताप, त्याग, मनोबल,
सबका लिया सहारा,
प...क्षमा, दया, ताप, त्याग, मनोबल, <br />सबका लिया सहारा,<br />पर नरव्याघ्र सुयोधन तुमसे <br />कहो कहाँ कब हारा!<br />जब देशप्रेम की सोंधी मिट्टी में इन गुणों को मिलाकर इंसान गढे जाते हैं, तभी नायक जन्मते हैं!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-60063852242123125392011-09-05T02:07:25.240-04:002011-09-05T02:07:25.240-04:00हर वह व्यक्ति जो अपने ज्ञान और विश्वास के अनुसार ...हर वह व्यक्ति जो अपने ज्ञान और विश्वास के अनुसार सत्य के पथ पर या पर सेवा के पथ पर चले , निस्वार्थ हो कर, वह किन्ही मायनों में नायक अवश्य है | वीरता, साहस, निर्भयता त्याग - ये सभी गुण <b>डिजायरेबल</b> तो हैं एक नायक में, परन्तु <b>अनिवार्य नहीं</b> हैं |<br /><br />नहीं - यह तो माना कि ****अधिकाधिक नायक**** वीरता का प्रदर्शन करते हैं, अपने प्राण प्रतिष्ठा, सुख समृद्धि, मन सम्मान को खतरे में डाल कर लोक सेवा करते हैं - <b>परन्तु ये कहना कुछ वन साइडेड होगा कि</b> " साहस, निर्भयता, उदारता और त्याग वीरों के "अनिवार्य गुण" हैं; और वीर नायक सदैव ही सत्यनिष्ठा को अन्ध स्वामिभक्ति से ऊपर रखते हैं; " जैसा आप ने कहा कि कि "क्षमा वीरस्य भूषणं",तो क्षमा भी नायकों का गुण <b>एक अतिरिक्त आभूषण</b> के रूप में तो हो सकता है, परन्तु यह कोई अनिवार्य शर्त नहीं है नायकत्व के लिए |<br /><br />मदर टेरेसा को आप नायक कहेंगे ? <br />उस डॉक्टर को जिसने इन्फर्टिलिटी का इलाज ढूँढा ? कोढ़ का इलाज़ ढूँढा ? टि.बि. का या कैंसर का इलाज़? क्या वह वीर साहसी था ? नहीं - वह सेवक था | <br />उस लेखक क आप नायक कहेंगे जिसने अपने जीवनदीप की बत्ती को दोनों ओर से जलाए रखा और लोगों के लिए ज्ञानार्जन के लिए अनेकानेक रचनाएँ लिखीं ?<br />उस गायक को नायक कहेंगे जिसके गीतों ने कई उदास दिलों को सुकून दिया?<br />क्या बुद्ध को नायक कहेंगे जो अपनी पत्नी और पुत्र को छोड़ शान्ति की तलाश में भटके, और फिर उनके खोजे रास्ते से अनेकानेक दुखी जनों को शान्ति मिली ?<br />उस एक्टर (उदाहरण महमूद) को आप नायक कहेंगे जिसने अपने आप को एक जोक बना कर कई लोगों को हंसी का तोहफा दिया ?<br />सर्कस का एक जोकर - जो सब देखने वालों को कुछ पलों के लिए अपने गहनतम दुःख से भी छुडवा कर दो पल की हंसी देता है?<br /><br />नायकत्व के लिए यह अनिवार्य है कि व्यक्ति अपने आस पास हंसी और सुख बिखेर सके , फिर वह साहसी हो या नहीं - यह उसके नायकत्व को कम नहीं करता | हाँ, वीरता नायकत्व के लिए पौधे की खाद सा ज़रूर काम करती है |Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-57317177792504498002011-09-05T01:56:25.527-04:002011-09-05T01:56:25.527-04:00@दो महानायक: नेताजी और बादशाह खान
दुर्लभ चित्र क...@दो महानायक: नेताजी और बादशाह खान<br /><br /><br />दुर्लभ चित्र के लिए आभार..दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-48604404562671151132011-09-04T23:35:52.571-04:002011-09-04T23:35:52.571-04:00नायको के गुण नहीं होते , नायक ही "नायको के ग...नायको के गुण नहीं होते , नायक ही "नायको के गुण" को पारिभाषित करते है!Ashish Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02400609284791502799noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-78812394486904943592011-09-04T13:58:46.406-04:002011-09-04T13:58:46.406-04:00नि:संदेह साहस, निर्भयता, उदारता और त्याग वीरों के ...नि:संदेह साहस, निर्भयता, उदारता और त्याग वीरों के अनिवार्य गुणों में शामिल हैं। सिखों के दशम गुरू ने कहा था "भय काहू को देत ना, न भय मानत आन।" मेरा खुद का अनुभव ये है कि जो जितना डरता है, उतना ही दूसरे को डराने की कोशिश करता है और जो निर्भय है, वो दूसरों को भी अभय देता है। याद कीजिये कश्मीरी पंडितों का तत्कालीन सिख गुरू साहेबान श्री गुरू तेग बहादुर के पास बादशाह की ज्यादतियों की फ़रियाद लेकर जाना और उस पर उनकी यह टिप्पणी कि किसी महान आत्मा को बलिदान देना होगा। यह सुनकर पास ही खड़े उनके दस बारह साल के पुत्र ने कहा, "पिताजी, आज के समय में आपसे महान कौन है?" होता कोई लाभ-हानि, जमा-घटा देखने वाला हम जैसा जीव तो उस बालक की बात को किलोल समझकर रह जाता लेकिन श्री गुरू तेग बहादुर ने उसी समय खुद को बलिदान के लिये प्रस्तुत कर दिया। बिना साहस, निर्भयता, त्याग और उदारता के यह संभव है? <br />सत्यनिष्ठा और स्वामिभक्ति वाले मामले पर मैं खुद स्पष्ट नहीं:)शायद दोनों तरह के उदाहरण मिल जायेंगे।<br />क्षमा यकीनन नायकों का एक गुण है। धीरू सिंह जी ने जो उदाहरण दिया है, उस परिपेक्ष्य में भी वीर तो पृथ्वीराज चौहान को ही माना जायेगा न कि गौरी को। वीर होने में और बर्बर होने में अंतर है।<br />पोस्ट और उस पर आई टिप्पणियाँ अमूल्य हैं।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-86516758839238417922011-09-04T12:01:41.740-04:002011-09-04T12:01:41.740-04:00बडी मुश्किल से होता है चमन में दीदवर पैदा॥बडी मुश्किल से होता है चमन में दीदवर पैदा॥चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-3210588487831416882011-09-04T11:19:04.528-04:002011-09-04T11:19:04.528-04:00नायक किस मिटटी से........
मित्र एक कहावत है ,&qu...नायक किस मिटटी से........<br /> मित्र एक कहावत है ," डूबते जहाज का कप्तान ,सबसे आखिर में जहाज छोड़ता है ...."<br /> ---- नायक देश ,काल, परिस्थतियाँ के वसीभूत होता है , फिर भी , "सरबत दा भला" मांगते हुए, आत्मोत्सर्ग करता है , नायक है / और यह ,वही कर सकता है .जिसके संस्कार में नैतिकता व प्रायश्चित का भाव होता है ... बहुत अछे ऐतिहासिक संस्मरण अपने दिए हैं , काश! <br />हम इतिहास को सर्वजनकी नजर से देखपाते,और लिख पाते ,शहीद और गद्दार में फर्क कर पाते ,सहस और दुस्साहस को विवेचित कर पाते ...../ शुक्रिया जीओज -मयी पोस्ट के लिए /udaya veer singhhttps://www.blogger.com/profile/14896909744042330558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-74979608167549539302011-09-04T11:02:10.544-04:002011-09-04T11:02:10.544-04:00"सर जी
बादशाह जी के साथ सुभाष जी को आप ने दिख..."सर जी<br />बादशाह जी के साथ सुभाष जी को आप ने दिखाया है,तस्वीर में,पर दोनों दो अलग विचारधारा तथा ग्रुप के थे.नेहरु नेताजी से तुलनात्मक तौर पर कम संघर्षी थे .इतिहास में उन्हें अधिक जगह मिली है.सर्वपल्ली गोपाल ,बिपन चंद्र .बल राज नंदा,एम् जे अकबर आदि ने उनको मढ़ा ही तो है,गढा भले नहीं.<br /><br />नेहरु के जीवन के अंकन में अतिरंजना है जो लेखकों की भाषा के पीछे छिप जाती है."<br /><br /><br /><br />पहली टिप्पणी के बदले इसे पोस्ट करने की कृपा करेंगेDr. Braj Kishorhttps://www.blogger.com/profile/06982842671013664280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-38916269368566567682011-09-04T09:08:15.019-04:002011-09-04T09:08:15.019-04:00गंभीर चिंतन मनन से उद्भूत विचार ....क्षमा के बारे ...गंभीर चिंतन मनन से उद्भूत विचार ....क्षमा के बारे में कहा ही गया है कि उसे ही सुशोभित करती है जो शक्तिसंपन्न हो -निरीह के क्षमा का अर्थ ही क्या है ?<br />बाकी तो कुछ समाज जैविकीय प्रवृत्तियाँ होती हैं जैसे परहित में आत्मोत्सर्ग तक की प्रवृत्ति -यह मनुष्य में भी वंश/जाति/क्षेत्र-देश की रक्षा के लिए जैवीय विकास के फलस्वरूप सर्वोच्च है -मगर हाँ आश्चर्य है कि यह ज्यादातर लोगों में उतनी गहन नहीं है जितनी आपके इंगित नायकों में है और यह बहुत कुछ जन्मजात/संस्कारगत ही है -शिक्षा दीक्षा ,पारिवारिक पृष्ठभूमि ,लालन पालन ,परिवेश इसको पल्लवित करते होगें!Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-44432824555437016302011-09-04T07:55:30.608-04:002011-09-04T07:55:30.608-04:00सुन्दर विश्लेषण.सुन्दर विश्लेषण.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-73111708060474813482011-09-04T07:21:05.488-04:002011-09-04T07:21:05.488-04:00बहुत मौलिक आलेख,सहमत हूँ.बहुत मौलिक आलेख,सहमत हूँ.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-26693126561066405262011-09-04T06:39:50.120-04:002011-09-04T06:39:50.120-04:00नायक जन्मजात होते हैं, उन्हें गढ़ा या बनाया नहीं ज...नायक जन्मजात होते हैं, उन्हें गढ़ा या बनाया नहीं जाता।<br />साहस, निर्भयता, त्याग, उदारता, क्षमा आदि वीरों के स्वाभाविक गुण हैं।<br /><br />अच्छा विश्लेषण।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-73483473463989664502011-09-04T03:14:40.476-04:002011-09-04T03:14:40.476-04:00क्षमा वीरता का भूषण होता लेकिन प्रथ्वी राज चौहान क...क्षमा वीरता का भूषण होता लेकिन प्रथ्वी राज चौहान को यह भारी पड गया था गौरी को १८ बार क्षमा करकेdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-51058920791753710642011-09-04T03:04:18.703-04:002011-09-04T03:04:18.703-04:00वैसे'मीडिया मैनेजमेंट'और 'स्टिंग ऑपरेश...वैसे'मीडिया मैनेजमेंट'और 'स्टिंग ऑपरेशन' के इस दौर में नायक की छवि को गढना,और तार-तार करना चुटकियों का खेल है।यह आस्था के खंडन और अंधविश्वासों के महिमा मंडन का समय है,जहाँ संतुलित निर्णय क्षमता बनाये रखते हुए सही प्रतीकों,नायकों की खोज वाकई दुष्कर कार्य है।रोहित बिष्टhttps://www.blogger.com/profile/00332425652423964602noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-58399289307064197122011-09-04T02:54:47.100-04:002011-09-04T02:54:47.100-04:00उद्यम: साहसं धैर्यं बुद्धि: शक्ति: पराक्रम: । षडेत...उद्यम: साहसं धैर्यं बुद्धि: शक्ति: पराक्रम: । षडेतै यत्र वर्तन्ते तत्र देव सहायकृत्<br /><br /><br />बहुत अच्छी श्रृंखला चल रही है<br /><br />आभार आपका<br /><br />अजित जी की बात से भी सहमतएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.com