tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post5115192248397495153..comments2024-03-23T20:44:05.692-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: जावेद मामू - समापन किस्तSmart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-25016326846134833122016-07-20T01:55:04.393-04:002016-07-20T01:55:04.393-04:00आँखे नम कर दी ..... जावेद मामू की जिंदादिली ने। आँखे नम कर दी ..... जावेद मामू की जिंदादिली ने। Archana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-91422164576767526862016-07-20T01:54:15.856-04:002016-07-20T01:54:15.856-04:00आँखे नाम कर दी ..... जावेद मामू की जिंदादिली ने। आँखे नाम कर दी ..... जावेद मामू की जिंदादिली ने। Archana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-61456172682207910642013-08-05T07:34:28.641-04:002013-08-05T07:34:28.641-04:00आपने तो एक अलग ही संसार में ले जा कर खड़ा कर दिया. ...आपने तो एक अलग ही संसार में ले जा कर खड़ा कर दिया. शायद मेरी माँ के बचपन की हल्द्वानी ऐसी रही हो. रोचक और प्रेरक.<br />घुघूती बासूती ghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-42217790987326932902013-08-05T06:32:33.279-04:002013-08-05T06:32:33.279-04:00यह छूटा हुआ था..फेसबुक ने पढ़ा दिया। बहुत अच्छी कह...यह छूटा हुआ था..फेसबुक ने पढ़ा दिया। बहुत अच्छी कहानी।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-10721733078506500892012-07-26T18:02:02.015-04:002012-07-26T18:02:02.015-04:00सही कहा था आपने, कितना कुछ बदल गया है।सही कहा था आपने, कितना कुछ बदल गया है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-90113867564130200962012-07-25T06:46:48.667-04:002012-07-25T06:46:48.667-04:00thanks anurag ji for this narration.thanks anurag ji for this narration.Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-58743973210689502272011-09-24T08:29:53.383-04:002011-09-24T08:29:53.383-04:00अनुराग जी क्या कहू पढना शुरू किया तो पढ़ती चली गई ...अनुराग जी क्या कहू पढना शुरू किया तो पढ़ती चली गई ...जैसे रुकने का मन ही नहीं था काश आप और कुछ भी लिखते इस कहानी में .....ना इसे एसे ना ले की मुझे ये अधूरी लगी पर एसा लगा की और पढू और पढू आपकी बरेली के बारे में.....kanu.....https://www.blogger.com/profile/16556686104218337506noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-15015285220791194012010-11-27T12:58:31.131-05:002010-11-27T12:58:31.131-05:00बहुत ही बढिया कहानी..
हमारे ऑटोवाले करिमचा होते थ...बहुत ही बढिया कहानी..<br /><br />हमारे ऑटोवाले करिमचा होते थे जो आज भी ऑटो चलाते हैं..कपडे सिलने वाले हकिम साहब .. और अभी कुछ दिन पहले ही ईद पर आसिफ का ईद मुबारक का फोन आया. आसिफ हमारी फैक्ट्री में काम करता है...<br /><br />सब इंसान हैं... नफरत फ़ैलाने वाले कोई और हैं.. यह उनका कारोबार है...<br /><br />मनोजManoj Khttps://www.blogger.com/profile/06707542140412834778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-47278601532901051572009-02-09T04:35:00.000-05:002009-02-09T04:35:00.000-05:00अनुराग जी,बहुत ही अच्छी लगी कहानी. आपकी इस कहानी '...अनुराग जी,<BR/>बहुत ही अच्छी लगी कहानी. आपकी इस कहानी 'जावेद मामू' ने तो मुझे भी बरेली शहर की याद दिला दी जहाँ मुझे भी कुछ बार जाने का मौका मिला था. 'कुछ बार' इसलिए कि हम बेटियों को कहीं भी अकेले जाने या अधिक घूमने- फिरने की इजाजत नहीं थी. अपने बचपन की यादों का इतना अच्छा विवरण दिया है आपने - बाजार की चहल-पहल और बच्चों के जमघट आदि की कि सारा चित्र आंखों के आगे आ रहा है वहां का. मैं जब-जब गई हूँ भारत तो बरेली से ही होकर जाना पड़ता है अपने मायके. और इस समय आप की कहानी ने मुझे बरेली वाले दीनानाथ की स्वादिष्ट मोटी सी मलाई और पिस्ता पड़ी लस्सी याद दिला दी है. जो बरेली में रूककर पीती थी. स्वाद भी याद रहा है. लेकिन उनकी लस्सी अब हर बार पतली होती जाती है, और मलाई की मात्रा भी करीब-करीब नहीं के बराबर हो गई है. आपकी बचपन के मीठे अनुभव की कहानी से वोह मीठी लस्सी की यादें भी ताज़ा हो गईं हैं. कहानी व लस्सी की याद दोनों के लिए धन्यबाद.Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-51057817763155460762009-02-09T04:24:00.000-05:002009-02-09T04:24:00.000-05:00अनुराग जी,बहुत ही अच्छी लगी कहानी. आपकी इस कहानी '...अनुराग जी,<BR/>बहुत ही अच्छी लगी कहानी. आपकी इस कहानी 'जावेद मामू' ने तो मुझे भी बरेली शहर की याद दिला दी जहाँ मुझे भी कुछ बार जाने का मौका मिला था. 'कुछ बार' इसलिए कि हम बेटियों को कहीं भी अकेले जाने या अधिक घूमने-फिरने की इजाजत नहीं थी. अपने बचपन की यादों का इतना अच्छा विवरण दिया है आपने - बाजार की चहल-पहल और बच्चों के जमघट आदि की कि सारा चित्र आंखों के आगे आ रहा है वहां का. मैं जब-जब गई हूँ भारत तो बरेली से ही होकर जाना पड़ता है अपने मायके. और इस समय आप की कहानी ने मुझे बरेली वाले दीनानाथ की स्वादिष्ट मोटी सी मलाई और पिस्ता पड़ी लस्सी याद दिला दी है. जो बरेली में रूककर पीती थी. स्वाद भी याद रहा है. लेकिन उनकी लस्सी अब हर बार पतली होती जाती है, और मलाई की मात्रा भी करीब-करीब नहीं के बराबर हो गई है. आपकी बचपन के मीठे अनुभव की कहानी से वोह मीठी लस्सी की यादें भी ताज़ा हो गईं हैं. कहानी व लस्सी की याद दोनों के लिए धन्यबाद.Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-27537777425693971172009-02-04T08:08:00.000-05:002009-02-04T08:08:00.000-05:00kripya blogvani ka hissa banane ka tareeka batayei...kripya blogvani ka hissa banane ka tareeka batayein..Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-18952370944390083292009-02-02T10:24:00.000-05:002009-02-02T10:24:00.000-05:00ओह! मामू तो अत्यन्त प्रिय चरित्र हैं। कुछ ऐसे मामू...ओह! मामू तो अत्यन्त प्रिय चरित्र हैं। कुछ ऐसे मामू, और देश का माहौल बदल जाये!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-90795289792043871552009-02-02T10:17:00.000-05:002009-02-02T10:17:00.000-05:00आज तो सब ओर कंस मामू ही मिलते है, काश हर धर्म मै आ...आज तो सब ओर कंस मामू ही मिलते है, काश हर धर्म मै आप के जावेद मामू जेसे लोग हो ओर भटके हुये लोगो को समझाये.्बहुत ही सुंदर लेख लिखा , ओर मेने एक एक शव्द पढा.<BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-63852333302220438812009-02-02T09:42:00.000-05:002009-02-02T09:42:00.000-05:00कुछ लोग बूढे पीपल की तरह होते है जहाँ मिल जायो स...कुछ लोग बूढे पीपल की तरह होते है जहाँ मिल जायो सर पे हाथ रख देते है......डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-89304141646392023902009-02-02T09:30:00.000-05:002009-02-02T09:30:00.000-05:00बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं, आदमी हूं आदमी से...बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं, आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं.<BR/><BR/>आज ज़रूरत है, हज़ारों जावेद मामू की, ग्रामीण इलाकों में विशेषकर उत्तर प्रदेश में , जिससे जावेद मामू का सपना सच हो जाये. मैं पिछले तीन सालों में वहां के अंतरंग में घूमा, तो पाया कि आम आदमी अभी भी दाल रोटी की ही जुगाड में रमा है, और हिंदु मुसलमान का फ़रक कहीं भी इतना रेखांकित नही जितना कि भारत के दूसरे भाग में.<BR/><BR/>बजाज हिंदुस्तान लिमिटेड (शक्कर कारखाना)के एक बडे़ अधिकारी नें ये स्वीकार किया कि हमारे एच. आर . डिपार्टमेंट वाले इस बात का खास ध्यान देतें है, कि उनकी मीलों में हिंदुओं और मुसलमानों का औसत और अनुपात बना रहे, क्योंकि इससे उनके उत्पादकता पर अच्छा प्रभाव पडता है. मगर जब भी चुनाव आते हैं तो ये संतुलन बिगडने लगता है, क्योंकि तब सभी जातीय समीकरण में बंट जाते है.दिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-36016087127360203962009-02-02T09:09:00.000-05:002009-02-02T09:09:00.000-05:00देर से ही सही, आपके जावेद मामू को 60वे गणतंत्र दिव...देर से ही सही, आपके जावेद मामू को 60वे गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई।Atul Sharmahttps://www.blogger.com/profile/09200243881789409637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-4007232934889525012009-02-02T06:13:00.000-05:002009-02-02T06:13:00.000-05:00ओह ! जावेद मामू को सलाम !ओह ! जावेद मामू को सलाम !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-49934654778116824022009-02-02T06:00:00.000-05:002009-02-02T06:00:00.000-05:00स्मरणीय कहानी रही यह ! आभार !स्मरणीय कहानी रही यह ! आभार !विवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-59755458978808173392009-02-02T05:21:00.000-05:002009-02-02T05:21:00.000-05:00बहुत सुन्दर संस्मरण. आपकी बरेली भी शायद ही अब वैसी...बहुत सुन्दर संस्मरण. आपकी बरेली भी शायद ही अब वैसी रही हो .Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-31237663272374807202009-02-02T03:26:00.000-05:002009-02-02T03:26:00.000-05:00आज पूरी कहानी एक साथ पढ़ी....बस डूब ही गई उसमे........आज पूरी कहानी एक साथ पढ़ी....बस डूब ही गई उसमे......बहुत ही बारीकी से आपने स्थिति परिस्थितियों को उभारा है...<BR/>सचमुच मन भर आया,आँखें नम हो गयीं पढ़कर......<BR/><BR/>" वे रूंधे हुए गले से बोले, "राजू बेटा, मैं चाहता हूँ कि हिन्दुस्तान को दुनिया के सामने शान से सर ऊंचा करके खडा करने वालों में हिंद के मुसलमान सबसे आगे खड़े हों।".....<BR/><BR/>आपका साधुवाद...बहुत सही किया आपने यह कथा सुनाकर.....यह जरूरत है आज की......दिलों के बीच दूरियां फैलाने वाले तो असंख्य हैं........जरूरत दूरियों को पाटने की है.रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-87828800044054851102009-02-02T03:20:00.000-05:002009-02-02T03:20:00.000-05:00सीधे दिल में उतर गया .संस्मरण..............कुछ देर...सीधे दिल में उतर गया .संस्मरण..............कुछ देर के लिए सोचता रह गया क्या हो गयी है हमारे समाज को, आज हम सब कुछ हैं बस इंसान नही रहेदिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-33318427310230139852009-02-02T02:14:00.000-05:002009-02-02T02:14:00.000-05:00कुछ रिश्ते दिल से जुड जाते हैं। और हम उन्हें कभी...कुछ रिश्ते दिल से जुड जाते हैं। और हम उन्हें कभी नहीं भूल पाते हैं।Science Bloggers Associationhttps://www.blogger.com/profile/11209193571602615574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-27401569818519016892009-02-02T02:13:00.000-05:002009-02-02T02:13:00.000-05:00मानवीय रिश्ते हमेशा मजहब और जातपात पर भारी रहे हैं...मानवीय रिश्ते हमेशा मजहब और जातपात पर भारी रहे हैं. बहुत सुंदर संस्मरण.<BR/>रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-79125499236609223332009-02-02T02:11:00.000-05:002009-02-02T02:11:00.000-05:00दिल को छू लेने वाली पोस्ट।और हाँ, पैरोडी भी मजेदा...दिल को छू लेने वाली पोस्ट।<BR/>और हाँ, पैरोडी भी मजेदार है।Science Bloggers Associationhttps://www.blogger.com/profile/11209193571602615574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-2361574391725687312009-02-02T00:47:00.000-05:002009-02-02T00:47:00.000-05:00क्या संस्मरण लिखा है आपने...आप तो शब्दों के जादूगर...क्या संस्मरण लिखा है आपने...आप तो शब्दों के जादूगर हैं...वाह...<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com