tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post6306419806529711465..comments2024-03-23T20:44:05.692-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: भय - एक कविताSmart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-43876599026101292612011-05-04T02:05:57.062-04:002011-05-04T02:05:57.062-04:00अब बड़ा महफूज़ हूँ मैं
कब्र में आने के बाद
बेहत...अब बड़ा महफूज़ हूँ मैं<br />कब्र में आने के बाद<br /><br /><br /><br />बेहतरीन .. निशब्द कर दिया.दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-32881621306009511562009-12-15T05:59:48.964-05:002009-12-15T05:59:48.964-05:00मौत का अब डर भी यारों
हो गया काफूर है
ज़िंदगी की ब...मौत का अब डर भी यारों<br />हो गया काफूर है<br />ज़िंदगी की बात ही क्या<br />ज़िंदगी जाने के बाद<br /><br />Anuraag ji, ye to sachbyaani hai.<br /><br />khub likha hai.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-68314039444531982992009-12-13T12:08:51.070-05:002009-12-13T12:08:51.070-05:00कसी हुई बहर पे दो बेहतरीन शेर अनुराग जी!कसी हुई बहर पे दो बेहतरीन शेर अनुराग जी!गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-538953367649631772009-12-12T08:49:59.311-05:002009-12-12T08:49:59.311-05:00Comment received in email from Girijesh Rao
नेट ड...Comment received in email from <a href="http://kavita-vihangam.blogspot.com/" rel="nofollow">Girijesh Rao</a><br /><b><br />नेट डाउन है। मोबाइल से काम चला रहा हूँ। <br />क्या भय कविता पर यह टिप्पणी प्रकाशित कर पाएँगे: <br /><br /><br />ये कैसा समय ? सहमने से मुक्ति मृत्त्योपरांत ! <br />कब्र में सुरक्षा की अनुभूति! जीवन नहीं रहा लेकिन सुरक्षा और सहम से मुक्ति की बात ! ऐब्सर्डिटी की इंतहा है। <br /><br /><br />दूसरा शेर तो बस महसूस करते जा रहा हूँ। <br />डर, जीवन और मुक्ति - जीवन है तो डर है। जीवन न रहे तो मुक्ति का क्या अर्थ ..... डर से मुक्ति जीवन से मुक्त होने पर सिद्ध हो तो सब व्यर्थ ही हुआ न ! <br />भैया, क्या कह गए !! <br /></b><br />[नोट: गिरिजेश ने अपनी एक पोस्ट में विरोधाभास और उलटबांसी का ज़िक्र किया था उसी से प्रेरित होकर मैंने यह दो शेर यहाँ रखे थे - मैं उलटबांसी को विरोधाभास से बिलकुल अलग मानता हूँ, आपका क्या ख्याल है? ]Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-65343338661770496142009-12-10T23:16:51.686-05:002009-12-10T23:16:51.686-05:00सरल और चुस्त शब्दों के ज़रिये एक पूरा दर्शन खोलती क...सरल और चुस्त शब्दों के ज़रिये एक पूरा दर्शन खोलती कविता.sanjay vyashttps://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-73259585861039431762009-12-10T20:26:33.902-05:002009-12-10T20:26:33.902-05:00सुन्दर अभिव्यक्ति....मौत की सच्चाई और उसके आकर्षण ...सुन्दर अभिव्यक्ति....मौत की सच्चाई और उसके आकर्षण का सुन्दर चित्रणSudhir (सुधीर)https://www.blogger.com/profile/13164970698292132764noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-43846848157942425332009-12-10T14:41:04.382-05:002009-12-10T14:41:04.382-05:00मौत का अब डर भी यारों
हो गया काफूर है
ज़िंदगी की ब...<b>मौत का अब डर भी यारों<br />हो गया काफूर है<br />ज़िंदगी की बात ही क्या<br />ज़िंदगी जाने के बाद ....<br /></b><br /><br />बहुत लाजवाब और भावप्रवण रचना, शुभकामनाएं.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-66124589715480113372009-12-10T10:14:09.015-05:002009-12-10T10:14:09.015-05:00KYA BAAT KAHI AAPNE......WAAH ! WAAH ! WAAH !....L...KYA BAAT KAHI AAPNE......WAAH ! WAAH ! WAAH !....LAJAWAAB !!SUPERB !!<br /><br />IN DO PADON ME HI KAMAAL RACH DAALA AAPNE !! BAAR BAAR DUHRA CHUNKI HUN ,PAR MAN NAHI BHAR RAHA....रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-87122707977945208862009-12-10T08:48:11.040-05:002009-12-10T08:48:11.040-05:00भय तो तब तक ही भयभीत करेगा जब जिन्दा होन्गे . मां ...भय तो तब तक ही भयभीत करेगा जब जिन्दा होन्गे . मां की गोद और मौत का आगोश सबसे ज्यादा भयरहित होता है .dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-22046635371362771782009-12-10T04:20:42.177-05:002009-12-10T04:20:42.177-05:00मौत का अब डर भी यारों
हो गया काफूर है
ज़िंदगी की ब...मौत का अब डर भी यारों<br />हो गया काफूर है<br />ज़िंदगी की बात ही क्या<br />ज़िंदगी जाने के बाद ....<br /><br />BAHUT HI UMDA ... LAJAWAAB KAHA HAI ... SAB KUCH KHONE KE BAAD PAANE KA KOI MAKSAD NAHI .... DONO SHER KAMAAL HAIN ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-16129797649511661512009-12-10T00:53:18.643-05:002009-12-10T00:53:18.643-05:00वाह क्या खूब कहा। शुभकामनायेंवाह क्या खूब कहा। शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-67749457456932177912009-12-09T22:58:42.529-05:002009-12-09T22:58:42.529-05:00दोनों शेर खूबसूरत हैं । दूसरा तो बेहद हसीन !दोनों शेर खूबसूरत हैं । दूसरा तो बेहद हसीन !Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-27442321988376701252009-12-09T22:25:07.849-05:002009-12-09T22:25:07.849-05:00Just correct your heading| It should be मौत और जिन...Just correct your heading| It should be मौत और जिन्दगी के डर । तश्तरी की पोस्ट से यहाँ आया। Good site|बेनामीhttps://www.blogger.com/profile/10555797016317745618noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-43413618347586403102009-12-09T21:59:15.011-05:002009-12-09T21:59:15.011-05:00जहाँ तक काव्य का प्रश्न है और शब्द संयोजन का सवाल ...जहाँ तक काव्य का प्रश्न है और शब्द संयोजन का सवाल है बहुत उम्दा बनी है कविता अनुराग जी...<br />लेकिन भाव पक्ष थोड़ा अलग सा लगा है..<br />इसे पढ़ कर एक बहुत पुरानी ग़ज़ल याद आई है :<br /><br />आकर जो मेरी कब्र पर तूने जो मुस्कुरा दिया<br />बिजली चमक के गिर पड़ी सारा कफन जला दिया..<br />मैं सो रहा था चैन से ओढ़े कफन मज़ार में<br />यहाँ भी सताने आ गए किसने पता बता दिया...स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.com