tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post6617529070185893478..comments2024-03-23T20:44:05.692-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: वह कौन था [समापन किस्त]Smart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-57637344162621162922009-07-04T14:15:39.163-04:002009-07-04T14:15:39.163-04:00स्मार्ट इंडियन साहब ,
कहानी पढ़ी रोचक भी ल...स्मार्ट इंडियन साहब ,<br /> कहानी पढ़ी रोचक भी लगी ;पसंद भी आयी बधाई |<br /> परन्तु यहाँ पर आप के एक कदम पर किसी को हो या न हो मुझे आपत्ति है कथा के कल्पनिक होने की घोषणा जो अपने कहानी के अंत में किया वह सिरे से एक गलत निर्णय था , <br /> यह कहानी के शुरू में या प्रथम कड़ी के ही अंत में ही होना चाहिए था , आप ने जो किया वह पाठकों की भावनाओं से खेलना था | इतनी प्रशंसाओं के बाद मुझे इस बात की संभावना है की शायद मेरी बात बुरी लगे परन्तु जो मुझे सही लगा वह मैंने कह दिया है |'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा ::https://www.blogger.com/profile/02846750696928632422noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-48489069747566056522009-07-03T12:38:37.742-04:002009-07-03T12:38:37.742-04:00अनुराग जी,
आप ने जो लिखा है, इसे कुछ कहानी कहेंगे,...अनुराग जी,<br />आप ने जो लिखा है, इसे कुछ कहानी कहेंगे, कुछ 'मनोहर कहानियां' सरीखी कथा भी कह सकते हैं, लेकिन मैं इस पर उतना ही विश्वास कर रही हूँ जितना सूरज हर रोज निकलता है, क्योंकि मेरे साथ ऐसी कई घटनाएं घटित हो चुकी हैं, मैं कल ही मनु बे-तक्खलुस जी से जिक्र कर रही थी की मेरे साथ बहुत सारी अजीब घटनाएं घटित हुई हैं, लेकिन मैं थोडी हिचक रही थी उन्हें अपने ब्लॉग पर डालने केलिए, आपके इस संस्मरण को पढ़-कर मुझमें भी साहस आया है, और अब मैं अपनी आप बीती जो शायद लोगों के गले ना उतरे लिखूंगी, और यकीं मानिये यह मन का भ्रम नहीं है, आपके साथ ज़रूर यह हुआ है, आप 'किल्लर' के इस प्रेम को सहेज कर रक्खें, वो आपके आस पास ही हैं <br /><br />स्वप्न मंजूषा 'अदा'स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-2500679289702895202009-07-03T12:38:19.077-04:002009-07-03T12:38:19.077-04:00अनुराग जी,
आप ने जो लिखा है, इसे कुछ कहानी कहेंगे,...अनुराग जी,<br />आप ने जो लिखा है, इसे कुछ कहानी कहेंगे, कुछ 'मनोहर कहानियां' सरीखी कथा भी कह सकते हैं, लेकिन मैं इस पर उतना ही विश्वास कर रही हूँ जितना सूरज हर रोज निकलता है, क्योंकि मेरे साथ ऐसी कई घटनाएं घटित हो चुकी हैं, मैं कल ही मनु बे-तक्खलुस जी से जिक्र कर रही थी की मेरे साथ बहुत सारी अजीब घटनाएं घटित हुई हैं, लेकिन मैं थोडी हिचक रही थी उन्हें अपने ब्लॉग पर डालने केलिए, आपके इस संस्मरण को पढ़-कर मुझमें भी साहस आया है, और अब मैं अपनी आप बीती जो शायद लोगों के गले ना उतरे लिखूंगी, और यकीं मानिये यह मन का भ्रम नहीं है, आपके साथ ज़रूर यह हुआ है, आप 'किल्लर' के इस प्रेम को सहेज कर रक्खें, वो आपके आस पास ही हैं <br /><br />स्वप्न मंजूषा 'अदा'स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-29618520970864257982009-01-10T11:33:00.000-05:002009-01-10T11:33:00.000-05:00चेतन, अचेतन और अवचेतन तीनो मानवीय शक्तियॉं हैं, ...चेतन, अचेतन और अवचेतन तीनो मानवीय शक्तियॉं हैं, जब अवचेतन सक्रिय हो जाता है तो कथानक अविश्वसनीय लगने लगता है, लेकिन इसके बावजूद विश्वास करने को जी चाहता है।<BR/>यह विश्वास पैदा करना कथाकार की क्षमता है। <BR/>तीनो खंड एक साथ पढ़ गया। संस्मरण में कहानी का तत्व अधिक लगा, रोचक भी और मार्मिक भी।जितेन्द़ भगतhttps://www.blogger.com/profile/05422231552073966726noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-72022231095147531692009-01-09T14:08:00.000-05:002009-01-09T14:08:00.000-05:00कहानी पर प्रतिक्रियाएं पहले पढ़ रहा हूं ....प्रिंट...कहानी पर प्रतिक्रियाएं पहले पढ़ रहा हूं ....प्रिंट निकालकर ही इसे एक साथ पढूंगा। <BR/>शानदार प्रस्तुति की बधाई एडवांस में लें...अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-79982882154376765452009-01-09T11:33:00.000-05:002009-01-09T11:33:00.000-05:00एक यादगार संस्मरण, यदि यह संस्मरण है और एक अत्य...एक यादगार संस्मरण, यदि यह संस्मरण है और एक अत्यन्त मार्मिक कहानी जो नि:संदेह बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है। आपकी शेष रचनाओं का इंतजार रहेगा ।Atul Sharmahttps://www.blogger.com/profile/09200243881789409637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-29335362032698902102009-01-09T08:28:00.000-05:002009-01-09T08:28:00.000-05:00बहुत अच्छी संस्मरणात्मक कहानी लिखी है आपने। मैं...बहुत अच्छी संस्मरणात्मक कहानी लिखी है आपने। मैं कोई साहित्य समालोचक नहीं हूं, लेकिन बतौर पाठक इतना दावा तो कर ही सकता हूं कि एक सफल कहानी के सारे तत्व इसमें मौजूद हैं। <BR/>कल्लर के साथ आपका गहरा भावनात्मक लगाव समझा जा सकता हैं। ऐसे आत्मीय लोगों का वजूद समाप्त होने के बाद भी स्मृति में उनकी मृग मरीचिका बनी रहती है। <BR/>अरे हां, एक बात तो कहना भूला ही जा रहा था...आपका बिना मूंछवाला फोटो भी कहीं देखा है और उसे भी पहचान लूंगा। आप न भी बताते तो भी दावे के साथ कहता कि यह फोटो आपका ही है :)Ashok Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/14682867703262882429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-82470177208781232942009-01-09T00:33:00.000-05:002009-01-09T00:33:00.000-05:00सुंदर कथानक और आपके सुंदर फोटो बहुत अच्छासुंदर कथानक और आपके सुंदर फोटो बहुत अच्छाप्रदीप मानोरियाhttps://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-87283904929246075462009-01-08T15:02:00.000-05:002009-01-08T15:02:00.000-05:00ये अनोखी अनूभूति अबुझ ज़रूर है, मगर अविश्वसनीय नही....ये अनोखी अनूभूति अबुझ ज़रूर है, मगर अविश्वसनीय नही.ये संस्मरण ही है, कहानी उन लोगों के लिये जो मानते है कि<BR/><BR/>फ़साना शबे ग़म उनको एक कहानी थी ,<BR/>कुछ ऐतबार किया , कुछ ना ऐतबार किया...<BR/><BR/>मानव अंतर्मन एक विशाल समुद्र ही तो है, जिसमें किस्म किस्म के मोती और अबुझ खज़ाने पडे़ है.जिनका आकलन मानव नें कर लिया वह Science हो गया, जो रह गया वह चमत्कार.<BR/><BR/>मित्र के जाने की पीडा़, वह भी हमेशा के लिये, असहनीय है, ये मैं भोग चुका हूं. मेरे केस में वह मित्र हमेशा के लिये छोड कर ज़िंदगी से निकल गया.<BR/><BR/>मानस के अमोघ शब्द पर ताज़ी पोस्ट में यही पढेंगे आप. (देखी ज़माने की यारी,बिछडे सभी बारी बारी )अब लगता है, कि उसका SMS आना भी ऐसी ही कोई बात होगी.दिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-9050940985100237272009-01-08T13:08:00.000-05:002009-01-08T13:08:00.000-05:00आज से कुछ दिन पहले बदायूं से गंज डुंडबारा जाते हुए...आज से कुछ दिन पहले बदायूं से गंज डुंडबारा जाते हुए एक भुल्लर जी मुझे भी मिले थे और और उन्होंने मुझे एक ऐसे पैन के बारे में बताया था जो दिखने और लिखने में बिल्कुल मार्कर पैन के जैसा था पर उसकी इंक लिखने के कुछ समय बाद गायब हो जाती थी । भुल्लर जी ने उस पैन से अपने फोटो पर अपना पता भी दिया था, आज यह कहानी पढने के बाद जब मैंने उस फोटो को निकाल कर देखा तो वह एकदम कोरा था । कहीं कल्लर जी का प्रेत बदायूं गंज डुंडबारा के बीच आज भी तो नहीं घूम रहा ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-11547219880782059692009-01-08T11:37:00.000-05:002009-01-08T11:37:00.000-05:00अनुराग जी रात के दस से ऊपर हो रहे हैं और अभी-अभी य...अनुराग जी रात के दस से ऊपर हो रहे हैं और अभी-अभी ये कहानी पढ़ कर खत्म की....एक सिहरन सी दौड़ उठी है .कई घटनायें जाने कितनी सिहराती घटनाओं से रूबरू हूं अब तक,किंतु ये वर्णन तो उफ़.....गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-26556785196910539812009-01-08T04:05:00.000-05:002009-01-08T04:05:00.000-05:00वाह भई वाह.....ये अंत तो सोचा ही नही था, कोशिश जरू...वाह भई वाह.....ये अंत तो सोचा ही नही था, कोशिश जरूर करी थी पर लेखक की सोच कुछ और ही निकली. पर मज़ा आ गया पढ़ कर रोचकता अंत तक बनी रही. टर्निंग पॉइंट पर कहानी का बदलाव बिल्कुल नया था.दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-24792183062376143562009-01-08T01:09:00.000-05:002009-01-08T01:09:00.000-05:00कहानी शब्द्-चित्र की भाति आंखों के सामने से गुजरती...कहानी शब्द्-चित्र की भाति आंखों के सामने से गुजरती है।... वास्तविक न होने पर भी हम इस कहानी क धार दार प्रवाह को महसूस करतें है।... एक बेह्तरीन रचनाः धन्यवाद।Aruna Kapoorhttps://www.blogger.com/profile/02372110186827074269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-73281998140417441732009-01-07T13:46:00.000-05:002009-01-07T13:46:00.000-05:00अनुराग जी यह चित्र आप का ही है, ओर आप का स्नेह कल्...अनुराग जी यह चित्र आप का ही है, ओर आप का स्नेह कल्लर से ज्यादा था, शायद आप के दिल मै उस के बारे इअतने विचार आये कि आप ने अपने खाव्ब मै उसे देखा, ओर आप को लगा कि यह सब सच है, लेकिन कहानी बिलकुल सच्ची है,ओर कई बार होता भी है ऎसा, जिसे हम बहुत याद करते है, जिस के बारे बहुत सोचते है, वो हमारे दिल ओर दिमाग पर इतना हावी हो जाता है कि किसी ना किसी रुप मे हमे वो दिख जाता है.<BR/>धन्यवाद, इस सुंदर लेख के लियेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-37144002718439796662009-01-07T10:44:00.000-05:002009-01-07T10:44:00.000-05:00लेखन की इस विधा के आप मंजे खिलाड़ी लगते हैं। बधाई।लेखन की इस विधा के आप मंजे खिलाड़ी लगते हैं। बधाई।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-57054257199983608632009-01-07T10:00:00.000-05:002009-01-07T10:00:00.000-05:00सँवेदनाओँ से भरपूर और बेहद रोचक रही कथा -मुझे तो ल...सँवेदनाओँ से भरपूर और बेहद रोचक रही कथा -मुझे तो लगता है "मिस्टर कल्लर" <BR/>खुफिया तँत्र से जुडे हुए हैँ <BR/>और आप की दोस्ती का मान रखने के लिये,<BR/> एक बार मिलने चले आये <BR/>- विष्णु बैरागी जी के सुझाव से सहमति है -<BR/> लँबी कथा जल्द ही छपवायेँ -<BR/>हमेँ इँतज़ार रहेगा - <BR/>लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-42987496253725232182009-01-07T09:09:00.000-05:002009-01-07T09:09:00.000-05:00कहानी की कसावट देखते ही बनती हैं। एक अच्छी कहानी क...कहानी की कसावट देखते ही बनती हैं। एक अच्छी कहानी के लिए बधाई स्वीकारें। वैसे फोटो देख मैं पता नही क्यों हँस पड़ा।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-71371286811009352272009-01-07T04:40:00.000-05:002009-01-07T04:40:00.000-05:00मानना पड़ेगा आप की कहानी लेखन विधा में बहुत गहरी पक...मानना पड़ेगा आप की कहानी लेखन विधा में बहुत गहरी पकड़ है आप के पात्र पढने वाले को अपने साथ बहा ले जाते हैं और कहानी ख़तम होने पर भी दिमाग में रह जाते हैं...बहुत खूब....<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-69146350618746163822009-01-07T04:26:00.000-05:002009-01-07T04:26:00.000-05:00कहानी की शुरुआत से ही लग रहा था की संस्मरण है. काश...कहानी की शुरुआत से ही लग रहा था की संस्मरण है. काश दो पैराग्राफ पहले ही कहानी ख़त्म हो गई होती.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-67279691272099622012009-01-07T02:47:00.000-05:002009-01-07T02:47:00.000-05:00कहानी की पहली शर्त यही होती है कि वह अपने साथ पाठक...कहानी की पहली शर्त यही होती है कि वह अपने साथ पाठक को बांधे रखे, आपकी कहानी इस शर्त पर खरी उतरती है। इस हेतु हार्दिक बधाई।adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-85753775785763768172009-01-07T00:26:00.000-05:002009-01-07T00:26:00.000-05:00अविश्वसनीय किन्तु मार्मिक.अविश्वसनीय किन्तु मार्मिक.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-44990531950437973312009-01-07T00:25:00.000-05:002009-01-07T00:25:00.000-05:00अविश्वसनीय किन्तु मार्मिक.अविश्वसनीय किन्तु मार्मिक.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-51051595768285295672009-01-07T00:01:00.000-05:002009-01-07T00:01:00.000-05:00badhiya katha rahi aapki...........badhiya katha rahi aapki...........Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/17320191855909735643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-82525419218495690482009-01-06T23:21:00.000-05:002009-01-06T23:21:00.000-05:00बेहद मार्मिकता से लिखा गया सन्समरण लगा मुझको तो. औ...बेहद मार्मिकता से लिखा गया सन्समरण लगा मुझको तो. और आप चाहे चित्र को काल्पनिक कहे , मुझे तो आपका ही लग रहा है. <BR/><BR/>और मैं यहां बैरागी जी की बात से बिल्कुल सहमत हूं. बहुत बधाई आपको इस उत्कृष्ट लेखन के लिये. <BR/><BR/>इन संसमरणों को लेकर एक बहुत अद्वितिय नावेल का लेखन हो सकता है और वो जब आपकी शैली मे लिखा जायेगा तो बेहद मार्मिक और हर दृष्टि से पठनीय होगा. शुभकामनाएं.<BR/><BR/>रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-41358107244916416842009-01-06T23:04:00.000-05:002009-01-06T23:04:00.000-05:00पीछे से सारी कडिया पढने के बाद यह लाजवाब संसमरण लग...पीछे से सारी कडिया पढने के बाद यह लाजवाब संसमरण लगा मुझे तो. बेहद भावनात्मक और मार्मिक भी कहूंगा. कुछ निजी व्यस्तताओं मे काफ़ी दिन गायब रहा, इस वजह से आपका लेखन पढने से वंचित रहा, इसका मुझे बहुत अफ़्सोस है.<BR/><BR/>धन्यवाद.दीपक "तिवारी साहब"https://www.blogger.com/profile/04863783412484935270noreply@blogger.com