tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post7277189928468770328..comments2024-03-23T20:44:05.692-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: जावेद मामू - भाग २Smart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-72224946152372790222013-08-05T09:44:18.016-04:002013-08-05T09:44:18.016-04:00mujhe bachapan ki laal chini yaad aa gayi .mujhe bachapan ki laal chini yaad aa gayi .G.N.SHAWhttps://www.blogger.com/profile/03835040561016332975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-60374597030703415912012-07-25T06:41:43.238-04:002012-07-25T06:41:43.238-04:00@ बंगलूरु
यहाँ छोटे गाँव को "हल्ली" कह...@ बंगलूरु <br /><br />यहाँ छोटे गाँव को "हल्ली" कहते हैं - गाँवों के नाम हैं - हर्पनहल्ली , गदिगानाहल्ली, आदि. <br /><br />फिर बाज़ार को "पेटे" कहते हैं | जहां मैं रहती हूँ - यह पहले "होसापेटे" था - फिर अंग्रेजों ने होसपेट किया और अब फिर से होसापेटे हो गया है | होसा / व्हसा का अर्थ है "नया", और पेटे अर्थात बाज़ार | दरअसल यहाँ पास ही है ऐतिहासिक हम्पी | हम्पी शायद आप जानते हों - तेनालीरामन की कथाएँ? राजा कृष्णदेव राय | उनके ही परिवार के बड़े हैं, महाराज प्रौढ़ देव राय (जिनके नाम से हमारे कोलेज का नाम प्रौढ़ देवराय इंस्टीट्युट ऑफ़ टेक्नोलोजी (PDIT ) है | यह हम्पी उन्ही के राज्य के समय का है | बाद में हमलावरों के कारण लोग वहां का बाज़ार छोड़ कर यहाँ आये - और नाम दिया "नया बाज़ार" अर्थात होसा-पेटे | समय के साथ यह होसपेट हुआ फिर अब वापस होसापेटे हैं | <br /><br />दूसरा शब्द है "ऊरू" अर्थात town or city | मंगल-ऊरू, बंगल-ऊरू आदि इसी सिलसिले के नाम हैं | तो नाम "बेंगलोर " से बंगलूरु नहीं हुआ है, बल्कि इसके उलट बंगलूरु इसका मूल नाम था- जो अंग्रजों की कृपा से बेंगलोर हो गया था | ऐसा ही कुछ चेन्नई आदि के साथ भी हो शायद ?Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-73536269879795936262009-02-01T14:17:00.000-05:002009-02-01T14:17:00.000-05:00अंतिम कड़ी तक प्रतीक्षारत हूँ,अनुराग जी, ई-मेल सदस्...<I><BR/>अंतिम कड़ी तक प्रतीक्षारत हूँ,<BR/>अनुराग जी, ई-मेल सदस्यता लेने का विकल्प इस पृष्ठ पर नहीं मिला !<BR/>भला, नियमित कैसे रह पाऊँ ?</I>डा. अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-59388039801854397232009-02-01T07:58:00.000-05:002009-02-01T07:58:00.000-05:00बहुत बढिया लिखा है।आगे प्रतिक्षा रहेगी।बहुत बढिया लिखा है।आगे प्रतिक्षा रहेगी।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-44904127264330109192009-02-01T03:35:00.000-05:002009-02-01T03:35:00.000-05:00रोचक संस्मरण हैं ये, जो हमारे मन की गहराई में तलहट...रोचक संस्मरण हैं ये, जो हमारे मन की गहराई में तलहटी में पडे़ हैं. दरकार है सिर्फ़ गहरे पानी में पैठ लगाने की और तलहटी पर पडे़ गर्द को छेडनें की. जो गुबार उठेगा उसमें से मोती चुन लिजिये जनाब, इससे पहले की वह गर्द काल के अंधेरे में फ़िर से सेटल हो जाये.<BR/><BR/>उत्तर प्रदेश में अब पहले से कई गुना ज़्यादा शक्कर होती है. मैंने पिछले तीन साल में करीब ९ नये चीनी मिलों में काम किया - नये सिस्टम लगाने के. बडी बडी कंपनीयों के प्लान थे पिछले साल तक कि हर साल कम से कम ६ नई मिलें लगायें, क्योंकि अब शक्कर से ज़्यादा कमाई है इथेनॊल में और मोलासिस से शराब के कारोबार में.याने एथेनॊल मुख्य प्रॊडक्ट हो गया ( पेट्रोल में मिलाने की व्यवस्था के तहत ). किसानों ने भी हर जगह गन्ना बो रखा है, और व्यवस्था यूं बन रही थी कि हर जिले में एक चीनी कारखाना हो ताकि किसान को गन्ने के लिये दूर नहीं जाना पडे.किसान भी पंजाब के किसानों के खुशहाली की ओर अग्रसर हो रहे थे.<BR/><BR/>चीनी मील भी स्टेट ओफ़ आर्ट तकनोलोजी से बन रहे थे जिसमें सुल्तानपुर की एक मील में तो मात्र १० कर्मचारी थे , बाके सब स्वचालित.<BR/><BR/>मगर , दुर्भाग्य से, पिछले साल शक्कर लॊबी द्वारा ज्यादा पैसे नहीं पहुंचाने की वजह से, केंद्रिय सरकार नें शक्कर नीति में कुछ यूं बदल किया कि ये सफ़ेद क्रांति का रथ रुक गया, और उत्तरप्रदेश की गरीबी हटने के रास्ते में फ़िर रोडा आ गया.भारत का दुर्भाग्य और क्या?दिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-3630416321822881802009-01-29T20:12:00.000-05:002009-01-29T20:12:00.000-05:00श्री अनुराग शर्मा जी नमस्ते आपकी टिप्पणी अपनी इस प...श्री अनुराग शर्मा जी नमस्ते आपकी टिप्पणी <A HREF="http://hindi.rcmishra.net/2007/06/shrimadbhagvadgita_30.html" REL="nofollow">अपनी इस प्रविष्टि पर</A> पढ़ी। गलती पर ध्यान दिलाने के लिये आभार और धन्यवाद।RC Mishrahttps://www.blogger.com/profile/06785139648164218509noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-3460066347208376252009-01-29T13:54:00.000-05:002009-01-29T13:54:00.000-05:00अनुराग जी, बहुत सुंदर लिखा आप ने मेरा बचपन आगरा मे...अनुराग जी, बहुत सुंदर लिखा आप ने मेरा बचपन आगरा मे तांज गंज मे बीता, जहां एक घर हिन्दु तो दुसरा मुस्लिम का था, ओर हमारे ही मोहले मे एक सज्जन थे जॊ पत्थर को काटते थे(जो मुस्लिम थे) मे बहुत छोटा था तो उन को तंग करता था कि मेने भी पत्थर को काटना है, तो वो एक तीर कामन सा बना कर मुझे पकडा देते थे, ओर एक पत्थर भी देते थे.<BR/>वेसे उर्दू तो मुझे भी बहुत अच्छी बोलनी आती है, लेकिन लिख ओर पढ नही सकते, आप ने बहुत कुछ याद दिला दिया.<BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-75446875278586258292009-01-29T13:25:00.000-05:002009-01-29T13:25:00.000-05:00बहुत पसँद आई ये कथा और आगे पढने का भी मन है सुनाते...बहुत पसँद आई ये कथा और आगे पढने का भी मन है सुनाते रहीये ..<BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-11643226463713332702009-01-29T06:49:00.000-05:002009-01-29T06:49:00.000-05:00अनुराग जीदोनों ही पोस्ट आज पढीं............मैंने भ...अनुराग जी<BR/>दोनों ही पोस्ट आज पढीं............मैंने भी आगरा में काफ़ी वक़्त गुज़ारा है जहाँ दोनों ही तहजीब के लोग रहा करते हैं. आपने लिखा है "सच तो यह है कि एक परम्परागत ब्राह्मण परिवार में जन्म लेकर भी मुझे वर्षों तक हिन्दू-मुसलमान का अन्तर पता नहीं था।" ये बात १००% सच होगी ऐसा मैं मानता हूँ क्युकी मुझे भी ये फर्क काफ़ी समय तक नही पता था........... परंतु. ......काश अगर ऐसा ही मुसलामानों के घर में भी हुवा होता तो हमारी और आप सब की सोच जुदा होती और भारत वर्ष में जो आज हो रहा है वो न होता. <BR/><BR/>आपका लेख बहुत ही रोचक चल रहा है..........धन्यवाददिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-6275698091896729922009-01-29T05:39:00.000-05:002009-01-29T05:39:00.000-05:00बहुत ही उम्दा लेख ....आपकी बातें आपकी कहानी बहुत प...बहुत ही उम्दा लेख ....आपकी बातें आपकी कहानी बहुत पसंद आयी मुझे ...<BR/><BR/><BR/>अनिल कान्त <BR/><A HREF="http://www.meraapnajahaan.blogspot.com/" REL="nofollow">मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति </A>अनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-40898493237600299822009-01-29T05:15:00.000-05:002009-01-29T05:15:00.000-05:00जावेद मामू 'सुभान खां' की तरह लगे. एक कहानी पढ़ी थी...जावेद मामू 'सुभान खां' की तरह लगे. एक कहानी पढ़ी थी... इस नाम की. आगे उत्सुकता से इंतज़ार है.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-19401968324882331882009-01-29T04:55:00.000-05:002009-01-29T04:55:00.000-05:00अब तक की कहानी में सन्स्मरण का आनन्द आ रहा है. साध...अब तक की कहानी में सन्स्मरण का आनन्द आ रहा है. साधुवाद.hem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-85219691241511791102009-01-29T03:53:00.000-05:002009-01-29T03:53:00.000-05:00आपको कहानी कहने-सुनने, गढने-बांचने की अदभुत कला मि...आपको कहानी कहने-सुनने, गढने-बांचने की अदभुत कला मिली है। सारे पात्र जीवंत हो उठते हैं जैसे जैसे आपकी लेखनी चलती है और लगता है कि सारे पात्र हमारे आसपास ही कहीं बिखरे हुए हैं और हम उनसे कहीं मिल चुके हैं। और फिर कहानी कहानी नहीं एक घटना हो जाती है। अगली कडी का बेसब्री से इंतजार है।Atul Sharmahttps://www.blogger.com/profile/09200243881789409637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-635207710725364432009-01-29T03:39:00.000-05:002009-01-29T03:39:00.000-05:00बेहतरीन कड़ी रही यह भी..... अगली की प्रतीक्षा है.....बेहतरीन कड़ी रही यह भी..... अगली की प्रतीक्षा है.....योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-56308133517381221722009-01-29T03:06:00.000-05:002009-01-29T03:06:00.000-05:00अच्छी चल्लई है लेखनी। बड़े बढ़िया चरित्र हैं जावेद म...अच्छी चल्लई है लेखनी। <BR/>बड़े बढ़िया चरित्र हैं जावेद मामाजी!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-22181575957530792322009-01-29T02:54:00.000-05:002009-01-29T02:54:00.000-05:00लाजवाब शैली में बहुत ही सटीक लिखा आपने. अगली कडी ...लाजवाब शैली में बहुत ही सटीक लिखा आपने. अगली कडी का इन्तजार है.<BR/><BR/>रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-5772323452881685222009-01-29T00:51:00.000-05:002009-01-29T00:51:00.000-05:00आप इसे कहानी लिख सकते हैं, मैं संस्मरण कहूंगा. बरे...आप इसे कहानी लिख सकते हैं, मैं संस्मरण कहूंगा. बरेली का बहुत सुन्दर वर्णन, चुन्नामियां का मन्दिर बहुत खूब.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-33984194489832514312009-01-29T00:00:00.000-05:002009-01-29T00:00:00.000-05:00बहुत ही उत्कृष्ट लेखन है। कहानी के अगले खेप के इ...बहुत ही उत्कृष्ट लेखन है। कहानी के अगले खेप के इंतज़ार में.विवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-50713403770123990752009-01-28T22:38:00.000-05:002009-01-28T22:38:00.000-05:00भाई अनुराग जीबहुत ही उत्कृष्ट लेखन है। यहाँ भारत...भाई अनुराग जी<BR/>बहुत ही उत्कृष्ट लेखन है। यहाँ भारत में तो इसतरह के लेखन को भगवा एजेण्डा करार दे दिया जाता है इसलिए ऐसा कोई लिखता ही नहीं। सभी कुछ यहाँ नकली बिकता है। सवर्ण और हिन्दू होना तो जैसे गाली ही हो गयी है। हम तो जैसे मुँह छिपाए ही घूमते हैं। बस ऐसा लिखते हैं कि कहीं से भी प्रहार की गुंजाइश ना रहे। आपकी लेखनी को प्रणाम।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-77667277868368314322009-01-28T22:36:00.000-05:002009-01-28T22:36:00.000-05:00जावेद मामू की दास्ताँ और किस्से बडे रोचक लग रहे है...जावेद मामू की दास्ताँ और किस्से बडे रोचक लग रहे हैं ....<BR/><BR/>Regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-86292015423493295622009-01-28T22:29:00.000-05:002009-01-28T22:29:00.000-05:00तत्कालिक परिस्थितियों का बड़ा ही सुंदर वर्णन है. क...तत्कालिक परिस्थितियों का बड़ा ही सुंदर वर्णन है. कहानी के अगले खेप के इंतज़ार में.Anonymousnoreply@blogger.com