tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post738960920329272372..comments2024-03-23T20:44:05.692-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: व्यावहारिकता - कविताSmart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger38125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-43291434237558984772013-12-29T06:18:06.918-05:002013-12-29T06:18:06.918-05:00kamaal likhte hain aap... kin shabdon me taareef k...kamaal likhte hain aap... kin shabdon me taareef ki jaay?Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-16052525635456092572013-12-28T22:46:26.951-05:002013-12-28T22:46:26.951-05:00सार्थक ब्लॉगिंग का उत्कृष्ट उदाहरण है यह पोस्ट। मु...सार्थक ब्लॉगिंग का उत्कृष्ट उदाहरण है यह पोस्ट। मुझसे कैसे छूट गई! :(देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-32451831713447261332013-12-28T20:50:44.966-05:002013-12-28T20:50:44.966-05:00चिरंतन मुक्ति का गीत चिरंतन मुक्ति का गीत Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-71657923189035891622011-02-27T09:06:13.710-05:002011-02-27T09:06:13.710-05:00बहुत अच्छा है। मजे आ गये!बहुत अच्छा है। मजे आ गये!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-27193806962062905902011-02-10T00:22:06.246-05:002011-02-10T00:22:06.246-05:00जब इतने सारे बोल गए तो
हमें बोल कर करना क्या?जब इतने सारे बोल गए तो<br />हमें बोल कर करना क्या?विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-59176243171872203802011-02-10T00:06:44.808-05:002011-02-10T00:06:44.808-05:00भौंचक!
वाकई सब को प्रेरणा दे गई ये कविता।
इन्व्याव...भौंचक!<br />वाकई सब को प्रेरणा दे गई ये कविता।<br />इन्व्याव्हारिक शेरों के लिए बधाई।Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-272536091792559422011-02-09T19:39:56.631-05:002011-02-09T19:39:56.631-05:00आज तो आपने कई बन्दों को कवि बना दिया :)
ज़रा सी ...आज तो आपने कई बन्दों को कवि बना दिया :)<br /><br /><br />ज़रा सी प्रेरणा इधर भी मिली ...<br /><br />जब 'जाग' देश को लूट रहे <br />तो आंख खोलकर सोना क्या <br /><br /><br />जाग = कौव्वेउम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-27169696299131216762011-02-09T19:26:52.886-05:002011-02-09T19:26:52.886-05:00वर्मा जी,
आभार आपका! पंक्ति में ज़रा सा परिवर्तन क...वर्मा जी,<br /><br />आभार आपका! पंक्ति में ज़रा सा परिवर्तन कर दिया है| कृपादृष्टि यूँ ही बनी रहनी चाहिये। <br /><br /><b>जज़्बात की ही जब क़द्र नहीं<br />मुफ्त में आँख भिगोना क्या</b><br /><br />शुक्रिया!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-51731049264458959612011-02-09T19:24:16.070-05:002011-02-09T19:24:16.070-05:00@ सर्वश्री संजय द्वय, राजेश, प्रतुल, सुज्ञ जी, रा...@ सर्वश्री संजय द्वय, राजेश, प्रतुल, सुज्ञ जी, राहुल जी, आप लोगों के योगदान से बनी नई रचना कहीं अधिक रोचक है| <br />धन्यवाद!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-44743785984330707332011-02-09T19:06:56.032-05:002011-02-09T19:06:56.032-05:00बहुत सही.....इसमें मैं भी कुछ जोड़ना चाहता हूँ..पस...बहुत सही.....इसमें मैं भी कुछ जोड़ना चाहता हूँ..पसंद आये तो बताइयेगा जरूर...<br /><br />है शब्द शब्द में मर्म भरा <br />ऐसी कविता का कहना क्या? <br />प्रणाम<br />राजेशRajesh Kumar 'Nachiketa'https://www.blogger.com/profile/14561203959655518033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-49908589227916305462011-02-09T15:26:42.322-05:002011-02-09T15:26:42.322-05:00वो चीज़ नहीं अपनी थी जो
उसका पाना और खोना क्या!
और ...वो चीज़ नहीं अपनी थी जो<br />उसका पाना और खोना क्या!<br />और वो शेर जिसे लगभग सबने कोट किया उसपर चोट करने की धृष्टता कर रहा हूँ.. <br />जज़्बात तो ख़ुद ही प्लूरल है<br />फिर "जज़्बातों" का होना क्या!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-21914887315703971052011-02-09T13:35:11.571-05:002011-02-09T13:35:11.571-05:00जहाँ क़द्र नहीं जज्बातों की ,
मुफ्त में आँख भिगोना ...जहाँ क़द्र नहीं जज्बातों की ,<br />मुफ्त में आँख भिगोना क्या ...<br />वाह जी कमाल हे, बहुत सुंदर धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-53916225089472175652011-02-09T13:32:49.892-05:002011-02-09T13:32:49.892-05:00बहुत खूब... बहुत खूब..बहुत खूब... बहुत खूब..भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-73627473724517967812011-02-09T10:59:55.901-05:002011-02-09T10:59:55.901-05:00जहाँ क़द्र नहीं जज़्बातों की
मुफ्त में आँख भिगोना...जहाँ क़द्र नहीं जज़्बातों की <br />मुफ्त में आँख भिगोना क्या<br /><br />बहुत सुंदर ...हर पंक्ति में जीवन सन्देश छुपा है.... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-77298031379400362202011-02-09T09:49:54.961-05:002011-02-09T09:49:54.961-05:00गिरगिटिया रंग की पंक्ति-
छोड़ चले जब हम महफिल को
फ...गिरगिटिया रंग की पंक्ति-<br />छोड़ चले जब हम महफिल को<br />फिर क्या पाना औ खोना क्या.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-45485045357531604892011-02-09T08:28:25.202-05:002011-02-09T08:28:25.202-05:00क्या बात कही........अनमोल !!!
सदा ध्यान में रखने ...क्या बात कही........अनमोल !!!<br /><br />सदा ध्यान में रखने योग्य...<br /><br />बहुत ही सुन्दर रचना...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-22802937947344674952011-02-09T06:36:02.523-05:002011-02-09T06:36:02.523-05:00जहाँ क़द्र नहीं जज़्बातों की
मुफ्त में आँख भिगोना...जहाँ क़द्र नहीं जज़्बातों की <br />मुफ्त में आँख भिगोना क्या<br /><br />बहुत ही सटीक जज्बात अभिव्यक्त किये आपने. शुभकामनाएं.<br /><br />रामरामताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-45439222689017764622011-02-09T06:27:20.707-05:002011-02-09T06:27:20.707-05:00जहाँ कद्र नहीं ज़ज्बातों की...
एक दम सच्ची और अच्छ...जहाँ कद्र नहीं ज़ज्बातों की...<br />एक दम सच्ची और अच्छी बात...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-90077439052603678682011-02-09T04:11:03.273-05:002011-02-09T04:11:03.273-05:00बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .अच्छा लगा....जैसे देवता ....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .अच्छा लगा....जैसे देवता ..वैसी पूजा ..ऐसा ही होना चाहिए <br />शुभकामनायेंAmrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-30457889089062432472011-02-09T01:52:12.263-05:002011-02-09T01:52:12.263-05:00जहाँ क़द्र नहीं जज़्बातों की
मुफ्त में आँख भिगोना क...जहाँ क़द्र नहीं जज़्बातों की <br />मुफ्त में आँख भिगोना क्या<br />behad khoobsurti ke saath bhawon ko shabdon me piroya hai.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-84830343120195488002011-02-09T01:40:05.347-05:002011-02-09T01:40:05.347-05:00.
और मेरी तरफ से ...
जहाँ मिले नहीं छाया तक भी
....<br /><br />और मेरी तरफ से ...<br /><br />जहाँ मिले नहीं छाया तक भी <br />तरु लंबा क्या और बौना क्या? <br /><br />जो निर्णय खुद ना ले पाए <br />'मनमोहन' क्या और मोना क्या? <br /><br />बस मिल जाये कुछ खाने को <br />अब पत्तल क्या और दोना क्या? <br /><br />अनुराग भूख ने भगवाया<br />अब पिट्सबर्ग का कोना क्या?<br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-51933390623289150282011-02-09T01:39:00.035-05:002011-02-09T01:39:00.035-05:00.
हर चीज यहाँ एक भाव बिके.
पीतल क्या और सोना क्या....<br /><br />हर चीज यहाँ एक भाव बिके.<br />पीतल क्या और सोना क्या?<br />@ वाह-वाह! सञ्जय जी प्रथम. <br /><br />जो सच्चे दिल से काव्य रचे...<br />उसपर झूठे टिपियाना क्या ...<br />@ वाह-वाह!! सञ्जय जी द्वितीय. <br /><br />और अब आखिर में <br />जहाँ क़द्र नहीं जज़्बातों की <br />मुफ्त में आँख भिगोना क्या<br />@ वाह-वाह!!! अनुजाग जी.<br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-19783159988957011772011-02-09T01:19:26.936-05:002011-02-09T01:19:26.936-05:00जब उर में उतर गई कविता!
कागज पे संजोना क्या?
श्रम...जब उर में उतर गई कविता!<br />कागज पे संजोना क्या?<br /><br />श्रम सहज स्वीकार करें तो<br />कठिनाईयों में रोना क्या?<br /><br />विलक्षण रूप से प्रभावित किया आपकी इस वाणी नें!! आभारसुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-21941103122042775832011-02-09T00:48:07.744-05:002011-02-09T00:48:07.744-05:00जहाँ क़द्र नहीं जज़्बातों की
मुफ्त में आँख भिगोना ...जहाँ क़द्र नहीं जज़्बातों की<br />मुफ्त में आँख भिगोना क्या<br />वाह बहुत खूब कहा। बधाई इस कविता के लिये।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-21285201382491116062011-02-09T00:21:49.612-05:002011-02-09T00:21:49.612-05:00"जहाँ क़द्र नहीं जज़्बातों की
मुफ्त में आँख ..."जहाँ क़द्र नहीं जज़्बातों की <br />मुफ्त में आँख भिगोना क्या"<br />यह सिर्फ व्यवहारिकता ही नहीं, थोड़ी समझदारी भी है... कभी कभी दिमाग की भी सुननी चाहिए..<br />वैसे आपकी शुभकामनाओं के लिए बहुत बहुत धन्यवाद..Pragyahttps://www.blogger.com/profile/16628365720892083937noreply@blogger.com