tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post7536470040236067457..comments2024-03-23T20:44:05.692-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: "क्यूरियस केस ऑफ केजरीवाल" - राजनीतिक परियोजना प्रबंधनSmart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger61125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-59530667959577690752013-12-27T16:16:41.364-05:002013-12-27T16:16:41.364-05:00जय राम जी की!जय राम जी की!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-30877701496951736652013-12-27T01:11:05.696-05:002013-12-27T01:11:05.696-05:00अनुराग जी
आप के मुताबिक असंबंधि...<br /><br /><br /><br />अनुराग जी <br /> आप के मुताबिक असंबंधित निष्कर्ष निकालना मेरी खासियत है तो मै ये जानना चाहूंगी की आप ने किन बातो से ये निष्कर्ष निकाल लिया की मै कामरेड हूँ, असंबंधित निष्कर्ष निकलने वाला या कोई व्यक्तिगत सम्बोधन क्यों न मै आप के लिए कहूं । मैरी टिप्पणी में कोई भी आप को निशाना बना कर किया गया व्यक्तिगत आक्षेप या सम्बोधन हो तो आप बताये जबकि आप तुरंत ही मुझ पर व्यक्तिगत टिप्पणी करने लगे , अदा जी ने मुझसे सहमति दिखाई क्या आप उन्हें भी कामरेड कहेंगे , या देवयानी के मुद्दे पर आज शिल्पा जी मुझसे सहमत है तो आप उन्हें भी कामरेड कहेंगे, सम्भवतः आप को मुझसे पहले से ही कोई नाराजगी थी मेरी किसी टिपण्णी से या फिर किसी कामरेड से बहस का गुस्सा आप मुझ पर निकाल रहे थे । मैंने कहा आतंकवादियो का समर्थन किया है क्या आप मुझे बताइयेगा , प्रतिटिप्पणी में मैंने ये कहा है कि केवल कश्मीर के आतंकवाद से इतनी नफ़रत क्यों हर तरह के आतंकवाद से सभी को नफ़रत होनी चाहिए , सिखो की बात का अर्थ इतना है कि जैसे एक समय पंजाब आतंकवाद के समय उन्हें शक कि नजर से देखा जाता है लगता था कि ये समस्या कभी सुलझेगी ही नहीं किन्तु आज ऐसा नहीं है ,तो युवाओ को बताने कि जरुरत है की हर मुस्लिम कश्मीरी को शक कि नजर से देखने कि जरुरत नहीं है , ये एक दौर है जो चला जायेगा उसे इतना बढाने कि जरुरत नहीं है , और न ही जरुरत इस बात कि है कि हर पुराणी बात को खोदा जाये । मेरी नाराजगी बाद में आप कि दी गई प्रतिक्रिया पर नहीं है आप ने पहले जो कुछ लिखा हुआ है उस पर है जहा आप कह रहे है कि <br />@anshumala jee,<br />@ अनुराग जी कि पोस्ट उन मुद्दो पर नहीं है उनकी पोस्ट की ऐसी तैसी क्या करना<br />- नहीं, नहीं, मेरे ब्लोगिंग का उद्देश्य तो आपकी प्रसन्नता ही है। आप ऐसी-तैसी के प्रयास जी-जान से करती रहिए। मुद्दों में क्या धरा है। आप अपनी बात कहिए, हमें वही सुनने में रुचि है। वैसे, आपसे पहले भी कई सीनियर कामरेड यहाँ पोस्ट से इतर होकर अपने-अपने नक्सल/माओ/पोलपोत/कैस्ट्रो/स्टालिन/मार्क्स/आतंक/अव्यवस्था प्रोपेगेंडा को धर्म/भगवा/सिख/ईसाई/सेना/व्यवस्था आदि शब्दों में लपेटकर सर्व करने के प्रयास करते रहे हैं, फिर धीरे-धीरे उस प्रचार की कमजोर चूलों को भाँपकर पीछे हट गए। कुछेक ने तो प्रोपेगेंडा-फ्लोपर मानकर मुझे अपनी फेसबुक मित्र-सूची से भी निकाल दिया है। <br />@ वैसे मुझे तो लगा था कि अनुराग जी कुछ जवाब देंगे <br />- वैसे तो कोई भी देख सकता है कि आपकी टिप्पनियों में उठाए सवालों के जवाब मेरे पोस्ट्स में पहले ही दिये जा चुके हैं। लेकिन समुचित जवाबों (ब्लॉग-पोस्ट) के जवाब (टिप्पणी/प्रति-टिप्पणी ) में जब हल हो चुके प्रश्न बार-बार सामने लाये जाएँ तो जवाब में मैं क्या कहूँ, आपने खुद ही किसी से कुछ कहा था: तेरा तुझको अर्पण ... <br />"ये जानते हुए भी कि आप को समझाना मुश्किल है फिर भी अपनी तो आदत है कि हम चुप नहीं रहते सो ,"<br /><br />आप दीप कि जी पोस्ट पर दी गई जिस टिप्पणी का जिक्र कर रहे है वो केवल समलैंगिगता पर उनके बात न समझने के कारण कही गई थी उनकी पिछली पोस्ट इसी विषय में पढ़िए जहा पर मेरे आलावा बहुत से लोगो ने उन्हें लिंक दे बात समझाया था , किन्तु वो "कुछ और " जानना चाह रहे थे , इसलिए मैंने ये टिप्पणी वहा कि थी , जिसे आप घसीट के क्रोध में यहाँ ले कर आये । आप कि पिछली पोस्टो और इस टिप्पणी में साफ झलकता है की कामरेड कम्युनिष्टों को लेकर आप में कितनी नफ़रत है और कामरेड शब्द आप गाली की तरह प्रयोग करते है , जो आप ने मेरे लिए किया , मुझे अपनी आलोचना सुनने में कोई परहेज नहीं है , दीप जी कि पोस्ट पढ़ी होगी तो वहा ये भी लिखा था कि हम सभी अपने विचारो के साथ अपना जीवन जीने के लिए स्वतंत्र है क्योकि हम सभी अलग अलग व्यक्तित्व है , मै आप कि बात से असहमत थी आप मेरी बात से बात यही ख़त्म थी , किन्तु आप ने क्रोध में बात को दूसरी तरफ मोड़ दिया और उसे विचार की जगह व्यक्तिगत बना दिया , मै हमेसा टिप्पणी अपने विचार रखने भर के लिए प्रयोग करती हूँ और उसे रखा कर चली जाती हूँ किसी से ये नहीं कहती हूँ कि केवल मै ही सही हूँ या दुसरो को उसे मानना ही चाहिए , मै असहमतियों को रखने से डरती नहीं हूँ क्योकि मै टिप्प्णी पाने के लिए टिप्पणी नहीं करती और न ही दोस्ती में हा में हा मिलाती हूँ । <br />मै तो स्माइली आदि भी लगा देती हूँ कि किसी को ये न लगे की मेरी कोई भी प्रतिक्रिया गुस्से में या तल्खी में दी जा रही है । आपकि ब्लॉगिंग ऐसे ही सहमत लोगो के साथ चलती रहे <br /><br />शुभकामनाये, <br />अंशुमाला :)anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-44426849204021102622013-12-26T21:52:11.310-05:002013-12-26T21:52:11.310-05:00... जारी है ...
@कहने का अर्थ इतना ही था कि हर राज...... जारी है ...<br />@कहने का अर्थ इतना ही था कि हर राजनितिक पार्टी का उदय ऐसे ही होता है चाहे वो " आप" हो या बीजेपी<br />- पोस्ट राजनीतिक पार्टियों के बारे में नहीं, केजरीवाल के उदय के बारे में है। फिर भी आप बीजेपी आदि बल्कि उससे आगे बढ़ाकर आप नक्सल, एलटीटीई आदि का ज़िक्र ले आईं उसकी कोई ज़रूरत नहीं है। <br /><br />@ मै जब एक और ब्लॉगर कि पोस्ट पर कांग्रेस के खिलाफ लिखती हूँ ( क्योकि वो कांग्रेस के समर्थक है )तब मै आप को कामरेड नहीं नजर आई ।<br />- जी जैसे आपने मेरे कुछ ही पोस्ट पढ़ी हैं, वैसे ही मैंने भी आपकी सारी पोस्ट्स और टिप्पणियाँ नहीं पढ़ीं हैं। कॉंग्रेस के खिलाफ लिखने से कॉमरेड हो जाते हैं, यह वाला निष्कर्ष भी आपकी अनूठी-निष्कर्ष-कला का उत्कृष्ट उदाहरण लगता है।<br /><br />@ यदि आप को कुछ लोगो का अपने ब्लॉग पर आना नहीं पसंद है तो उसे लिख देना था<br />- जी, कभी ऐसा बुरा वक्त आयेगा तो ब्लॉग लिखना ही बंद करना पसंद करूंगा, ... :)<br /><br />@ असहमतियों को यहाँ नहीं सूना जायेगा , ऐसा कुछ लिखा होता तो मै भी नहीं आती <br />- एक बार फिर, आपकी गजब की निष्कर्ष कला ने अचंभित किया। फिर भी इस बार बता ही देता हूँ कि मेरे नियमित पाठक अवश्य जानते हैं कि मैंने ऐसी-ऐसी असहमतियाँ प्रकाशित की हैं, जिनके बारे में आप सोच भी नहीं सकतीं। इस ब्लॉग की टिप्पणी पॉलिसी स्पष्ट शब्दों में लिखी है और हर टिप्पणी उसी पॉलिसी से गवर्न होती है। <br /><br />@ मेरी टिप्पणियों से आप को कुछ बुरा लगा तो माफ़ी <br />- मुझे यहाँ माफी कि कोई वजह नज़र नहीं आती, न बुरा लगने की कोई बात ही नहीं है लेकिन जिस व्यक्ति में बड़ी संभावना दिखती हो, वहाँ पर हर बार वही अपनी बात ही समझाने का आग्रह और विशिष्ट निष्कर्ष निकालने की प्रवृत्ति नज़र आए तो निराशा अवश्य होती है। <br /><br />@ जिसे भी आप चाहे तो हटा दे मै हमेसा इसे ब्लॉगस्वामी का एकाधिकार मानती हूँ।<br />- ब्लॉगस्वामी का अधिकार तो है पर एकाधिकार नहीं। जो टिप्पणियाँ इस ब्लॉग की टिप्पणी पॉलिसी में अटक जाती हैं, वे कभी दिखती ही नहीं, इसलिए मुझे कभी उन्हें हटाने का कष्ट नहीं करना पड़ता। <br /><br />आपकी पिछली टिप्पणियों में कही बातों पर भी बात की जा सकती थी, लेकिन एक तो मुझे बहस का शौक नहीं हैं दूसरे आपकी उपरोक्त टिप्पणी से स्पष्ट है कि आप अपनी बात तो समझाना चाहती हैं लेकिन जवाबी बहस के लिए तैयार नहीं हैं।<br /><br />पुनः, टिप्पणी करना न करना आपकी रुचि, प्राथमिकता और अधिकार का क्षेत्र है, उस पर मैं कुछ नहीं कह सकता लेकिन मैं अपने आलेखों का सत्याग्रह जारी रखूँगा, कोई पढे न पढे। <br /><br />शुभकामनायें,<br />अनुराग Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-36403191743905707672013-12-26T21:51:04.400-05:002013-12-26T21:51:04.400-05:00अंशुमाला जी,
किसी पोस्ट या टिप्पणी को पढ़कर उसमें स...अंशुमाला जी,<br />किसी पोस्ट या टिप्पणी को पढ़कर उसमें से बिलकुल असंबंधित निष्कर्ष निकालकर रख देने की आपकी क्षमता मुझे फिर आश्चर्यचकित कर रही है। <br />@मै उन लोगो में नहीं हूँ जो मना करने या नाराजगी जताने के बाद भी धुस कर टिप्पणिया देते है , झगड़े विवाद करते है , मै ब्लॉग जगत में ये सब करने नहीं आई हूँ<br />- बहुत आभार। विवाद वालों की भी कमी नहीं है, और अपने अपने वाद वालों की भी। शायद अब तक आपको पता लगा हो कि आप सरीखे मैं भी उन लोगों में नहीं हूँ, न मेरे पास इतना वक्त है कि फिजूल की बहसों में उलझ सकूँ। <br /> <br />@आप एक लाइन में लिख देते की आप को मेरी टिप्पणिया पसंद नहीं आती है दुबारा कभी नहीं आती । <br />- नहीं, मैं वह नहीं लिखता, न कहता हूँ, जो मेरे मंशा नहीं है। यथा संभव स्पष्ट लिखने की चेष्टा करता हूँ ताकि किसी को "बिटवीन द लाइंस" पढ़ने की तकलीफ न करनी पड़े। बात टिप्पणी की है ही नहीं, बात हर बार वह मुद्दा हाइलाइट करने की है जो कभी था ही नहीं, न पोस्ट में , न टिप्पणी में, न लिखा गया न कहा गया। <br /><br />@ इस बात की जानकारी भी मुझे आप की ही पोस्ट से हुई थी कि ईश्वर में विश्वास न करना कम्युनिष्ट होना होता है जब आप ने भगत सिंह के बारे में लिखा था ।<br />- ऊपर, और अपनी पिछली टिप्पणी में मैंने आपकी इसी खूबी का ज़िक्र किया है जिसमें आप वह निष्कर्ष निकाल पाती हैं जो कभी कहा या लिखा ही नहीं गया, जिसकी कभी मंशा भी नहीं थी और जो किसी नियम से भी सत्य भी नहीं है। वही पोस्ट पाँच लोगों को पढ़ाये और चैक कर लीजिये कि आपका बताया हुआ निष्कर्ष निकाल पाना कितनी दुर्लभ कला है। वैसे मैं जीतने समय तक नास्तिक रहा हूँ उतनी तो शायद आपकी आयु भी नहीं होगी। मगर कम्युनिस्ट - न, व्यक्तिगत स्वतन्त्रता को अमान्य करने वाली कोई भी विचारधारा मुहे कभी मान्य नहीं हो सकती। <br /><br />@ कामरेड कम्युनिस्टी आदि जैसी बाते कहने कि आवश्यकता नहीं थी , ये शब्द आप के अति गुस्से और खीज को दिखा रहा है ।<br />- आप करें तो ठीक, हम करें तो गुस्सा और खीज - भगवान की माया, कहीं धूप कहीं छाया <br /><br />@ आप को जितना पढ़ा था उस हिसाब से लगा आप बीजेपी के समर्थक है<br />- लगता है आपने काफी कम पढ़ा है मुझे। आप भी बहुत बिज़ी होंगी लेकिन आपको "लग रहे" गलत को सही करने में यदि मुझे अधिक पढ़ना आपकी सहायता कर सके तो मेरा अनुरोध यही है कि दो-चार बिन्दु देखकर जल्दबाज़ी में आधे-अधूरे निष्कर्ष निकालने के बजाय समय मिलने पर बचे हुए आलेख भी पढ़ डालिए। <br />- आप किसी को भी निराधार ही किसी का समर्थक बता दें, सही है लेकिन आपकी लगातार लिखी जा रही बात के आधार पर कोई आपको कुछ कह दे तो आप नाराज़ होकर अपनी उपरोक्त टिप्पणी जैसी बात कहकर कभी न आने की बात करेंगी। सोचने का ये कौन सा तरीका है, मैं समझने में पूर्णतया असमर्थ हूँ। <br /><br />@आज आप नौकरानी के मानवाधिकार ,शोषण के खिलाफ खड़े है अपने ही देश के सम्मान को दरकिनारा कर तो आप कामरेड नहीं है<br />- जी, मैं हमेशा मानवाधिकार के पक्ष में और शोषण के खिलाफ ही हूँ और मेरे देश का सम्मान वहीं है जहां मानवमात्र का सम्मान है, चाहे वो देश के सामान्य नागरिक हों, चाहे देश के लिए जान देने वाले सैनिक। इसके लिए मुझे किसी दमनकारी विचारधारा कि बैसाखी पकड़ने की ज़रूरत नहीं है और न ही किसी भ्रष्ट अधिकारी को सपोर्ट करने की। <br /><br />@मैंने कश्मीरियों और माओवाद के नाम पर मासूम लोगो के शोषण के खिलाफ लिख दिया तो मै कामरेड हो गई ।<br />- जी नहीं, बात इतनी सी नहीं है, अपनी टिप्पणियाँ फिर से पढ़िये, शायद आप देख पाएँ कि आपकी टिप्पणियों में आतंकवादियों को भी पीड़ित ही बताया गया है और जास्तीफ़ाई करने के लिए कभी अल्पकालिक खलिस्तान और कभी एलटीटीई आतंकवाद की बात की जाती है। आतंकवाद और हिंसा के प्रचार पर आप अपने ब्लॉग पर जो चाहे लिखें, यहाँ मेरे पोस्ट से अगर वैसे बेतुके निष्कर्ष निकाले जाएँगे तो उनका उत्तर देना मेरा कर्तव्य है और उसमें मुझे समस्या नहीं है। समस्या बस इतनी है कि निष्कर्ष का कोई आधार तो हो। हर बार गोल-चक्कर में घूमते रहने वाले प्रचार का जवाब क्या हो सकता है भला? महेंद्र कर्मा हत्याकांड जैसे नृशंस कृत्य पर भी आपकी टिप्पणी आतंकवाद का महिमामंडन और लोकतन्त्र को अपमानित ही कर रही थी। <br /><br />@ मै जब भी टिप्पणी करती हूँ तो ये सोच कर करती हूँ कि मेरी बात जीतनी जल्दी समझ में आ जाये उतना ठीक बहस न हो (<br />- जी, आपकी टिप्पणियों की लम्बाइयाँ और दोहराव से काफी कुछ स्पष्ट हो ही चुका है। आपकी बात ही समझ आने का आग्रह क्यों? क्या दूसरा पक्ष सदैव गलत ही होता है? <br />... जारी है ... Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-43639893156882373102013-12-26T09:37:00.487-05:002013-12-26T09:37:00.487-05:00अनुराग जी
टिप्पणिया फॉलो न करने...अनुराग जी <br /><br /> टिप्पणिया फॉलो न करने का खामियाजा एक बार फिर भुगतना पड़ा :( , मुझे पता होता कि आप को मेरी हलकी फुलकी टिप्पणियों से इतनी नाराजगी है ( नारी मुद्दो को छोड़ कर मै कभी भी गुस्से में प्रतिक्रिया नहीं देती हूँ , राजनीतिक मुद्दे पर तो कभी भी नहीं ) तो मै देवयानी वाली पोस्ट पर कभी टिप्पणी नहीं करती मै उन लोगो में नहीं हूँ जो मना करने या नाराजगी जताने के बाद भी धुस कर टिप्पणिया देते है , झगड़े विवाद करते है , मै ब्लॉग जगत में ये सब करने नहीं आई हूँ , आप एक लाइन में लिख देते की आप को मेरी टिप्पणिया पसंद नहीं आती है दुबारा कभी नहीं आती । कामरेड कम्युनिस्टी आदि जैसी बाते कहने कि आवश्यकता नहीं थी , ये शब्द आप के अति गुस्से और खीज को दिखा रहा है । मार्क्स को जीवन में एक बार कोर्स की किताब में पढ़ा था तब भी समझ नहीं आया था , पता न था की केवल ईश्वर में विश्वास न करने से मै कामरेड हो जाउंगी , और सच बताऊ तो इस बात की जानकारी भी मुझे आप की ही पोस्ट से हुई थी कि ईश्वर में विश्वास न करना कम्युनिष्ट होना होता है जब आप ने भगत सिंह के बारे में लिखा था । आज आप नौकरानी के मानवाधिकार ,शोषण के खिलाफ खड़े है अपने ही देश के सम्मान को दरकिनारा कर तो आप कामरेड नहीं है , मैंने कश्मीरियों और माओवाद के नाम पर मासूम लोगो के शोषण के खिलाफ लिख दिया तो मै कामरेड हो गई । अपने ही देश के सरकार के खिलाफ ( भारत सरकार केवल भारत सरकार होती है बीजेपी या कांग्रेसी या तीसरे मोर्चे कि नहीं )और विदेशी सरकार के पक्ष में लिख रहे है मै भी आप को कुछ नाम दे दू ऐसा करने पर । । आप कि पोस्ट में बात "आप" से निकल कर कही और चली गई और भगवा जैसे शब्द आ गए ( जो मैंने नहीं लिखा था ) इसलिए मैंने उसे वही बंद करने के लिए एक सामान्य शब्द ऐसी कि तैसी ,मतलब पोस्ट के विषय से इतर बात करना और मुख्य मुद्दे को गायब कर देना के लिए लिखा मुझे नहीं पता कि एक मामूली शब्द को आप किस रूप में लेने लगे । मै जब भी टिप्पणी करती हूँ तो ये सोच कर करती हूँ कि मेरी बात जीतनी जल्दी समझ में आ जाये उतना ठीक बहस न हो ( मेरे कहने का अर्थ समझ आ जाये न की उसे मानने की जबरजस्ती ) , गागर में सागर भरना मुझे नहीं आता है और किसी ने कुछ भी लिख दिया बसउसकी हा में हा मिलाना भी नहीं आता है आप को जितना पढ़ा था उस हिसाब से लगा आप बीजेपी के समर्थक है इसलिए जवाब में बीजेपी को भी वही रखा जहा आप " आप " पार्टी को रख रहे थे । कहने का अर्थ इतना ही था कि हर राजनितिक पार्टी का उदय ऐसे ही होता है चाहे वो " आप" हो या बीजेपी । मै जब एक और ब्लॉगर कि पोस्ट पर कांग्रेस के खिलाफ लिखती हूँ ( क्योकि वो कांग्रेस के समर्थक है )तब मै आप को कामरेड नहीं नजर आई । यदि आप को कुछ लोगो का अपने ब्लॉग पर आना नहीं पसंद है तो उसे लिख देना था जैसे कुछ लोगो ने लिखा हुआ है और कई बार साफ कह दिया है कि फला फला मेरे ब्लॉग पर न आये केवल हा में हा मिलाने वाले ही मेरे ब्लॉग पर आये , असहमतियों को यहाँ नहीं सूना जायेगा , ऐसा कुछ लिखा होता तो मै भी नहीं आती । मेरी टिप्पणियों से आप को कुछ बुरा लगा तो माफ़ी , जिसे भी आप चाहे तो हटा दे मै हमेसा इसे ब्लॉगस्वामी का एकाधिकार मानती हूँ ।anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-62515368066743880702013-12-22T11:10:51.975-05:002013-12-22T11:10:51.975-05:00... पिछली टिप्पणी से जारी है ...
७- जनता को मुर्ख...... पिछली टिप्पणी से जारी है ... <br />७- जनता को मुर्ख समझ कर कुछ भी स्टिंग करने और बिलकुल चुनावो के पहले उसे दिखाने से जनता बेफकूफ बन जाती है , कम से कम अब तो इस स्टंट को करना बंद कर दे राजनीतिक दल , जनता बेफकूफ नहीं है <br /><b>- मैं पहले भी कह चुका हूँ कि भारत कोई कम्युनिस्ट, धार्मिक या सैन्य तानाशाही नहीं है। यह लोकतन्त्र हैं। यहाँ जनता को अधिकार भी हैं और समझ भी। न तो मीडिया को कानून की हद में रहते हुए काम करने से रोका जा सकता है और न ही जनता किसी दवाब या दमन से डरने वाले हैं। जनता ने बीजेपी और आप को चुना है। मगर वह सब मेरे पोस्ट का विषय नहीं था। <br /></b><br />८- दुसरो को बेफकूफ समझना , समर्थन की बार बार वही राजनीतिक चाल के फंदे में हर कोई नहीं आता है , आम चुनावो के डर से उत्तर प्रदेश का "कल्याण" करने वाले ये नैतिकता का ढोंग करना बंद कर देना चाहिए <br /><b>- ये किसकी बात है? किसी राजनैतिक प्रोपेगेंडा का हिस्सा है? केजरीवाल के राजनीतिक प्रबंधन की पोस्ट से इसका क्या संबंध है? ऐसे असंबंधित प्रचारात्मक वाक्य लिखने से लेखक की विश्वसनीयता ही कम होती है। और कुछ नहीं। <br /></b><br />@९- जिस आंदोलन को कांग्रेस विरोधी आंदोलन समझा उसे हवा दी जब उसी आग से बीजेपी का अपना घर जल जाये तो उसका दुखी होना लाजमी है <br /><b>- अन्ना हज़ारे का आंदोलन भ्रष्टाचार विरोधी था। उन्हें तो अंदाज़ भी नहीं था कि केजरीवाल इसका राजनीतिक लाभ उठाने जा रहे थे। इसमें आप बीजेपी को बीच में कहाँ से ले आईं? अब आपका बीजेपी-ओबसेशन मुझे सरप्राइज़ करने लगा है। <br /></b><br />@ १० - कम से कम जनता के मुद्दे तो चुनावी मुद्दे बने नहीं तो चुनाव जाती धर्म और डर पर लड़े और जीते जाते है <br />और <br />११ - साम्प्रदायिकता का दंगो का डर , मंदिर निर्माण आशा और आतंकवाद का डर दिखा कर वोट लेने से तो अच्छा ही है , जहा पर जिसने भी इन मुद्दो पर चुनाव लड़ा वो जीते , मतलब चुनाव जितने का फार्मूला तो यही सही है , ये कोई अपनी पसंद का करे तो विकास पुरुष कोई दूसरा करे तो चुनावी मुद्दा बहुत नाइंसाफी है <br /><b>- ऐसा जनरल वक्तव्य देना, कहना भारतीय जनता की विचार-क्षमता का अपमान है। जन-हत्यारे नक्सली या कम्युनिस्ट विचारधारा में जन-भावनाओं का कोई मूल्य भले न हो, लोकतन्त्र में जनता ही सरकार बनाती है। उसके विचार, तौर-तरीके का सम्मान करना तो हमें सीखना ही चाहिए। <br /></b><br />@ १२ - रन वर यूनिटी के नाम पर युवा को जोड़ो , इंटरनेट पर उन्हें दुनिया जहां की गलत जानकारिया कश्मीर के बारे में मुस्लिमो के बारे में दे दे कर बेफकूफ बनाने से अच्छा है कि युवा जमीनी हक़ीक़तो और मुद्दो से जुड़े , हिन्दू और मुस्लिम बनने की जगह भारतीय बने <br />-<b> ओह, फिर तो "भारतीय जनता" पार्टी के नाम से आपके भड़काने की कोई वजह नहीं समझ आती :) Let public decide what they want! <br /></b><br />@१३ - सब मोदी बाबा की कृपा प्रताप है ये दिव्यज्ञान तो उन्ही ने फैलाया है , बाकि उसी का सेवन कर रहे है , धन्यवाद के पात्र है वो <br />और<br />१४ - हा बिलकुल वैसे ही जैसे नेहरु तो कांग्रेसी किन्तु पटेल हम सभी के जब जैसी जरुरत हो अच्छे लोगो का उपयोग करो <br /><b>- पुनः, ये किसकी बात है? किसी राजनैतिक प्रोपेगेंडा का हिस्सा है? केजरीवाल के राजनीतिक प्रबंधन की पोस्ट से इसका क्या संबंध है? ऐसे असंबंधित प्रचारात्मक वाक्य लिखने से लेखक की विश्वसनीयता ही कम होती है। और कुछ नहीं। <br /></b><br />@१५- बिजली तो कोई मुफ्त नहीं दे रहा है उपाय सामने है कम्पनियो और सरकारो का जोड़ घटाना सही करो एक तरफ सब्सिडी कि बात दूसरी तरफ दोहरा कर लगाओ ये कागजी जोड़ घटाना हटा दे तो पता चल जायेगा कि किस चीजे का दाम कितना है और सरकारी आय को काले धन और नीलामी प्रक्रिया से करो । हा ये ठीक है कि जनता के वादो को बहुमत के नाम पर उस तरह मत तोड़ो जैसे आज तक मंदिर नहीं बना सरकार दो बार बन कर चली गई ;)<br /><b>- केजरीवाल ने मीडिया के सामने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि बिल पे न करें, हमारी सरकार आएगी तो हम सब माफ कर देंगे। </b><br />जोश अच्छी बात है लेकिन जोश में आकर किसी पोस्ट या व्यक्ति में वह सब ढूंढ लेना जो कभी था ही नहीं उतनी अच्छी बात नहीं। Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-34282788899687818992013-12-22T11:09:16.774-05:002013-12-22T11:09:16.774-05:00अंशुमाला जी,
आपकी टिप्पणियों में प्रयुक्त कुछ असत...अंशुमाला जी, <br />आपकी टिप्पणियों में प्रयुक्त कुछ असत्य कथनों पर स्पष्टीकरण आवश्यक है, आलसी को उकसाया है तो अब झेलिए भी <br />@१- इन्हे पहले कुछ समय तो बिताने दीजिये फिर ये बात आप के लिए कहिये । <br /><b>- मैंने तो इस पर कुछ कहा ही नहीं। चैन से समय बिताएँ। मेरी पोस्ट तो उनकी अप्रत्याशित सफलता के तरीके पर एक अवलोकन मात्र है। यदि आप जबरन उसे किसी अन्य रोशनी में देखना चाहती हैं, तो मैं कुछ नहीं कर सकता। <br /></b><br />@२- सभी ने यही किया है कोई साधू संतो मंदिर का मुदा ले कर तो कोई मस्लिम तुष्टिकरण और मुल्लाओ को लेकर , इन दोनों से तो भले है ये , <br /><b>- बरेली दंगों के आरोपी मुल्ला तौकीर रज़ा आदि को आमंत्रित करने जैसे काम करके केजरीवाल भी वही सब कर रहे हैं तो नया क्या है? ये तो परिवर्तन का दावा करके वोट ले रहे थे। <br /></b><br />@३- नक्शलियो के हिमायती अग्निवेश की तारीफ यहाँ देख कर बहुत बड़ा आश्चर्य हो रहा है पता न था कि जो आंदोलन रूपी झीका अपनी झोली में गिराने का सोचा था उसे न गिरा देखा कर गुसा इतना ज्यादा होगा कि अग्निवेश के लिए ये लिखा जायेगा , आप तो ऐसे न थे :(<br /><b>- जो मेरे पोस्ट में है नहीं वह देख पाना एक बड़ी सिद्धि है, आपकी इस सिद्धि को नमस्कार! और नमस्कार उस प्रतिबद्धता को भी जिसके तहत आप नरहिंसा और दमन का प्रतीक बन चुके शब्द "नक्सल" को मेरी पोस्ट पर ले ही आईं। अगर अब तक आपको यह पता नहीं लगा है कि मेरे कोई भी पोस्ट अपनी झोली, पराई झोली, मेरा वाद, तेरा वाद मेरा स्वार्थ, तेरा स्वार्थ पर नहीं है तो आपको गहरे अंतरमनन की आवश्यकता है। इस दुनिया में हर इंसान हर काम अपने निहित स्वार्थ के वशीभूत होकर ही करे यह सोच कम्युनिस्ट सर्कल में भले ही मान्य हो, सर्व-सत्या नहीं है। <br /></b><br />@ ४- ये भी खूब रही जब बिल्ली के भाग से झीका नहीं टुटा तो दोष छीके को दे दो , अपने किये कि सजा दोनों खुद भोग रहे है जब सोचा था कि साम्प्रदायिकता के नाम पर हिंदूवाद के नाम पर वोट बटोर लेंगे , नहीं कर पाये तो। ………… <br /><b>- जनता को बेबस समझने से बड़ा अज्ञान कुछ नहीं है। न तो वह लंबे समय तक भुलावों में आती है और न ही लंबे समय तक उसे आतंकवाद/दमन से डराया जा सकता है। कौन क्या सोच रहा था इसकी जानकारी आपको भले हो, मुझे माइंडरीडिंग की कला नहीं आती। <br /></b><br />@५- गलती दुश्मन कि है जो सामने वाले को कमजोर और बेफकूफ समझे , अपनी ताकत का अंदाजा दुश्मन को न लगाने देने अकलमंदी है <br /><b>- जी पोस्ट में यही लिखा है। दोहराने का शुक्रिया। <br /></b><br />६- जोश बनाये रखो हम ही जितने वाले है का अति आत्मविश्वास बीजेपी सा हाल करती है<br /><b>- बीजेपी ही नहीं, दिल्ली में कॉंग्रेस/बीएसपी/कम्युनिस्ट सभी का हाल बुरा हुआ है। बल्कि सभी दलों में बीजेपी की परफ़ोर्मेंस सबसे बेहतर है। आप भले ही बीजेपी-द्रोह के चलते चुनाव परिणाम न देख पा रही हों पर मुझ जैसे सभी अराजनीतिक लोग साफ देख पा रहे हैं कि इस चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। <br /></b><br />... अगली टिप्पणी मे जारी है ... Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-15694683478344457472013-12-22T10:24:10.756-05:002013-12-22T10:24:10.756-05:00@anshumala jee,
@ अनुराग जी कि पोस्ट उन मुद्दो पर ...@anshumala jee,<br />@ अनुराग जी कि पोस्ट उन मुद्दो पर नहीं है उनकी पोस्ट की ऐसी तैसी क्या करना<br />- नहीं, नहीं, मेरे ब्लोगिंग का उद्देश्य तो आपकी प्रसन्नता ही है। आप ऐसी-तैसी के प्रयास जी-जान से करती रहिए। मुद्दों में क्या धरा है। आप अपनी बात कहिए, हमें वही सुनने में रुचि है। वैसे, आपसे पहले भी कई सीनियर कामरेड यहाँ पोस्ट से इतर होकर अपने-अपने नक्सल/माओ/पोलपोत/कैस्ट्रो/स्टालिन/मार्क्स/आतंक/अव्यवस्था प्रोपेगेंडा को धर्म/भगवा/सिख/ईसाई/सेना/व्यवस्था आदि शब्दों में लपेटकर सर्व करने के प्रयास करते रहे हैं, फिर धीरे-धीरे उस प्रचार की कमजोर चूलों को भाँपकर पीछे हट गए। कुछेक ने तो प्रोपेगेंडा-फ्लोपर मानकर मुझे अपनी फेसबुक मित्र-सूची से भी निकाल दिया है। <br />@ वैसे मुझे तो लगा था कि अनुराग जी कुछ जवाब देंगे <br />- वैसे तो कोई भी देख सकता है कि आपकी टिप्पनियों में उठाए सवालों के जवाब मेरे पोस्ट्स में पहले ही दिये जा चुके हैं। लेकिन समुचित जवाबों (ब्लॉग-पोस्ट) के जवाब (टिप्पणी/प्रति-टिप्पणी ) में जब हल हो चुके प्रश्न बार-बार सामने लाये जाएँ तो जवाब में मैं क्या कहूँ, आपने खुद ही किसी से कुछ कहा था: तेरा तुझको अर्पण ... <br />"ये जानते हुए भी कि आप को समझाना मुश्किल है फिर भी अपनी तो आदत है कि हम चुप नहीं रहते सो ,"<br />Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-24396461128798094792013-12-22T09:47:09.192-05:002013-12-22T09:47:09.192-05:00मंजूषाजी और अंशुमालाजी कि बातो से शत प्रतिशत सहमत।...मंजूषाजी और अंशुमालाजी कि बातो से शत प्रतिशत सहमत। <br />शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-68549042817941115342013-12-22T09:46:32.630-05:002013-12-22T09:46:32.630-05:00मंजूषाजी और अंशुमालाजी कि बातो से शत प्रतिशत सहमत।...मंजूषाजी और अंशुमालाजी कि बातो से शत प्रतिशत सहमत। शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-34583863202328412932013-12-21T12:46:37.268-05:002013-12-21T12:46:37.268-05:00ओह। इतनी बढ़िया चर्चा चलती रही और हम मिस कर गए ।
...ओह। इतनी बढ़िया चर्चा चलती रही और हम मिस कर गए । <br /><br />संजय जी आपके हर शब्द से सहमत हूँ । भगवा पर आक्रामक होने के फैशन में पड़ेंगे तो उत्तर में भगवा आना लाजमी ही है। <br /><br />मेरी पहली पसंद आज भाजपा ही है । इसलिए नही कि वे बहुत अच्छे हों बल्कि इसलिए कि बाकी बहू त बुरे हैं । <br /><br />और जिस बदलते नक्शे की आप बात कर रहे हैं वह तो अवश्यम्भावी है ही । क्योंकि हमारे यहाँ दिखावे की देशभक्ति तो खूब है लेकिन रेत में सर दबा कर आती मुसीबत से नजर चुराने की प्रवृत्ति और जानते बूझते देश क9 खड्डे में गिरते देखते रहने की मानसिकता भी। हमें हिन्दू भगवा को नीचा दिखाने से फुरसत मिले तब न देश के नक्शे क देखें :(Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-37201356688933641602013-12-21T12:30:51.950-05:002013-12-21T12:30:51.950-05:00well, as far as my knowledge goes they have to pro...well, as far as my knowledge goes they have to prove majority. 36 / 70 is majority. they have 32 neither aap nor Congress will support them. then how is every one saying they should form the govt?? do you all mean that they must buy support? i don't understand this from day one.Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-28734590828248406592013-12-20T10:54:02.820-05:002013-12-20T10:54:02.820-05:00कुछ क्या बहुत सारा क्रेडिट ’आआपा’ को जाता है बल्कि...कुछ क्या बहुत सारा क्रेडिट ’आआपा’ को जाता है बल्कि सारा क्रेडिट दे देता अगर उन्होंने सीधे तरीके से सरकार बनाकर अपना घोषणापत्र लागू करने की प्रतिबद्धता भी दिखाई होती।<br />आप समेत कई लोग इस बात को मानेंगे नहीं कि अगर बिना SMS वगैरह नौटंकियां करे सरकार बना लेती तो मेरी पसंद की पार्टी तो ’आआपा’ ही हो जाती, मगर ये हो न सका। विश्लेषण हर मनुष्य अपनी सामर्थ्यानुसार ही करता है, इसमें जरूर गलती हो सकती है।<br />अनुराग जी की पोस्ट इन मुद्दों पर है या नहीं, ये अलग बात है लेकिन टिप्पणियों में ये मुद्दे जरूर उठाये गये हैं और उसमें मेरा योगदान एकाध मुद्दे का ही होगा। बात निकलती है तो दूर तक जाती ही है, फ़िर भी अनुराग जी से इस बात के लिये खेद प्रकट करता हूँ।<br />मेरी पोस्ट की ऐसी-तैसी करने वाला आपका वायदा जरूर पूरा होगा, आशान्वित हूँ । आपका स्वागत रहेगा। संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-87818902036734380082013-12-20T04:24:21.005-05:002013-12-20T04:24:21.005-05:00आम संभाएं चुनावी मौसम में होती है किन्तु यहाँ तो व... आम संभाएं चुनावी मौसम में होती है किन्तु यहाँ तो वोट देने के बाद ही जनता से संपर्क ही ख़त्म कर लिया जाता है , आज दो मुख्य पार्टिया जनता से जमीनी रूप से जोड़ने पर जोर दे रही है तो इसके लिए " आप " जिम्मेदार है , तोड़ फोड़ की राजनीति नहीं हुई , जन आंदोलन का डर आज नेताओ में दिखा , उस आधार पर कानून बना और बनने की प्रक्रिया में है इन सब का कुछ तो क्रेडिट खुले दिल से " आप " को दीजिये , विश्लेषण करना बुरा नहीं है किन्तु आप की पसंद की पार्टी की सरकार नहीं बनी इस खीज में तल्खी से विश्लेषण न किया जाये तो बेहतर होगा , चुनावो में तो चुनावी राजनीति के लिए ही उतरा जाता है किन्तु चुनाव जनता के मुद्दो पर लड़े जा रहे है ,कुछ काम करने कि चाहत में लड़े जा रहे है या फिर बस पिछली सरकार के बुरे काम गिना कर वोट माँगा जा रहा है । जवाब आप कि सभी बातो का है किन्तु अनुराग जी कि पोस्ट उन मुद्दो पर नहीं है उनकी पोस्ट की ऐसी तैसी क्या करना कभी आप उस पर लिखिए खुल कर बात करेंगे तब और आप कि हर बात का जवाब भी दूंगी । <br />anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-64091929291924832172013-12-18T12:32:08.678-05:002013-12-18T12:32:08.678-05:00स्वप्न मञ्जूषा जी,
आपके इस कन्फ़र्मेशन के बाद कि भग...स्वप्न मञ्जूषा जी,<br />आपके इस कन्फ़र्मेशन के बाद कि भगवा वाला प्रश्न मेरी टिप्पणी पर ही था, अपना स्पष्टीकरण दे रहा हूँ। इस थ्रेड में मैंने जिस टिप्पणी को प्रत्युत्तर दिया था, उसमें साधु संतों, मंदिर, मुस्लिम तुष्टिकरण, हिंदुवाद, मंदिर निर्माण जैसे कई मुद्दे थे जो मुझे भगवा संबंधित ही लगे थे। आरोप लगेंगे तो प्रत्युत्तर देने यहाँ मोदी, प्रवीण तोगडि़या और अशोक सिंघल जैसे लोग तो आयेंगे नहीं। वो अपने सर्किल के लोगों में व्यस्त होंगे, यहाँ तो हम जैसे ब्लॉगीय भगवे ही आयेंगे। आरोप भगवे रंग पर लगेंगे तो यथासंभव उत्तर में भी भगवा रंग दिखेगा, आरोप सुनकर उसका स्पष्टीकरण तो देना बनता ही है। हालाँकि एक दो बंधु थे जो पहले यह काम अतिशय विनम्रता और कौशल से मेरी अपेक्षा अच्छी तरह से कर रहे थे, वे अभी सक्रिय नहीं हैं तो मुझसे जो और जैसा बन पड़ा(मैं उतना विनम्र भी नहीं:) जवाब देना पड़ा। आगे भी उपलब्धता रही तो अपना मत प्रकट करता रहूँगा, जवाब न मिले तो यही समझा जाये कि किसी व्यस्तता के चलते यह जिद्दी अभी उपलब्ध नहीं है न कि यह समझा जाये कि हतोत्साहित होकर दुकान अपनी बढ़ा गया :)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-59503042944690221252013-12-18T12:06:55.017-05:002013-12-18T12:06:55.017-05:00मॉडरेशन के चलते कुछ कन्फ़्यूज़न हो रहा था, इसलिये पू...मॉडरेशन के चलते कुछ कन्फ़्यूज़न हो रहा था, इसलिये पूछा था और फ़िर यहाँ डिलीट करके उसी थ्रेड में यही कन्फ़र्म करना चाह रहा था। अभी कन्फ़र्म हुआ तो वहीं चलते हैं, उसी थ्रेड पर:)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-73659398391349810312013-12-18T11:04:09.130-05:002013-12-18T11:04:09.130-05:00किसी झूठ को स्थापित सपनों में किया जा सकता है किन्...किसी झूठ को स्थापित सपनों में किया जा सकता है किन्तु सर्वकालिक सार्वभौमिक और सर्वमान्य बनाया जा सकता <br />कहने कि ज़रूरत नहीं जो सच है दिखता है मैं लेख से सहमत हूँ जी तर्क नहीं समय आने पर सिफर पर पहुंचेंगे Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-1477193379229593902013-12-18T10:14:13.968-05:002013-12-18T10:14:13.968-05:00येस, बीजेपी ने इस बार चूँ तक नहीं किया क्योंकि पिछ...येस, बीजेपी ने इस बार चूँ तक नहीं किया क्योंकि पिछले साल भी उन्होंने तत्कालीन बिल में सुधार के लिये पन्द्रह अनुशंसायें की थीं और कल तक उनमें से तेरह और आज शेष बची दो अनुशंसायें भी मान ली गई थीं। <br />स्पष्ट पता चलेगा कि भगवा वाला ? अगर मेरी टिप्पणी से संबंधित है तो इस बारे में कुछ कहूँगा।<br /><br />संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-24764259073873690372013-12-18T10:12:49.950-05:002013-12-18T10:12:49.950-05:00जी हाँ, संजय जी मेरी टिप्पणी आपकी ही टिप्पणी पर है...जी हाँ, संजय जी मेरी टिप्पणी आपकी ही टिप्पणी पर है । स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-42251234701115731732013-12-18T09:26:44.771-05:002013-12-18T09:26:44.771-05:00This comment has been removed by the author.संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-77151588906433718742013-12-18T09:17:59.021-05:002013-12-18T09:17:59.021-05:00अंशुमाला जी,
’तब क्यों नहीं किया, अभी चुनाव के वक्...अंशुमाला जी,<br />’तब क्यों नहीं किया, अभी चुनाव के वक्त क्यों किया?’ जैसे सवाल कभी हमें सुविधानुसार प्रासंगिक दिखते हैं और कभी किसी की अस्मिता को तार-तार करते हुये, उदाहरण देने लगा तो हम विषय से भटक जायेंगे। वैसे आपने गौर किया हो तो आम सभायें ज्यादातर चुनावी मौसम में ही होती हैं, नेताओं के साथ जनता भी नींद से जागने के लिये इस पांचवे साल का इंतजार करती है। वैसे आपको बता दूँ कि ऐसे कार्यक्रम हमेशा चलते रहते हैं।<br />धारा 370 का मुद्दा उठाते ही बकवास जानकारियाँ फ़ैलने लगती हैं तो इसका छुपा हुआ लाभ ये भी है कि हम इस अवसर पर ही सही, ऐसे मुद्दों के बारे में सही जानकारी प्राप्त करते हैं। अब देखिये न, बात न छिड़ती तो मुझे कैसे पता चलता कि बाकी देश के कुछ सेल्क्टेड भागों में भी ये प्रावधान है :) ज्यादा बात छिड़ी तो हो सकता है कि और भी जानकारियाँ मिले कि कैसे जम्मू-कश्मीर की तरह मसूरी, देहरादून जैसी जगहों पर भी भारत विरोधी कार्यक्रम होते हैं। <br />असाम-नागालैंड के आतंकवाद की बातें भी उठती हैं लेकिन उतनी ही मात्रा में जिस मात्रा में फ़ुटेज इन राज्यों को मुख्य मीडिया में मिलता है। जहाँ ये बातें उठती हैं, वो मुख्य मीडिया नहीं और उन्हें पढ़ने वाले पहले से ही कट्टरवादी और फ़ासिस्ट कहलाते हैं इसलिये रिकमेंडेशन नहीं मिलता। वैसे भी हमें आदत है कि पहले चोट को नासूर बनने देते हैं, फ़िर उसके इलाज की सोचते हैं।<br />लिट्टे या किसी भी राष्ट्रविरोधी संगठन का समर्थन हम नहीं करते। पंजाब के बारे में भी आपने जो लिखा, उससे जो अर्थ निकलता है वो एक ब्लैंकेट आरोप है और मुझे विश्वास है कि आपका मंतव्य वह नहीं ही होगा। पंजाब में जो कुछ हुआ, उसका महिमामंडन कोई नहीं करता बल्कि तह में जाईये तो पता चलेगा कि उस चिंगारी को और ऐसी हर चिंगारी को हवा देने में हाथ कौन सा है। वहाँ की आम जनता इसके हक में नहीं थी और यही वजह थी कि हमारा देश उसे नियंत्रित कर पाया।<br />नक्शे बहुत बारीकी से नहीं देखे, इसलिये बहुत विस्तार से नहीं कह पाऊंगा लेकिन मैंने आजादी से बहुत पहले से भविष्य के संभावित नक्शे जरूर देखे हैं और कह सकता हूँ कि आज से दस-बीस साल पहले मैं बदलते नक्शों के पैटर्न को इतनी गंभीरता से नहीं लेता था, शायद व्यर्थ का भय मानकर भी दिमाग से झटक देता था लेकिन आज पाता हूँ कि हम सब एक गफ़लत में जी रहे हैं। <br />यह बात सबसे पहले कहनी चाहिये थी, मुझे अपनी आलोचना से ही बुरा नहीं लगता तो मोदी या किसी की आलोचना से बुरा क्यूँ लगेगा? वैसे ये कन्फ़्यूज़न रियल लाईफ़ में भी बहुतों को होता है, क्या करूँ शक्ल और भाषा दोनों ही ऐसी हैं कि सामने वाले को लगता है कि ये जनाब बुरा मान गये:) अब असली बात कहता हूँ कि हम समर्थक किसी व्यक्तिविशेष के नहीं है बल्कि पसंद के खांचे के हैं। कल को मोदी इस खांचे में फ़िट न बैठेंगे तो हम किसी दूसरे के समर्थक दिखेंगे जो खांचे में मोदी से ज्यादा फ़िट होगा। <br />एक बात और, हममें से कुछ लोग समझते हैं कि भाजपा या हिंदुओं की बात करने वाला यकीनन मुस्लिम विरोधी है। अगर ये गलतफ़हमी है तो बहुत बड़ी गलतफ़हमी है। यह दुष्प्रचार कुछ विशेष राजनीतिक द्लों\विचारधाराओं द्वारा इसीलिये किया जाता है कि दोनों एक दूसरे से भय खाते रहें और सिर्फ़ वोटबैंक बने रहें। मेरे खुद के ही अनेक मुस्लिम मित्र हैं और आश्चर्यचकित कर देने वाली हद तक कई बार हमारे विचार मिलते हैं। संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-56884165411985301312013-12-18T08:50:15.203-05:002013-12-18T08:50:15.203-05:00लोकपाल बिल को धड़फड़ा कर एलेक्शन से पहले पास कर दिया...लोकपाल बिल को धड़फड़ा कर एलेक्शन से पहले पास कर दिया गया और तारीफ की बात कि बीजेपी ने इस बार चूँ तक नहीं किया :) This is called real politics :)<br />और हाँ हर बात को घुमा फिरा कर भगवा रंग दे देना क्या सही है ?<br />अनुराग जी,<br />कविता की जहाँ तक बात है तो यही तो आज तक हर पार्टी ने किया है और उस पार्टी का हर नेता करता रहा है, सपने दिखाना, वादे करना, और उनको कभी पूरा नहीं करना। एक पार्टी या एक नेता ऐसा बता दें जिसने ये काम न किया हो :)स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-992443239763350362013-12-18T03:56:43.864-05:002013-12-18T03:56:43.864-05:00 वैसे मुझे तो लगा था कि अनुराग जी कुछ जवाब देंगे :... वैसे मुझे तो लगा था कि अनुराग जी कुछ जवाब देंगे :) कविता की समझ नहीं है सो टिप्पणी नहीं कि उस बारे में तो झूठ भी नहीं बोल सकती जैसे कि राजनीति कि समझ है का झूठ बोल सकती हूँ :)))<br />anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-58263003667210231502013-12-18T03:56:23.721-05:002013-12-18T03:56:23.721-05:00मैंने तो बस अनुराग जी की बातो को ही थोडा मोड भर है...मैंने तो बस अनुराग जी की बातो को ही थोडा मोड भर है , कहा वही है जो वो कह रहे है , दूसरे युवाओ को अपने साथ जोड़े तो वो "हाकना" "शोषण" " दोहन " हो गया और आप के पसंद के लोग जोड़े तो पुण्य , अगर वो अपराध है तो ये भी अपराध है , चुनावो के पहले यूनिटी कि याद आ गई क्या ये चुनावी खेल नहीं है , क्या ये देश भक्ति के लिए हो रहा है पटेल कि याद तब क्यों आई जब चुनाव सर पर थे तिन बार चुनाव जीत कर मुख्यमंत्री बन चुके है अब तक पटेल की याद क्यों नहीं आई , जब प्रधानमंत्री बनने की बारी आई तब अपने लौह पुरुष जो उनके विरोधी बन गए थे को कमतर दिखाने के लिए असली लौहपुरुष को खड़ा कर दिया । इधर उन्होंने ३७० का मुद्दा उठाया उधर उसके बारे में बकवास जानकारिया फ़ैल गई , कश्मीर में कोई भारतीय जमीन नहीं खरीद सकता , सुप्रीम कोर्ट का आदेश वहा लागु नहीं होता , लडकियो कि कश्मीर से बाहर शादी होते ही वहा की नागरिकता ? चली जाती है , और न जेन क्या क्या बकवास क्यों नहीं बताया जाता कि कश्मीर क्या शिमला देहरादून मसूरी जैसे पहाड़ी इलाको , आदिवासी इलाको और जंगल की जमीन कोई भी भारतीय नहीं खरीद सकता है , खेती की जमींन में आज भी पुरे भारत में बेटियो को हक़ नहीं मिलता है और बेटी को सम्पति में हक़ वाली बात कब कि ख़त्म हो गई कश्मीर में जब सुप्रीम कोर्ट ने ही उसे गलत कहा था , इस तरह की न जाने कितनी ही बकवास मुझे युवा भेजते है किस किस को और किस किस बात का जवाब दू , समझाने वाले दो चार और फ़ैलाने वाले हजारो । कभी आसाम नागालैंड के आतंकवाद कि बात क्यों नहीं उठाते है , कभी इस पर बात क्यों नहीं करते है कि आज भी भारत में प्रतिबंधित लिट्टे का समर्थन खुले आम किया जाता है जिसने हमारे देश के प्रधानमंत्री कि हत्या हमारे घर में घुस कर की , इस एक ही आतंकवाद से इतना प्यार क्यों , बताइये कि सिक्खो ने पंजाब में क्या क्या किया "था" क्या हालत "थे" एक समय वहा , उसकी भी जानकारी दीजिये आज के युवाओ को । आधी जानकारी क्यों देते है पूरा सच बताइये युवाओ को , बताइये कि जो भारत का नक्शा वो देखते है वो कितना बड़ा भ्रम है कितना कब्जे में है आजादी के बाद से अभी तक हमारे पास । संजय जी राजनीति को राजनीति कि नजर से देखिये जो मोदी कर रहे है या केजरीवाल और राहुल सभी राजनीति ही कर रहे है और उसे उसी नजर से देखिये देशभक्ति और महानता से मत देखिये , वरना आलोचना करने पर ऐसे ही बुरा लगेगा , राजनीति बुरी चीज नहीं होती है उसे गंदे तरीके से करना बुरा होता है । पसंद करना गलत नहीं है किन्तु हर बात को सही बोल अंध भक्ति अच्छी नहीं है जैसा कि आप ने कहा था अपनी पोस्ट पर । anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-27652699461122023482013-12-17T21:38:35.256-05:002013-12-17T21:38:35.256-05:00’रन फ़ॉफ़ यूनिटी’ जैसे कार्यक्रमों के साथ युवाओं को ...’रन फ़ॉफ़ यूनिटी’ जैसे कार्यक्रमों के साथ युवाओं को जोड़ना अपराध है? युवाओं को सिर्फ़ समलैंगिकों\नग्न परेड\देश विरोधी कार्यक्रमों के साथ ही जुड़ना चाहिये? <br />मैं इनके बारे में ज्यादा नहीं जानता लेकिन तौकीर रज़ा जरूर ही एक धर्मनिरपेक्ष शख्सियत होंगे क्योंकि उन्हें ’आप’ वाले प्रचार के लिये लेकर आये थे और वो तो तुष्टिकरण या वोट बैंक की राजनीति करें, ऐसा कोई सोच भी नहीं सकता।<br />कश्मीर के बारे में मुस्लिमों के बारे में गलत-सलत जानकारियां? सही जानकारियाँ सामने लाईये न, हो सकता है कुछ लोगों के ज्ञान चक्षु तो खुल जायें। हो सकता है सिद्ध हो जाये कि कोई कश्मीरी पंडित अपनी धरती से अलग नहीं हुआ\किया गया बल्कि ये तो सिर्फ़ भाजपा \जनसंघ का दुष्प्रचार है और कश्मीर में भारत के राष्ट्रीय ध्वज को नहीं जलाया जाता बल्कि ये सब करने वाल हिंदु लड़के होते हैं। <br />जिन पटेल ने संघ पर बैन लगाया(बेशक बाद में हटा दिया गया) उनकी अच्छाई को स्वीकार करना बुरी बात है? मेरी नजर में यह मोदी और उनकी पार्टी का गुण है कि जिस प्रशासक ने उन पर प्रतिबंध लगाया, देश हित में उनके अच्छे काम के चलते उनका सम्मान कर रहे हैं। बाजपेयी जी जिस इंदिरा गांधी का विरोध करते रहे, उनके सही निर्णय के समय दुर्गा का अवतार की संज्ञा भी दी थी। और किसी पार्टी की तरफ़ से ऐसा उदाहरण हो तो बताईयेगा। ईमानदारी और देशभक्ति के आप वाले ताजा संस्करण तो दूसरे सभी को बेईमान, शातिर वगैरह बताते हैं।<br />रही बात सरकार आकर जाने की और मंदिर नहीं बना वाली तो सच ये है कि ’मंदिर तो वहीं बनेगा।’संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.com