tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post8305662489404792596..comments2024-03-23T20:44:05.692-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: विश्वसनीयता का संकट - हिन्दी ब्लॉगिंग के कुछ अनुभवSmart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger60125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-26072703263826047612016-09-18T10:22:37.867-04:002016-09-18T10:22:37.867-04:00इसे मैंने नहीं पढ़ा था! काश फिर ब्लॉग में इतनी लम्ब...इसे मैंने नहीं पढ़ा था! काश फिर ब्लॉग में इतनी लम्बी चर्चा का दौर आये.<br /><br />यह समस्या अब फेसबुक में और वाट्स एप में आ रही है. देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-46896094569450434842013-10-31T10:36:52.181-04:002013-10-31T10:36:52.181-04:00सनातन संकट निबटाते रहने के लिए ही सनातन प्रयास ज़रू...सनातन संकट निबटाते रहने के लिए ही सनातन प्रयास ज़रूरी हैं Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-33724466277719659352013-09-04T12:53:19.603-04:002013-09-04T12:53:19.603-04:00सही कहा अनुराग भाई
हम लोग गूगल से मिली जानकारी क...सही कहा अनुराग भाई <br />हम लोग गूगल से मिली जानकारी को ब्रह्म-वाक्य मानने लगे हैं manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-9884818160945379582013-09-04T12:52:50.504-04:002013-09-04T12:52:50.504-04:00सही कहा अनुराग भाई
हम लोग गूगल से मिली जानकारी क...सही कहा अनुराग भाई <br />हम लोग गूगल से मिली जानकारी को ब्रह्म-वाक्य मानने लगे हैं manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-88604756478468375112011-06-08T07:37:57.803-04:002011-06-08T07:37:57.803-04:00वह तो एक स्तर ऊपर की चीज है न, जिसके लिए ऐसे mails...वह तो एक स्तर ऊपर की चीज है न, जिसके लिए ऐसे mails बढ़ाये (असल में बढवाए) गए थे।<br />एक बार मिल गई आपकी ID, बस अब तो सब सुख, अमन, चैन, राष्ट्रहित, मासूमियत, यहाँ तक कि हिंदी-संस्कृत का संरक्षण भी सब आपको ही करना/देखना/पढना है।<br />साथ में लगे १००० में से २-३ भी अगर फंस गए, इधर उधर क्लिक किया तो उनकी कोई व्यक्तिगत जानकारी, email account crack मिल जाए।<br />और कुछ नहीं तो कोई virus या trojan ही भेज दिया जाए, अलावा इसके भी खुराफातों से सुखी होना लोगों का, कोई अनजानी बात कहाँ है।Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-31474066923268523342011-06-08T00:02:09.549-04:002011-06-08T00:02:09.549-04:00@ Avinash Chandra:
@३): एकाध जगह तो बहुत बे...@ Avinash Chandra:<br /><br /> @३): एकाध जगह तो बहुत बेशर्मी से कहा कि कृपया मेल लिस्ट से हमारा नाम काट दिया जाये। मुझ कुटिल, खल को मासूमियत, अमन से लबालब संदेश हजम ही नहीं होते, लेकिन दुहाई का कोई असर नहीं हुआ। स्पैम रिपोर्ट करके देखा है, फ़िल्टर करके देख लिया - वैसी ही सामग्री हर बार नये नये लिंक्स से भेजी जाती है। उद्देश्य क्या है, खुदा जाने।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-65368315413115980292011-06-07T21:32:20.823-04:002011-06-07T21:32:20.823-04:00पहले तो आभासी संसार में तीन साला वजूद बनाए रखने पर...पहले तो आभासी संसार में तीन साला वजूद बनाए रखने पर बधाई !<br />चेन मेल और सामग्री की प्रमाणिकता विषय पर आपने विचारोत्तेजन कराया -धन्यवाद !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-38528695999530169252011-06-07T11:27:13.827-04:002011-06-07T11:27:13.827-04:00कह देने में और लिख जाने में एक अंतर तो है, असली पर...कह देने में और लिख जाने में एक अंतर तो है, असली परेशानी तब है कि लिखते समय लोग यह नहीं समझते कि लिखा हुआ मात्र रहेगा ही नहीं, आगे भी बढेगा।<br />विकिपीडिया भी अपवाद नहीं है, और गलतियाँ वहाँ भी बहुत हैं।<br />चेन मेल में डाक टिकट नहीं चिपकाना होता है, एक क्लिक कर दो...शायद..!!!<br />और चूँकि लोग<br />१) To/Cc/Bcc का मतलब/उपयोगिता नहीं जानते<br />२) पढ़ते ही नहीं कि subject के आगे क्या लिखा है<br />३) चाहते हैं कि आपके inbox में बने रहें<br />इसलिए धुंआधार आगे बढ़ाते रहते हैं ऐसे मेल/मैसेज।<br /><br />पूछने पर ऐसे जवाब भी सुने हैं मैंने, "मुझे क्या पता, आया जैसे वैसे ही भेज दिया।" और यकीन जानिये, बड़े 'होनहार' लोगों के जवाब हैं ये।<br />Blogging कभी भी मेरा प्रिय विषय नहीं रहा, इस शब्द पर हमेशा से ही चुप रहा हूँ। अतः अपनी राय सुरक्षित रखने की अनुमति चाहूँगा।Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-57465449903315829392011-06-07T08:24:24.239-04:002011-06-07T08:24:24.239-04:00लेखन में गुणवता का तो विशेष ध्यान रखा ही जाना चाह...लेखन में गुणवता का तो विशेष ध्यान रखा ही जाना चाहिए . आपका चिंतन सही दिशा में उचित प्रयास हैगिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-52823677816906692962011-06-07T08:05:02.789-04:002011-06-07T08:05:02.789-04:00@ दिगम्बर नासवा जी, दीप पाण्डेय जी, अंशुमाला जी,
...@ दिगम्बर नासवा जी, दीप पाण्डेय जी, अंशुमाला जी,<br /><br />गद्गद हूँ, हार्दिक धन्यवाद!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-78752463552510819632011-06-07T07:31:00.643-04:002011-06-07T07:31:00.643-04:00http://mangopeople-anshu.blogspot.com/2010/11/mang...http://mangopeople-anshu.blogspot.com/2010/11/mangopeople_15.हटमल<br /><br />ये मेरी उस पोस्ट का लिंक है जिसमे मैंने मेल से मिले एक रचना के रचनकार को खोजने का प्रयास किया पता चला की ये तो कई ब्लॉग पर पहले ही अपना अपना कह कर प्रकाशित किया जा चूका है जिसमे एक न्यूज चैनल के एंकर पत्रकार जो भी है भी शामिल है | एक बार एच आई वी को लेकर भी एक बड़े ब्लोगर ने इसी चेन मेल को प्रकाशित कर दिया था जिसमे लिखा था की फल वाले के हाथ कटे थे और उसे एड्स था जिससे कई लोगो को वो होगया कई टिप्पणिया उन्हें मिली केवल एक व्यक्ति ने इसे गलत कहा | तेजो महल वाली बात तो मुझे कई साल पहले मिली थी किन्तु उस को ब्लॉग पर भी ६-७ बार देख चुकी हूँ | किन्तु कोई भी उन्हें गलत मानने को तैयार नहीं है | एक लेटेस्ट नया वाला सुनिये अभी तक सुना नहीं होगा की मक्का मदीना के अन्दर शिव लिंग बना है वो हिन्दू स्थान है साबित करने के लिए कई तर्क दिए गए जिसमे मुझे एक फोटो भी दिखाई गई कहा गया जब गूगल में सर्च करियेगा मक्का मदीना तो ये वाला शिव लिंग भी आयेगा जो असल में वहा है | मैंने कहा प्रभु यदि मै आप की फोटो लोड कर दू और लादेन लिख दू तो वह लादेन सर्च करने पर आप की भी फोटो आने लगेगी तो क्या करोगे | कई ब्लॉग है जिन पर कुछ भी लिख दिया जाता है और कहा जाता है की फलाने वेद में लिख है पुराण में लिख है लोग पढ़ते है और वाह वाह कर निकल जाते है ये पूछने की जरुरत नहीं समझते है की कहा पढ़ा आप ने ये जरा प्रमाण देंगे यदि पूछिये तो प्रमाण के रूप में जो लिंक देंगे वो असल में किसी और ब्लोग्गर का लिंक होता है उसकी योग्यता का भी कुछ पता नहीं है | युवा सोचते है की जो गूगल बाबा ने कह दिया वो पत्थर की लकीर हो गई उन्हें ये नहीं समझ आता की यहाँ लिखने वाले हमारे जैसे ही लोग है वो ये नहीं देखते की लिखी हुई चीज किसने लिखी है उसकी योग्यता क्या है बस गूगल पर है तो सच है ये आम भारतीय लोगो की सोच है |<br /><br /> और ब्लॉग में तीन वर्ष पुरे करने की बधाई |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-38396620836880677962011-06-07T03:59:35.177-04:002011-06-07T03:59:35.177-04:00.
मैंने जिस चेन मेल को अपने ब्लौग पर स्थान दिया ।....<br /><br />मैंने जिस चेन मेल को अपने ब्लौग पर स्थान दिया । उसके विषय से मेरी पूर्ण सहमती थी और मुझे पसंद आया था इसलिए उसे फॉरवर्ड करने से बेहतर उसे अपने ब्लौग पर स्थान दिया था ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग उन विचारों को पढ़ सकें। <br /><br />अपने ब्लौग पर स्थान देते समय उस मेल में लिखे विषय की जिम्मेदारी भी ब्लौग मालिक की होगी।<br /><br />जैसे अक्सर हम लोग किसी का आलेख पसंद आने पर उसे reshare करते हैं अथवा अपने ब्लौग पर उसे स्थान देते हैं। उसी तरह यह मेल पसंद आई इसलिए उसे अपने ब्लौग पर स्थान दिया।<br /><br />जो मेल अपने ब्लौग पर लगायी थी उसका लिंक निम्न है --<br /><br />LETTER OF THE EDITOR OF "THE TIMES OF INDIA" TO THE PRIME MINISTER OF INDIA <br /><br />http://zealzen.blogspot.com/2011/06/letter-of-editor-of-times-of-india-to.html<br /><br />आभार।<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-66190419455895683562011-06-07T03:55:37.718-04:002011-06-07T03:55:37.718-04:00.
अनुराग जी ,
इस सुन्दर , सार्थक आलेख के लिए बधाई....<br /><br />अनुराग जी ,<br />इस सुन्दर , सार्थक आलेख के लिए बधाई । सहमत हूँ आपसे।<br /><br />----------------<br /><br />@- हाल ही एक 'लोकप्रिय' लेखिका के ब्लॉग पर यही प्रश्न उठाया था, तो दंभ भरा उत्तर आया था कि उन्हें जो उचित लगेगा उसे वो अपने ब्लॉग पर स्थान देंगी, चाहे वह चैन मेल हो!....<br /><br />आशीष श्रीवास्तव जी ,<br />आपकी टिप्पणी पढ़कर दुःख हुआ ।<br />उत्तर में दंभ नहीं था। फिर भी यदि आपके ह्रदय को दुःख पहुंचा तो क्षमाप्रार्थी हूँ। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-33000409036340966902011-06-06T20:42:35.877-04:002011-06-06T20:42:35.877-04:00@ श्रद्धेय डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी,
आपकी ग़...@ श्रद्धेय डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी,<br /><b>आपकी ग़ज़ल का मिसरा बहुत अच्छा लगा। आपका चर्चामंच अपने विशाल पाठकवर्ग के कारण हिन्दी ब्लॉग-सामग्री को प्रामाणिकता की ओर ले जाने में बहुत खास भूमिका निभा सकता है। अन्य सामूहिक मंच भी इस दिशा में चिंतन करके अपने नये सदस्यों को दिशा और सलाह दे सकते हैं।</b>Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-40558476118524106072011-06-06T20:37:53.108-04:002011-06-06T20:37:53.108-04:00@ shilpa mehta
आभार! आपके सुझाव - विशेषकर BCC वाला...@ shilpa mehta<br /><b>आभार! आपके सुझाव - विशेषकर BCC वाला - बहुत काम के हैं। अपनी नई पोस्ट या पुरस्कार की जानकारी मेल से भेजने वालों से भी मेरा अनुरोध यही है कि वे सन्देश पाने वालों की प्राइवेसी का आदर करते हुए सबके पते BCC में ही लिखें। </b> <br /><br />@ भारतीय नागरिक <br /><b>बहुत से अन्य भवनों की तरह यदि ताज महल भी एक प्री-इस्लामिक भवन निकले तो मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा। परंतु एक सरसरी नज़र डालते ही आप इस विषय की चेन-ईमेल्स और उन पर आधारित आलेखों को सतही से लेकर हास्यास्पद तक पायेंगे मगर सत्यान्वेषी नहीं।</b><br /><br />@ दीपक बाबा<br /><b>इन ईमेल में इसी भावना का तो शोषण होता है। मैकाले इतना बेवक़ूफ नहीं था कि उस मेल में कही बातों को संसद में ऑन रिकॉर्ड कहता। उसके मन और कर्म में चाहे जो भी हो। वैसे ही ग़ाज़ी की कंस्पाइरेसी थेयरी उन्हीं असंतोष-भडकाऊ मौकापरस्त प्रचारवादियों के दिमाग की उपज है जो ध्यान हटाने के लिये नक्सलियों द्वारा निरीह हत्याओं के बाद सरकार को ज़िम्मेदार ठहराते हैं और सरकार के दमन के बाद बाबा की सच्ची-झूठी फजीहत करते हैं।</b>Smart Indian - स्मार्ट इंडियनhttp://hindi-blog-list.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-56635939139805207082011-06-06T20:23:08.751-04:002011-06-06T20:23:08.751-04:00@ मगर यहाँ ऐसे लेख पढता ही कौन है ?? :-(
जो पढता ...@ मगर यहाँ ऐसे लेख पढता ही कौन है ?? :-(<br /><br /><b>जो पढता है वह बढता है ;)<br /></b>Smart Indian - स्मार्ट इंडियनhttp://hindi-japan.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-62183055088870802132011-06-06T20:20:47.098-04:002011-06-06T20:20:47.098-04:00@विकिपीडिया की विश्वसनीयता और मान्यता
दुर्भाग्य स...@विकिपीडिया की विश्वसनीयता और मान्यता<br /><br />दुर्भाग्य से आज के समय में कम से कम अमेरिका और यूरोप के विश्वविद्यालयों में विकीपीडिया को एक विश्वसनीय सन्दर्भ के रूप में नहीं गिना जाता है। कारण शायद अगणित स्वयंसेवी लेखकों का होना ही है। इसी के चलते भले ही आपको हार की जीत वाले पंडित सुदर्शन पर विकी पेज न मिले मगर बहुत से ब्लॉग-कवियों पर पन्ने मिल जायेंगे। विवादास्पद मुद्दों पर इन लेखकों में कई बार जंग भी चलती रहती है। एक बार मैं एक हाइ प्रोफाइल हत्या को फ़ॉलो कर रहा था और विकिपीडिया का एक पृष्ठ 24 घंटों में 50 से अधिक बार बदलता रहा। फ़ाइनली मुख्य सम्पादकों ने उस पृष्ठ को फ़्रीज़ कर दिया। <br /><br />समय के साथ जितने प्रामाणिक लेखक जुडते जायेंगे, स्थिति बेहतर होती जायेगी।<br /><br />धन्यवाद! (जिनके लिये है उन्हें पता है।)Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-61345829128081563622011-06-06T19:41:35.997-04:002011-06-06T19:41:35.997-04:00हिन्दी ब्लॉगिंग और विश्वसनीयता की बात करी है आपने।...हिन्दी ब्लॉगिंग और विश्वसनीयता की बात करी है आपने। वाजिब कहना है। <br />असल में ब्लॉगिंग खुरदरा लेखन है जिसमें भाषा और पठनीयता कमतर हो सकती है। पर अच्छा ब्लॉग वह है जिसमें विश्वसनीयता हो! <br />लोग मेरे ख्याल से ब्लॉगरी के प्रति गम्भीर कम हैं और मेहनत नहीं करते।<br />--------<br />ज्ञानदत्त जी की बात सही है..... आपकी पोस्ट से मैं भी पूरी तरह सहमत हूँ.... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-6342360917939167232011-06-06T17:24:14.753-04:002011-06-06T17:24:14.753-04:00डायरी में लिख दी जाने वाली बात मुझे भी लगी थी एक ब...डायरी में लिख दी जाने वाली बात मुझे भी लगी थी एक बार. तब से डायरी में कुछ भी लिखता हूँ तो साथ में लिखने वाले का नाम भी लिख लेता हूँ.<br />ये विश्वसनीयता की मात्रा कैसे बढे ये तो बड़ा भारी सवाल है. मुझे याद आ रहा है किसी अफ्रीकन देश में साहित्यिक चोरी पर बन रहे कानून के दस्तावेज में ही एक पूरा पैराग्राफ विकिपीडिया से उड़ाया हुआ था. अब ऐसा क्यों होता है ये बात तो शायद मानव-व्यवहार पर शोध करने वाले मनोवैज्ञानिक बेहतर बता पाएं. अगर लोगों को लगता है कि असली लिंक देने से उनका ब्लॉग लोकप्रिय नहीं होगा तो अंग्रेजी के कई ऐसे लोकप्रिय ब्लॉग मैं जानता हूँ जो बस अच्छी जानकारियाँ और लिंक ही पोस्ट करते हैं. मेरा पसंदीद ब्लॉग फ्यूटिलिटी क्लोजेट ही इसका अच्छा उदहारण है. मैं अपने गणित वाले ब्लॉग पर जितना संभव हो सके लिंक और रेफेरेंस डालने की कोशिश करता हूँ. अनेक फायदे हैं इसके. घाटा तो कुछ नहीं दिखता.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-74897364914779459502011-06-06T14:12:10.405-04:002011-06-06T14:12:10.405-04:00हाँ मैंने" सामान" को "समान" कर...हाँ मैंने" सामान" को "समान" कर दिया है पर ऐसा करने में मेरी हालत पतली हो गयी.रोमन लिपि में हिंदी लिखना बड़ी टेढ़ी खीर है. मुझे से ना चाहते हुए भी बहुत सी गलतियाँ हो जाती हैं.... धन्यवाद आपका अपने अपना समझ कर भूल सुधर करवाया.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-63412226621357992142011-06-06T14:07:56.409-04:002011-06-06T14:07:56.409-04:00अनुराग जी मैंने तो कभी इस माध्यम को इतनी गंभीरता स...अनुराग जी मैंने तो कभी इस माध्यम को इतनी गंभीरता से लिया ही नहीं की यहाँ लिखी जा रही हर बात पर विश्वास करूँ. मुझे तो यहाँ के ज्यादातर लोग अपने जैसे बतरसिया नज़र आते हैं जो प्रत्येक विषय पर थोडा इधर की और थोडा उधर की हांकना चाहते हैं. मैं सोचता हूँ की ज्यों ज्यों गंभीर लेखक और विशेषज्ञ ब्लॉग्गिंग से जुडेगें त्यों त्यों इसकी विश्वसनीयता का स्तर बढ़ता चला जायेगा. गुरु गिरिजेश राव जी से सीखे आज के सबक के अनुसार जब तक ज्यादा अच्छे लोग नहीं मिलते तब तक आपको निम्न वर्गियों को को झेलना ही पड़ेगा :-))<br /><br /><br />हिंदी ब्लॉग्गिंग में तीन वर्ष पुरे करने की बधाई. (इस प्रकार बधाई देने वाला मैं अकेला ही हूँ ... शर्म सी आ रही है... कहाँ करूँ.)VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-57078652298741060752011-06-06T13:54:08.088-04:002011-06-06T13:54:08.088-04:00बहुत ही अच्छी व विचारपूर्ण पोस्ट लगी आपकी. चेन मेल...बहुत ही अच्छी व विचारपूर्ण पोस्ट लगी आपकी. चेन मेल वाली बात से तो पूर्णत: सहमत हूँ.वन्दना महतो ! (Bandana Mahto)https://www.blogger.com/profile/16009745507164533185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-52385135536408036012011-06-06T13:51:23.678-04:002011-06-06T13:51:23.678-04:00गुणीजन अपनी बात रख गए हैं इसलिए मेरा कहना पुनरावृत...गुणीजन अपनी बात रख गए हैं इसलिए मेरा कहना पुनरावृत्ति ही होगा.. चेन मेलों से तो मुझे संतोषी माता के छपे पोस्ट कार्ड उ=याद आते हैं जिनको छपवाकर बांटने पर समृद्धि प्राप्त होने का दावा किया रहता था.. मेल में भी ऐसा ही कुछ रहता है कि सच्चे दोस्त हैं तो इसकी एक कोपी मुझे भी मेल बैक करो.. भैया जो दोस्ती ई-मेल पर टिकी हो उससे मेरी तौबा.. मैं इं मेलों को डिलीट कर देता हूँ.. <br />लेकिन कई भ्रम टूटे हैं और कंट्रोवर्सी थ्योरिस्ट्स (विकीलीक्स को भी लोंग कंट्रोवर्सी थ्योरिस्ट्स कहते थे) की सच्चाई को भी बल मिला है..सोचने की बात है!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-11165471901370990752011-06-06T13:31:14.082-04:002011-06-06T13:31:14.082-04:00आपसे बहुत हद तक सहमत, विश्वास ही विश्वास को खींचेग...आपसे बहुत हद तक सहमत, विश्वास ही विश्वास को खींचेगा।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-85693216175546111042011-06-06T12:38:52.287-04:002011-06-06T12:38:52.287-04:00अब मेरे कहने के लिए कुछ नहीं बचा है :)अब मेरे कहने के लिए कुछ नहीं बचा है :)Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.com