tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post8787507609156260182..comments2024-03-23T20:44:05.692-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: टोड - कहानी - अंतिम भागSmart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-32055904734167309482012-10-25T22:58:46.647-04:002012-10-25T22:58:46.647-04:00हमारे ग्रन्थ कहते हैं की मनुष्य का पितृ ऋण तब उतरत...हमारे ग्रन्थ कहते हैं की मनुष्य का पितृ ऋण तब उतरता है जब वह संतान को जन्म देता है । यह बात मैं पहले बड़ी नापसंद करती थी - कि यह उनके साथ भेदभाव करती है जिनके बच्चे न हों / या न हो सकते हों ...<br /><br />लेकिन, 2-3 साल पहले एक प्रवचन सुन रही थी - शायद tv पर? वक्ता जी ने एक बात कही जो समझ आई - कि - माता पिता का ऋण उतारा ही नहीं जा सकता..... . इसे चुकाने ke prayaas का तरीका यह है कि मनुष्य अपनी संतान को भी उतनी ही - या उससे बढ़ कर ही परवरिश दे - जो माता पिता ने दी है स्वयं को । इससे वह पुरानी कहावत कुछ simplify हुई और थोड़ी समझ भी आई ।<br /><br />ऐसे ही - हम सभी - कई बार अनजाने ही ऐसी भूलें करते रहते हैं - जैसी आपने सुनाई है - तो - जैसे पितृ ऋण चुकाने को अपनी संतान की परवरिश भली प्रकार करनी होती है - वैसे ही, <b>किसी के प्रति की गयी ऐसी बेध्यानी की भूलों को हर बार भले ही न सुधार सकते हों हम, लेकिन हमारे प्रति भी तो किसी ने ऐसी ही भूलें की होती हैं न ? उन्हें बिना मांगे ही मन से माफ़ कर दिया जाना ही ऐसी भूलों की क्षमायाचना जैसा होगा । </b><br /><br />जीज़स ने कहा है - those who forgive, shall be forgiven, and those who judge shall be judged ...Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-54599177121969638032012-09-05T13:49:14.625-04:002012-09-05T13:49:14.625-04:00Oh..
Oh..<br /><br />Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-49279987986663001772011-10-10T08:10:08.995-04:002011-10-10T08:10:08.995-04:00hmm mujhe bhi kuch yaad aa gaya ye kahani padhkar...hmm mujhe bhi kuch yaad aa gaya ye kahani padhkar...kanu.....https://www.blogger.com/profile/16556686104218337506noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-87417910512367334942011-02-27T08:54:41.925-05:002011-02-27T08:54:41.925-05:00मार्मिक हो गया अंत में तो!मार्मिक हो गया अंत में तो!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-67284933855891565002011-02-25T11:39:26.180-05:002011-02-25T11:39:26.180-05:00पहले तो आपको साधुवाद ...इसलिए कि पीटर्सबर्ग में भ...पहले तो आपको साधुवाद ...इसलिए कि पीटर्सबर्ग में भी आप बुन्देलखंडी की खुशबू बिखेर रहे हैं. <br />क्या कीजिएगा ...बचपन की शैतानियाँ ........उन्हें भी गंभीरता से नहीं लेना चाहिए. यहाँ एक हायर सेकेंड्री के प्रधानाचार्य का नाम बच्चों ने पेटीकोट रख दिया. <br />एक बात कहना चाऊंगा ...बच्चे ऐसे नाम कारन प्रायः उन्हीं के करते हैं जो अपने कार्य में कुशल नहीं होते . योग्य शिक्षक के साथ शायद ही कभी ऐसा होता हो. यदि किसी के साथ हुआ है तो निश्चित ही दुर्भाग्यपूर्ण हैबस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-20130618789299195782011-02-23T09:45:55.456-05:002011-02-23T09:45:55.456-05:00आप भी कम चुहलबाज नहीं हैं !आप भी कम चुहलबाज नहीं हैं !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-90180703261433436692011-02-22T02:30:04.147-05:002011-02-22T02:30:04.147-05:00आपकी कहानी/संस्मरण ने कुछ अपने अतीत से याद दिला द...आपकी कहानी/संस्मरण ने कुछ अपने अतीत से याद दिला दिया उनका नाम शायद दीक्षित सर था पर हमने हमेशा बुड्ढे सर ही बुलाया ... आज शर्म महसूस हो रही हैsonalhttps://www.blogger.com/profile/03825288197884855464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-561330529077478232011-02-20T02:47:10.017-05:002011-02-20T02:47:10.017-05:00ओह, ऐसी शरारत हमने भी की है। पर यही सोचते हैं कि क...ओह, ऐसी शरारत हमने भी की है। पर यही सोचते हैं कि किसी की जिन्दगी नर्क न बने ऐसी शरारत से। विशेषत: एक नेक इंसान की। <br /><br />वैसे किसी में बहुत स्द्गुण हों और एक कमी - जैसे रंगत जी में त्वचा का खुरदुरापन, तो स्वयम उस कमी की बात कर लेनी चाहिये। तब लोग उस कमी को नजर अन्दाज कर देते हैं।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-8559805491863027632011-02-17T09:03:49.067-05:002011-02-17T09:03:49.067-05:00अंत भयावह सा है. क्या सचमुच शरारत में किया नामकरण ...अंत भयावह सा है. क्या सचमुच शरारत में किया नामकरण किसी की पूरी ज़िंदगी में असर डाल सकता है?सोमेश सक्सेना https://www.blogger.com/profile/02334498143436997924noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-35952904027990382232011-02-16T07:37:22.457-05:002011-02-16T07:37:22.457-05:00हकीकत या कहानी? जिस कोण से सोचो वही सही नजर आता है...हकीकत या कहानी? जिस कोण से सोचो वही सही नजर आता है, और यही लेखन की सफ़लता है. बहुत शुभकामनाएं.<br /><br />रामरामताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-90892352427935647682011-02-16T04:56:21.124-05:002011-02-16T04:56:21.124-05:00आँखें भर आयीं.....आँखें भर आयीं.....रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-87831317633167856702011-02-15T20:37:07.633-05:002011-02-15T20:37:07.633-05:00इस कहानी की चर्चा तो आज के चर्चा मंच पर भी है!इस कहानी की चर्चा तो आज के चर्चा मंच पर भी है!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-83312783332136001592011-02-15T19:46:43.462-05:002011-02-15T19:46:43.462-05:00अविनाश जी की तरह मैं भी चाहती हूँ कि यह सिर्फ कहान...अविनाश जी की तरह मैं भी चाहती हूँ कि यह सिर्फ कहानी ही हो..<br />यह शायद मेरा अपना अपराध बोध है... बचपन में कई गुरुजनों के नाम बिगाड़े हैं... अब बस यही आशा है कि उन सबकी वजह से किसी के जीवन पर असर ना हुआ हो...<br />बहुत मन को छू लेने वाली कहानी है...Pragyahttps://www.blogger.com/profile/16628365720892083937noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-71601544581269727192011-02-15T19:11:19.518-05:002011-02-15T19:11:19.518-05:00हंसी मजाक कई बार किसी दुसरे की जिंदगी का दर्द बन ज...हंसी मजाक कई बार किसी दुसरे की जिंदगी का दर्द बन जाती है ...<br />कहानी ने अच्छी सीख दी !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-61752444378354056562011-02-15T17:00:02.900-05:002011-02-15T17:00:02.900-05:00दोनों कडियॉं एक साथ पढीं। रोचकता और जिज्ञासा बनाए ...दोनों कडियॉं एक साथ पढीं। रोचकता और जिज्ञासा बनाए रखना तो आपकी विशेषता है। किन्तु कहना पड रहा है कि जिस मोड से कहानी शुरु होनेवाली थी, वहीं समाप्त कर दी गई।<br />कहानी तो अब शुरु हुई है।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-31838142694811714422011-02-15T14:48:57.203-05:002011-02-15T14:48:57.203-05:00बहुत ही सुंदर कहानी जी धन्यवादबहुत ही सुंदर कहानी जी धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-58118491097363940762011-02-15T13:23:58.801-05:002011-02-15T13:23:58.801-05:00हकीकत में कुछ कल्पना जुड़ी है.. शायद...हकीकत में कुछ कल्पना जुड़ी है.. शायद...भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-55322387480584249432011-02-15T11:43:44.216-05:002011-02-15T11:43:44.216-05:00हमें पढ़ने में आनन्द इसलिये आ गया कि एक का नाम हमा...हमें पढ़ने में आनन्द इसलिये आ गया कि एक का नाम हमारे मित्रों ने टोड ही रखा था।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-11643630368467167902011-02-15T11:26:01.862-05:002011-02-15T11:26:01.862-05:00सुन्दर कहानीसुन्दर कहानीOM KASHYAPhttps://www.blogger.com/profile/13225289065865176610noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-78184247611683840442011-02-15T11:23:00.357-05:002011-02-15T11:23:00.357-05:00सुन्दर कहानीसुन्दर कहानीOM KASHYAPhttps://www.blogger.com/profile/13225289065865176610noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-56457179795725131612011-02-15T10:58:20.647-05:002011-02-15T10:58:20.647-05:00अपनी टिप्पणि को गतांक से आगे बढ़ाते हुये और शर्मिंद...अपनी टिप्पणि को गतांक से आगे बढ़ाते हुये और शर्मिंदगी छिपाते हुए यही कहना चाहूँगा कि उनका नाम श्री प्रमोदवन बिहारी शरण था... और पीढ़ियों से लोग उनको टोड कहते थे.. किसने शुरू की यह परम्परा पता नहीं!!<br />वाक़ई शर्मिंदा हूँ आज!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-7702743230718669502011-02-15T10:49:14.191-05:002011-02-15T10:49:14.191-05:00कहानी है या हकीकतकहानी है या हकीकतDeepak Sainihttps://www.blogger.com/profile/04297742055557765083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-88787224505260268472011-02-15T10:14:53.138-05:002011-02-15T10:14:53.138-05:00ओह !ओह !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-75151138356416536722011-02-15T10:04:38.448-05:002011-02-15T10:04:38.448-05:00यह एक कहानी हो सकती है लेकिन टोड का चरित्र हकीकत ल...यह एक कहानी हो सकती है लेकिन टोड का चरित्र हकीकत लगता है .dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-38763198248454583482011-02-15T08:31:44.687-05:002011-02-15T08:31:44.687-05:00अनुराग जी दिल तो यही चाहता है कि ये कहानी एक कोरी ...अनुराग जी दिल तो यही चाहता है कि ये कहानी एक कोरी कल्पना ही हो ना कि कहानी के रूप में पेश किया गया आपकी जिंदगी का कोई सच्चा संस्मरण पर हर कहानी कि भी कोई ना कोई प्रेरणा जरुर होती है. अपने जिस भी प्रसंग से प्रेरित होकर ये कथा लिखी है वो मन पीड़ा पहुचाने वाला ही है. पर जाने क्यों मुझे ऐसा लगा कि कहानी एकदम अचानक से ख़त्म कर दी गयी है.... क्या मैं सही hun ?VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.com