tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post9035704323750249555..comments2024-03-23T20:44:05.692-04:00Comments on * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *: सत्य के टुकड़ेSmart Indianhttp://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-46922040426955985722011-08-05T00:46:46.602-04:002011-08-05T00:46:46.602-04:00मेरे टुकड़े में
अपना मिलाओगे
तभी सत्य को पाओगे
तभ...मेरे टुकड़े में <br />अपना मिलाओगे<br />तभी सत्य को पाओगे<br />तभी सत्य को पाओगे<br /><br />मुझे तो अनुराग हो गया है, अनुराग भाई.<br /><br />'पूर्ण इद पूर्ण इदं पूर्णात'<br /><br />सत्य की सत्य में मिलावट से अनुराग ही तो उत्पन्न होगा न.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-40797269442960674132010-11-10T21:50:29.672-05:002010-11-10T21:50:29.672-05:00अनु जी, अपना ईमेल का पता आपकी ईमेल पर ईमेल से भेज ...अनु जी, अपना ईमेल का पता आपकी ईमेल पर ईमेल से भेज दिया है, आशा है अब तक मिल गया होगा, धन्यवाद!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-74293902199694156202010-10-30T15:54:11.244-04:002010-10-30T15:54:11.244-04:00अनुराग जी, आप मुझे अपना ईमेल देंगे प्लीज़। आप war ...अनुराग जी, आप मुझे अपना ईमेल देंगे प्लीज़। आप war veterans के परिवार से हैं और मैं फिल्ममेकर की हैसियत से कुछ जानकारी इकट्ठी कर रही हूं। आपका ई-मेल नहीं मिला, इसलिए यहां टिप्पणी में लिखना पड़ा। बाकी, आपकी रचनाओं पर फिर लिखूंगी, इत्मीनान से।Anu Singh Choudharyhttps://www.blogger.com/profile/00504515079548811550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-73923668914521720852010-01-23T04:54:03.028-05:002010-01-23T04:54:03.028-05:00.... बेहद प्रभावशाली रचना !!!!
... मेरे द्वारा सत्....... बेहद प्रभावशाली रचना !!!!<br />... मेरे द्वारा सत्य पर लिखी गई एक रचना के कुछ अंश प्रस्तुत हैं....<br />"...सत्य के साथ खडा होकर भी <br />क्यों डरता इस दुनिया से <br />सत्य न झूठा हो पायेगा <br />हो सकती ये दुनिया सच्ची ...।"कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-31331686159761599972010-01-21T14:35:10.802-05:002010-01-21T14:35:10.802-05:00वाह अनुराग जी!
बहुत सुन्दर!!वाह अनुराग जी!<br />बहुत सुन्दर!!Peeyushhttp://www.nainavelimadhushala.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-78671648189529093152010-01-17T08:49:24.807-05:002010-01-17T08:49:24.807-05:00satya humesha se banta hua hai... kadve aur mithe ...satya humesha se banta hua hai... kadve aur mithe swad mein... mithe satya se fark nahi padta par kadve satya ko jaroor apnanna chahiye...Crazy Codeshttps://www.blogger.com/profile/13403617601253452747noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-82366564776453832622010-01-16T07:25:31.034-05:002010-01-16T07:25:31.034-05:00पहले आपकी कविता पढ़ना और फिर अभय भाई की टिप्पणी को ...पहले आपकी कविता पढ़ना और फिर अभय भाई की टिप्पणी को पढ़ना...यहाँ भी सत्य दो टुकड़ों में बँटा है।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-69077420741084409342010-01-15T04:42:50.025-05:002010-01-15T04:42:50.025-05:00बाप रे कहा तक सोच सकता है कोइ
शायद इसी का एक अर...बाप रे कहा तक सोच सकता है कोइ <br /><br /><br />शायद इसी का एक अर्थ है " जहाँ न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवी "<br />सत्य को दमित और दलित बहुत बार सुना था पर आज सोच रहा हूँ की ऐसा क्यूँ है<br /><br />वास्तव में संजो के रखने की चीज हैं आप की ये रचनादेश अपरिमेयhttps://www.blogger.com/profile/08466553596909110498noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-83104227530458761012010-01-14T13:41:58.258-05:002010-01-14T13:41:58.258-05:00सभी के अपने सत्य समय और सँदर्भ के साथ बदलते रहते ह...<i><br />सभी के अपने सत्य समय और सँदर्भ के साथ बदलते रहते हैं,<br />पर अभय जी से असहमत.. स्खलन का सँदर्भ विचारों, भावाव्यक्तियों से लेकर बड़ा व्यापक है । अश्लील तो कदापि नहीं !<br /></i>डा. अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-35646120774180202482010-01-14T08:33:32.803-05:002010-01-14T08:33:32.803-05:00सत्य हमारे यहां से निकल कर जा चुका है. अब तो असत्य...सत्य हमारे यहां से निकल कर जा चुका है. अब तो असत्यमेव जयते ही भारत में साकार है.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-37443804863104906242010-01-14T07:02:54.527-05:002010-01-14T07:02:54.527-05:00हमेशा टुकड़ों में रहता है
यही उसकी प्रवृत्ति है
मे...हमेशा टुकड़ों में रहता है <br />यही उसकी प्रवृत्ति है<br />मेरे टुकड़े में <br />अपना मिलाओगे<br />तभी सत्य को पाओगे<br /><br />क्या ये व्यापक अर्थो मे है ?Satyendra Kumarhttps://www.blogger.com/profile/16364242673453872751noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-54215310673021109362010-01-14T06:32:24.244-05:002010-01-14T06:32:24.244-05:00यह सही है कि सबका अपना अपना सत्य होता है ,यह टुकड़ो...यह सही है कि सबका अपना अपना सत्य होता है ,यह टुकड़ो मे बंटा हो सकता है ,सम्पूर्ण भी , आपका यह कहना सत्य है कि पहले भी सत्य टुक्ड़ों मे बंटा था लेकिन उस वक्त जोडने का प्रयास किया जाता था । जब दो सत्य मिलते है तभी पूर्ण सत्य होता है ।BrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-15919714177978499572010-01-13T21:18:04.715-05:002010-01-13T21:18:04.715-05:00शाश्वत सत्यों के अतिरिक्त प्रत्येक क्षण का अपन...शाश्वत सत्यों के अतिरिक्त प्रत्येक क्षण का अपना सत्य होता है। जाहिर है, सत्य तो सदैव ही टुकडों में बँटे रहने को अभिशप्त ही है।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-30269050871507338132010-01-13T10:14:23.054-05:002010-01-13T10:14:23.054-05:00अभय जी और आप सबको लोहिड़ी पर्व और मकर संक्रांति की...अभय जी और आप सबको लोहिड़ी पर्व और मकर संक्रांति की <br />हार्दिक शुभकामनाएँ!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-9176945243797448932010-01-13T09:26:12.789-05:002010-01-13T09:26:12.789-05:00अभय प्रिय व्यक्ति हैं। ज्यादा समझ नहीं आते।
आपको ...अभय प्रिय व्यक्ति हैं। ज्यादा समझ नहीं आते। <br />आपको आते हैं! :)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-44714192404695957762010-01-13T04:22:13.846-05:002010-01-13T04:22:13.846-05:00yah aapne ekdam sateek kaha...
mere tukdon me mil...yah aapne ekdam sateek kaha...<br /><br />mere tukdon me milaoge ,tabhi apne saty ko poorn paaoge....<br /><br />saty bilkul saty....रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-70707788527724886702010-01-13T02:14:29.921-05:002010-01-13T02:14:29.921-05:00Jai Shri Krishna,
Nice reading this blog.
I requ...Jai Shri Krishna,<br /><br />Nice reading this blog.<br /><br />I request you to please watch my blog and kindly follow-me if you find it worth reading :-<br /><br />http://icethatburns.blogspot.com/A.G.Krishnanhttps://www.blogger.com/profile/15801930715895397684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-25128062753602110562010-01-13T01:55:41.966-05:002010-01-13T01:55:41.966-05:00सच कहा हर किसी का अपना अपना सत्य होता है ............सच कहा हर किसी का अपना अपना सत्य होता है .......... कुछ गिनी चुनी बातों को छोड़ कर ........ सत्य की परिभाषा निरंतर बदलती भी रहती है ......... देश काल के अनुसार भी सत्य बता रहता है ......... बहुत अच्छा लिखा है ..........दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-47966566457911745412010-01-13T01:11:14.626-05:002010-01-13T01:11:14.626-05:00सत्य
हमेशा टुकड़ों में रहता है
यही उसकी प्रवृत्ति ...सत्य<br /><br />हमेशा टुकड़ों में रहता है<br />यही उसकी प्रवृत्ति है<br />मेरे टुकड़े में<br />अपना मिलाओगे<br />तभी सत्य को पाओगे<br />तभी सत्य को पाओगे<br />बहुत सुन्दर संदेश है<br /> अभय जी की कविता तो पहले नहीं पढी है मगर आपकी कविता पढ कर अच्छी लगी। लोहडी पर्व की शुभकामनाये4ंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-73564684229448292322010-01-12T22:44:25.724-05:002010-01-12T22:44:25.724-05:00बहुत सुंदर लगी यह रचना.
रामराम.बहुत सुंदर लगी यह रचना.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-11416942283537860252010-01-12T22:13:21.309-05:002010-01-12T22:13:21.309-05:00अभय भाई की कविता अब तक तो नहीं पढी - आपकी पसंद आयी...अभय भाई की कविता अब तक तो नहीं पढी - आपकी पसंद आयी है :)<br />अभय भाई का लेखन मेरा पसंदीदा लेखन है ...आपकी तरह ..<br />और वो चाहें कुछ भी कहें , हमने तो आज ही कुछ पुरानी<br />दिल से निकलीं बातें , नयी पोस्ट में , मय चित्र लगा लीं हैं :)<br />अब इसे आत्म मुग्धता वाले ब्लोगरों की जमात में हमें बिठाल दिया जाए <br />तब भी कोइ , दुःख नहीं ...<br />" हम तो भी ऐसे हैं,<br /> ऐसे ही रहेंगें " <br />ठण्ड कैसी है ? <br />-- स स्नेह, <br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-12384564501731878092010-01-12T20:57:42.412-05:002010-01-12T20:57:42.412-05:00सत्य ... यथार्थ सत्य . आज तो पर्मेश्वर भी डरता है ...सत्य ... यथार्थ सत्य . आज तो पर्मेश्वर भी डरता है सत्य के टुकडे बटोरने मेdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-76860547880271990032010-01-12T13:38:17.289-05:002010-01-12T13:38:17.289-05:00बहुत पसंद आई अनुराग जी.
धन्यवादबहुत पसंद आई अनुराग जी.<br />धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-86130840788521074362010-01-12T13:04:44.949-05:002010-01-12T13:04:44.949-05:00पसंद आई..अनुराग भाई..कल अभय भाई को भी पढ़ आये थे.पसंद आई..अनुराग भाई..कल अभय भाई को भी पढ़ आये थे.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5655265167094698544.post-58873611573395143102010-01-12T12:05:11.417-05:002010-01-12T12:05:11.417-05:00स्यान्नास्ति
स्याद् अस्ति न नास्ति च अस्ति
स्याद् ...स्यान्नास्ति<br />स्याद् अस्ति न नास्ति च अस्ति<br />स्याद् अवक्तव्य<br />स्याद् अस्ति च अवक्तव्यश्च<br />स्यान्नास्ति च अवक्तव्यश्च <br />स्याद् अस्ति च नास्ति च अस्ति।<br />____________________गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.com