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सेतु पत्रिका
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Monday, January 28, 2019
बलिहारी गुरु आपने …
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( अनुराग शर्मा ) लल्लू: मालिक, जे इत्ते उमरदार लोग आपके पास लिखना-पढ़ना सीखने क्यों आते हैं? साहब: गधे हैं इसलिये आते हैं। सोचते हैं कि ...
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Friday, January 11, 2019
दोस्त - द्विपदी
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- अनुराग शर्मा अपने नसीब में नहीं क्यों दोस्ती का नूर। मिलते नहीं क्यों रहते हो इतने दूर-दूर॥ समझा था मुझे कोई न पहचान सकेगा। यह होता...
5 comments:
Tuesday, January 1, 2019
काव्य: संवाद रहे
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अनुराग शर्मा नश्वरता की याद रहे जारी अनहदनाद रहे मन भर जाये दुनिया से कोई न फ़रियाद रहे पिंजरा टूटे पिञ्जर का पक्षी यह आज़ाद रहे ...
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