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बागवानी पर कुछ आलेख
सेतु पत्रिका
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Sunday, September 28, 2008
एक शाम बेटी के नाम
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शाम का धुंधलका छा रहा था। हम लोग डैक पर बैठकर खाना खा रहे थे। बेटी अपने स्कूल के किस्से सुना रही थी। वह इन किस्सों को डी एंड डी टाक्स (डैड ...
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Friday, September 26, 2008
पतझड़
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निष्ठुर ठंडी काली रातें रिसते घाव रुलाती रातें। फूल पात सब बीती बातें सूने दिन और रीती रातें। मुरझाया कुम्हलाया तन-मन उजड़ी सेज क...
25 comments:
Tuesday, September 23, 2008
गरजपाल की चिट्ठी [गतांक से आगे]
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[ अब तक की कथा पढने के लिए कृपया यहाँ क्लिक करें ] समय बीतता गया। अहसान अली और शीशपाल का जोश भी काफी हद तक ठंडा पड़ गया। हाँ, गरजपाल बिल्क...
27 comments:
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