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बागवानी पर कुछ आलेख
सेतु पत्रिका
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Saturday, October 25, 2008
तुम बिन - एक कविता
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वक्त तुम बिन कभी गुज़रता नहीं बोझ कांधे से ज्यों उतरता नही शहर सुनसान सा लगे है मुझे आपका जिक्र कोई करता नहीं दिल तो पत्थर सा हो गया य...
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Tuesday, October 21, 2008
बर्फ, प्याज, पैट्रोल, नमक और चुनाव
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हर सोमवार की तरह ही इस बार भी सुबह उठने में देर हो गयी। इस बार इतनी देर हो गयी कि सुबह की आख़िरी बस भी छूट गयी, सो काम पर ड्राइव करके जाना प...
26 comments:
Saturday, October 18, 2008
सत्यमेव जयते - एक कविता
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सच कड़वा है कहने वाले, न जानें सच क्या होता है। सच मीठा भी हो सकता है, क्या जाने जो बस रोता है। दोषारोप लगें कितने, सच सिसकता ...
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