Wednesday, December 24, 2008

क्रिसमस की शुभकामनाएं [इस्पात नगरी २]

पिट्सबर्ग पर यह नई कड़ी मेरे वर्तमान निवास स्थल से आपका परिचय कराने का एक प्रयास है। संवेदनशील लोगों के लिए यहाँ रहने का अनुभव भारत के विभिन्न अंचलों में बिताये हुए क्षणों से एकदम अलग हो सकता है। कोशिश करूंगा कि समानताओं और विभिन्नताओं को उनके सही परिप्रेक्ष्य में ईमानदारी से प्रस्तुत कर सकूं। आपके प्रश्नों के उत्तर देते रहने का हर-सम्भव प्रयत्न करूंगा, यदि कहीं कुछ छूट जाए तो कृपया बेधड़क याद दिला दें, धन्यवाद! अब तक की कड़ियाँ यहाँ उपलब्ध हैं: इस्पात नगरी - खंड १
जब यू एस स्टील ने इस्पात का ढांचा खडा किया तो भला PPG (पिट्सबर्ग प्लास्टिक एंड ग्लास) कैसे पीछे रहती. उन्होंने इमारतों का एक पूरा खंड ही बना डाला शीशे और प्लास्टिक से. हर साल क्रिसमस के मौके पर इन भवनों के बीच में एक विशाल क्रिसमस ट्री के चारों ओर एक स्केटिंग रिंक बनाया जाता है. देखिये उसकी एक झलक.

कुछ समय पहले तक माइक्रोसॉफ्ट का स्थानीय कार्यालय भी इसी खंड में होता था. इसी खंड की एक इमारत के अन्दर भी एक बड़े पेड़ के चारों ओर विश्व के अनेक देशों की क्रिसमस परम्पराओं की झलकियाँ देखने को मिलती है. हर साल, नगर भर के स्कूली बच्चों के बीच जिंजरब्रेड हाउस बनाने की प्रतियोगिता का आयोजन होता है. यह सारे जिंजरब्रेड हाउस दर्शन के लिए रखे जाते हैं और बाद में उनको विक्रय कर के प्राप्त धन जनसेवा और सत्कार्यों में प्रयुक्त होता है.

ऊपर का चित्र बच्चों द्वारा बनाए जिंजरब्रेड घरों का और नीचे के चित्र में यीशु के जन्म की झांकी.

जब मैं यह पोस्ट लिख रहा था तभी एक अमेरिकी सहकर्मी ने फ़ोन करके बताया कि वे और उनकी बेटी सैंटा क्लाज़ का पीछा कर रहे हैं और अभी-अभी उन्होंने सैंटा को भारत में घूमकर उपहार बांटते हुए देखा है. आप भी http://www.noradsanta.org/en/home.html पर जाकर देख सकते हैं कि इस समय संत निकोलस क्लाज़ जी दुनिया के किस कोने में उड़ रहे हैं और कब वे आपके घर के निकट आने वाले हैं।

[विशेष नोट: दिनेश राय द्विवेदी जी ने अपनी टिप्पणी में लिखा है कि सैंटा क्लाज़ का यह लिंक वाइरस बाँट रहा है। मुझे नहीं पता कि उनके इस कथन का आधार क्या है, मगर मैं इतना विश्वास से कह सकता हूँ कि इस वेबसाईट में सांझी दोनों ही कंपनियाँ अति-विश्वसनीय हैं और अगर यह लिंक वाइरस बांटने लगा तो जान लीजिये कि दुनिया की कोई भी साईट सुरक्षित नहीं है। पहली संस्था है गूगल और दूसरी है नोराड गूगल के बारे में तो आप सब जानते हैं, नोराड (North American Aerospace Defense Command) संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा का सांझा सैनिक कार्यक्रम है जो कि १९६८ में शुरू हुआ था। संता क्लाज़ का पीछा करने वाले इस लिंक के बारे में बीबीसी पर ख़बर यहाँ पढी जा सकती है: http://news.bbc.co.uk/1/hi/7792256.stm और अधिक जानकारी के लिए विकिपीडिया का लिंक यहाँ पर है: http://en.wikipedia.org/wiki/NORAD_Tracks_Santa , यहाँ मैं यह याद दिलाना भी ज़रूरी समझता हूँ कि कम्प्युटर और इन्टरनेट न सिर्फ़ मेरे अभ्यास का क्षेत्र हैं यह मेरा व्यवसाय भी है और उससे सम्बंधित विषयों में आप यहाँ भी और आगे भी मुझपर बेधड़क भरोसा कर सकते हैं।]
आप सभी को क्रिसमस की शुभकामनाएं!

Tuesday, December 23, 2008

मेरी खिड़की से [इस्पात नगरी १]


हमारे नीरज गोस्वामी जी को तो आप सब जानते ही हैं और उनकी कविताओं/गज़लों का आनंद उठाते ही होंगे। उन्होंने एक बार पिट्सबर्ग के बारे में लिखने का अनुरोध किया था। मैंने सोचा भी था मगर किसी न किसी बहाने से बात टलती गयी। मगर आज सोचा कि शुरूआत करता चलूँ। नीरज जी पिट्सबर्ग आ चुके हैं ऐसा उनकी एक और टिप्पणी से आभास हुआ था। उनका काम इस्पात से जुडा हुआ है इसलिए इसकी काफी संभावना है।

पिट्सबर्ग तो कोयला, इस्पात और ऐलुमिनम आदि का ही नगर हुआ करता था। एक ज़माने में यू एस स्टील का बड़ा नाम था। शहर की सबसे ऊंची इमारत का स्वामित्व यू एस स्टील का ही था। इस इमारत का स्वामित्व तो अब बदल गया है मगर उसका नाम आज भी यू एस स्टील टावर ही है और आज यू एस स्टील उसका सबसे बड़ा किरायेदार है। दूसरा सबसे बड़ा किरायेदार है यूपीएम्सी (UPMC) जो कि संयोगवश मेरा रोजगारदाता है। पिछले एक साल से मैं इसी इमारत में काम करता हूँ। दूर से यह इमारत एक भूरा-काला सा इस्पात का ढांचा नज़र आती है। मगर यह इस्पात इमारत की सरंचना का हिस्सा नहीं है। कौर-स्टील नाम का यह मिश्रधातु इमारत के चारों ओर सिर्फ़ प्रचार के लिए खडा किया गया था क्योंकि यह बर्फ-पानी से ख़राब न होने वाला यू एस स्टील का एक नया उत्पाद था।

आईये कुछ ताजे चित्रों की सहायता से देखें आजकल यह इमारत कैसी दिखती है और सत्तावनवीं मंजिल पर स्थित मेरे दफ्तर की खिड़की से नगर का दृश्य कैसा लगता है:


बर्फ से ढंका हुआ पिट्सबर्ग नगर दोपहर में एक और खिड़की से


मेरी खिड़की से भोर का दृश्य


मेरी खिड़की से सायंकाल का दृश्य

==========================================
इस्पात नगरी से - अन्य कड़ियाँ
==========================================

Sunday, December 21, 2008

क्या मतलब - कविता

मैं कौन था मैं कहाँ था, इसका अब क्या मतलब
चला कहाँ कहाँ पहुँचा, इसका अब क्या मतलब

ठिकाना दूर बनाया कि उनसे बच के रहें
कपाट तोड़ के आयें, इसका अब क्या मतलब

ज़हर भरा हो किसी के दिलो-दिमाग में गर
बस दिखावे की मुलाक़ात का अब क्या मतलब

किया क्यों खून से तर, मेरा क़त्ल किसने किया
गुज़र गया हूँ, सवालात का अब क्या मतलब

मुझे सताया मेरी लाश को तो सोने दो
मर गया तब भी खुराफात का अब क्या मतलब।

(अनुराग शर्मा)