प्रिय किशोर,
हम सभी को रोचक सपने आते रहे हैं, कभी-कभार कुछ याद भी रह जाता है और अक्सर सब भूल ही जाते हैं. कभी-कभी तो भूल जाने की प्रक्रिया याद रखने से पहले ही हो जाती है. मगर आपने उसे याद रखा और इतनी कुशलता से हम तक पहुँचाया, इसके लिये आभार. इस सपने में बहुत से सन्देश हैं जिन पर कभी व्यक्तिगत रूप से बात करेंगे.
सबसे पहले तो अपने पैर के आईठाण को निकलवाइये. मेरे ख्याल से तो कोई चर्मरोग विशेषज्ञ उसे कुछ मिनटों में ही निकाल सकता है. डॉ अनुराग आर्य बेहतर बता सकते हैं.
आपके पिताजी के बारे में जानकार दुःख हुआ. परिजनों का जाना - विशेषकर माता या पिता का - ऐसा विषय है जिस पर कोई कितना कुछ भी कहे या लिखे, उस क्षति की पूर्ति नहीं हो सकती है. जीवन फिर भी चलता है. भविष्य के लिए नहीं बल्कि भूत के सपनों को साकार करने के लिए. पुरखों की आशा को, उनके जीवन की ज्योति को अगली पीढ़ियों के सहारे पुष्ट करने के लिए. ज़रा सोचिये कि आपकी माताजी को उनकी कमी कितनी गहराई से महसूस होती होगी. उनके दर्द को समझकर जो भी सहायता कर सकते हैं करिये.
प्रियजनों का जाना बहुत दुखद है. इसके कारण हममें से बहुत लोग अस्थायी रूप से अवसादग्रस्त हो जाते हैं. इसका इलाज़ संभव है. चिकित्सा के साथ-साथ दिनचर्या में परिवर्तन भी लाभप्रद है. अगर आसानी से संभव हो तो आकाशवाणी की अपनी शिफ्ट दिन की कराने का प्रयास करो. संभव हो तो आधे घंटे का व्यायाम अपनी दिनचर्या में जोड़ लो. मित्रों से मिलते रहो, खासकर जीवट वाले मित्रों से.
सबको खुश रख पाना संभव नहीं है. इसका प्रयास भी आसान नहीं है. बहुत दम चाहिए. कोशिश यह करो कि अपनी और से सब ठीक हो आगे प्रभु की (और उनकी) मर्जी.
नाराज़ होकर ब्लॉग छोड़ने (और उसका ऐलान करने) की बात मुझे कभी समझ नहीं आयी. फिर भी इतना ही कहूंगा कि स्वतंत्र समाज में सबको अपनी मर्जी से चलने का हक है जब तक कि उनका कृत्य उन्हें और अन्य लोगों और परिवेश को कोई हानि न पहुँचाए.
शुभाकांक्षी
अनुराग.
पुनश्च: अगर में यह न बताऊँ कि तुम्हारा आज का लिखा मन को छू गया है तो यह पत्र अधूरा ही रह जाएगा. ऐसे ही लिखते रहो. बहुत लोगों को तुम्हारे लिखे का इंतज़ार रहता है.
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किशोर चौधरी एक समर्थ ब्लोगर हैं. उनकी पोस्ट "
दोस्तों ब्लॉग छोड़ कर मत जाओ, कौन लिखेगा कि वक्त ऐसा क्यों है?" पर टिप्पणी लिखने बैठा तो पूरी पोस्ट ही बन गयी. टिप्पणी बक्से की अपनी शब्द सीमा है, इसलिए पोस्ट बनाकर यहाँ रख रहा हूँ. बहुत लम्बे समय से सपनों के बारे में एक शृंखला लिखने की सोच रहा था, किशोर की पोस्ट ने मुझे एक बार फिर उसके बारे में याद दिलाया है. जल्दी ही शुरू करूंगा.]