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झलकियाँ जापान की
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प्रेरणादायक जीवन-चरित्र
बागवानी पर कुछ आलेख
सेतु पत्रिका
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Tuesday, October 25, 2016
अनंत से अनंत तक - कविता
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( अनुराग शर्मा ) जीवन क्या है एक तमाशा थोड़ी आशा खूब निराशा सब लीला है सब माया है कुछ खोया है कुछ पाया है न कुछ आगे न कुछ पीछे कु...
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Tuesday, September 13, 2016
ये दुनिया अगर - कविता
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( अनुराग शर्मा ) बारूद उगाते हैं बसी थी जहाँ केसर मैं चुप खड़ा कब्ज़े में है उनके मेरा घर कैसे भला किससे कहूँ मैं जान न पाऊँ दे न सक...
20 comments:
Wednesday, September 7, 2016
शाब्दिक हिंसा - मत करो (कविता)
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लोग अक्सर शाब्दिक हिंसा की बात करते हुए उसे वास्तविक हिंसा के समान ठहराते हैं. फ़ेसबुक पर एक ऐसी ही पोस्ट देखकर निम्न उद्गार सामने आये. शब्द...
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