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बागवानी पर कुछ आलेख
सेतु पत्रिका
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Sunday, April 9, 2017
असलियत - कविता
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इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते न ही छिपते हैं रक्तरंजित हाथ। असलियत मिटती नहीं है। बहुत देर तक नहीं छिपा सकोगे बगल में छुरी। भ...
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Tuesday, February 28, 2017
फिरकापरस्त - एक कविता
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( अनुराग शर्मा ) क्यूबा के कम्युनिस्ट राजवंश का प्रथम तानाशाह बंदूकों से उगलते हैं मौत और जहर रचनाओं से जैसे कि जहर और गोली में ...
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Saturday, January 14, 2017
द्रोणाचार्य, अर्जुन और एकलव्य
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आचार्य द्रोण को छल से ऐसे किशोर का अंगूठा काटने की कोई ज़रूरत नहीं थी, जो उनके इशारे पर अपना सर काटकर रख देता। मित्र गिरिजेश राव ने वाल्मी...
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