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सेतु पत्रिका
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Monday, June 1, 2020
विदेह - लघुकथा
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"मैं बहुत अकेला हो गया हूँ। तुम्हारी माँ तो मेरा मुँह देखना भी पसंद नहीं करती। तुम भी कितने अरसे बाद आये हो बेटा। अब मुझे बहुत डर ल...
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Saturday, March 28, 2020
आस्तिक - लघुकथा
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गर्मागरम बहस चल रही थी। एक ने अखण्ड विश्वास से कहा, “जितना दिख रहा है, वही सब संसार है। हम इसी में से एक बार जन्म लेते हैं, और फिर मरकर इ...
8 comments:
Saturday, February 22, 2020
कुआँ और खाई - कविता
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पिट्सबर्ग आजकल (शब्द और चित्र: अनुराग शर्मा ) जब गले पड़ें दो मुसीबतें जिनमें से एक अनिवार्यतः अपनानी है। तब एक पल ठहरकर सोच-समझ...
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