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बागवानी पर कुछ आलेख
सेतु पत्रिका
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Saturday, July 17, 2021
कविता: मुक्ति
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(शब्द व चित्र: अनुराग शर्मा ) जीवन को रेहन रखा था स्वार्थी लालों के तालों में॥ निर्मल अमृत व्यर्थ बहाया सीमित तालों या नालों में॥ परपीड़क हर ...
2 comments:
Friday, April 16, 2021
प्रेम के हैं रूप कितने (अनुराग शर्मा)
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तोड़ता भी, जोड़ता भी, मोड़ता भी प्रेम है, मेल को है आतुर और छोड़ता भी प्रेम है॥ एकल वार्ता और काव्यपाठ, साढ़े सात मिनट की ऑडियो क्लिप गूगल प...
10 comments:
Sunday, February 7, 2021
कविता: निर्वाण
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(शब्द व चित्र: अनुराग शर्मा ) अंधकार से प्रकट हुए हैं अंधकार में खो जायेंगे बिखरे मोती रंग-बिरंगे इक माला में पो जायेंगे इतने दिन से जगे हु...
15 comments:
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