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सेतु पत्रिका
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Sunday, July 18, 2021
एकाकी कोना
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(शब्द व चित्र: अनुराग शर्मा ) मन में इक सूना कोना है जिसमें छिप-छिपके रोना है अपनी पीर सम्भालो आप ही कहके किससे क्या होना है॥ गलियों-गलिय...
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Saturday, July 17, 2021
कविता: मुक्ति
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(शब्द व चित्र: अनुराग शर्मा ) जीवन को रेहन रखा था स्वार्थी लालों के तालों में॥ निर्मल अमृत व्यर्थ बहाया सीमित तालों या नालों में॥ परपीड़क हर ...
2 comments:
Friday, April 16, 2021
प्रेम के हैं रूप कितने (अनुराग शर्मा)
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तोड़ता भी, जोड़ता भी, मोड़ता भी प्रेम है, मेल को है आतुर और छोड़ता भी प्रेम है॥ एकल वार्ता और काव्यपाठ, साढ़े सात मिनट की ऑडियो क्लिप गूगल प...
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