.
श्री गणेशाय नमः।
ज्ञानदत्त पाण्डेय जी की ताज़ी पोस्ट "डिसऑनेस्टतम समय" ने अपने पाठकों को काफी कुछ सोचने को मजबूर किया है। पांडेय जी के अधिकांश अवलोकनों और निष्कर्षों से असहमति की कोई गुंजाइश ही नहीं है। विशेषकर, जब वे कहते हैं कि "और तो बाहरी लोगों को लूटते हैं। ये घर को लूट रहे हैं। ऑनेस्टी पैरों तले कुचली जा रही है। ... ईमानदारी अब सामाजिक चरित्र नहीं है।"
उनकी इस पोस्ट ने नई-पुरानी कई बातें याद दिलाईं। दिल्ली में किसी आटोरिक्शा के पीछे लिखा देखा था:
100 में निन्यानवे बेईमान, फिर भी मेरा भारत महान!
स्कूल में एक सहपाठी को अक्सर कहते सुना था, "जो पकडा गया वह चोर! मतलब यह कि (हमारे देश में) चोर तो सभी हैं, कोई-कोई पकड में आ जाता है।"
बचपन में किसी हिन्दी फिल्म में मुकेश का गाया गीत "जय बोलो बेईमान की" बडा मशहूर हुआ था। लेकिन जो बात बडी शिद्दत से याद आयी वह यह कि हमारे बेईमान, न केवल बेईमानों में बेईमानी करते हैं, वे ईमानदारी की गंगा में रोज़ डुबकी लगाकर भी ईमानदार नहीं हो पाते। हाँ, गंगा मैली करने का प्रयास अवश्य करते हैं ताकि उनकी बेईमानी सामान्य लगने लगे।
पार्किंग में, आटो, टैक्सी आदि के किराये में बेईमानी मिलना तो आम बात है ही। दिल्ली में मैंने कितनी ही बार महंगी कार में बैठे सूट्बूटक नौजवानों को पास से गुज़रते ठंडे पेय के खुले ट्रक से बोतलें चुराते देखा है। एक ज़माने में अक्सर यह खबर सुनने में आती थी कि कोई प्रसिद्ध भारतीय अपनी विदेश यात्रा के दौरान किसी डिपार्टमेंटल स्टोर में चोरी करते हुए पकडा गया। मतलब यह कि धन-धान्य से भरपूर भारतीय मन भी बिना निगरानी का माल देखकर डोल ही जाता था। बेचारे मासूमों को यह नहीं पता होता था कि चोर कैमरे उनकी चोरी को रिकॉर्ड कर रहे होते थे।
जब विवेक कुन्द्रा के ओबामा के कम्प्यूटर सलाहकार बनने की खबर आयी थी तो भारतीय समुदाय बडा प्रसन्न हुआ था। कुछ ही दिनों में खबर आ गयी कि एक दशक पहले 21 वर्ष की आयु में कुन्द्रा जी "जे सी पैनी" स्टोर से कुछ कमीज़ें चुराते हुए पकडे गये थे। उनकी सज़ा: कमीज़ों का मूल्य, 100 डॉलर दण्ड और 80 घंटे की समुदाय सेवा। [पूरी खबर पढने के लिये यहाँ क्लिक कीजिये।]
लेकिन ताज़ी खबर इन सब छोटी-मोटी खबरों का बाप है। डेलावेयर में अंडर कवर एजेंटों ने भारतीय मूल के एक इलेक्ट्रॉनिक्स डीलर को एक स्टिंग ऑपरेशन द्वारा पकडा गया है। हथियारों के ईरानी दलाल आमिर अर्देबिल्ली को प्रतिबन्धित उपकरण (सैन्य इस्तेमाल में आने वाले माइक्रोवेव रेडियो) बेचने के आरोप को स्वीकार करके विक्रमादित्य सिंह ने अपनी सज़ा को 6 मास की नज़रबन्दी और एक लाख डॉलर के ज़ुर्माने तक सीमित कर दिया। सज़ा पूरी होने पर उन्हें देशनिकाला देकर भारत भेज दिया जायेगा।
वैसे तो खबर में ऐसा कुछ खास न दिखे परंतु 34 वर्षीय विक्रमादित्य सिंह राष्ट्रीय लोक दल के अमेरिका-शिक्षित अध्यक्ष और किसान नेता अजित सिंह के दामाद हैं। यदि निर्वासन के बाद वे सक्रिय राजनीति में आयें और अपने ससुर द्वारा मांगे जा रहे भविष्य के हरित प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो क्या आपको आश्चर्य होगा?
कुछ साल पहले एक भारतीय कार डीलर कर चोरी के लिये बहियों में हेरफेर करते हुए पकडे गये थे। पिछ्ले दिनों बॉस्टन के एक भारतीय व्यवसायी भारत के बैंकों में भेजी भारी रकम और उस पर होने वाली आमदनी को कर विभाग से छिपाने के प्रयास में कानून की गिरफ्त में आये थे। सोचता हूँ कि भारत स्वाभिमान ट्रस्ट की टक्कर पर कहीं अमेरिका स्वाभिमान ट्रस्ट न शुरू हो जाये।
श्री लक्ष्मी जी सदा सहाय नमः॥
=========================================
इस्पात नगरी से - सम्बन्धित कड़ियाँ
=========================================
श्री गणेशाय नमः।
ज्ञानदत्त पाण्डेय जी की ताज़ी पोस्ट "डिसऑनेस्टतम समय" ने अपने पाठकों को काफी कुछ सोचने को मजबूर किया है। पांडेय जी के अधिकांश अवलोकनों और निष्कर्षों से असहमति की कोई गुंजाइश ही नहीं है। विशेषकर, जब वे कहते हैं कि "और तो बाहरी लोगों को लूटते हैं। ये घर को लूट रहे हैं। ऑनेस्टी पैरों तले कुचली जा रही है। ... ईमानदारी अब सामाजिक चरित्र नहीं है।"
उनकी इस पोस्ट ने नई-पुरानी कई बातें याद दिलाईं। दिल्ली में किसी आटोरिक्शा के पीछे लिखा देखा था:
100 में निन्यानवे बेईमान, फिर भी मेरा भारत महान!
स्कूल में एक सहपाठी को अक्सर कहते सुना था, "जो पकडा गया वह चोर! मतलब यह कि (हमारे देश में) चोर तो सभी हैं, कोई-कोई पकड में आ जाता है।"
नादिर शाह का ध्वज |
पार्किंग में, आटो, टैक्सी आदि के किराये में बेईमानी मिलना तो आम बात है ही। दिल्ली में मैंने कितनी ही बार महंगी कार में बैठे सूट्बूटक नौजवानों को पास से गुज़रते ठंडे पेय के खुले ट्रक से बोतलें चुराते देखा है। एक ज़माने में अक्सर यह खबर सुनने में आती थी कि कोई प्रसिद्ध भारतीय अपनी विदेश यात्रा के दौरान किसी डिपार्टमेंटल स्टोर में चोरी करते हुए पकडा गया। मतलब यह कि धन-धान्य से भरपूर भारतीय मन भी बिना निगरानी का माल देखकर डोल ही जाता था। बेचारे मासूमों को यह नहीं पता होता था कि चोर कैमरे उनकी चोरी को रिकॉर्ड कर रहे होते थे।
जब विवेक कुन्द्रा के ओबामा के कम्प्यूटर सलाहकार बनने की खबर आयी थी तो भारतीय समुदाय बडा प्रसन्न हुआ था। कुछ ही दिनों में खबर आ गयी कि एक दशक पहले 21 वर्ष की आयु में कुन्द्रा जी "जे सी पैनी" स्टोर से कुछ कमीज़ें चुराते हुए पकडे गये थे। उनकी सज़ा: कमीज़ों का मूल्य, 100 डॉलर दण्ड और 80 घंटे की समुदाय सेवा। [पूरी खबर पढने के लिये यहाँ क्लिक कीजिये।]
लेकिन ताज़ी खबर इन सब छोटी-मोटी खबरों का बाप है। डेलावेयर में अंडर कवर एजेंटों ने भारतीय मूल के एक इलेक्ट्रॉनिक्स डीलर को एक स्टिंग ऑपरेशन द्वारा पकडा गया है। हथियारों के ईरानी दलाल आमिर अर्देबिल्ली को प्रतिबन्धित उपकरण (सैन्य इस्तेमाल में आने वाले माइक्रोवेव रेडियो) बेचने के आरोप को स्वीकार करके विक्रमादित्य सिंह ने अपनी सज़ा को 6 मास की नज़रबन्दी और एक लाख डॉलर के ज़ुर्माने तक सीमित कर दिया। सज़ा पूरी होने पर उन्हें देशनिकाला देकर भारत भेज दिया जायेगा।
वैसे तो खबर में ऐसा कुछ खास न दिखे परंतु 34 वर्षीय विक्रमादित्य सिंह राष्ट्रीय लोक दल के अमेरिका-शिक्षित अध्यक्ष और किसान नेता अजित सिंह के दामाद हैं। यदि निर्वासन के बाद वे सक्रिय राजनीति में आयें और अपने ससुर द्वारा मांगे जा रहे भविष्य के हरित प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो क्या आपको आश्चर्य होगा?
कुछ साल पहले एक भारतीय कार डीलर कर चोरी के लिये बहियों में हेरफेर करते हुए पकडे गये थे। पिछ्ले दिनों बॉस्टन के एक भारतीय व्यवसायी भारत के बैंकों में भेजी भारी रकम और उस पर होने वाली आमदनी को कर विभाग से छिपाने के प्रयास में कानून की गिरफ्त में आये थे। सोचता हूँ कि भारत स्वाभिमान ट्रस्ट की टक्कर पर कहीं अमेरिका स्वाभिमान ट्रस्ट न शुरू हो जाये।
श्री लक्ष्मी जी सदा सहाय नमः॥
=========================================
इस्पात नगरी से - सम्बन्धित कड़ियाँ
=========================================
क्यों नहीं बन सकते मुख्यमन्त्री.. अभी तो बड़ी अदालत, उससे बड़ी अदालत और फिर जनता की अदालत शेष है... :)
ReplyDelete...ज्ञानदत्त जी की पोस्ट और उसपर अनूप जी का कमेंट भी पढ़ा। आपने चर्चा को विस्तार दिया।
ReplyDeleteसबसे अधिक शर्मिंदगी तो विदेश में रहने वाले ईमानदार भारतीयों को उठानी पड़ती होगी जब वे पढ़ते होंगे कि कोई भारतीय चोरी करते पकड़ा गया।
कुछ भी हो सकता है .या कहे सब कुछ हो सकता है
ReplyDeleteअज के दौर मे सब कुछ हो सकता है। रोचक पोस्ट। शुभकामनायें।
ReplyDeleteसच में यहाँ कुछ भी हो सकता है... में इसी तरह के बात मै अभी अभी वाकिफ हुयी हू ...ये सब तो राजनीती से जुड़े हुए है पर यहाँ तो जनाब हमारी देश की सुरक्षा से जुड़े थे ..... जब अब उस दुकान में जाते है भारतीयोपे पे कड़ी नजर रखी जाती है.... शर्म की बात है जिन उसूलों के लिए हम जाने जाते थे आज उन्ही को हम पैरों तले रौंद रहे है
ReplyDeleteचलिए कुछ लोग तो चर्चा में हिस्सा ले रहे हैं....खुद ईमानदार रहें बाकियों को भी देख लेंगे....
ReplyDeleteइमानदारी बेईमानी व्यक्ति सापेक्ष है -हम सब किसी न किसी डिग्री में बेईमान हैं!
ReplyDeleteक्या सरकारी सेवा में रहकर ज्ञानदत्त जी खुद की इमानदारी का स्व-सार्टीफिकेट दे सकते हैं -
यहाँ चाहकर भी इमानदार बने रह पाना मुश्किल हो गया है और अनचाहे भ्रष्ट होना एक नियति .....
इमानदारी एक निजी आचरण का मामला है -दूसरों के बजाय अपनी पर ज्यादा ध्यान दिया जाना
उचित है और दंड विधान को कठोर करना होगा जिससे बेईमानी कदापि पुरस्कृत न हो जैसा कि आपने एक दो उदहारण दिये हैं!
इमानदारी बेईमानी व्यक्ति सापेक्ष है -हम सब किसी न किसी डिग्री में बेईमान हैं!
ReplyDeleteक्या सरकारी सेवा में रहकर ज्ञानदत्त जी खुद की इमानदारी का स्व-सार्टीफिकेट दे सकते हैं -
यहाँ चाहकर भी इमानदार बने रह पाना मुश्किल हो गया है और अनचाहे भ्रष्ट होना एक नियति .....
इमानदारी एक निजी आचरण का मामला है -दूसरों के बजाय अपनी पर ज्यादा ध्यान दिया जाना
उचित है और दंड विधान को कठोर करना होगा जिससे बेईमानी कदापि पुरस्कृत न हो जैसा कि आपने एक दो उदहारण दिये हैं!
आचार संहिता कहाँ दिखती है आज जीवन में ..... यहाँ कुछ भी मुमकिन है...... सार्थक विषय को विस्तार देने का आभार
ReplyDeleteमेरे ख्याल से सन सत्तर के आसपास से यह चारित्र्यिक मिलावट प्रारम्भ हुई। अब तक दो पीधियां रंगी जा चुकी हैं। बाप बेटे को फर्जी डिग्री लेने को प्रेरित करता है - रास्ता बताता है। दहेज का महत्व समझाता है।
ReplyDeleteसत् चरित्र के रोल मॉडल कम से कमतर होते चले गये हैं। धार्मिक नेताओं में भी पाखण्ड व्याप्त हुआ है।
राजीव गांधीजी कहते थे कि परियोजनाओं का १५% कामयाब होता है, वह अब शायद ५-१०% बन गया होगा।
आगे देखा जाये! :)
अगर ऐसा होने की नौबत आई तो सिंह साहब का दावा और मजबूत होगा, बाकायदा सनद पेश कर सकेंगे।
ReplyDeleteशुभकामनायें नये प्रदेश के लिये।
कोई आश्चर्य नहीं होगा कि वह मुख्यमंत्री बना दिये जायें, योग्यता तो पहले ही सिद्ध हो चुकी है।
ReplyDeleteहम तो कब से कह रहे हैं कि सारे कुओं में भांग पडी है, मर्जी हो उस कुएं का पानी पीकर देख लिजिये.
ReplyDeleteरामराम
विचलित व्यथित हतोत्साहित मन अवसाद में डूबा रहता है अधिकांशतः ...किनारा कभी मिलेगा,सोचना मुश्किल लगता है...
ReplyDeleteऔर क्या क्या देख संसार से जाना है ...पता नहीं..
वह दौर दूसरा था,यह दौर दूसरा है,आभार.
ReplyDeleteजो ईमानदार हे वो हमेशा ईमान दार ही रहेगा, वैसे चोरी तो यह अमेरिकन ओर युरोपियन भी खुब करते हे, हां जब विदेशी, ओर खास कर कोई भारतिया ऎसा करते पकडा जाता हे तो हम जेसे स्थानिया लोगो को गुस्सा बहुत आता हे.
ReplyDeleteअगर आप ऐसे ही भविष्य के मुख्यमंत्रियों के वर्तमान कारनामे हमें बताते रहेंगे तो ब्लॉग्गिंग पर नियंत्रण वाला बिल सरकार बहुत ही जल्दी पास करा देगी.
ReplyDeleteवैसे इस लेख में नादिर शाह के ध्वज से हमें क्या सन्देश मिल रहा है. अगर ये ध्वज सच में नादिर शाह का ही है तो मैं समझता हूँ की उसे ज्योतिष की समझ थी. ज्योतिष में सिंह राशी का स्वामी सूर्य होता है और उसके झंडे में सिंह के पीछे सूर्य ही दिख रहा है.
sundar chintan........
ReplyDeletepranam.
मुनाफ़े की हिस्सेदारी का तंत्र ही ऐसा है...
ReplyDeleteबॉस्टन हवाई अड्डे पर एक बड़ा नामी शख्स दो लाख डॉलर की नगदी के साथ पकड़ा जाता है और बाद में एक दूसरे विदेश मामलों के हाकिम द्वारा छुड़ा लिया जाता है.. यह ख़बर सिर्फ विकीपीडिया पर दिखी!! कोई आश्चर्य नहीं कि कल को वो भारत भाग्य विधाता बने नज़र आएं...
ReplyDeleteआसानी से वो कुछ न कुछ सरकारी पोज़ीशन में आजाएँगे ...ये विडंबना है हमारे देश की और पिछले ६३ सालों में इस बीमारी ने महामारी का रूप ले लिया है अपने देश में ...
ReplyDeleteकभी कभी लगता है की क्या हम हिन्दुस्तानी शुरू से ही ... मेरा मतलब है १००० वर्षों से ऐसे ही थे ... क्या इसी कारण से हम गुलाम तो नही रहे १००० वर्ष तक ... या उससे पहले भी ऐसे ही थे ... पता नही सच क्या है और झूठ क्या ... पर ये सच है ये महामारी दिन प्रतिदिन बढ़ रही है ... जबसे होश संभाला है कम से कम तब से तो देख ही रहा हूँ इसलिए दावे से कह सकता हूँ ...
दोनों ख़बरें भौचक्का करने वाली हैं ....यह दोनों भारतीय बहुत ख़ास तबके से संबंद्धित हैं ...इन लोगों ने सारे देश को शर्मिंदा कर दिया ! नैतिक पतन का इससे बढ़िया उदाहरण और क्या हो सकता है !
ReplyDeleteशर्मनाक ! :-(
@ दामाद-ए-अजीत सिंह ,
ReplyDeleteअभी कुछ रोज पहले ही पढ़ी थी ये खबर !
@सतीश सक्सेना
ReplyDeleteइन लोगों ने सारे देश को शर्मिंदा कर दिया
--
जैसे देश तो पूरी इमानदारी से चल रहा है ;)
रजत गुप्ता भी तो हैं ! वैसे अभी साबित नहीं हुआ है तो नहीं कहना चाहिए.
ReplyDelete