जैसे तूने छोड़ी थीं, ये राहें उस दिन मौन,
वैसे ही चुप चाँदनी, कहे-सुने अब कौन।
वैसे ही चुप चाँदनी, कहे-सुने अब कौन।
नीला अम्बर ओढ़ के, तेरा रूप रचे,
तेरे बिन भी चाँद है, फिर भी मन न बचे।
तेरे बिन भी चाँद है, फिर भी मन न बचे।
धूप नहीं, पर शरच्चंद्र से रोशन होती रात,
धवल शांत हो सुन रही, जैसे तेरी बात।
धवल शांत हो सुन रही, जैसे तेरी बात।
छेड़ रही हैं बदलियाँ, चंदा लेता ओट।
जैसे तेरी गुदगुदी, दिल पर लगती चोट।
वाह | बाढ़ के मौसम में धीमी लहर |
ReplyDeleteख़ूबसूरत अहसास
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार 20 सितंबर 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
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ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteसुन्दररचना !
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