Sunday, September 14, 2025

चिमनी और चंदा

चिमनी से निकला धुआँ, चंदा सा आकार,
आँख से मानो बह चलीं, यादें बारंबार।

जैसे तूने छोड़ी थीं, ये राहें उस दिन मौन,
वैसे ही चुप चाँदनी, कहे-सुने अब कौन।

नीला अम्बर ओढ़ के, तेरा रूप रचे,
तेरे बिन भी चाँद है, फिर भी मन न बचे।

धूप नहीं, पर शरच्चंद्र से रोशन होती रात,
धवल शांत हो सुन रही, जैसे तेरी बात।

छेड़ रही हैं बदलियाँ, चंदा लेता ओट।
जैसे तेरी गुदगुदी, दिल पर लगती चोट।

6 comments:

  1. वाह | बाढ़ के मौसम में धीमी लहर |

    ReplyDelete
  2. ख़ूबसूरत अहसास

    ReplyDelete
  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार 20 सितंबर 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

    ReplyDelete
  4. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार 20 सितंबर 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

    ReplyDelete

मॉडरेशन की छन्नी में केवल बुरा इरादा अटकेगा। बाकी सब जस का तस! अपवाद की स्थिति में प्रकाशन से पहले टिप्पणीकार से मंत्रणा करने का यथासम्भव प्रयास अवश्य किया जाएगा।