दिल के छोटे होते हैं।
उनकी हर रेवड़ी
उनके मुँह तक पहुँचती है
उनकी हर दौड़
उनके महल पर रुकती है।
हर काम लेन-देन होता है
जिसमें लेन तो लेन है ही
हर देन भी उम्मीद होती है
एक बड़े लेन की।
छोटे लोग बात भी करते हैं
तो केवल अपने बारे में
उनकी दुनिया वे ही हैं
और अपना ब्रह्माण्ड भी वही।
वे याद दिलाते हैं
आपको टोककर
अपने उस काम की
जो आपने अभी किया नहीं।
जो आपने अभी किया नहीं।
क्योंकि आप मसरूफ़ थे
भीतर तक धँसे हुए थे
दूसरे कामों के ढेर में
जो सब के सब उन्हीं के थे।
लेन-देन उनकी ज़िंदगी है, पर
उन्हें नहीं कोई लेना-देना
आपकी ज़िंदगी से
क्योंकि आप इंसान नहीं हैं।
उनके लिये आप एक सौदा हैं
पटे तो ठीक
नहीं तो कई और हैं ठौर
मोल-भाव करने को।
मुनाफ़े का सौदा करना
उन्हें खूब आता है
ज़िंदगी भर वही किया है
वही करेंगे क़यामत तक।