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Tuesday, October 5, 2010
हाल बुरा है... कविता
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( अनुराग शर्मा ) स्वर्णमयी है लंका अपनी, जनता रोती क्यूं रहती है दीनों को धकियाकर देखो भाई भतीजे पास आ गये॥ दो रोटी को निकला बेटा घर लौ...
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