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आतंकवाद
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Tuesday, September 13, 2016
ये दुनिया अगर - कविता
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( अनुराग शर्मा ) बारूद उगाते हैं बसी थी जहाँ केसर मैं चुप खड़ा कब्ज़े में है उनके मेरा घर कैसे भला किससे कहूँ मैं जान न पाऊँ दे न सक...
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Saturday, November 21, 2015
आतंकियों का मजहब
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सवाल पुराना है। पहले भी पूछा जाता था लेकिन आज का विश्व जिस तरह सिकुड़ गया है, पुराना प्रश्न अधिक सामयिक हो गया है। आतंकवाद जिस प्रकार संसा...
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Thursday, May 30, 2013
माओवादी नक्सली हिंसा हिंसा न भवति*
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अज्ञानी, धृष्ट और भ्रष्ट संसद तब होती है जब जनता अज्ञान, धृष्टता और भ्रष्टाचार को बर्दाश्त करती है ~ जेम्स गरफील्ड (अमेरिका के 20वें राष...
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Saturday, June 19, 2010
माओवादी इंसान नहीं, जानवर से भी बदतर!
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शीर्षक पढ़कर शायद आप कहें कि सिर्फ माओवादी या दुसरे आतंकवादी ही क्यों, इंसान को इंसान न समझने वाले, दूसरों के जीवन को दो कौड़ी से कम आंककर ...
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Sunday, July 27, 2008
बेंगलूरू और अमदावाद - दंगा - एक कविता
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पिछले दो दिनों में देश में बहुत सी जानें गयीं। हम सब के लिए दुःख का विषय है। पीडितों के दर्द और उनकी मनःस्थिति को शायद हम पूरी तरह से कभी भी...
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