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गुरु
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गुरु
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Saturday, January 14, 2017
द्रोणाचार्य, अर्जुन और एकलव्य
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आचार्य द्रोण को छल से ऐसे किशोर का अंगूठा काटने की कोई ज़रूरत नहीं थी, जो उनके इशारे पर अपना सर काटकर रख देता। मित्र गिरिजेश राव ने वाल्मी...
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Saturday, August 23, 2014
जोश और होश - बोधकथा
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चेले मीर ने सारे दांव सीख लिए थे। जीशीला भी था, फुर्तीला भी। नौजवान था, मेहनती था, बलवान तो होना ही था। फिर भी जो इज्ज़त उस्ताद पीर की थी, उ...
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Saturday, July 12, 2014
गुरु - लघुकथा
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गुरुपूर्णिमा पर एक गुरु की याद पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम्। व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता। बरसों का खोया हुआ मित...
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Sunday, March 16, 2014
कालचक्र - कविता
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( अनुराग शर्मा ) बनी रेत पर थीं पदचापें धारा आकर मिटा गई बने सहारा जो स्तम्भ, आंधी आकर लिटा गई बीहड़ वन में राह बनाते, कर्ता धरती ली...
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