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Friday, June 15, 2012
प्रेम, न्याय और प्रारब्ध - कविता
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छोड़ फूलों को परे कांटे जो उठाते हैं ज़ख्म और दर्द ही हिस्से में उनके आते हैं (चित्र व शब्द: अनुराग शर्मा ) बेदर्दी है हाकिम निठुर बँ...
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