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Saturday, February 26, 2011
मैजस्टिक मूँछें [कहानी: अनुराग शर्मा]
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नागोबा डुलाय लागला ... बिल्कुल वही है। खाल के ऊपर रेंगता है। वही है। मैं भी तो वही हूँ। बैठा भी वहीं हूँ आज तक। तुम जबसे गयीं, निपट अकेल...
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