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Sunday, April 9, 2017
असलियत - कविता
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इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते न ही छिपते हैं रक्तरंजित हाथ। असलियत मिटती नहीं है। बहुत देर तक नहीं छिपा सकोगे बगल में छुरी। भ...
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Tuesday, February 28, 2017
फिरकापरस्त - एक कविता
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( अनुराग शर्मा ) क्यूबा के कम्युनिस्ट राजवंश का प्रथम तानाशाह बंदूकों से उगलते हैं मौत और जहर रचनाओं से जैसे कि जहर और गोली में ...
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Sunday, March 17, 2013
वादा - कविता
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( अनुराग शर्मा ) तेरे मेरे आँसू की तासीर अलहदा है बेआब नमक सीला, वो दर्द से पैदा है तन माटी है मन सोना इंसान है हीरे सा बेगार में ...
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Monday, January 23, 2012
अकेला - कविता
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( अनुराग शर्मा ) देखी ज़माने की यारी ... कभी उसको नहीं समझा कभी खुदको न पहचाना दिया है दर्जा दुश्मन का कभी भी दोस्त न माना जो ...
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Friday, December 25, 2009
लेन देन - एक कविता
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( अनुराग शर्मा ) दीवारें मजदूरों की दर-खिड़की सारी सेठ ले गए। सर बाजू सरदारों के निर्धन को खाली पेट दे गए।। साम-दाम और दंड चलाके सौदाग...
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