हमारे एक मित्र हैं। मेरे अधिकाँश मित्रों की तरह यह भी उम्र, अनुभव, ज्ञान सभी में मुझसे बड़े हैं। उन्होंने सारी दुनिया घूमी है। गांधी जी के भक्त है। मगर अंधभक्ति के सख्त ख़िलाफ़ हैं। जब उन्होंने सुना कि आइन्स्टीन ने ऐसा कुछ कहा था कि भविष्य की पीढियों को यह विश्वास करना कठिन होगा कि महात्मा गांधी जैसा व्यक्ति सचमुच हुआ था तो उन्हें अजीब सा लगा। सोचने लगे कि यह बड़े लोग भी कुछ भी कह देते हैं।
बात आयी गयी हो गयी और वे फिर से अपने काम में व्यस्त हो गए। काम के सिलसिले में एक बार उन्हें तुर्की जाना पडा। वहाँ एक पार्टी में एक अजनबी से परिचय हुआ। [बातचीत अंग्रेजी में हुई थी - मैं आगे उसका अविचल हिन्दी अनुवाद लिखने की कोशिश करता हूँ।]
नव-परिचित ने उनकी राष्ट्रीयता जाननी चाही तो उन्होंने गर्व से कहा "भारत।" उनकी आशा के विपरीत अजनबी ने कभी इस देश का नाम नहीं सुना था। उन्होंने जहाँ तक सम्भव था भारत के सभी पर्याय बताये। फिर ताजमहल और गंगा के बारे में बताया और उसके बाद मुग़ल वंश से लेकर कोहिनूर तक सभी नाम ले डाले मगर अजनबी को समझ नहीं आया कि वे किस देश के वासी हैं।
फिर उन्होंने कहा "गांधी" तो अजनबी ने पूछा, "गांधी, फ़िल्म?"
"हाँ, वही गांधी, वही भारत।" उन्होंने खुश होकर कहा।
कुछ देर में अजनबी की समझ में आ गया कि वे उस देश के वासी हैं जिसका वर्णन गांधी फ़िल्म में है। उसके बाद अजनबी ने पूछा, "फ़िल्म का गांधी सचमुच में तो कभी नहीं हो सकता? है न?"
तब मेरे मित्र को आइंस्टाइन जी याद आ गए।
बात आयी गयी हो गयी और वे फिर से अपने काम में व्यस्त हो गए। काम के सिलसिले में एक बार उन्हें तुर्की जाना पडा। वहाँ एक पार्टी में एक अजनबी से परिचय हुआ। [बातचीत अंग्रेजी में हुई थी - मैं आगे उसका अविचल हिन्दी अनुवाद लिखने की कोशिश करता हूँ।]
नव-परिचित ने उनकी राष्ट्रीयता जाननी चाही तो उन्होंने गर्व से कहा "भारत।" उनकी आशा के विपरीत अजनबी ने कभी इस देश का नाम नहीं सुना था। उन्होंने जहाँ तक सम्भव था भारत के सभी पर्याय बताये। फिर ताजमहल और गंगा के बारे में बताया और उसके बाद मुग़ल वंश से लेकर कोहिनूर तक सभी नाम ले डाले मगर अजनबी को समझ नहीं आया कि वे किस देश के वासी हैं।
फिर उन्होंने कहा "गांधी" तो अजनबी ने पूछा, "गांधी, फ़िल्म?"
"हाँ, वही गांधी, वही भारत।" उन्होंने खुश होकर कहा।
कुछ देर में अजनबी की समझ में आ गया कि वे उस देश के वासी हैं जिसका वर्णन गांधी फ़िल्म में है। उसके बाद अजनबी ने पूछा, "फ़िल्म का गांधी सचमुच में तो कभी नहीं हो सकता? है न?"
तब मेरे मित्र को आइंस्टाइन जी याद आ गए।
गांधी को तो छोडिए, 'बुध्दू बक्से' की व्यापक 'घर-घुसपैठ' और 'केरियरस्टिक एज्यूकेशन' के चलते भारत में ही रामायण के लेखक रामानन्द सागर हो गए हैं । गांधी कहां लगते हैं ।
ReplyDeleteगांधीजी शीघ्र अवतार की श्रेणी में आ जायेंगे!
ReplyDeleteगांधी को तो नेहरू ने ही अप्रासंगिक बना दिया..
ReplyDeleteभारत न पहचान पाये और गाँधी पहचान गये..नितांत मूर्ख हैं जी.
ReplyDeleteभारत निश्चित ही अनेकों रत्न लिए है जिसमें से पूज्य गांधी जी एक हैं. उनकी शान के खिलाफ कतई नहीं..मगर भारत की अवमानना के खिलाफ हमेशा. बा
त करने वाला व्यक्ति IQ लेवल पर शून्य कहलाया हमारे हिसाब से.
आईन्स्ताईन ने सही कहा था ! और युग भी शायद परिवर्तन के दौर में है ! तभी तो रामायण के लेखक रामानंद सागर हो रहे हैं ! धीरे धीरे सभी रामायण सीरियलों के निर्माता भी रामायण कार हो जायेंगे ! बहुत अच्छी घटना लिखी आपने ! धन्यवाद !
ReplyDeleteअब इस पर क्या कहा जाए।
ReplyDeleteफिर सोचता हूं कि हमारे अपने देश में भी तो सैकड़ों-हजारों ऐसे लोग हैं जो अपनी रोजी-रोटी के अलावा और कुछ नहीं जानते।
फ़िर उन्होंने कहा "गांधी" तो अजनबी ने पूछा, "गांधी, फ़िल्म?"
ReplyDelete"हाँ, वही गांधी, वही भारत," उन्होंने खुश होकर कहा.
" very good and intelectual words to read.... "
Regards
मित्र ने "भारत" क्यूं कहा? "इंडिया" कहते तो शायद पहचानने में इतनी परेशानी नहीं होती. आपके अविचल हिन्दी अनुवाद में तो ये बदलाव नहीं हो गया? वैसे अविचल को हिन्दी में क्या कहते हैं? :-)
ReplyDeleteलोग अपने दादा-नाना का नाम भूल चुके हैं, फिर गॉंधी की क्या बिसात।
ReplyDeleteचिंता न करे आने वाले कुछ सालो में भारत में भी लोग गांधी को मानने से इनकार कर देगे ...
ReplyDeleteबिल्कुल ठीक ही लिखा है.
ReplyDeleteबहुत सही कहा..............यह व्यक्तित्व भी इतिहास नही पुराणों का एक पात्र बनकर रह जाएगा,जिसपर कुछ शतक बाद अदालत फ़ैसला दिया करेगी (रामसेतु की तरह) कि यह सत्य पात्र है या काल्पनिक.
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है.
ReplyDeleteभारत को गाँधी से जानने वाले कई लोग हैं ! ऐसे लोगों से मैं भी मिल चुका हूँ. गाँधी और ताजमहल को लोग सबसे ज्यादा जानते हैं. आइंस्टाइन बाबा की बात बहुत हद तक सच है.
ReplyDeleteडॉ अनुराग ने सही कहा है. एक हॉलीवुडी फिल्म का एक सीन याद है मुझे, जिसमें एक हिंदुस्तानी को देखकर अमेरिकन उसे गांधी कहकर संबोधित करता है। फिर ये भी गर्व की बात है।
ReplyDeleteदीवारोँ से बातेँ कर के,
ReplyDeleteहम भी पागल हो जायेँगेँ
ऐसा लगता है -
- लावण्या
आप ने यह बात तुर्की की बताई है, तो भाई वह आदमी सच मै महा मुर्ख होगा, क्योकि तुर्की मै भारतीया फ़िल्मओ के दिवानो की कमी नही, उस देश मै तो बच्चा बच्चा राज कपुर से शारुख खान को जानते है, बाजार मै भारतीया फ़िल्म तुर्की भाषा मै डब हुयी मिलती है, हां वहा की भाषा मै भारत (ईन्डिया) को इन्दिस्तान कहते है.
ReplyDeleteमै कई बात वहा गया हुं, इस लिये यह बात कह रहा हू,
धन्यवाद