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Sunday, October 4, 2020
हिंदी ग़ज़ल
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(शब्द व चित्र: अनुराग शर्मा ) पछताना क्या क्या यूँ रोना हुआ नहीं यदि था जो होना कल न था कल होना है जो जीवन है बस पाना-खोना चना अकेला भाड़ ...
9 comments:
Friday, March 29, 2019
दादी माँ कुछ बदलो तुम भी
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(शब्द व चित्र: अनुराग शर्मा ) सदा खिलाया औरों को खुद खाना सीखो दादी माँ सबको देते उम्र कटी अब पाना सीखो दादी माँ थक जाती हो जल्दी...
12 comments:
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