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अनुराग शर्मा
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Sunday, October 4, 2020
हिंदी ग़ज़ल
(शब्द व चित्र:
अनुराग शर्मा
)
पछताना क्या क्या यूँ रोना
हुआ नहीं यदि था जो होना
कल न था कल होना है जो
जीवन है बस पाना-खोना
चना अकेला भाड़ बड़ा है
मन में यह दुविधा न ढोना
टूटी छत बिखरी दीवारें
तन मिट्टी पर मन है सोना
याद खिली मन के कोने में
हुआ सुवासित कोना कोना
Friday, March 29, 2019
दादी माँ कुछ बदलो तुम भी
(शब्द व चित्र:
अनुराग शर्मा
)
सदा खिलाया औरों को
खुद खाना सीखो दादी माँ
सबको देते उम्र कटी
अब पाना सीखो दादी माँ
थक जाती हो जल्दी से
अब थोड़ा सा आराम करो
चुस्ती बहुत दिखाई अब
सुस्ताना सीखो दादी माँ
रूठे सभी मनाये तुमने
रोते सभी हँसाये तुमने
मन की बात रखी मन में
बतलाना सीखो दादी माँ
दिन छोटा पर काम बहुत
खुद करने से कैसे होगा
पहले कर लेती थीं अब
करवाना सीखो दादी माँ
हम बच्चे हैं सभी तुम्हारे
जो चाहोगी वही करेंगे
मानी सदा हमारी अब
मनवाना सीखो दादी माँ
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